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| स्वतंत्रता सेनानी सुहासिनी गांगुली | जन्म- 3 फ़रवरी, 1909; मृत्यु- 23 मार्च, 1965

 #क्रांतिकारी_वीरांगना भारत की लड़ाई में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया। इसमें से कई महिलाओं ने जहाँ #महात्मा_गाँधी के अहिंसा का मार्ग अपनाया तो वहीं कई महिलाओं ने #चंद्रशेखर_आजाद और #भगत_सिंह जैसे क्रांतिकारियों के मार्ग को अपनाया। ऐसे ही महान महिला स्वतंत्रता सेनानियों में #सुहासिनी गांगुली का नाम प्रमुख है जिन्होंने बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों में अपना सक्रिय योगदान दिया । 🇮🇳 सुहासिनी गांगुली का जन्म 3 फरवरी 1909 को तत्कालीन बंगाल के #खुलना में हुआ था। 🇮🇳 अपनी शिक्षा पूरी करने के उपरांत उन्होंने #कोलकाता में एक मूक बधिर बच्चों के स्कूल में नौकरी करना शुरू किया जहाँ पर वह क्रांतिकारियों के संपर्क में आई। 🇮🇳 उल्लेखनीय है कि उन दिनों बंगाल में ‘छात्री संघा’ नाम का एक महिला क्रांतिकारी संगठन कार्यरत था जिसकी कमान #कमला_दासगुप्ता के हाथों में थी। उल्लेखनीय है कि इसी संगठन से #प्रीति_लता_वादेदार और #बीना_दास जैसी वीरांगनायें जुड़ी हुई थी। 🇮🇳 खुलना के क्रांतिकारी #रसिक_लाल_दास और क्रांतिकारी #हेमंत_तरफदार के संपर्क में आने से सुहासिनी...

Ragini Trivedi | रागिनी त्रिवेदी | विचित्र वीणा, सितार और जल तरंग | 22 मार्च, 1960

  रागिनी त्रिवेदी (जन्म- 22 मार्च, 1960) भारतीय शास्त्रीय संगीतकार हैं। वह विचित्रवीणा, सितार और जल तरंग पर प्रस्तुति देती हैं। 🇮🇳 रागिनी त्रिवेदी विचित्र वीणा वादक और संगीतज्ञ #लालमणि_मिश्र की पुत्री हैं। 🇮🇳 वह डिजिटल संगीत संकेतन प्रणाली की निर्माता हैं, जिसे 'ओमे स्वारलिपि' कहा जाता है। 🇮🇳 उनके पिता प्रसिद्ध संगीतकार लालमणि मिश्र, माता #पद्मा ने रागिनी और भाई #गोपाल_शंकर में संगीत के प्रति प्रेम पैदा किया। 🇮🇳 #वाराणसी में परिवार रीवा कोठी में दूसरी मंजिल पर रहता था। वहीं गायक #ओंकारनाथ_ठाकुर भूतल पर रहते थे। 🇮🇳 रागिनी त्रिवेदी ने 9 अप्रैल, 1977 को अपनी माँ को खो दिया और 17 जुलाई, 1979 को उनके पिता भी चल बसे। उन्होंने और उनके भाई गोपाल ने संगीत का अभ्यास जारी रखा। 🇮🇳 कुछ समय के लिए उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाया और बाद में #होशंगाबाद, #रीवा और #इंदौर के सरकारी कॉलेजों में सितार पढ़ाया। साभार: bharatdiscovery.org 🇮🇳 #विचित्रवीणा, #सितार और #जलतरंग पर प्रस्तुति देने वाली भारतीय #शास्त्रीय  #संगीतकार #रागिनी_त्रिवेदी जी को जन्मदिवस की ढेरों बधाई एवं...

Nisha millet | निशा मिलेट | Swimmer

  निशा मिलेट (जन्म- 20 मार्च, 1982) भारत की जानी-मानी महिला #तैराक #swimmer हैं। वह भारत के लिए 2000 सिडनी ओलंपिक तैराकी टीम में अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र महिला थीं। राष्ट्रीय खेलों की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के लिए प्रधानमंत्री का पुरस्कार उन्होंने 1997 और 1999 में प्राप्त किया। 🇮🇳 निशा मिलेट को पाँच साल की उम्र में डूबने का अनुभव था, जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें अपने डर से उबरने के लिए तैराकी सीखने के लिए मनाया। 🇮🇳 1991 में निशा ने अपने पिता के मार्गदर्शन में, ऑबरे शेनयायनगर क्लब, चेन्नई से तैरने का तरीका सीखा और 1992 में चेन्नई में 50 मीटर फ्री स्टाइल में अपना पहला राज्य स्तर का पदक जीता। 🇮🇳 1994 में निशा मिलेट ने हांगकांग के एशियाई आयु समूह चैंपियनशिप में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। यह उनके शासन काल की शुरुआत थी। 🇮🇳 वह 1999 में राष्ट्रीय खेलों में 14 स्वर्ण पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय एथलीट थीं। 🇮🇳 निशा मिलेट ने अपने कॅरियर की ऊँचाई पर 200 सी फ्री स्टाइल में 2000 सिडनी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जहाँ उन्होंने शुरुआत में अच्छा किया; परन्तु स...

