09 मार्च 2024

Mewar ki Rani Karnavati | मेवाड़ की रानी वीरांगना कर्णावती

 



रानी कर्णावती  ने  8 मार्च 1535 को जौहर कर लिया था।  यह मेवाड़ का दूसरा जौहर माना जाता है। 

#रानी_कर्णावती #Mewar ki #Rani_Karnavati  को रानी #कर्मावती के नाम से भी जाना जाता है (मृत्यु 8 मार्च 1534), #भारत के #बूंदी की एक राजकुमारी और अस्थायी शासक थीं । उनका विवाह #मेवाड़ के #राणा_सांगा (लगभग 1508-1528) से हुआ था । वह अगले दो राणाओं, राणा विक्रमादित्य और राणा उदय सिंह की माँ और महाराणा प्रताप की दादी थीं । उन्होंने 1527 से 1533 तक अपने बेटे के अल्पवयस्क होने के दौरान संरक्षिका के रूप में कार्य किया। वह अपने पति की तरह ही उग्र थीं और उन्होंने सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी के साथ चित्तौड़ की रक्षा की जब तक कि वह गुजरात  की सेना जिसका नेतृत्व गुजरात के बहादुर शाह ने किया था के हाथों नहीं घिर गई, रानी कर्णावती ने  भागने से इनकार कर दिया और अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर कर लिया।

🇮🇳 #रानी कर्णावती #Rani Karnavati अपने बलिदान के लिए जानी जाने वाली उन बहादुर रानियों में से एक है। जो अपनी जान तो दे दी लेकिन दुश्मन के सामने अपने घुटने नहीं टेके। कर्णावती चित्तौड़ के राजा राणा सांगा की पत्नी थी। आपको बता दें कि 1526 में मुगल बादशाह बाबर ने दिल्ली पर अपना कब्जा कर लिया था। जिसके चलते मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ राजपूत शासकों का एक दल चलाया था। जिसके बाद खानुआ की लड़ाई में राणा सांगा की पराजय हो गई थी इस युद्ध में इन्हें काफी गहरे घाव लगे थे जिसकी वजह से इनकी कुछ दिनों में मृत्यु हो गई थी।

🇮🇳 रानी कर्णावती के दो बेटे थे जिनका नाम राणा उदय सिंह और राणा विक्रमादित्य था। राजा राणा सांगा की मृत्यु के बाद रानी ने अपने बड़े विक्रमादित्य को राज गद्दी पर बैठाया लेकिन पूरा राज्यभार संभालने के लिए इस राजा की उम्र काफी छोटी थी। इसी बीच गुजरात के बहादुरशाह ने दूसरी बार मेवाड़ पर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजा विक्रमादित्य की हार देखने को मिली। जिसके बाद रानी कर्णावती ने राज्य के सम्मान की रक्षा करने के लिए अन्य राजपूत राजाओं से अपील की।

🇮🇳 रानी कर्णावती से राजपूत शासकों ने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य और उदय सिंह को युद्ध के दौरान बूंदी जाने की अपील की। रानी ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद उन्होंने अपनी भरोसेमंद दासी पन्ना के साथ अपने दोनों बेटों को बूंदी भेज दिया। आपको बता दें कि पन्ना ने इस जवाबदेही को ईमानदारी से स्वीकार भी किया।

🇮🇳 हर #रक्षाबंधन पर रानी कर्णावती को याद किया जाता है। इस रानी ने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए 1534 में हुमायूं को राखी भेजी थी। बताया जाता है कि रानी कर्णावती की राखी को स्वीकार कर हुमायूं ने इस राखी की लाज बचाई थी। #हुमायूं ने रानी कर्णावती को अपनी बहन का दर्जा दिया था उम्रभर रक्षा करने का वचन दिया था। इस भाई - बहन के प्यार को आज भी याद किया जाता है। कहा जाता है कि राखी मिलते ही राजा ने ढेरों उपहार भेजे और मेवाड़ की सुरक्षा के लिए आगे आए।

