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Ragini Trivedi | रागिनी त्रिवेदी | विचित्र वीणा, सितार और जल तरंग | 22 मार्च, 1960

  रागिनी त्रिवेदी (जन्म- 22 मार्च, 1960) भारतीय शास्त्रीय संगीतकार हैं। वह विचित्रवीणा, सितार और जल तरंग पर प्रस्तुति देती हैं। 🇮🇳 रागिनी त्रिवेदी विचित्र वीणा वादक और संगीतज्ञ #लालमणि_मिश्र की पुत्री हैं। 🇮🇳 वह डिजिटल संगीत संकेतन प्रणाली की निर्माता हैं, जिसे 'ओमे स्वारलिपि' कहा जाता है। 🇮🇳 उनके पिता प्रसिद्ध संगीतकार लालमणि मिश्र, माता #पद्मा ने रागिनी और भाई #गोपाल_शंकर में संगीत के प्रति प्रेम पैदा किया। 🇮🇳 #वाराणसी में परिवार रीवा कोठी में दूसरी मंजिल पर रहता था। वहीं गायक #ओंकारनाथ_ठाकुर भूतल पर रहते थे। 🇮🇳 रागिनी त्रिवेदी ने 9 अप्रैल, 1977 को अपनी माँ को खो दिया और 17 जुलाई, 1979 को उनके पिता भी चल बसे। उन्होंने और उनके भाई गोपाल ने संगीत का अभ्यास जारी रखा। 🇮🇳 कुछ समय के लिए उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाया और बाद में #होशंगाबाद, #रीवा और #इंदौर के सरकारी कॉलेजों में सितार पढ़ाया। साभार: bharatdiscovery.org 🇮🇳 #विचित्रवीणा, #सितार और #जलतरंग पर प्रस्तुति देने वाली भारतीय #शास्त्रीय  #संगीतकार #रागिनी_त्रिवेदी जी को जन्मदिवस की ढेरों बधाई एवं...

World puppet day | विश्व कठपुतली दिवस

  #विश्व_कठपुतली_दिवस #world_puppet_day भारत में पारंपरिक पुतली नाटकों की कथावस्तु में पौराणिक साहित्य, लोककथाएँ और किवदंतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले अमर सिंह राठौड़, पृथ्वीराज, हीर-रांझा, लैला-मजनूं और शीरीं-फ़रहाद की कथाएँ ही कठपुतली खेल में दिखाई जाती थीं। 🇮🇳 विश्व कठपुतली दिवस प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। 'कठपुतली' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों (पुत्तलिकाओं) द्वारा खेला जाता है। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की, विभिन्न विधियों से, इसमें अभिव्यक्ति की जाती है और जीवन को नाटकीय विधि से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। कठपुतलियाँ या तो लकड़ी की होती हैं या पेरिस-प्लास्टर की या काग़ज़ की लुग्दी की। उसके शरीर के भाग इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि उनसे बँधी डोर खींचने पर वे अलग-अलग हिल सकें। साभार: bharatdiscovery.org   साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था...

Vinod Dua | विनोद दुआ

   🇮🇳 #पद्मश्री से सम्मानित; प्रसिद्ध भारतीय समाचार वक्ता, हिंदी टेलीविजन पत्रकार एवं कार्यक्रम निर्देशक #विनोद_दुआ  #vinod_dua जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि ! 🇮🇳💐🙏 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व #आजादी_का_अमृतकाल   साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था  सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ...  Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information ...

