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हिंदी पत्रकारिता दिवस | 30 मई, 1826 | Hindi Patrakarita Divas

  🇮🇳✍️ #हिंदी_पत्रकारिता_दिवस  #Hindi_Journalism_Day है. आज से 198 साल पहले 30 मई, 1826 को कलकत्ता(कोलकाता) में #उदंत_मार्तण्ड नामक साप्ताहिक अखबार की शुरुआत हुई. #कानपुर से कलकत्ता में सक्रिय वकील #पंडित_जुगल_किशोर_शुक्ल ने इस अखबार की नींव रखी. वो हिंदुस्तानियों के हित में उनकी भाषा में अखबार निकालना चाहते थे. 🇮🇳✍️ उदंत मार्तण्ड का अर्थ होता है उगता सूरज. हिंदी पत्रकारिता का सूरज पहली बार #कलकत्ता के बड़ा बाजार के करीब 37, अमर तल्ला लेन, #कोलूटोला में उदित हुआ था. यह अखबार पाठकों तक हर मंगलवार पहुँचता था. इसकी शुरुआत 500 प्रतियों के साथ हुई थी. 🇮🇳✍️ उदंत मार्तण्ड खड़ी बोली और ब्रज भाषा के मिले-जुले रूप में छपता था और इसकी लिपि देवनागरी थी. लेकिन इसकी उम्र ज्यादा लंबी नहीं हो सकी. इसके केवल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके. 🇮🇳✍️ प्रकाशन की शुरुआत के लगभग एक साल बाद ही हिंदी पत्रकारिता का पहला सूरज आर्थिक तंगी का शिकार होकर ओझल हो गया. 19 दिसंबर 1827 को उदन्त मार्तण्ड का आखिरी अंक प्रकाशित हुआ था. 🇮🇳✍️ अखबार के आखिरी अंक में संपादक और प्रकाशक जुगल किशोर शुक्ल ने अखबार के बं...

PM Narendra Modi unveiled the 'Statue of Valour' of Lachit Borphukan, in Jorhat, Assam on March 09 | अहोम जनरल वीर लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा का अनावरण

  PM Narendra Modi unveiled the 'Statue of Valour' of Lachit Borphukan, in Jorhat, Assam on March 09 | प्रधानमंत्री मोदी ने 'वीर योद्धा' अहोम जनरल' लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया।  वन्दे मातरम् 🇮🇳 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने #असम के #जोरहाट के #लहदोईगढ़ में अहोम जनरल वीर लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा, जिसे 'स्टैच्यू ऑफ वेलोर' कहा जाता है, का अनावरण लाचित बरफुकन मैदाम विकास परियोजना में किया गया था। मोदी ने एक अहोम अनुष्ठान में भाग लिया और उनके साथ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी थे।  मुगल सेना के विरुद्ध वर्ष 1671 में #सरायघाट_की_लड़ाई के नेतृत्वकर्ता #वीर_लाचित_बोरफुकन जी को शत् शत् नमन ! Vande Mataram 🇮🇳 Prime Minister Narendra Modi unveiled a 125-feet tall bronze statue of Ahom General Veer Lachit Borphukan at #Ladhoigarh in #Jorhat, #Assam. The statue, called the 'Statue of Valour', was unveiled at the Lachit Barphukan Maidam Development Project. Modi participated in an Ahom...

Mewar ki Rani Karnavati | मेवाड़ की रानी वीरांगना कर्णावती

  रानी कर्णावती  ने  8 मार्च 1535 को जौहर कर लिया था।  यह मेवाड़ का दूसरा जौहर माना जाता है।  #रानी_कर्णावती #Mewar ki #Rani_Karnavati  को रानी #कर्मावती के नाम से भी जाना जाता है (मृत्यु 8 मार्च 1534), #भारत के #बूंदी की एक राजकुमारी और अस्थायी शासक थीं । उनका विवाह #मेवाड़ के #राणा_सांगा (लगभग 1508-1528) से हुआ था । वह अगले दो राणाओं, राणा विक्रमादित्य और राणा उदय सिंह की माँ और महाराणा प्रताप की दादी थीं । उन्होंने 1527 से 1533 तक अपने बेटे के अल्पवयस्क होने के दौरान संरक्षिका के रूप में कार्य किया। वह अपने पति की तरह ही उग्र थीं और उन्होंने सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी के साथ चित्तौड़ की रक्षा की जब तक कि वह गुजरात  की सेना जिसका नेतृत्व गुजरात के बहादुर शाह ने किया था के हाथों नहीं घिर गई, रानी कर्णावती ने  भागने से इनकार कर दिया और अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर कर लिया। 🇮🇳 #रानी कर्णावती #Rani Karnavati अपने बलिदान के लिए जानी जाने वाली उन बहादुर रानियों में से एक है। जो अपनी जान तो दे दी लेकिन दुश्मन के सामने अपने घुटने नहीं टेके। कर्णा...