🇮🇳 हुमायूं राखी मिलने के बाद चित्तौड़ के लिए रवाना हुआ लेकिन वह समय से पहुंचने पर नाकाम साबित हुआ। जिसके चलते बहादुरशाह ने चितौड़ पर प्रवेश कर लिया। यह देखते हुए रानी कर्णावती को अपनी हार दिखने लगी जिसके बाद 8 मार्च के दिन अन्य महिलाओं के साथ रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया। कहा जाता है यह #मेवाड़ का दूसरा दिल दहलाने वाला जौहर माना जाता है। हुमायूं ने #बहादुरशाह को युद्ध में पराजित किया। #कर्णावती के बड़े बेटे को राजगद्दी से बहाल कर दिया था।

साभार: newstrack.com

🇮🇳 अपने राज्य की मान मर्यादा के लिए आजीवन संघर्ष करने वाली, अपनी अस्मत की रक्षा के लिए जौहर करने वाली, मेवाड़ की #वीरांगना #रानी_कर्णावती जी को उनके #आत्मबलिदान_दिवस पर कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व 

#आजादी_का_अमृतकाल


साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

#Karnavati, #queen, #kingdom, #Jauhar,  #Mewar, #history,  #Rani_Karnavati,


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 

Nripendra Mishra | नृपेंद्र मिश्रा | अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर निर्माण समिति अध्यक्ष



 प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव का पद छोड़ने के अपने फैसले के बाद नृपेंद्र मिश्र ने एक बयान में कहा था कि अब उनके लिए आगे बढ़ने तथा सार्वजनिक ध्येय और राष्ट्रीय हित के लिए समर्पित रहने का समय है. 🇮🇳

🇮🇳  #नृपेंद्र मिश्रा  #Nripendra Mishra(जन्म- 8 मार्च, 1945, #देवरिया, उत्तर प्रदेश) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे हैं। उनके चुनाव का एक कारण यह रहा कि वह यूपी कैडर के ही रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं और प्रशासनिक कार्य का काफ़ी लम्बा अनुभव उनके पास है। नृपेंद्र मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निजी सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के भी प्रधान सचिव रह चुके हैं। #अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने नृपेंद्र मिश्रा को मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष # Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust Temple Construction Committee Chairman in Ayodhya नियुक्त किया है। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिये उन्हें 'पद्म भूषण' (2021) से सम्मानित किया गया है।

🇮🇳 उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में #कसिली गाँव निवासी #सिवेशचंद्र_मिश्रा के बड़े बेटे नृपेंद्र मिश्रा 8 मार्च, 1945 को जन्मे। वह तीन-तीन विषयों से मास्टर्स हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने रसायन विज्ञान, राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन विषय से पोस्ट ग्रेजुएट किया। उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (लोक प्रशासन) विषय से उन्होंने जॉन एफ केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री ली। फिर 1967 में यूपी काडर के आईएएस बने।

🇮🇳 देश के शीर्ष स्तर के नौकरशाह के रूप में नृपेंद्र मिश्रा का लंबा और असाधारण कॅरियर रहा है। देश के नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनको एक सक्षम और व्यवसाय समर्थक प्रशासक होने का श्रेय जाता है। 

🇮🇳 उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह सरकार में नृपेंद्र मिश्रा प्रमुख सचिव रह चुके हैं। इस बड़े राज्य में काम करते हुए उन्होंने तेज तर्रार और ईमानदार अफसर की पहचान बनाई। जिसके इनाम के तौर पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में काम करने का मौका मिला। केंद्र में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया। दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्राडबैंड नीति का श्रेय जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स में भी 2002 से 2004 के बीच सचिव रहे। रिटायर होने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार में नृपेंद्र मिश्रा 2006 से 2009 के बीच टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के भी चेयरमैन रहे।

🇮🇳 साल 2014 में बीजेपी की अगुवाई वाली 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन' (राजग) सरकार के सत्ता में आने के बाद नृपेंद्र मिश्रा को मोदी टीम में शामिल किया गया था। वह राजग के 2019 में और भी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में लौटने के बाद भी मोदी की प्रमुख टीम में बने रहे। उसके बाद उन्हें नए बनाए गए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर या दिल्ली के उप-राज्यपाल बनाने की अटकलें भी सामने आई थी।

