30 अक्टूबर 2017

अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए जरूरत है मात्र छः मिनट की....मेरी दुनिया -...



अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए जरूरत है मात्र छः मिनट की....हमारे पुराणों में मंत्रो की विशेष महिमा बताई गई है , क्या 6 मिनट में किसी साधना के करने से कई  विकार दूर हो सकते हैं ? जी हाँ हो सकते हैं और यह सही है क्योकि वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि  सिर्फ 6 मिनट " ऊँ " का उच्चारण करने से कई रोग ठीक हो जाते हैं,  छः मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क में विशेष वाइब्रेशन (कम्पन) होता है और ऑक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है। इस कारण कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं साथ  ही स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है मैमोरी पावर बढती है ।.....मेरी दुनिया -G MEDIA

https://youtu.be/S0cKfheyaKg

28 अक्टूबर 2017

तुलसी के पौधे से जुड़ी कुछ सावधानी रखने वाली बातें... मेरी दुनिया - G MEDIA



तुलसी के पौधे से जुड़ी कुछ सावधानी रखने वाली बातें... तुलसी के पौधे को  बहुत पवित्र माना जाता  हैं तथा उसकी पूजा करते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी को संजीवनी बूटी मान कर कई बीमारियों का इलाज बताया गया है। कहा जाता है कि जहां तुलसी का पौधा होता है वहां कोई बीमारी नहीं आती और न ही बुरे ग्रहों का असर होता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पौधे के साथ कुछ सावधानियां रखनी चाहिए अन्यथा सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलते देर नहीं लगती। आइए जानते हैं, तुलसी से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें.....#मेरीदुनिया #GMEDIA #तुलसी #तुलसीकापौधा #आयुर्वेद #संजीवनीबूटी

https://youtu.be/bEon6rC7qQQ

26 अक्टूबर 2017

भगवान शालिग्राम का विवाह तुलसी से .... मेरी दुनिया - GMEDIA



भगवान शालिग्राम का विवाह  तुलसी से ...

मान्यता है कि भगवान विष्णु और तुलसी का जिस जगह पर होते हैं, वहां कोई दुख और परेशानी नहीं आती। शालिग्राम की पूजा में तुलसी का महत्वत अहम है क्योंाकि बिना तुलसी के शालिग्राम की पूजा करने पर दोष लगता है।

पराक्रमी असुर जलंधर का विवाह वृंदा से हुआ था , वृंदा भगवान विष्णु की भक्त थी। उसके पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर अजेय हो गया था। उसने एक युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया। अपनी शक्ति के अभिमान में जलंधर देवताओं, अप्सकराओं को परेशान करने लगा। दु:खी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे। तब भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर छल से वृंदा का पतिव्रत धर्म नष्ट कर दिया। इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गई और वह युद्ध में मारा गया।

जब वृंदा को इस छल का पता चला, तो उसने विष्णु को पत्थर बन जाने का शाप दे दिया। देवताओं के अनुरोध करने पर वृंदा ने शाप वापस ले लिया। मगर, भगवान विष्णु ने पत्थंर में अपना एक रूप प्रकट किया, जिसे शालिग्राम कहा गया।

भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि अगले जन्म में तुम तुलसी के रूप में प्रकट होगी और लक्ष्मी से भी अधिक मेरी प्रिय रहोगी। तुम्हारा स्थान मेरे सिर पर होगा। तुम्हारे बिना मैं भोजन ग्रहण नहीं करूंगा। यही कारण है कि भगवान विष्णु के भोग में प्रसाद में तुलसी को जरूर रखा जाता है।



इस घटनाक्रम के बाद जलंधर के साथ वृंदा सती हो गई। उनकी राख से तुलसी का पौधा निकला।



वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह देव-उठावनी एकादशी के दिन तुलसी से कराया। इस दिन को तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !```



शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ के पास काली गण्डकी नदी के तट पर पाए जाते हैं। शालिग्राम काले रंग के पत्थर रूप में ही मिलते हैं, लेकिन सफेद और नीले शालिग्राम की  पूजा भी की जाती है। शालिग्राम पर चक्र भी होते हैं, जिन्हें सुदर्शन चक्र माना जाता है।..... मेरी दुनिया  GMEDIA


24 अक्टूबर 2017

Chhath Puja 2017-छठ पर्व सूर्योपासना का ऐतिहासिक,सामाजिक और वैज्ञानिक ...