Brave Queen Avanti Bai | वीरांगना रानी अवंती बाई

  .लेकिन वो कुछ करते इसके पहले ही वीरांगना रानी अवंती बाई ने अपने अंगरक्षक की तलवार छीनकर स्वयं की जीवन लीला समाप्त कर ली. 🇮🇳 🇮🇳 `देश, धर्म के लिए लड़ो या चूड़ियाँ पहन लो`, जानिए वीरांगना रानी अवंती बाई की शौर्य गाथा 🇮🇳 🇮🇳 आज एक ऐसी वीरांगना रानी अवंती बाई का बलिदान दिवस है, जिनके जीवन के कमसुने पहलुओं से आपको रुबरु करा रहे हैं. 🇮🇳 देश की स्वाधीनता के मार्ग को कई वीर-वीरांगनाओं ने अपने रक्त की अंतिम बूँद तक समर्पित करके सींचा है. लेकिन इन बलिदानों में वो नाम चुनिंदा ही रहे है जिनके साथ इतिहासकारों ने न्याय किया और उन्हें यथोचित सम्मान दिया है. इसके बावजूद इतिहास के पन्नों में कई नाम ऐसे दिखाई पड़ते है, जिन्हें लेकर जनमानस में दूर-दूर तक कोई जानकारी नहीं है, उन्हें लेकर सम्मान तो दूर कोई उनके नाम और कार्यों से भी परिचित नहीं है. भारत के स्वर्णिम इतिहास को इस दरिद्रता से उभारकर इन गुमनाम वीर क्रांतिकारियों को उनके संघर्षों और सर्वोच्च बलिदान के सर्वोच्च सम्मान दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है. 🇮🇳 आज एक ऐसी वीरांगना रानी अवंती बाई का बलिदान दिवस है, जिनके जीवन के कमसुने पहलुओं...

Sarla Thakral | सरला ठकराल | First female aircraft pilot | प्रथम महिला विमान चालक

  हमारे समाज में महिलाओं के लिए बंदिशें बहुत ज्यादा होती हैं। हांलाकि अब इन बंदिशों को तोड़कर लड़कियों को आगे आने का मौका मिलने लगा है। पर,आज से करीब सत्तर-अस्सी साल पहले ऐसा नहीं था। उस जमाने में महिलाओं को बहुद ज्यादा आजादी नहीं थी और न हीं उनको अपनी मर्जी का काम करने की इजाजत थी। ऐसे में अपने सपनों को साकार कर आकाश में उड़ने वाली पहली महिला बनीं सरला ठकराल। चलिए जानें उनके बारे में कुछ बातें... 🇮🇳 सरला ठकराल का जन्म #दिल्ली में हुआ था। उन्होंने साल 1929 में पहली बार दिल्ली में खोले गए फ्लाइंग क्लब में विमान चालन का प्रशिक्षण लिया था और एक हजार घंटे का अनुभव भी लिया था। दिल्ली के ही फ्लाइंग क्लब में उनकी भेंट #पी_डी_शर्मा से हुई जो उस क्लब में खुद एक व्यावसायिक विमान चालक थे। विवाह के बाद उनके पति ने उन्हें व्यावसायिक विमान चालक बनने का प्रोत्साहन दिया। 🇮🇳 पति से प्रोत्साहन पाकर सरला ठकराल ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली। 1936 में लाहौर का हवाईअड्डा उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब 21 वर्षीया सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले विमान को उड़ाया था।  🇮🇳 साल 193...

Malti Devi Chaudhary | मालती देवी चौधरी | Freedom fighter | Social worker

  मालती देवी चौधरी (जन्म- 26 जुलाई, 1904, पूर्वी बंगाल; मृत्यु- 15 मार्च, 1998) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा गाँधीवादी थीं। सन 1921 में, सोलह साल की उम्र में मालती चौधरी को शांति निकेतन भेजा गया, जहाँ उन्हें विश्व भारती में भर्ती कराया गया। उन्होंने #नबाकृष्णा_चौधरी से विवाह किया था, जो बाद में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। नमक सत्याग्रह के दौरान मालती चौधरी और उनके पति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने सत्याग्रह के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए लोगों के साथ संवाद किया। 🇮🇳 मालती चौधरी का जन्म 26 जुलाई, 1904 में हुआ था। वह एक ब्राह्मण परिवार से थीं। उनके पिता बैरिस्टर #कुमुद_नाथ_सेन की मृत्यु तब हुई जब वह केवल ढाई साल कीं थीं। उनकी मां #स्नेहलता_सेन एक अच्छी लेखिका थीं, जिन्होंने 'जुगलंजलि' लिखी और #रवींद्रनाथ_टैगोर की कुछ कृतियों का अनुवाद किया। मालती चौधरी की पृष्ठभूमि अच्छी थी। उनके नाना बहरीलाल गुप्ता एक आईसीएस अधिकारी थे। उनके दो चचेरे भाई रंजीत गुप्ता पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव थे और इंद्रजीत गुप्ता पूर्व गृहमंत्री थे। उनके दो...