🇮🇳 नृपेंद्र मिश्रा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी पीएम मोदी के प्रमुख सचिव बनाए गए थे। हालांकि उस समय उनकी नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। विपक्ष का तर्क था कि ट्राई के नियमों के मुताबिक़ इसका अध्यक्ष रिटायर होने के बाद सरकार से जुड़े किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, चाहे वह केंद्र की सरकार हो या राज्य की। हालांकि मोदी सरकार ने इस नियम को अध्यादेश लाकर संशोधित कर दिया था, जिसके बाद नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति की राह आसान हो गई थी।

🇮🇳 ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन से जुड़े। दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित दफ्तर में वह कुछ रिसर्च स्कॉलर्स के साथ काम करते थे। यह फाउंडेशन समाज में हाशिए पर पहुँचे लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक थिंकटैंक के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है। कुछ समय तक वह मशहूर थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में भी प्रमुख पद पर रहे थे।

🇮🇳 नृपेंद्र मिश्रा ने विदेश में भी काम करने का अनुभव हासिल किया है। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में स्पेशल सेक्रेटरी के तौर पर काम करते हुए देश से जुड़े मामलों में मजबूती से पक्ष रखा। इसके अलावा वह मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे। इसके अलावा वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, नेपाल सरकार में सलाहकार के रूप में भी उन्होंने काम किया हुआ है।

साभार:-bharatdiscovery.org

🇮🇳 #पद्मभूषण से सम्मानित; प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव रहे, अयोध्या में निर्माणाधीन प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए बने 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' के अध्यक्ष #नृपेंद्र_मिश्रा जी को जन्मदिवस की वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर ढेरों बधाई एवं अनंत शुभकामनाऍं !

#Shri_Ram_Janmabhoomi_Teerth_Kshetra_Trust, #Temple, #Construction, #Committee,  #Chairman,#Ayodhya, #Ram_Janmabhoomi,

🚩 जय श्री राम 🚩

🇮🇳🕉️🚩🔱🌹🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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08 मार्च 2024

Election Commission Warning to Rahul Gandhi | चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को चेतावनी जारी करने में साढ़े 3 महीने क्यों लगा दिए - लेखक : सुभाष चन्द्र




Election Commission  Warning to Rahul Gandhi

राहुल जैसे मूढ़मति पर कोई चेतावनी असर कर सकती है क्या ?

चुनाव आयोग ने चेतावनी जारी करने में साढ़े 3 महीने क्यों लगा दिए -

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को 23 नवंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “पनौती और जेबकतरा” कहने पर नोटिस जारी करके 25 नवंबर तक जवाब मांगा था और जब भाजपा इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ले गई तब कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2023 को आयोग से जारी किए गए नोटिस पर कार्रवाई करने को कहा था - इसके अलावा राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया था कि 9 साल में 14 लाख करोड़ के लोन माफ़ किए गए जो बिलकुल निराधार था और चुनाव आयोग ने इसे Representation of People’s Act and 499 of IPC and provisions of the Model Code of Conduct का उल्लंघन बताया था -


अब कोर्ट के निर्देश के अनुसार चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से चुनाव अभियान के दौरान स्टार प्रचारकों और राजनीतिक नेताओं के लिए जारी एडवाइजरी का गंभीरता से अनुपालन करने के लिए भी कहा है और इसका उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है 


पहली बात तो यह है कि आखिर चुनाव आयोग ने साढ़े 3 महीने का इतना लंबा समय चेतावनी जारी करने में क्यों लिया जबकि इस दौरान 5 राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव चल रहे थे  और राहुल ही नहीं कांग्रेस के अन्य नेता भी प्रधानमंत्री मोदी के अपशब्दों की बौछार लगाते रहे, क्या इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की नहीं बनती -


राहुल “कालनेमि” आदत से लाचार है जो प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा, भगवान राम और देश के खिलाफ बोलना अपना “धर्म” समझता है - अपने ही सहयोगियों DMK और राजद एवं अन्य दलों के सनातन धर्म, रामचरितमानस और भगवान राम के लिए दिए अपमानजनक बयानों पर खामोश रह कर उन्हें परोक्ष समर्थन देता है - 