Sardar Nanak Singh | अमर बलिदानी सरदार नानक सिंह जी | 11 सितंबर 1903-4 मार्च 1947

भारत की विविधता इंद्रधनुष के रंगों की तरह है। यदि इनमें से एक को भी हटा दिया जाए तो इसका आकर्षण और सुंदरता कम हो जाएगी। 🇮🇳 ~ अमर बलिदानी सरदार नानक सिंह जी 🇮🇳 जब उन्हें #सरगोधा, जो अब पाकिस्तान में है, में निहत्थे शांतिपूर्ण स्वतंत्रता प्रेमियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया तो उन्होंने अपना शानदार पुलिस कैरियर त्याग दिया। 🇮🇳 🇮🇳 अमर बलिदानी सरदार नानक सिंह का जन्म 11 सितंबर 1903 को #रावलपिंडी, जो अब पाकिस्तान में है, में हुआ था। उनका जन्म #डॉ_वज़ीर_सिंह और उनकी पत्नी #जीवन_कौर के यहाँ हुआ था। अमर बलिदानी नानक सिंह, बीएससी (ऑनर्स) एलएलबी, पश्चिम पंजाब के एक प्रमुख सिख नेता, बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, अकाली जत्था, मुल्तान के महासचिव, पोस्ट एंड टेलीग्राफ यूनियन, मुल्तान के अध्यक्ष, सांप्रदायिक सद्भाव संस्था के उपाध्यक्ष थे। 🇮🇳 उन्होंने अपना अंतिम सार्वजनिक भाषण 4 मार्च 1947 को #मुल्तान शहर के #कूप_मंडी में #पंजाब के राष्ट्रपति #डॉ_सैफुद्दीन_किचलू के साथ दिया और एकजुट भारत के रूप में स्वतंत्रता प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। अगले दिन, मुल्तान के डीएवी कॉलेज के 600 छात्रों ...

Baba Prithvi Singh Azad | बाबा पृथ्वीसिंह आजाद | 15 सितंबर 1892 - 05 मार्च 1989

14 दिनों तक रोज सामने मौत की बाल्टी देख कर भी डरे नहीं #Baba_Prithvi_Singh_Azad  #पृथ्वीसिंह आजाद 🇮🇳 🇮🇳 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले कुछ ऐसे क्रांतिकारी भी रहे, जिन्हें आजादी मिलने के बाद भुला दिया गया। या तो उन्हें जानबूझकर भुलाया गया या फिर उनके बारे में कहीं कोई जानकारी दर्ज थी ही नहीं, इसलिए देश उन्हें भूल गया। ऐसे ही क्रांतिवीर थे पृथ्वीसिंह आजाद, जिनके बारे में छुटपुट जानकारी ही देश के सामने आ सकी। बाबा पृथ्वीसिंह आजाद ऐसे क्रांतिवीर थे, जिनके जीवन का प्रत्येक क्षण देश की स्वतंत्रता के लिए अर्पित था।  🇮🇳 15 सितंबर 1892 को #पंजाब के #सर्कपुर_टावर, जिला #अम्बाला में जन्मे पृथ्वीसिंह आजाद कुछ कमाने के लिए कई देशों की यात्रा करते हुए अमेरिका पहुँचे थे। वहाँ वे भारत की आजादी के लिए लड़ रही 'गदर पार्टी' में शामिल हो गए। 🇮🇳 गदर पार्टी के आह्वान पर वे अपने साथियों के साथ वापस भारत लौटे और अम्बाला की सैनिक छावनियों में भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने की प्रेरणा देने लगे। दुर्भाग्य से 8 दिसम्बर 1914 को उन्हें बंदी बनाकर...

