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Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे | डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948

 




Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे |  डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948 

🇮🇳🔶 वो गुरुजी के गुरुजी थे: जिनकी वजह से डॉ. आंबेडकर की भी थी संघ से नजदीकी 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा। 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 पूरी संभावना है कि आपने बालकृष्ण शिवराम मुंजे का नाम नहीं सुना होगा। अगर एक वाक्य में उनका योगदान बताना हो तो बता दें कि पहले फिरंगी जातियों के आधार पर सेना में भर्ती लेते थे और इस व्यवस्था को हटाकर सभी की भर्ती हो सके, ये व्यवस्था बीएस मुंजे के प्रयासों से हो पाई थी। #बिलासपुर के एक ब्राह्मण परिवार में 1872 में जन्मे मुंजे ने 1898 में मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की थी।

🇮🇳 ये वो दौर था जब कांग्रेस में नरम दल और गरम दल अलग-अलग होने लगे थे। गरम दल का नेतृत्व #लाला_लाजपत_राय, #बाल_गंगाधर_तिलक और #बिपिनचंद्र_पाल अर्थात लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के हाथ में था। इस दौर तक दोनों कांग्रेसी धड़ों के बीच जूतेबाजी भी शुरू हो चुकी थी।

🇮🇳🔶 जब 1907 में #सूरत में कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन हो रहा था तो दोनों हिस्सों के बीच तल्खियाँ बढ़ गईं। इस वक्त बीएस मुंजे ने खुलकर तिलक का समर्थन किया और यही वजह रही कि तिलक के वो भविष्य में भी काफी करीबी रहे। पार्टी के लिए चंदा इकठ्ठा करने के कार्यक्रमों में वो तिलक के आदेश पर पूरे केन्द्रीय भारत में भ्रमण करते रहे।

🇮🇳🔶 बाद में जब राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए लोकमान्य तिलक ने गणेश पूजा की शुरुआत की तो उसे भी मुंजे का पूरा समर्थन मिला। पंडाल लगाने, मूर्ति बैठाने और उसे विसर्जित करने तक के कार्यक्रम के जरिए लोकमान्य तिलक ने जो व्यवस्था महाराष्ट्र में शुरू की थी, उसी को वो बाद में कोलकाता भी ले गए। कोलकाता के इस अभियान में लोकमान्य तिलक के साथ बीएस मुंजे भी थे।

🇮🇳🔶 आज जो आप कोलकाता के दुर्गा पूजा में विशाल पंडालों, मूर्तियों इत्यादि का आयोजन देखते हैं वो 1900 के शुरुआती दशकों में रखी गई थी। जैसा कि हर सौ वर्षों में होता ही है, शताब्दी का दूसरा दशक उस समय भी हिन्दुओं के पुनःजागरण का काल था।

🇮🇳🔶 मोहनदास करमचंद गाँधी की ही तरह बोअर युद्ध के दौरान बीएस मुंजे भी 1899 में मेडिकल कॉर्प्स में थे। सायमन कमीशन के विरोध, रक्षा बजट का प्रावधान अलग करवाने और समाज सुधार के कार्यों में बीएस मुंजे लगातार काम करते रहे। जब लोकमान्य तिलक की मृत्यु हो गई तब वो 1920 में कॉन्ग्रेस से अलग हो गए थे।

🇮🇳🔶 उनकी मोहनदास करमचंद गाँधी की ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘अहिंसा’ जैसे विषयों पर घोर असहमति थी। आगे चलकर करीब 65 वर्ष की आयु में उन्होंने नासिक में भोंसला मिलिट्री अकादमी की स्थापना कर डाली। ये स्कूल आज भी जाने माने विद्यालयों में से एक है। उनके द्वारा स्थापित किए हुए कई संस्थान तो अब अपनी सौवीं वर्षगाँठ के आस-पास हैं और आश्चर्य की बात कि कोई भी बंद या सरकारी मदद माँगने वाली बुरी स्थिति में नहीं पहुँचा!

🇮🇳🔶 कांग्रेस से दूरी बढ़ाने के वक्त भी उनकी हिन्दू महासभा से नजदीकी कम नहीं हुई। वो डॉ. हेडगेवार के राजनैतिक गुरु थे। उनकी प्रेरणा से ही डॉ. हेडगेवार ने 1925 में आरएसएस की शुरुआत की थी। डॉ. बीएस मुंजे ने 1927 में हिन्दू महासभा के प्रमुख का पदभार सँभाल लिया था और उन्होंने 1937 में ये पद #विनायक_दामोदर_सावरकर को दिया।

🇮🇳🔶 सैन्य स्कूल स्थापित करने की प्रेरणा उन्हें अपनी इटली यात्रा से मिली थी, जहाँ 1931 में वो मुसोलनी से भी मिले थे। कांग्रेस के घनघोर विरोध के बाद भी वो दो बार लंदन में गोल मेज़ सभाओं में भी सम्मिलित हुए थे। अपने पूरे जीवन वो यात्राएँ ही करते रहे।



🇮🇳🔶 ऐसा भी नहीं है कि उनसे सलाह लेने और मानने वालों में केवल सावरकर और डॉ. हेडगेवार ही थे। जब #डॉ_भीमराव_राम_आंबेडकर को धर्मपरिवर्तन करना था तो उन्होंने भी डॉ. मुंजे से सलाह ली और मानी थी। डॉ. मुंजे ने उन्हें अब्रह्मिक मजहबों की तरफ जाने के बदले भारतीय धर्मों की ओर जाने की सलाह दी थी।

🇮🇳🔶 जब सिख होने और बौद्ध धर्म अपनाने के बीच चुनना था तो अंततः डॉ. आंबेडकर ने डॉ. बीएस मुंजे की सलाह मानते हुए बौद्ध धर्म अपनाया था। अगर आपने कभी सोचा हो कि अपने समय के हर संगठन (राजनैतिक या गैर-राजनैतिक) पर अपने विचार रखने वाले डॉ. आंबेडकर की संघ से क्यों नजदीकी थी, तो ऐसा मान सकते हैं कि डॉ. बीएस मुंजे उनके बीच की कड़ी थे।



🇮🇳🔶 आज डॉ. बीएस मुंजे (12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948) की पुण्यतिथि है। जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा।

साभार: opindia.com

🇮🇳 #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के अभिभावक, मार्गदर्शक तथा प्रेरणास्रोत, धर्मवीर, सच्चे राष्ट्रभक्त, वीर नायक #डॉ_बालकृष्ण_शिवराम_मुंजे जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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