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कार्तिक पूर्णिमा Kartik Purnima – पुण्य, प्रकाश और आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सव

  कार्तिक पूर्णिमा — पुण्य, प्रकाश और आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सव 🌕 कार्तिक पूर्णिमा क्या है? कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को आती है। यह तिथि अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। शास्त्रों में इसे “देव दीपावली” भी कहा गया है, क्योंकि इस दिन देवता धरा पर उतरकर गंगा और पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं। 🕉 धार्मिक महत्व यह दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का दिवस माना जाता है। यह भगवान शिव को भी अत्यंत प्रिय तिथि है। कार्तिक पूर्णिमा पर रुद्राभिषेक और दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व (जन्म दिवस) भी मनाया जाता है, इसलिए यह दिन विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं को जोड़ता है। कार्तिक पूर्णिमा पुण्य, प्रकाश और आध्यात्मिक ऊर्जा का एक उत्सव है। इस दिन को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन चंद्र अपनी पूर्ण चमक पर होता है, जो आध्यात्मिक प्रकाश का प्रतीक है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने से सुख-समृद्धि और शांति मिलती है, क्योंकि यह भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जात...

Guru Nanak Jayanti | गुरु नानक जयंती— प्रकाश पर्व का पावन उत्सव | Prakash Parv

  गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) — प्रकाश पर्व का पावन उत्सव हम नानक नाम लेवा, हम प्रेम, सेवा और समभाव की राह पर चलने वाले — यही है गुरु नानक देव जी की शिक्षा। We take the name of Nanak, we walk on the path of love, service, and equanimity—this is the teaching of Guru Nanak Dev Ji. 🌼 गुरु नानक देव जी कौन थे? गुरु नानक देव जी (1469–1539) सिख धर्म के प्रथम गुरु एवं संस्थापक थे। उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था, जिसे आज पूरे विश्व में गुरु नानक जयंती या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरु जी ने समाज में फैली अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाई और एक नई दिशा दी — एक ओंकार सतनाम, जिसका अर्थ है — ईश्वर एक है। ✨ गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएँ शिक्षा                           अर्थ नाम जपो                ईश्वर का सिमरण करो, मन को शुद्ध रखो किरत करो               ईमानदारी से कमाओ, परिश्रम जीवन का आ...

चंद्र ग्रह Moon — मन, भावनाएँ और शांति का ग्रह | Moon | Astrology | Spirituality

  🌙 चंद्र ग्रह क्या है? चंद्र ग्रह (Moon) वैदिक ज्योतिष में मन, भावनाएँ, मानसिक संतुलन और मातृत्व का प्रतीक है। चंद्रमा हमारे सोचने, महसूस करने और प्रतिक्रिया देने के तरीके को नियंत्रित करता है। सूर्य आत्मा है — चंद्र मन है। मन जैसा होगा, जीवन वैसा होगा। चंद्रमा, जिसे अक्सर 'चंद्र ग्रह' कहा जाता है, वास्तव में पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है, ग्रह नहीं, क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा करने के बजाय पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह पृथ्वी से लगभग 384,399 किलोमीटर 238,854 मील की औसत दूरी पर है और ज्वार-भाटे और ऋतुओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  खगोलीय तथ्य प्राकृतिक उपग्रह: चंद्रमा एक ग्रह नहीं है; यह एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। दूरी: पृथ्वी से इसकी औसत दूरी लगभग 384,399 किलोमीटर है। परिक्रमा और घूर्णन: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण, चंद्रमा की परिक्रमा और घूर्णन अवधि लगभग 29.5 दिनों के बराबर होती है। आकार: चंद्रमा पृथ्वी की त्रिज्या के एक-तिहाई से भी कम है।प्रगति: चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है, प्रति वर्ष लगभग एक इंच। ...