Revolutionary Sushila Didi | भगत सिंह की 'दीदी' क्रांतिकारी सुशीला दीदी

  भारत के #स्वतंत्रता संग्राम के #क्रांतिकारी वीरों के बलिदान से हम ज़्यादातर भारतीय परिचित हैं। शहीद- ए- आजम #भगत_सिंह की कुर्बानी की गाथाएं हर गली-मोहल्ले में सुनाई जाती हैं। लेकिन उनका साथ देने वाली महिला क्रांतिकारियों के बारे में लोगों को बहुत ही कम जानकारी है। आज हम आपको उनकी टोली की एक और महिला क्रांतिकारी, सुशीला मोहन यानी कि भगत सिंह की #सुशीला_दीदी #Sushila_Didiके बारे में बता रहे हैं। 🇮🇳 5 मार्च 1905 को पंजाब के #दत्तोचूहड़ (अब पाकिस्तान) में जन्मीं दीदी की शिक्षा जालंधर के आर्य कन्या महाविद्यालय में हुई। उनके पिता अंग्रेजी सेना में नौकरी करते थे। पढ़ाई के दौरान सुशीला क्रांतिकारी दलों से जुड़े छात्र-छात्राओं के संपर्क में आईं। उनका मन भी #देशभक्ति में रमने लगा और देखते ही देखते, वह खुद क्रांति का हिस्सा बन गईं।  🇮🇳 लोगों को जुलूस के लिए इकट्ठा करना, गुप्त सूचनाएं पहुँचाना और क्रांति के लिए चंदा इकट्ठा करना उनका काम हुआ करता था। यहाँ पर उनका मिलना-जुलना भगत सिंह और उनके साथियों से भी हुआ। यहाँ पर उनकी मुलाक़ात #भगवती_चरण और उनकी पत्नी #दुर्गा_देवी_वोहरा से हुई। 🇮🇳 ...

Thakur Jagmohan Singh | ठाकुर जगमोहन सिंह | प्रसिद्ध साहित्यकार | Famous Literature

Thakur Jagmohan Singh (born- 1857 AD, Madhya Pradesh; died- March 4, 1899 AD) 🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह (जन्म- 1857 ई., मध्य प्रदेश; मृत्यु- 4 मार्च, 1899 ई.) प्रसिद्ध #साहित्यकार थे। इनका नाम 'भारतेन्दु युग' के सहृदय साहित्य सेवियों में आता है। ये मध्य प्रदेश स्थित विजयराघवगढ़ के राजकुमार और अपने समय के बहुत बड़े विद्यानुरागी थे। आप हिन्दी के अतिरिक्त #संस्कृत साहित्य के भी अच्छे ज्ञाता थे। इनके समस्त कृतित्व पर संस्कृत अध्ययन की व्यापक छाप है। जगमोहन सिंह ने ब्रजभाषा के कवित्त और सवैया छन्दों में कालिदास कृत 'मेघदूत' का बहुत सुन्दर अनुवाद भी किया है। 🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह का जन्म श्रावण शुक्ल चतुर्दशी, संवत 1914 (1857 ई.) को हुआ था। वे #विजयराघवगढ़, मध्य प्रदेश के राजकुमार थे। अपनी शिक्षा के लिए काशी आने पर उनका परिचय #भारतेंदु_हरिश्चंद्र और उनकी मंडली से हुआ। हिन्दी के अतिरिक्त वे संस्कृत और अंग्रेज़ी साहित्य की भी अच्छी जानकारी रखते थे। 🇮🇳🔰 ठाकुर साहब मूलत: कवि ही थे। उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा नई और पुरानी दोनों प्रकार की काव्य प्रवृत्तियों का पोषण किया। उन्ह...