 आयोग दरअसल एक दंतविहीन संस्था की तरह काम कर रहा है अन्यथा DMK के सनातन धर्म को डेंगू, मलेरिया, HIV और कोढ़ कह कर समाप्त करने की बात कहने पर पार्टी को De - Register कर देना चाहिए लेकिन चुनाव आयोग के पास किसी पार्टी को मान्यता देने की शक्ति तो है लेकिन मान्यता रद्द करने की शक्ति नहीं है चाहे कोई पार्टी कितना भी गलत आचरण करती रहे -


राहुल “कालनेमि” जनता में अडानी अंबानी को लेकर रोज जहर उगलता है - कोई समझ सकता है उसकी बात का क्या मतलब है कहने का कि “आप घर में बिजली का switch on करते हो तो उसके बिल का पैसा सीधा अडानी की जेब में जाता है” - एक बयान और सुनें, राहुल कहता है लोगों से - “आप प्राइवेट अस्पताल में गए जब आपका पैर टूटा, आपने प्राइवेट कॉलेज में पढाई की तो जो पैसा आपने अस्पताल में दिया या कॉलेज में उसमें कितना दलित को दिया, कितना आदिवासी को दिया, कितना पिछड़े को दिया और कितना जनरल कास्ट के गरीब को दिया” - 


अब कोई बताए क्या कहीं भी फीस दी जाती है तो क्या इस तरह दी जाती है - इसकी अगली बात सुनें कि ये जो सोने की चिड़िया है भारत, इसमें से कितना सोना मुझे मिला - और तो और महाशय कहते हैं कि भारत माता की जय और जय श्रीराम का नारा लगाने वाले भूखे मर जाएंगे -


यह माना कि चुनाव में प्रोपेगेंडा होता है लेकिन ऐसा भी क्या कि सब कुछ बकवास ही की जाए, जयराम रमेश की बात और मजेदार थी, वो कह रहा था कि “ 5 मार्च को राहुल जी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन देंगे” - मतलब ये भगवान हो गए दर्शन देने के लिए -


मुझे नहीं लगता राहुल गांधी पर किसी Advisory का कोई असर होगा - वो इसका उल्टा प्रचार करेगा कि हमारी आवाज़ दबाई जा रही है जो आरोप सब कुछ बोलते हुए भी लगा रहे हैं पिछले 10 साल से -


"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 08/03/2024 

#Political, #sabotage,   #Congress,  #Kejriwal  #judiciary  #delhi #sharadpanwar, #laluyadav, #spa #uddavthakre, #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp 


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Hindustan Urvarak & Rasayan Ltd (HURL) Sindri Fertiliser Plant | राष्ट्र को समर्पित | लेखक : सुभाष चन्द्र


 

देश की बदहाली का दाग नेहरू को लगाए जयराम रमेश,.... मोदी को नहीं 

Hindustan Urvarak & Rasayan Ltd (HURL) Sindri Fertiliser Plant |  राष्ट्र को समर्पित |

जितना नेहरू का गुणगान करोगे, उतने नेहरू “बेपर्दा” होते जाएंगे -

पिछले 10 वर्ष में जो भी कुछ काम हुआ उसके लिए कांग्रेस के नेता घुमा फिरा कर नेहरू को श्रेय दे देते हैं और साबित करते हैं कि इसमें मोदी की उपलब्धि नहीं है - यहां तक चंद्रयान - 3 की सफलता के लिए भी नेहरू को हार पहना दिया और कह दिया मोदी का कोई योगदान नहीं है लेकिन कांग्रेस फिर देश की बदहाली के लिए नेहरू को जिम्मेदार क्यों नहीं मानती - एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान को देना और हज़ारों एकड़ भूमि पर चीन के कब्जे के लिए नेहरू को तमगा क्यों नहीं पहनाते  