छठ पर्व सूर्योपासना का  ऐतिहासिक,सामाजिक  और वैज्ञानिक महत्व ....मेरी दुनिया GMEDIA 

भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए छठ पर्व बेहद अहम है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।


18 अक्टूबर 2017

गुप्तकाल की कुबेर प्रतिमा के दर्शन के लिये धनतेरस पर लगती है भारी भीड़ ...



गुप्तकाल की कुबेर प्रतिमा  के दर्शन के लिये धनतेरस पर यहा श्रद्धालुओं  की लगती है भारी भीड़....  मन्दसौर मध्य प्रदेश में यह गुप्तकालीन  कुबेर मंदिर स्थित है। धनतेरस पर यहा श्रद्धालुओं का तांता लगाता है। पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित ग्राम खिलचीपुरा स्थित धौलागढ़ महादेव मंदिर के नाम  से भी इस मंदिर को जाना जाता है। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। मंदसौर की कुबेर प्रतिमा गुप्तकाल की मानी जाती है यह प्रतिमा लगभग 1400 साल पुराने धौलागढ़ महादेव मंदिर में हैं। ....मेरी दुनिया




दीपावली, धनतेरस, यम-तर्पण ,भैया दूज का महत्व





दीपावली, धनतेरस, यम-तर्पण ,भैया दूज  - यम द्वितीया का महत्व......  मेरी दुनिया

16 अक्टूबर 2017

दीपावली 12 साल बाद गजकेसरी, बुधादित्य, गुरूचित्रा व वात्सल्य योग के अदभु...





दीपावली 12 साल बाद गजकेसरी, बुधादित्य, गुरूचित्रा व वात्सल्य योग के अदभुत संयोग के साथ मनेगी इस बार.....

शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माने जाने वाले वृहस्पति वार के दिन  बारह साल बाद दीवाली पर गजकेसरी, बुधादित्य, गुरूचित्रा योग व वात्सल्य योग एक साथ बनने जा रहा है ।

इस योग में माॅ लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर व्यापार-व्यवसाय, घरों में सालभर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

19 अक्टुम्बर 2017 गुरूवार को दीवाली के दिन तुला राशि में गुरू-चंद्र के योग से गज केसरी योग  बारह साल बाद बन रहा है , इससेेेे पहले यह योग 2005 में बना था, और साल 2029 में बनेगा।

गजकेसरी योग के साथ ही सूर्य-बुध के योग से बुधादित्य व मंगल-शुक्र के योग से वात्सल्य योग भी बन रहे है ।

दीवाली पर पूरे दिन महालक्ष्मी की पूजा की जा सकती है लेकिन ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजा करने से वर्षभर धन की कमी नही रहती है।

महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

प्रातः 06ः29 मिनट से 07ः55 मिनट तक शुभ ,

दोपहर 12ः13 मिनट से 03ः04 मिनट तक लाभ-अमृत

दोपहर 04ः30 मिनट से 05ः54 मिनट तक शुभ

संध्या 05ः54 मिनट से 07ः38 मिनट तक अमृत

लक्ष्मी पूजा हेतु स्थिर लग्न वृषभ

07ः26 मिनट से 09ः44 मिनट तक रहेगा

और  प्रदोष काल संध्या 5 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक स्पष्ट प्रदोष काल में महालक्ष्मी के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

इसके बाद मध्यरात्रि 12ः11 मिनट से 01ः45 मिनट तक लाभ के चैधडिया मे पुजा करना भी शुभ रहेगा ।

दीपावली के पावन पर्व पर मेरी दुनिया, जी मिडीया परिवार और ज्योतिषी रवि जैन की और से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।


2017 के धनतेरस पर्व पर बनेगे अद्भूत संयोग... किस मुहूर्त में पूजा करन...