Ramakrishna Khatri | Freedom Fighter | क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री | 3 मार्च 1902 -18 अक्टूबर 1996

  🇮🇳 आजादी के मतवालों की कहानियाँ सुनते ही खून दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगता है. क्रांतिकारियों की कहानी के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. आपको ऐसे क्रांतिकारी की कहानी बताएँगे, जिसने छोटी सी उम्र में देश की आजादी को ही अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया था. 🇮🇳 क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री का जन्म #महाराष्ट्र प्रांत में #बुल्डाणा जिले के #चिखली ग्राम में हुआ था. पिता का नाम #शिवलाल_चोपड़ा और माता का नाम #कृष्णा_बाई था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा चिखली और चंद्रपुर नगर में ग्रहण की. बचपन से ही खत्री के हृदय में देश प्रेम का अंकुर फूटने लगा था. बताया जाता है, उन दिनों देश भर में 'लाल-बाल-पाल' की धूम मची थी. 🇮🇳 सन 1917 में #लोकमान्य_बाल_गंगाधर_तिलक अपने राष्ट्रव्यापी दौरे के बीच चिखली में पधारे थे. भला बालक राम कृष्ण यह अवसर कहाँ छोड़ने वाला थे. रामकृष्ण खत्री के बेटे #उदय_खत्री बताते हैं कि, अपने ऊपर निगरानी रख रहे परिजनों और स्कूल अध्यापकों की नजर बचाकर रामकृष्ण कुछ सहपाठियों के साथ #लोकमान्य_तिलक का भाषण सुनने जा पहुँचे. भाषण के बाद मौका पाकर रामकृष्ण लोकमान्य तिलक के पास पहु...

Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे | डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948

  Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे |  डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948  🇮🇳🔶 वो गुरुजी के गुरुजी थे: जिनकी वजह से डॉ. आंबेडकर की भी थी संघ से नजदीकी 🔶🇮🇳 🇮🇳🔶 जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा। 🔶🇮🇳 🇮🇳🔶 पूरी संभावना है कि आपने बालकृष्ण शिवराम मुंजे का नाम नहीं सुना होगा। अगर एक वाक्य में उनका योगदान बताना हो तो बता दें कि पहले फिरंगी जातियों के आधार पर सेना में भर्ती लेते थे और इस व्यवस्था को हटाकर सभी की भर्ती हो सके, ये व्यवस्था बीएस मुंजे के प्रयासों से हो पाई थी। #बिलासपुर के एक ब्राह्मण परिवार में 1872 में जन्मे मुंजे ने 1898 में मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की थी। 🇮🇳 ये वो दौर था जब कांग्रेस में नरम दल और गरम दल अलग-अलग होने लगे थे। गरम दल का नेतृत्व #लाला_लाजपत_राय, #बाल_गंगाधर_तिलक और #बिपिनचंद्र_पाल अर्थात लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के हाथ में था। इस दौर तक दोनों कांग्रेसी धड़...

Syed Ali | July 10, 1942-March 2, 2010 | Former Indian Hockey Player| सैयद अली | भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी

  Syed Ali | July 10, 1942-March 2, 2010) | Former Indian Hockey Player|  सैयद अली | भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी । 🇮🇳 पद्मश्री जमन लाल शर्मा के साथ सैयद अली ने बच्चों को #हॉकी सिखाना शुरू किया था। अधिकतर बच्चे गरीब घरों के थे। उनके पास हॉकी और जूते तक खरीदने की क्षमता नहीं थी। खेल के प्रति अपने जुनून के चलते सैयद अली ने बच्चों की जरुरतें पूरी करने लगे। 🇮🇳 🇮🇳 सैयद अली (जन्म- 10 जुलाई, 1942; मृत्यु- 2 मार्च, 2010) भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी थे। वह पुरुषों की उस हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने सन 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था। 🇮🇳 नि:स्वार्थ सेवा-- लखनऊ के चंद्रभानु गुप्त मैदान में पूर्व ओलंपियन सैयद अली अपनी नर्सरी में खिलाड़ियों को इस मकसद से तराशते और निखारते हैं कि वे किसी दिन देश के लिए खेल सके और हॉकी के फिर से सुनहरे दिन ला सकें। सैयद अली की नर्सरी से कई खिलाड़ी देश के लिए खेल भी चुके हैं। 33 साल से अनवरत जारी उनका प्रयास देश की नि:स्वार्थ सेवा का अप्रतिम उदाहरण है। महान हॉकी खिलाड़ी के.डी. सिंह बाबू की धरती पर उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे सैयद अली की नजर मे...

