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Ramakrishna Khatri | Freedom Fighter | क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री | 3 मार्च 1902 -18 अक्टूबर 1996




 

🇮🇳 आजादी के मतवालों की कहानियाँ सुनते ही खून दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगता है. क्रांतिकारियों की कहानी के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. आपको ऐसे क्रांतिकारी की कहानी बताएँगे, जिसने छोटी सी उम्र में देश की आजादी को ही अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया था.

🇮🇳 क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री का जन्म #महाराष्ट्र प्रांत में #बुल्डाणा जिले के #चिखली ग्राम में हुआ था. पिता का नाम #शिवलाल_चोपड़ा और माता का नाम #कृष्णा_बाई था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा चिखली और चंद्रपुर नगर में ग्रहण की. बचपन से ही खत्री के हृदय में देश प्रेम का अंकुर फूटने लगा था. बताया जाता है, उन दिनों देश भर में 'लाल-बाल-पाल' की धूम मची थी.

🇮🇳 सन 1917 में #लोकमान्य_बाल_गंगाधर_तिलक अपने राष्ट्रव्यापी दौरे के बीच चिखली में पधारे थे. भला बालक राम कृष्ण यह अवसर कहाँ छोड़ने वाला थे. रामकृष्ण खत्री के बेटे #उदय_खत्री बताते हैं कि, अपने ऊपर निगरानी रख रहे परिजनों और स्कूल अध्यापकों की नजर बचाकर रामकृष्ण कुछ सहपाठियों के साथ #लोकमान्य_तिलक का भाषण सुनने जा पहुँचे. भाषण के बाद मौका पाकर रामकृष्ण लोकमान्य तिलक के पास पहुँचे और हाथ पकड़ कर बोले, मुझे भी अपने साथ ले चलिए. आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूँगा.

🇮🇳 इस पर लोकमान्य तिलक ने उन्हें समझाते हुए कहा था, अभी तुम लोग बहुत छोटे हो, पढ़ लिख कर थोड़ा और बड़े हो जाओ तब #मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अपने आप को लगाना. इस बात को सुनकर रामकृष्ण खत्री रुआँसे हो गए. इसी पर रामकृष्ण खत्री ने देश को आजाद कराने की मन में ठान ली.

🇮🇳 बेटे उदय खत्री बताते हैं कि, चिखली की पढ़ाई खत्म होते ही पिता रामकृष्ण अपने बड़े भाई #मोहनलाल के पास महाराष्ट्र के ही चंद्रपुर चले आए और वहाँ हाईस्कूल में दाखिला ले लिया. 1920 के 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक के निधन के बाद पूरे देश की निगाहें #गाँधीजी की ओर लग गई थीं. सितंबर 1920 में कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व महात्मा गाँधी ने 14 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की. जिसमें वकीलों से वकालत छोड़ने का आह्वान, छात्र-छात्राओं से अंग्रेजी विद्यालयों की पढ़ाई छोड़ देने का आह्वान और प्रबुद्ध जनों से अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदत्त उपाधियों-पदवियों का परित्याग कर देने का आह्वान किया.

🇮🇳 इस 14 सूत्री कार्यक्रमों के आह्वान पर कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी #वर्धा (महाराष्ट्र) पहुँचे. #सेठ_जमनालाल_बजाज के प्रांगण में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया. इसी सभा में रामकृष्ण खत्री भी अपने कुछ छात्र मित्रों के साथ पहुँच गए. भाषण की समाप्ति के बाद जैसे ही गॉंधीजी ने समूह से कहा कि किसी को किसी प्रकार की शंका का समाधान करना हो तो मुझसे प्रश्न कर सकता है.

🇮🇳 इस पर करीब 18 वर्ष के राम कृष्ण अपने स्थान से उठे और गॉंधी जी से एक तीखा प्रश्न कर बैठे. रामकृष्ण ने गॉंधी जी से कहा, आप अंग्रेज सरकार द्वारा स्थापित विद्यालयों से पढ़ाई छोड़ देने के लिए हम विद्यार्थियों से कह रहे हैं, लेकिन लोकमान्य तिलक, #रविंद्र_नाथ_टैगोर और आप सभी नेताओं ने इन्हीं विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है. इस पर गाँधी जी ने बड़े शांत भाव से रामकृष्ण को उत्तर दिया. जिसके बाद रामकृष्ण खत्री व उपस्थित छात्रों ने विद्यालय छोड़ देने की घोषणा कर दी.

🇮🇳 उदय खत्री बताते हैं कि पिता रामकृष्ण खत्री ने अपने व्यक्तित्व से कांग्रेस में अपना स्थान बनाया. सन 1920 में ही कोलकाता और नागपुर के कांग्रेसी अधिवेशन में प्रतिनिधि के रुप में सम्मिलित हुए और उसी समय से सेवा दल के कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत रहे. वे बताते हैं कि अगस्त 1921 में राष्ट्र को समर्पित करने के लिए वह गृह त्यागी हो गए. इसी समय वह #कनखल (हरिद्वार) जाकर नागपंचमी के दिन उन्होंने उदासीन अखाड़े में दीक्षा प्राप्त की और साधु हो गए.