छः योगों के संयोग से होगी पांच दिवसीय दीपावली पर्व की शुरूआत
2017 के धनतेरस पर्व पर लक्ष्मी, वात्सल्य, बुधादित्य, ब्रह्म, भौमप्रदोष व्यापणी व सूर्य संक्राति जैसे बनेगे अद्भूत संयोग।इस साल वि.सं. 2074 में वर्ष के राजा मंगल है, मंगलवार को ही इस बार धनतेरस व भौमप्रदोष का संयोग बना है।धर्म सिंधु एवं पुराण में दी गई कथा के अनुसार कार्तिक मास में देवताओ एवं दैत्यों के मध्य हुए समुद्ध मंथन में कार्तिक मास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सफेद कलश में अमृत लेकर भगवान धन्वतरी अवतरित हुए थे ।धन के देवता कुबेर व आयुर्वेद के देवगुरू भगवान धन्वतरी की धनतेरस पर होगी पूजा, धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस की संध्या को अकाल मृत्यु के भय से निर्भय होने के लिए दीपदान कर यम को कर सकेगे प्रसन्न,धनतेरस से भाई दूज तक दुकानों, सरकारी एवं निजी कार्यालयो एवं लाईट की रौशनी से जगमगाऐंगे।...ज्योतिषी रवि जैन (मेरी दुनिया - G MEDIA)

12 अक्टूबर 2017

शुक्र पुष्य नक्षत्र 2017 का राशि व ग्रह के अनुसार प्रभाव





शुक्र पुष्य नक्षत्र 2017 का राशि व ग्रह के अनुसार प्रभाव :- राशि व ग्रह के अनुसार इस बार का शुक्रपुष्य नक्षत्र अलग अलग राशी वालों के लीए क्या कुछ लाया है आइये जानते है
मेष व वृश्चिक राशि - सोना भूमि भवन, तांबे के बर्तन इलेक्ट्रीक आयटम, रत्न में मूंगा लाल अथवा नारंगी रंग का वाहन
वृषभ व तुला राशि - चांदी के बर्तन, हीरायुक्त ज्वैलरी, वस्त्र, सोन्दर्यप्रसाधन की वस्तुऐं, साडी सफेद अथवा क्रीम कलर का वाहन इत्यादि
मिथुन व कन्या राशि- हरे रंग की चुडिया, रत्न पन्ना, र्स्वण के साथ पन्ना जडित ज्वैलरी, पाठ्य साम्रगी,बहीखाता हरे रंग या नीले रंग का वाहन इत्यादि
कर्क राशि- सफेद मोती का हार, मोती की अंगूठी, चांदी के आभूषण, बर्तन, चांदी के गणेशजी की मूर्ति इत्यादि
सिंहराशि -सोने की ज्वैलरी, तांबा पीतल के बर्तन, रत्न माणक, माणक जडित हार या अंगूठी
धनु व मीन राशि- सोने के आभूषण, सफेद अथवा पीले रंग का रत्न पुखराज या पुखराज जडित आभूषण, स्टेशनरी इत्यादि
मकर व कुंभ राशि - नीले या काले रंग का वाहन , मशीनरी, रत्न नीलम कृषि भूमि प्लाट भवन इत्यादि......ज्योतिषी रवि जैन

पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का सम्राट माना जाता है - इस दिन क्या करे......





पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का सम्राट माना जाता है
ग्रहों के मंडल में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का सम्राट माना गया है ।
पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है , शनि न्याय एवं स्थिरता का कारक ग्रह है
यही वजह है कि इस योग में जो कार्य किए जाते है वे शुभ तो होते है उसमें सफलता एवं स्थिरता की संभावना अधिक हो जाती है।
इस नक्षत्र में कोई कार्य करने से किसी भी प्रकार के कुयोग का प्रभाव नहीं होता है।
हम आगे बताने जा रहे है की इस दिन कौन क्या करे
व्यापारी/पेशेवर लोग बही खाता क्रय एवं नवीन कार्य की शुरूआत एवं प्रतिष्ठान का शुभारंभ करें ।
सभी लोग इस शुभ अवसर पर सोना-चांदी, इलेक्ट्रिक आयटम, वाहन खरीदी, भूमि भवन खरीदी का सौदा, नवीन ग्रह का शुभांरभ, ग्रहप्रवेश इत्यादि सभी मंगल कार्य कर सकते है।
ज्योतिषी रवि जैन

शुक्रपुष्य नक्षत्र - दीपावली पूर्व बुधादित्य योग के साथ आने वाला शुक्रपु...





दीपावली पूर्व बुधादित्य योग के साथ इस बार आने वाला शुक्रपुष्य नक्षत्र बाजार में बरसाएगा धन

हर प्रकार की खरीद और नए कार्यों के श्री गणेश के लिए सर्वोत्तम माना जाने वाला पुष्य नक्षत्र अबकी बार अपने साथ, बुधादित्य योग का संयोग लेकर आया है।
कार्तिक माह में दीपावली के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र का इंतजार हर किसी व्यापारी व ग्राहको को होता है।
इस वर्ष पुष्य नक्षत्र की शुरूआत शुक्रवार 13 अक्टुम्बर प्रातः 7 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर 14 अक्टुम्बर शनिवार को प्रातः 6.54 तक रहेगा।
इस पुष्य नक्षत्र के दिन की खास बात यह भी है की पुरे दिन पुष्यनक्षत्र होने से नागरिकों को खरीदी के लिए समय की कमी नही होगी ।
पुष्य नक्षत्र के साथ बने बुधादित्य योग को लेकर व्यापारी भी उत्साहित है।

साथ ही उच्चराशि कन्या में स्वग्रही बुध की सूर्य के साथ बुधादित्य योग भी बना है जो व्यापारियों के लिए दीपावली पूर्व लाभकारी होगा, वही ग्राहकों को भी मन माफिक खरीदी का मौका मिलेगा। .......ज्योतिषी रवि जैन

नवरात्रि में मां दुर्गा को नौ दिन क्या भोग लगाएं की माँ आपकी मनोकामना पूरी करे ....

नवरात्रि में मां दुर्गा को नौ दिन क्या भोग लगाएं की माँ आपकी मनोकामना पूरी करे ....https://youtu.be/Lh9iyY44o3g

देवी पूजन में इन बातों का विशेष रखें ध्यान

देवी पूजन में इन बातों का विशेष रखें ध्यान....

देवी पूजन में इन बातों का विशेष रखें ध्यान : तुलसी पत्ती न चढ़ाएं, माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर दहाड़ता हुआ नहीं होना चाहिए. देवी पर दूर्वा नहीं चढ़ाएं, जवारे बोए हैं और अखंड ज्योति जलाई है तो घर को खाली न छोड़ें, मूर्ति या तस्वीर के बाएं तरफ दीपक रखें. मूर्ति या तस्वीर के दायें तरफ जवारे बोएं, आसन पर बैठकर ही पूजा करें . ध्यान रहे जूट या ऊन का आसन होना चाहिए.https://youtu.be/6icKAIySK20

नवरात्रि के पावन पर्व पर कैसे करें पूजन की तैयारियां...