Prof. Manoranjan Sahu | प्रो. मनोरंजन साहू | क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ

  Prof. Manoranjan Sahu | प्रो. मनोरंजन साहू | क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ 🇮🇳 प्रो. मनोरंजन साहू बीएचयू आयुर्वेद संकाय के डीन रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में बीएचयू में वर्ष 2013 में देश का पहला क्षार सूत्र केंद्र बनवाया था। 🇮🇳 🇮🇳 मनोरंजन साहू (जन्म- 2 मार्च, 1953, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख, शल्य चिकित्सा विभाग के पूर्व अध्यक्ष और क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ हैं। प्रो. मनोरंजन साहू को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद्म श्री, 2023 से सम्मानित किया है। प्रो. मनोरंजन साहू शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में यह सम्मान पाने वाले पहले प्रोफेसर हैं। 🇮🇳 प्रोफेसर साहू का जन्म 2 मार्च, 1953 को #पश्चिम_बंगाल के #मिदनापुर जिले में हुआ था। सन 1977 में उन्होंने स्टेट आयुर्वेदिक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद एमडी और पीएचडी की उपाधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1982 व 1986 में प्राप्त की। इसके बाद बी.एच.यू. में उन्होंने बतौर शिक्षक 34 वर्षों तक कार्य किया। 🇮🇳 प्रो. मनोरंजन साहू बीएच...

Queen Talaash Kunwari | पूर्वांचल की लक्ष्मीबाई थीं रानी तलाश कुंवरि

🇮🇳 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम आते ही जेहन में मंगल पांडेय का नाम आता है। मगर उत्तर प्रदेश के #बस्ती जिले के #अमोढ़ा रियासत की रानी तलाश कुंवरि ने भी उस आंदोलन में न सिर्फ पूरी ताकत से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन को जनक्रांति का स्वरूप दे दिया। रानी की अगुवाई में ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ जंग में शामिल सैकड़ों क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने छावनी में पीपल के पेड़ पर लटका कर सरेआम फाँसी दी थी। यह पेड़ आज भी बस्ती के स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली इतिहास की गवाही देता है। 🇮🇳 महारानी तलाश कुंवरि बस्ती ही नहीं, #पूर्वांचल के लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है। वह अमोढ़ा रियासत की अंतिम शासक थीं। एसआर डिग्री कॉलेज #दसिया के कार्यवाहक प्राचार्य व इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष #डॉ_वीरेंद्र_श्रीवास्तव बताते हैं कि सन 1852 में #महाराजा_जंगबहादुर_सिंह के निधन के बाद रानी तलाश कुंवरि को सत्ता की बागडोर सँभालनी पड़ी। उस समय अंग्रेज अपने राज्य विस्तार में पूरी ताकत झोंके हुए थे। 🇮🇳 ब्रिटिश हुकूमत की नजर एकाएक अमोढ़ा रियासत पर पड़ी। उसे हथियाने को कुचक्र रचना शुरू कर दि...

Prof. Conjeevaram Srirangachari Seshadri | Famous Mathematician | कांजिवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि | 29 फ़रवरी, 1932-17 जुलाई, 2020

  Prof. Conjeevaram Srirangachari Seshadri | कांजिवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि | 29 फ़रवरी, 1932-17 जुलाई, 2020  🇮🇳 #कांजिवरम #श्रीरंगचारी #शेषाद्रि (जन्म- 29 फ़रवरी, 1932; मृत्यु- 17 जुलाई, 2020, #चेन्नई) भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। उन्हें सन 2009 में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। सी. एस. शेषाद्रि स्वातंत्र्योत्तर काल में भारतीय गणित के नेताओं में से एक थे। वह संगीत और कर्नाटक संगीत के एक कुशल गायक भी थे, जो बड़ी बारीकियों में सक्षम थे। 🇮🇳 #भारतीय #गणितज्ञ सी. एस. #शेषाद्रि का जन्म 29 फ़रवरी, 1932 को हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में स्नातक छात्रों के पहले बैच के रूप में की थी। शानदार सहयोगियों के साथ-साथ एम.एस. नरसिम्हन, एस. रामकरण और एम.एस. रघुनाथन, उन्होंने टीआईएफआर में स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स को दुनिया में गणित अनुसंधान के प्रमुख केंद्रों के रूप में स्थापित करने में मदद की। 🇮🇳 वह 1985 में गणितीय विज्ञान संस्थान में चेन्नई चले गए। 1989 में, उन्हें एसपीआईसी साइंस ...