Pooja Gehlot | पूजा गहलोत | wrestler | पहलवान

  राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अनेक पदक अपने नाम करने वाली, सोनीपत (हरियाणा) में जन्मी भारतीय महिला फ्रीस्टाइल #पहलवान #पूजा_गहलोत #wrestler #pooja_gehlot जी को #जन्मोत्सव #birthday celebration के शुभ अवसर पर मेरी ओर से भी ढेरों बधाई एवं सफल जीवन की अनंत शुभकामनाऍं ! 🇮🇳🌹🙏 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व #आजादी_का_अमृतकाल   साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था  सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ...  Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the informati...

Suniti Chaudhary | सुनीति चौधरी | revolutionary woman | क्रांतिकारी महिला

  आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत की सबसे कम उम्र की #क्रांतिकारी_महिला #revolutionary_woman #सुनीति_चौधरी  #Suniti_Chaudhary के बारे में। सुनीति चौधरी का जन्म #टिप्पेरा के कोमिला सब-डिविजन में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में 22 मई,1917 को हुआ था। क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो कर महज 14 वर्ष की  उम्र में ही इन्होंने एक ब्रिटिश मैजिस्ट्रेट की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इन पर मुकदमा चला और इन्होंने अपने जीवन के 7 साल जेल में बिताए। और फिर आगे चल कर, स्वतंत्र भारत में ये एक प्रसिद्ध डॉक्टर बनीं। 🇮🇳● साल 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन अपने ज़ोरों पर था। इस दौरान लगातार धरना-प्रदर्शन हो रहे थे। आंदोलनकारियों के जुलूस रोज़ ही निकला करते थे। इसके साथ, पुलिस की क्रूरता भी चरम पर पहुँचती जा रही थी। अंग्रेज़ अफ़सरों के अत्याचारों को देख कर सुनीति के मन में उनसे बदला लेने की भावना प्रबल होती जा रही थी। 🇮🇳● इसी दौरान, फैजुन्निसा बालिका उच्च विद्यालय में उनकी सीनियर #प्रफुल्ल_नलिनी_ब्रह्मा ने उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित किताबों को पढ़ने की न सिर्फ सलाह दी, बल्कि उ...

Dr.Viswanathan Shanta | डॉ.विश्वनाथन शांता | Indian female doctor | भारतीय महिला चिकित्सक

  हमने 12 पलंग, दो डॉक्टर्स, दो नर्स, दो टेक्निशियन्स, दो सेक्रेटेरिएट स्टाफ के साथ एक कॉटेज अस्पताल के तौर पर शुरुआत की थी. आज मुझे गर्व है कि हम देश के अच्छे इंस्टीट्यूट में शामिल हैं. 30 फीसद मरीज़ों का हम एकदम मुफ्त में इलाज करते हैं. 40 फीसद मरीज़ों से हम पैसे लेते हैं. बाकी बचे 30 फीसद मरीज़ों से पैसे तो लेते हैं, लेकिन काफी कम. 🔴 🇮🇳 कौन थीं डॉक्टर वी शांता ? वो महिला, जिन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी कैंसर के मरीज़ों की सेवा में लगा दी. वो महिला, जिसने भारत में कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की. जिनका एक ही मकसद था, ये कि भारत में कैंसर को लेकर लोग जागरूक हों और लोगों को बेहतर और किफायती इलाज मिल सके. शुरू से शुरुआत करते हैं. 🇮🇳 आज़ादी के पहले का भारत. साल था 1927. चेन्नई में 11 मार्च के दिन एक बच्ची का जन्म हुआ. नाम रखा गया #विश्वनाथन_शांता, यानी वी शांता. जिस परिवार में इनका जन्म हुआ, उस परिवार के दो महान वैज्ञानिक आगे चलकर नोबेल प्राइज़ विजेता भी बने. हम बात कर रहे हैं #डॉक्टर_सी_वी_रमन और #एस_चंद्रशेखर की. सीवी रमन शांता के ग्रैंडअंकल थे, तो एस चंद्रशे...

International Women's Day March 8 | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस | 8 मार्च

#International_Womens_Day | #अंतर्राष्ट्रीय #महिला_दिवस 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है। लेकिन महिलाओं को सशक्त बनाने वाले इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1909 में हुई थी। दरअसल, साल 1908 में अमेरिका में एक मजदूर आंदोलन हुआ, जिसमें करीब 15 हजार महिलाएं भी शामिल हुई |  International Women's Day is celebrated globally on #8March. But celebrating this day that empowers women was first started in the year 1909. In fact, in the year 1908, there was a #labor_movement in America, in which about 15 thousand women also participated. यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस एक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां निकाली थीं। इस वजह से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई। बाद में 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दे दी। Women in Europe took out rallies on March 8 to support peace activists. For this reason, celebration of International Women's Day started on March 8. Later in 1975, the United Nations ...