नवरात्रि के पावन पर्व पर कैसे करें पूजन की तैयारियां...
शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है. देवी के इन स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में विशेष रूप से की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन लगातार माता पूजन चलता है. तो आइए जानें देवी के इस पावन पर्व पर कैसे करें पूजन की तैयारियां...देवी पूजन की विशेष सामग्री : माता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना के लिए चौकी, मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा, मां पर चढ़ाने के लिए लाल चुनरी या साड़ी, नौ दिन पाठ के लिए 'दुर्गासप्तशती' किताब, कलश, ताजा आम के पत्ते धुले हुए, फूल और फूल माला , एक जटा वाला नारियल, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, सिंदूर, मौली (कलावा) और चावल. अखंड ज्योति जलाने के लिए : पीतल या मिट्टी का साफ दीपक, घी, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, दीपक पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर, घी में डालने और दीपक के नीचे रखने के लिए चावल. नौ दिन के लिए हवन सामग्री : हवन कुंड, आम की लकड़ी, हवन कुंड पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर, काले तिल, चावल, जौ (जवा), धूप, चीनी, पांच मेवा, घी, लोबान, गुग्ल, लौंग का जौड़ा, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए प्रसाद और नवमी को हलवा-पूरी और आचमन के लिए शुद्ध जल. कलश स्थापना के लिए : एक कलश, कलश और नारियल में बांधने के लिए मौली (कलावा), 5, 7 या 11 आम के पत्ते धुले हुए, कलश पर स्वास्तिक बनाने के लिए रोली, कलश में भरने के लिए शुद्ध जल और गंगा जल, जल में डालने के लिए केसर, जायफल और सिक्का साथ ही कलश के नीचे रखने के लिए चावल या गेहूं. जवारे बोने के लिए : मिट्टी का बर्तन, साफ मिट्टी (बगीचे की या गड्डा खोदकर मिट्टी लाएं), जवारे बोने के लिए जौ या गेहूं, मिट्टी पर छिड़कने के लिए साफ जल और मिट्टी के बर्तन पर बांधने के लिए मौली (कलावा). माता के श्रंगार के लिए : लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंद्दी, मेहंदी, काजल, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नेलपॉलिश, लिपस्टिक (लाली), चोटी में लगाने वाला रिबन और कान की बाली.

https://youtu.be/4kEVV3emvzE

माँ -मां सिर्फ एक शब्द नहीं एक भाव है। एक चेतना है। सहज, सरल, दया की मूर्ति


मां सिर्फ एक शब्द नहीं एक भाव है। एक चेतना है। सहज, सरल, दया की मूर्ति, पर अपने स्नेहीजनो के ऊपर कोई संकट आ जाये तो विकराल काली बन जाती है। मां कहने को तो छोटा सा शब्द है पर इस एक शब्द ने सारी सृष्टि अपने आँचल में समा ली है हम धरती को भी मां मानते है। और अपनी मात्र भूमि जन्मभूमि अपने देश को भी भारत माता कहकर सम्बोधित करते हैं। भगवान राम ने भी इसकी महत्ता बताते हुए कहा है की जन्मभूमि जननी जन्मभूमुश्च स्वर्गादपि गरीयसी । जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है ..... हमारे यंहा गौ-माता, तुलसी माता यहां तक की हम अपनी नदियों को भी माता के रूप में मानते हैं। कुल मिलाकर देखा जाये तो "माँ" जैसी, बस "माँ" होती है !! जैसा कि आप जानते है शारदीय नवरात्र चल रहे हैं सारा वातावरण भक्तिमय हो रहा है हर कोई मां के रंग में रंगा है। क्या आपको पता है कि मां के विभिन्न रूप कौन-कौन से है, उनकी पूजा की सही सरल विधि क्या है, उनके मंत्रो वाहन और शस्त्रों का अर्थ क्या है। यह सब जानेंगे आप और हम एक साथ........ जय माता दी

Makar Sankranti मकर संक्रांति

  #मकर_संक्रांति, #Makar_Sankranti, #Importance_of_Makar_Sankranti मकर संक्रांति' का त्यौहार जनवरी यानि पौष के महीने में मनाया जाता है। ...