Pankaj Udhas | Indian Ghazal and Playback Singer | पंकज उधास - गज़ल गायक | 17 May 1951 – 26 February 2024

Pankaj Udhas (17 May 1951 – 26 February 2024) was an Indian ghazal and playback singer known for his works in Hindi cinema, and Indian pop. He started his career with a release of a ghazal album titled Aahat in 1980 and subsequently recorded many hits like Mukarar in 1981, Tarrannum in 1982, Mehfil in 1983, Pankaj Udhas Live at Royal Albert Hall in 1984, Nayaab in 1985 and Aafreen in 1986 पंकज उधास भारत के एक गज़ल गायक थे। भारतीय संगीत उद्योग में उनको तलत अज़ीज़ और जगजीत सिंह जैसे अन्य संगीतकारों के साथ इस शैली को लोकप्रिय संगीत के दायरे में लाने का श्रेय दिया जाता है। उदास को फिल्म नाम में गायकी से प्रसिद्धि मिली, जिसमें उनका एक गीत "चिठ्ठी आई है" काफी लोकप्रिय हुआ था जो तुरंत हिट हो गया। इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए पार्श्वगायन किया। दुनिया भर में एल्बम और लाइव कॉन्सर्ट ने उन्हें एक गायक के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। 2006 में, पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनके भाई निर्मल उदास  और मनहर  उदास भी गायक हैं। पंकज...

Film Actress | Madhubala | मधुबाला | 14 February 1933- 23 February 1969

 Film Actress | Madhubala | मधुबाला | 14 February 1933- 23 February 1969  मधुबाला (जन्म: 14 फ़रवरी 1933, दिल्ली - निधन: 23 फ़रवरी 1969, मुंबई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थी उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है|  मधुबाला का जन्म 14 फ़रवरी 1933 को दिल्ली में एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था. उनका नाम रखा गया था मुमताज़ बेगम जहाँ देहलवी. मधुबाला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती थीं, और उन्होंने कभी भी भारी मेकअप या कॉस्मेटिक सर्जरी के साथ अपनी विशेषताओं को बदलने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपनी प्राकृतिक सुंदरता को अपनाया और इसने उन्हें उद्योग में अलग पहचान दिलाई। मधुबाला का करियर उनके समकालीनों में सबसे छोटा था, लेकिन जब तक उन्होंने अभिनय छोड़ दिया, तब तक उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में सफलतापूर्वक अभिनय किया था। मधुबाला का जन्म वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष के साथ हुआ था, जो एक जन्मजात हृदय विकार था जिसका उस समय कोई इलाज नहीं था। मधुबाला ने अपना अधिकांश बचपन दिल्ली में बिताया और बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के बड़ी हुईं। मुगल-ए-आज़म में उनका अभि...

Nutan Samarth Bahl | Famous Actresses| Born June 4, 1936; Died February 21, 1991| नूतन समर्थ बहल | मशहूर अभिनेत्री

  Nutan Samarth Bahl (Born June 4, 1936; Died February 21, 1991) नूतन समर्थ बहल (जन्म- 4 जून, 1936; मृत्यु: 21 फ़रवरी, 1991) #हिन्दी #सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक रही हैं। भारतीय सिनेमा जगत में नूतन को एक ऐसी अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने फ़िल्मों में अभिनेत्रियों के महज शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की परंपरागत विचार धारा को बदलकर उन्हें अलग पहचान दिलाई। सुजाता, बंदिनी, मैं तुलसी तेरे आंगन की, सीमा, #सरस्वती चंद्र, और मिलन जैसी कई फ़िल्मों में अपने उत्कृष्ट अभिनय से नूतन ने यह साबित किया कि नायिकाओं में भी अभिनय क्षमता है और अपने अभिनय की बदौलत वे दर्शकों को #सिनेमा हॉल तक लाने में सक्षम हैं। 🇮🇳 जीवन परिचय-- नूतन का जन्म 4 जून, 1936 को एक पढ़े लिखे परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती #शोभना_समर्थ और पिता का नाम श्री #कुमारसेन_समर्थ था। घर में #फ़िल्मी माहौल रहने के कारण नूतन अक्सर अपनी माँ के साथ शूटिंग देखने जाया करती थी। इस वजह से उनका भी रुझान #फ़िल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेत्री बनने के ख्वाब देखने लगी। 🇮🇳 सिने कैरियर की ...