🇮🇳 फरवरी 1922 में महात्मा गाँधी ने #चौरी_चौरा_कांड के कारण असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था. इस निर्णय से दुखी होकर रामकृष्ण अमृतसर से बनारस चले गए. वहाँ उन्होंने उदासीन संस्कृत महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया. उदय खत्री बताते हैं 1923 में बनारस में ही वह क्रांतिकारी #चंद्रशेखर_आजाद के संपर्क में आए. उसी के बाद रामकृष्ण एकमात्र ऐसे व्यक्ति से जिन्हें चंद्र शेखर आजाद ने 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' का सक्रिय सदस्य बना लिया. फिर सारा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया.

🇮🇳 9 मार्च 1925 को #बिचपुरी गाँव में हुए एक्शन और उसके डेढ़ 2 माह बाद #प्रतापगढ़ के #द्वारिकापुर कस्बे में किए गए एक्शन में सक्रिय रूप से भाग लिया.

🇮🇳 6 अगस्त 1925 को क्रांतिकारी #रामप्रसाद_बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारी साथियों द्वारा लखनऊ के निकट काकोरी ट्रेन डकैती कांड हुआ.

🇮🇳 18 अक्टूबर 1925 को रामकृष्ण खत्री काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र कांड के अंतर्गत #पुणे से बंदी बनाकर लखनऊ लाए गए. काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र केस के अंतर्गत लखनऊ में चले ऐतिहासिक मुकदमे में 19 क्रांतिकारियों को 4 वर्ष से लेकर फाँसी तक का दंड मिला. रामकृष्ण खत्री को इस केस में 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा मिली.

🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 10 वर्ष की सजा काटकर 1 अगस्त 1935 को लखनऊ सेंट्रल जेल से रिहा किए गए. जेल से छूट कर उन्होंने #डॉ_राजेंद्र_प्रसाद की अध्यक्षता में 'ऑल इंडिया पॉलीटिकल प्रिजनर्स रिलीफ कमिटी' की स्थापना की. इस संस्था के महामंत्री के रूप में बंदी जीवन काट रहे, अपने शेष क्रांतिकारी साथियों की रिहाई का प्रयास करते रहे.

🇮🇳 रामकृष्ण के प्रयास के चलते 1937 में कांग्रेस सरकार ने क्रांतिकारी बंदियों की रिहाई शुरू कर दी. वर्ष 1938 के मध्य तक सभी क्रांतिकारी रिहा भी कर दिए गए.

🇮🇳 दिसंबर 1937 में दिल्ली प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 5 क्रांतिकारी साथियों के साथ बंदी बना लिए गए और 4 माह कैद की सजा काटी.



🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 1938 के मध्य में #आचार्य_नरेंद्र_देव द्वारा गठित 'कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी' की लखनऊ इकाई के महामंत्री चुने गए.

🇮🇳 रामकृष्ण 1939 में क्रांतिकारी #सुभाष_चंद्र_बोस की अध्यक्षता में आयोजित ऐतिहासिक #त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में सम्मिलित हुए.

🇮🇳 15 अगस्त 1939 को रामकृष्ण खत्री का कोलकाता में बंगाली 'दास अधिकारी' परिवार की कन्या के साथ विवाह हुआ.

🇮🇳 सन 1940 में उत्तर प्रदेश में सुभाष चंद्र बोस के ऐतिहासिक दौरे का सफल आयोजन किया. इससे पहले 1939 में #रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान ही प्रथम अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक अधिवेशन में भी सम्मिलित हुए.

🇮🇳 1941 में सुभाष चंद्र बोस के देश छोड़ देने के बाद रामकृष्ण 1942 में कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. 1966 के कांग्रेस विभाजन तक पार्टी में सक्रिय कार्य करते रहे.

🇮🇳 सितंबर 1976 में लखनऊ में संपन्न अमर शहीद #यतींद्र_नाथ_दास के 50वें बलिदान दिवस समारोह के वे सफल आयोजक रहे.

🇮🇳 दिसंबर 1983 में लखनऊ के निकट ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती घटनास्थल पर भव्य स्मारक के निर्माण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के द्वारा शिलान्यास समारोह में भी मुख्य रूप से रामकृष्ण खत्री मौजूद रहे.

🇮🇳 मई 1990 में लखनऊ में देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रमुख क्रांतिकारी के स्मृति दिवसों के निरंतर आयोजन के लिए 'शहीद स्मृति समारोह समिति' नामक संस्था की स्थापना की.

🇮🇳 देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री का निधन 95 वर्ष की उम्र में 18 अक्टूबर 1996 को लखनऊ में हुआ.

साभार: etvbharat.com

🇮🇳 भारत के स्वतंत्रता संग्राम में #काकोरी_क्रांति के लिए दण्ड के रूप में दस वर्ष के कारावास की सजा पाने वाले भारत के प्रमुख #क्रांतिकारी #रामकृष्ण_खत्री जी की जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन एवं हार्दिक श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Ramakrishna_Khatri   #आजादी_का_अमृतकाल  #03March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  #Freedom_Fighter


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