अभी एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 plants को पुनर्जीवित करके झारखंड का Hindustan Urvarak & Rasayan Ltd (HURL) Sindri Fertiliser Plant राष्ट्र को समर्पित किया - इस पर कांग्रेस ने बड़बोले नेता जयराम रमेश ने 2 फोटो शेयर करते हुए बताया कि सिंदरी प्लांट तो 1952 में नेहरू जी शुरू किया था और मोदी पर तंज कसते हुए कहा - 

"Today of course, the Prime Minister is in Sindri claiming credit -Prime Minister Narendra Modi on Friday dedicated to the nation ₹8,900-crore fertiliser plan in Sindri and said it was 'Modi ki guarantee' which he fulfilled in six years.

सिंदरी कारखाने में आमोनियम नाइट्रेट का प्रोडक्शन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर 1951 को शुरू हो चुका था लेकिन इसका उद्घाटन 1952 में नेहरू के हाथों कराया गया था -

प्रधानमंत्री मोदी के हर काम से जलने वाले कांग्रेसी नेहरू को रोते फिरते हैं और किसी भी हद तक झूठ बोलते हैं - सिंदरी कारखाना 1991 में घाटे की वजह से BIFR (Board of Industrial and Financial Reconstruction) में चला गया था -

गोरखपुर, रामगुंडम, तलचर और कोरबा समेत सिंदरी कारखाना BIFR को रेफर हो गए थे और उन्हें 1992 में Sick घोषित कर दिया गया था -

यदि आज सिंदरी कारखाना मोदी द्वारा फिर से शुरू करने पर भी नेहरू को श्रेय देना चाहते हो तो 1991 - 1992 उसके Sick होने के लिए भी नेहरू को जिम्मेदार कहने की हिम्मत करो 

5 सितंबर, 2002 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने सिंदरी समेत गोरखपुर, तालचर और रामागुंडम के खाद कारखाने को बंद करने का निर्णय लिया और 31 दिसंबर, 2002 को ये सभी प्लांट बंद हो गए -

मोदी सरकार ने 21 मई 2015 को बंद पड़े सिंदरी खाद कारखाने को पुनर्जिवित करने के लिए 10,500 करोड़ रुपए की कैबिनेट से मंजूरी ली थी। जिसका शिलान्यास 25 मई 2018 को किया गया और अब 6 साल से भी कम समय में काम पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया तो नेहरू जी याद आ गए जयराम रमेश को - 

मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए हिंदुस्तान उर्वरक & रसायन लिमिटेड (HURL) Sindri Fertiliser Plant को पुनर्जीवित करने में 8939.25 crores रुपए से ज्यादा खर्च आया है - यानी नेहरू के पैदा किए गए मृत कारखाने में जान डालने में जनता का करीब 9 हजार करोड़ रुपया लग गया मगर  कारखाना फिर से शुरू करने का श्रेय नेहरू को देंगे बेशर्म कांग्रेसी -

इतना खर्च करने के बाद कर्मचारियों को एक और सुविधा दी जाएगी - वर्ष 2002 के 31 दिसंबर को फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की सिंदरी यूनिट, गोरखपुर, रामागुंडम, तलचर यूनिट को बंद कर लगभग सभी कर्मचारियों को वीआरएस के तहत सेवानिवृत्त कर दिया गया था। उस वक्त कर्मचारियों का 1992,1997 एवं 2002 का वेतन पुनरीक्षण बाकी था - उन VRS ले चुके कर्मचारियों को सभी Pay Revision के arrear भी दिए जाएंगे जो कभी कांग्रेस सरकार में उम्मीद नहीं की जा सकती -

कांग्रेस के लोग बेहतर है मोदी के प्रति ईर्ष्या की वजह से हुई नेत्रहीनता को त्याग दें तो अच्छा है - लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष होना चाहिए मगर जो विपक्ष कांग्रेस देना चाहती है वह किसी काम का नहीं है क्योंकि अब कांग्रेस मोदी का विरोध करते करते देश विरोध पर आ गई है -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 08/03/2024 

#Political, #sabotage,   #Congress,  #Kejriwal  #judiciary  #delhi #sharadpanwar, #laluyadav, #spa #uddavthakre, #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp 


