राधा रानी के बगैर भगवान श्री कृष्ण अधूरे माने जाते हैं,
'भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की #अष्टमी' को #कृष्ण प्रिया #राधा जी का जन्म हुआ था,अत: यह दिन #राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
राधाष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं. राधा रानी जी की जन्म स्थली रावल गाँव है.और राधा रानी जी की लीला स्थली बरसाना है.
#बरसाना मथुरा से 50 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम में और गोवर्धन से 21 कि.मी. दूर उत्तर में स्थित है.
Radhashtami is a Hindu religious day commemorating the birth anniversary of the goddess Radha, the chief consort of the god Krishna. It is celebrated in her birthplace Barsana and the entire Braj region on the eighth day of the bright half of the lunar month of Bhadrapada.
यह भगवान #श्रीकृष्ण की प्यारी राधा जी की जन्म स्थली है.
इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था.अष्टमी के दिन महाराज वृषभानु की पत्नी कीर्ति के यहां #भगवती राधा अवतरित हुई.
तब से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी 'राधाष्टमी' के नाम से विख्यात हो गई.यह व्रत भाद्रपद के #शुक्ल_पक्ष की अष्टमी को किया जाता है.
यह #कृष्ण_जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद अष्टमी को ही राधा जी का जन्मदिन मनाया जाता हैं.
इस दिन राधा जी का विशेष पूजन और व्रत किया जाता है.नारदपुराण के अनुसार 'राधाष्टमी' का व्रत करने वाला भक्त ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेता है.
श्रीकृष्ण की भक्ति, प्रेम और रस की त्रिवेणी जब हृदय में प्रवाहित होती है, तब मन तीर्थ बन जाता है। 'सत्यम शिवम सुंदरम' का यह महाभाव ही 'राधाभाव' कहलाता है।
श्रीकृष्ण वैष्णो के लिए परम आराध्य हैं. वैष्णव श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व मानते हैं. आनंद ही उनका स्वरूप है. श्रीकृष्ण ही आनंद का मूर्तिमान स्वरूप हैं. कृष्ण प्रेम की सर्वोच्च अवस्था ही 'राधाभाव ' है.
इस दिन राधा जी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर उनका श्रृंगार करते है. स्नानादि से शरीर शुद्ध करके मण्डप के भीतर मण्डल बनाकर उसके बीच में मिट्टी या तांबे का शुद्ध बर्तन रखकर उस पर दो वस्त्रों से ढकी हुई राधा जी की स्वर्ण या किसी अन्य धातु की बनी हुई सुंदर मूर्ति स्थापित करते है,
इसके बाद मध्याह्न के समय श्रद्धा, भक्तिपूर्वक राधा जी की पूजा करते है, भोग लगाकर #धूप, #दीप, #पुष्प आदि से #राधाजी कि आरती की जाती है.
यदि संभव हो तो उस दिन #उपवास करना चाहिए. फिर दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर और मूर्ति को दान करने का बाद स्वयं भोजन करना चाहिए, इस प्रकार इस व्रत की समाप्ति करें.
इस प्रकार विधिपूर्वक व श्रद्धा से यह व्रत करने पर मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है व इस लोक और परलोक के सुख भोगता है. मनुष्य ब्रज का रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों में निवास करता है.
#जय_श्री_राधे......
साभार: श्री राधा रानी बरसाना
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