शुक्र ग्रह Venus — सौंदर्य, प्रेम, कला और ऐश्वर्य का ग्रह | Venus | Spiritual | Astrology

  ✨ शुक्र ग्रह (Venus) — सौंदर्य, प्रेम, कला और ऐश्वर्य का ग्रह  ✨ शुक्र ग्रह क्या है? शुक्र ग्रह (Venus) वैदिक ज्योतिष में प्रेम, सौंदर्य, कला, विलासिता, विवाह और भौतिक सुखों का प्रतीक है। यह भावनाओं, संबंधों और जीवन के आनंद को नियंत्रित करता है। शुक्र को "आनंद और आकर्षण का ग्रह" कहा गया है। जहाँ शुक्र मजबूत होता है, वहाँ सौंदर्य, समृद्धि और प्रेम का प्रवाह रहता है। शुक्र ग्रह की  खास बातें ...शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है, जिसे अक्सर पृथ्वी की "बहन" या "जुड़वां" कहा जाता है क्योंकि इसका आकार और द्रव्यमान पृथ्वी के समान है।  यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है, जिसकी सतह का तापमान सीसा पिघलाने जितना अधिक है।  शुक्र को रात के आकाश में सबसे चमकीले ग्रहों में से एक के रूप में देखा जाता है और इसे "भोर का तारा" या "शाम का तारा" भी कहते हैं।  वैज्ञानिक तथ्य स्थान: सूर्य से दूसरा ग्रह।  आकार और द्रव्यमान: पृथ्वी के समान, इसके कारण इसे पृथ्वी का जुड़वां माना जाता है। इसका व्यास पृथ्वी से केवल 650 किमी कम है।  वातावरण: घने कार्बन डाइऑक्साइड और...

गुरु ग्रह बृहस्पति Jupiter — ज्ञान, धर्म और समृद्धि का ग्रह | Jupiter | Spiritual | Astrology

🟡 गुरु ग्रह बृहस्पति क्या है? गुरु ग्रह (Jupiter), जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में ज्ञान, धर्म, नैतिकता, आशीर्वाद और समृद्धि का ग्रह माना जाता है। यह ग्रहों का गुरु है — सबसे बड़ा, सबसे शांत और सबसे दयालु ग्रह। गुरु वह है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए। अन्तःकरण की शुद्धता, सच्चा ज्ञान और सद्बुद्धि — यही गुरु देता है। गुरु, जिसे अंग्रेजी में बृहस्पति (Jupiter) कहते हैं, सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो सूर्य से पाँचवाँ है। ज्योतिष में, गुरु एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं जो ज्ञान, भाग्य और देवताओं के गुरु हैं। बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है जिसकी कोई ठोस सतह नहीं है और यह हीलियम और हाइड्रोजन से बना है।                    खगोल विज्ञान में बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह: यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, जिसका द्रव्यमान अन्य सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान से भी लगभग (2.5) गुना अधिक है।   गैसीय दानव: यह मुख्य रूप से गैसों से बना है और इसकी कोई ठोस सतह नहीं है।  सबसे छोटा दिन: इसका दिन (अपनी धुरी पर एक चक्कर लगान...

बुध ग्रह Mercury — बुद्धि, वाणी और व्यापार का ग्रह | Mercury | Spiritual | Astrology

  🟢 बुध ग्रह (Mercury) वैदिक ज्योतिष में बुद्धि, सीखने की क्षमता, वाणी, संचार और व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है। वैदिक ज्योतिष में, बुध ग्रह बुद्धि, संचार, तर्क, हास्य और अनुकूलन क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। इसे 'राजकुमार' माना जाता है, जो दिमाग, भाषण और लेखन क्षमता को नियंत्रित करता है। बुध का मजबूत होना व्यक्ति को एक अच्छा व्यापारी, वकील और मीडिया पेशेवर बना सकता है, जबकि कमजोर बुध से कमजोर याददाश्त और निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है।  इसे "वाणी और विवेक का ग्रह" कहा जाता है। बुध ग्रह व्यक्ति के सोचने, बोलने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध मजबूत होता है, वह: बुद्धिमान होता है बात करने में कुशल होता है व्यापार और सौदेबाज़ी में माहिर होता है 🔍 बुध के प्रमुख तथ्य विषय                      विवरण प्रकृति                    सौम्य तत्व                         ...