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Kashmir is Changing and Developing | कश्मीर बदल रहा है और विकसित हो रहा है। लेखक : नलीन चंद्र


 


कई कवियों ने सर्वश्रेष्ठ वर्णमालाओं के साथ कश्मीर की सुंदरता का वर्णन किया है। लेकिन यहां कुछ साल पहले तक खून बह रहा था। अब समय के साथ यह बदल गया है। 

कश्मीर बदल रहा है और विकसित हो रहा है। 


आज जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वे खास हैं। हम सभी उस दिन के भी गवाह हैं जब प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कश्मीर की एक अलग तस्वीर देखी गई थी। देश का सबसे खूबसूरत हिस्सा अलगाववाद की आग में जल रहा था। मुठभेड़ों, बम विस्फोटों, पथराव, नारों की बौछार और कर्फ्यू की खबरें सुर्खियों में रहती थीं, लेकिन आज की तस्वीरें अलग हैं। 


2019 के बाद से, कश्मीर के इर्द-गिर्द की कहानी, विशेष रूप से पश्चिमी प्रेस में, कश्मीर की सुरक्षा और सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ संचार में व्यवधान के इर्द-गिर्द रही है। 

लेकिन कश्मीर आगे बढ़ गया है, और प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा पिछले पांच वर्षों में कश्मीर की प्रगति को उजागर करने के लिए बातचीत को बदलने का एक प्रयास है। 


भारतीय प्रधानमंत्री ने 2019 के बाद घाटी की अपनी पहली यात्रा पर कश्मीर का दौरा किया, जब अनुच्छेद 370, जम्मू और कश्मीर को इसका विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को निरस्त कर दिया गया था। प्रधानमंत्री जम्मू की यात्रा कर रहे हैं। वास्तव में, वह पिछले सप्ताह वहां थे, लेकिन हाल ही में उनकी श्रीनगर की यात्रा पांच वर्षों में पहली है। इस यात्रा ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि यह इरादे का एक बयान है।


अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीरी निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से विकास परियोजनाओं और पहलों पर चर्चा करने के लिए स्थानीय नेताओं और समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने 


इस क्षेत्र में कई नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और निवेशों की भी घोषणा की, जो आर्थिक विकास और समृद्धि पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत है। इस यात्रा को संबंधों को सामान्य बनाने और लंबे समय से राजनीतिक अशांति और संघर्ष से त्रस्त क्षेत्र में एकता और प्रगति की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा गया। कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हजरतबल तीर्थ परियोजना और सोनमर्ग स्की ड्रैग लिफ्ट के एकीकृत विकास का उद्घाटन करेंगे।


इस वर्तमान शासन के दौरान, कश्मीर ने विद्युतीकृत रेलवे लाइनों का आगमन देखा है, जिसकी पिछली सरकारों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन ने कश्मीर के लोगों के लिए आशा और आशावाद की भावना लाई है, जो लंबे समय से अविकसित और बुनियादी सुविधाओं की कमी से पीड़ित हैं। विद्युतीकृत रेलवे लाइनों ने न केवल क्षेत्र के भीतर संपर्क में सुधार किया है, बल्कि व्यापार और पर्यटन के अवसर भी खोले हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है। 


विकास और प्रगति पर इस नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से कश्मीरी निवासियों में गर्व और लचीलापन की भावना पैदा हुई है, जो अब एक उज्जवल भविष्य की ओर देख रहे हैं। इसके अलावा, बाकी दुनिया हिमालय के दुर्गम इलाकों में रेलवे लाइन बनाने जैसी भारत की अद्भुत क्षमताओं से चकित है। सुरंगें और पुल न केवल इंजीनियरिंग के चमत्कार हैं, बल्कि विकास और समृद्धि के लिए सबसे दूरदराज के क्षेत्रों को भी जोड़ने की भारत की प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। कश्मीर में विद्युतीकृत रेलवे लाइन को ले जाने वाला चिनाब नदी पर बना पुल समुदायों को बदलने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में बुनियादी ढांचे के विकास की शक्ति का प्रमाण है।


