12 अक्टूबर 2017

माँ -मां सिर्फ एक शब्द नहीं एक भाव है। एक चेतना है। सहज, सरल, दया की मूर्ति


मां सिर्फ एक शब्द नहीं एक भाव है। एक चेतना है। सहज, सरल, दया की मूर्ति, पर अपने स्नेहीजनो के ऊपर कोई संकट आ जाये तो विकराल काली बन जाती है। मां कहने को तो छोटा सा शब्द है पर इस एक शब्द ने सारी सृष्टि अपने आँचल में समा ली है हम धरती को भी मां मानते है। और अपनी मात्र भूमि जन्मभूमि अपने देश को भी भारत माता कहकर सम्बोधित करते हैं। भगवान राम ने भी इसकी महत्ता बताते हुए कहा है की जन्मभूमि जननी जन्मभूमुश्च स्वर्गादपि गरीयसी । जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है ..... हमारे यंहा गौ-माता, तुलसी माता यहां तक की हम अपनी नदियों को भी माता के रूप में मानते हैं। कुल मिलाकर देखा जाये तो "माँ" जैसी, बस "माँ" होती है !! जैसा कि आप जानते है शारदीय नवरात्र चल रहे हैं सारा वातावरण भक्तिमय हो रहा है हर कोई मां के रंग में रंगा है। क्या आपको पता है कि मां के विभिन्न रूप कौन-कौन से है, उनकी पूजा की सही सरल विधि क्या है, उनके मंत्रो वाहन और शस्त्रों का अर्थ क्या है। यह सब जानेंगे आप और हम एक साथ........ जय माता दी

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