सूर्य ग्रह - आत्मा, शक्ति और तेज का स्रोत | Surya Grah | Hindi Spiritual | Astrology

🌞 सूर्य ग्रह क्या है? सूर्य ग्रह (🌞 Sun) वैदिक ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास, नेतृत्व, ऊर्जा और पिता का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह कहा गया है। यह ग्रहों का राजा है और पूरे सौर मंडल को नियंत्रित करता है — ठीक उसी तरह, कुंडली में ऊर्जा और जीवन का केंद्र भी सूर्य ही है। बिना सूर्य— जीवन संभव नहीं। वैसे ही, कुंडली में कमजोर सूर्य — आत्मविश्वास और दिशा की कमी। 🌞 सूर्य देव केवल आकाश का तारा नहीं — वे जीवन, प्रकाश, आत्मविश्वास और ऊर्जा के प्रतीक हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को ‘आत्मा का कारक’ (Significator of Soul) कहा गया है। “सूर्य बिना जीवन नहीं, और आत्मा बिना चेतना नहीं।” सूर्य जहाँ बैठता है, उस भाव को चमक देता है — लेकिन अहंकार को भी नियंत्रित करता है. 🪶 सूर्य ग्रह 🌞 का परिचय विषय                          विवरण देवता                           भगवान सूर्य / आदित्य / सविता तत्व       ...

शनि ग्रह — कर्म का न्यायाधीश | Shani Grah | Saturn | Spiritual | Astrology

  🌑 शनि ग्रह  Shani Grah (Saturn) — कर्म का न्यायाधीश |  ( Spiritual / Astrology ) शनि गृह  🪐 शनि ग्रह क्या है? शनि ग्रह (Saturn) वैदिक ज्योतिष में सबसे प्रमुख ग्रहों में से एक माना जाता है। शनि को कर्म का देवता, न्याय का प्रतीक और अनुशासन का ग्रह कहा गया है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों का सही फल देते हैं — अच्छा या बुरा। शनि , सूर्य से छठा ग्रह है और सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है, जिसकी औसत त्रिज्या पृथ्वी की लगभग 9 गुना है। इसका घनत्व पृथ्वी के औसत घनत्व का आठवाँ हिस्सा है, लेकिन इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 95 गुना अधिक है। शनि को "मंद गति वाला ग्रह" भी कहा जाता है क्योंकि यह एक राशि में लगभग 2.5 वर्ष तक रहता है। 🖤 शनि का स्वभाव विषय            विवरण प्रकृति            न्यायप्रिय, अनुशासन, कठोरता दिशा                    पश्चिम धातु                    लोहा, तेल र...

मांगलिक दोष - भय नहीं, सही समझ और समाधान | Manglik Dosh |

  “मंगल दोष: भय नहीं, सही समझ और समाधान” ज्योतिष शास्त्र में “मंगल दोष” या मांगलिक दोष को लेकर कई मिथक और भ्रांतियाँ हैं। बहुत से लोग इसे शादी में बाधा, मानसिक तनाव या दांपत्य जीवन की समस्या से जोड़ते हैं। लेकिन सच यह है कि  मंगल दोष कोई डरने की चीज़ नहीं, बल्कि समझने की चीज़ है। कुंडली में ग्रह हमें रोकते नहीं, दिशा दिखाते हैं। ✅ मंगल दोष क्या है? जन्म कुंडली में #मंगल-ग्रह (#Mars) यदि निम्न घरों में स्थित हो: 1st (लग्न) 4th 7th 8th 12th तो इसे  मंगल दोष  #Mangal_Dosh /  मांगलिक #Manglik_Yog कहा जाता है। #मंगल = ऊर्जा, शक्ति, आत्मविश्वास, नेतृत्व मंगल दोष = इस ऊर्जा का गलत दिशा में उपयोग यदि मंगल संतुलित नहीं हो, तो व्यक्ति क्रोधी, अधीर, या निर्णय में जल्दबाज़ी कर सकता है। ✅ मांगलिक #Manglik लोग कैसे होते हैं? (#Positive_Traits) गुण                                  विवरण दृढ़ निश्चयी                          अ...