Veer Surendra Sai | क्राँतिकारी वीर सुरेन्द्र साय | जन्म- 23 जनवरी, 1809; मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1884

  🇮🇳 Veer Surendra Sai (born- 23 January, 1809; died- 28 February, 1884) क्राँतिकारी वीर सुरेन्द्र साय (साई) (जन्म- 23 जनवरी, 1809; मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1884) भारतीय क्रांतिकारी थे। वह 16वीं शताब्दी में चौहान वंश के संबलपुर के महाराजा मधुकर साई के वंशज थे। वीर सुरेंद्र साई ने 1857 के विद्रोह से पहले ही विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी थी और विद्रोह के थम जाने के बाद भी उन्होंने इसे जारी रखा। उन्होंने संबलपुर में लगभग 1500 आदमियों की एक लड़ाकू सेना तैयार की थी। उन्होंने 1857 से 1862 तक अंग्रेज़ों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध जारी रखा। अंग्रेज़ों ने उन्‍हें पकड़ने के लिए हर हथकंडा अपनाया, किन्तु उन्‍हें रोक नहीं पाए। 🇮🇳 वीर सुरेंद्र साई का जन्म ग्राम #खिण्डा (#सम्बलपुर, #उड़ीसा) के चौहान राजवंश में 23 जनवरी, 1809 को हुआ था। इनका गाँव सम्बलपुर से 30 कि.मी. की दूरी पर था। युवावस्था में उनका विवाह हटीबाड़ी के जमींदार की पुत्री से हुआ, जो उस समय गंगापुर राज्य के प्रमुख थे। आगे चलकर सुरेन्द्र साई के घर में एक पुत्र मित्रभानु और एक पुत्री ने जन्म लिया। 🇮🇳 सन 1827 में सम्बलपुर के राजा क...

Rana Udai Singh | मेवाड़ के राणा साँगा के पुत्र और महाराणा प्रताप के पिता राणा उदयसिंह जी | Born: August 4, 1522 AD - Death: February 28, 1572 AD

  🇮🇳 राणा उदयसिंह (जन्म: 4 अगस्त, 1522 ई. - मृत्यु: 28 फ़रवरी, 1572 ई.) मेवाड़ के राणा साँगा के पुत्र और राणा प्रताप के पिता थे। इनका जन्म इनके पिता के मरने के बाद हुआ था और तभी गुजरात के बहादुरशाह ने चित्तौड़ नष्ट कर दिया था। इनकी माता कर्णवती द्वारा हुमायूँ को राखीबंद भाई बनाने की बात इतिहास प्रसिद्ध है। मेवाड़ की ख्यातों में इनकी रक्षा की अनेक अलौकिक कहानियाँ कही गई हैं। उदयसिंह को कर्त्तव्यपरायण धाय पन्ना के साथ बलबीर से रक्षा के लिए जगह-जगह शरण लेनी पड़ी थी। उदयसिंह 1537 ई. में मेवाड़ के राणा हुए और कुछ ही दिनों के बाद अकबर ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर चढ़ाई की। हज़ारों मेवाड़ियों की मृत्यु के बाद जब लगा कि चित्तौड़गढ़ अब न बचेगा तब जयमल और पत्ता आदि वीरा के हाथ में उसे छोड़ उदयसिंह अरावली के घने जंगलों में चले गए। वहाँ उन्होंने नदी की बाढ़ रोक उदयसागर नामक सरोवर का निर्माण किया था। वहीं उदयसिंह ने अपनी नई राजधानी उदयपुर बसाई। चित्तौड़ के विध्वंस के चार वर्ष बाद उदयसिंह का देहांत हो गया। 🇮🇳 राणा संग्राम सिंह उपनाम राणा सांगा एक बहुत ही वीर शासक थे। परिस्थितियों ने उनकी...