भगवान शालिग्राम | Shaligram | “शालिग्राम: पत्थर नहीं, स्वयं विष्णु का स्वरूप”

“शालिग्राम: पत्थर नहीं, स्वयं विष्णु का स्वरूप” हिंदू धर्म में कई प्रतीक और रूप ऐसे हैं जो दिव्यता की अनुभूति कराते हैं। इन्हीं में से एक है — शालिग्राम शिला। यह कोई साधारण पत्थर नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु का जीवंत रूप माना जाता है। शालिग्राम की पूजा से घर में धन, शांति और समृद्धि आती है। शालिग्राम क्या है? शालिग्राम एक प्राकृतिक और पवित्र शिला है, जो केवल नेपाल की गंडकी नदी में पाई जाती है। यह शिला वज्राकृति (अमोनाइट जीवाश्म) होती है और इसके अंदर स्वाभाविक रूप से चक्र व शंख के चिन्ह बने होते हैं। यह किसी मानव द्वारा बनाया हुआ नहीं, बल्कि प्रकृति द्वारा निर्मित दिव्य स्वरूप है। शालिग्राम शिला का महत्व यह भगवान विष्णु और उनके अवतारों का प्रतीक है। जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी का निवास माना गया है। शालिग्राम की पूजा से पितृदोष और ग्रहदोष शांत होते हैं। “जहाँ शालिग्राम, वहाँ स्वयं लक्ष्मी।” शालिग्राम की उत्पत्ति भागवत पुराण के अनुसार, शालिग्राम का संबंध देवी तुलसी से जुड़ा है। कथा इस प्रकार है: देवी तुलसी के पतिव्रत से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने कहा— “तुम नदी ...

देवउठनी एकादशी | Dev Uthani Ekadashi | “देव जागे, मांगलिक कार्यों का शुभारंभ”

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है, और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी— देवउठनी एकादशी, जिसे Prabodhini Ekadashi देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है—सबसे पवित्र मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा (चातुर्मास) के बाद जागते हैं, और फिर से संसार के पालन में सक्रिय होते हैं। देवउठनी एकादशी क्या है? आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु “शयन” करते हैं, और कार्तिक शुक्ल एकादशी को “उठते” हैं। यह दिन भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है और माना जाता है कि इस दिन से सारे शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे—विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, नए काम की शुरुआत—फिर से शुरू किए जा सकते हैं। शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi 2025) वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025  शनिवार को सुबह 9 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होकर 2 नवंबर 2025 रविवार को शाम 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी।देवउठनी एकादशी की कथा कथा के अनुसार, भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले गए, और इस अवधि में धरती पर विवाह, यज्ञ, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं। देव उठनी के दिन देवी तुलसी औ...

कल्पवृक्ष | Kalpavriksha | इच्छा पूर्ण करने वाला दिव्य वृक्ष | The Divine Wish-Fulfilling Tree

 🌿   “कल्पवृक्ष – जहाँ   ✨   इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, मन शांत होता है”  🔱  “Kalpavriksha – Where desires are fulfilled, the mind is at peace” हम अक्सर सुनते हैं — "कल्पवृक्ष के नीचे बैठो, तुम्हारी मनोकामनाएँ पूरी होंगी।" लेकिन क्या वास्तव में कोई ऐसा वृक्ष है? हिंदू धर्म के ग्रंथों में कल्पवृक्ष या कल्पतरु को इच्छापूर्ति करने वाला दिव्य वृक्ष माना गया है। इसका उल्लेख समुद्र मंथन में मिलता है, जहाँ यह रत्नों में से एक के रूप में प्रकट हुआ था। 🌿   कल्पवृक्ष क्या है? कल्पवृक्ष एक ऐसा वृक्ष है जो केवल भौतिक वस्तुएँ ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पूर्णता भी देता है। "कल्पतरु वह है जो मनुष्य की ‘इच्छा’ को ‘वास्तविकता’ में बदल दे।" लेकिन यहाँ "इच्छा" का अर्थ केवल भौतिक लाभ नहीं, बल्कि आंतरिक संतोष, शांति और आध्यात्मिक उन्नति है। कल्पवृक्ष समुद्र मंथन के दौरान जो 14 रत्न निकले, उनमें से एक था कल्पवृक्ष। इस वृक्ष को देवताओं   🔱 के लोक स्वर्ग में स्थापित किया गया। कल्पवृक्ष की अवधारणा जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी पाई जाती है।   ...