इन परियोजनाओं का उद्देश्य क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना और बुनियादी ढांचे में सुधार करना है। प्रधानमंत्री की यात्रा कश्मीर के विकास और प्रगति के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत है। यह घाटी के लोगों के लिए एक आशाजनक संकेत है, जो लंबे समय से संघर्ष और अस्थिरता से पीड़ित हैं। ये परियोजनाएं न केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगी बल्कि कश्मीर की सुंदरता और क्षमता को बाकी दुनिया के सामने भी प्रदर्शित करेंगी। यह क्षेत्र धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहा है और लोगों को आने वाले वर्षों में शांति और समृद्धि की उम्मीद है।


कश्मीर में बुनियादी ढांचा अब कितना अच्छा हो गया है, इसका अंदाजा पड़ोसी पीओके के निवासियों की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है। वे सीमा के भारतीय हिस्से में, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के मामले में जो प्रगति और विकास देख रहे हैं, उससे वे चकित हैं। रेलवे लाइन ने न केवल शेष भारत के साथ संपर्क में सुधार करने का वादा किया है, बल्कि व्यापार के लिए कश्मीर में किसानों और कारीगरों का मनोबल भी बढ़ाया है। इस क्षेत्र में पर्यटन पहले से ही बढ़ रहा है, अधिक आगंतुक आश्चर्यजनक दृश्यों और अनुभव को देखने के लिए आ रहे हैं।


इसके विपरीत, पीओके के लोगों के लिए चिनाब पुल जैसी संरचना को देखना, महसूस करना या अनुभव करना एक दूर का सपना है। भारतीय पक्ष की प्रगति की तुलना में पीओके में बुनियादी ढांचे और विकास की कमी स्पष्ट है। पीओके के लोग एक बेहतर नागरिक जीवन और कश्मीर में अपने समकक्षों की तरह एक सामान्य मानव जाति की तरह विकसित होने के अवसरों के लिए तरसते हैं। 


इस भावना ने भारत को युद्ध छेड़ने के बिना पीओके पर फिर से कब्जा करने की अनुमति दी है। सीमा के दोनों किनारों के बीच रहने की स्थिति में भारी अंतर ने पीओके में लोगों के बीच बदलाव और सुधार की इच्छा को बढ़ावा दिया है। बेहतर भविष्य और समान अवसरों की आशा एकीकरण के लिए एक प्रेरक शक्ति बन गई है और इसने पीओके में लोगों के बीच बदलाव और प्रगति की इच्छा को बढ़ावा दिया है।  


चिनाब नदी पर बना पुल भारतीय शक्ति, प्रौद्योगिकी और निश्चित रूप से धन में भारत की विशेषज्ञता के प्रतीक के रूप में खड़ा है। 


पीओके के लोगों ने एक ऐसे भविष्य की कल्पना करना शुरू कर दिया है जहां वे पीछे न रह जाएं, जहां उनकी सीमा पार अपने साथी नागरिकों के समान अवसरों और संसाधनों तक पहुंच हो। 


प्रधानमंत्री की यात्रा को कश्मीरी लोगों की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने और क्षेत्र के लिए अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में काम करने की सरकार की प्रतिबद्धता के सकारात्मक संकेत के रूप में देखा गया।


प्रधानमंत्री ने इस अवसर का उपयोग घाटी में विकास परियोजनाओं पर बात करने के लिए किया। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने 70 करोड़ डॉलर से अधिक की 53 अन्य परियोजनाओं की घोषणा की।


यह यात्रा भारत के आगामी आम चुनाव से पहले भी हो रही है।


इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। भारत में आम चुनाव नजदीक हैं, तारीखों की घोषणा कुछ ही हफ्तों में की जा सकती थी, इसलिए प्रधानमंत्री की कश्मीर यात्रा इससे अधिक उपयुक्त समय पर नहीं हो सकती थी।


राजनीति से परे, पीएम मोदी की यात्रा का गहरा महत्व था। इससे पहले, जम्मू और कश्मीर एक पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से एक राज्य था। इसे एक केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था, और परिवर्तनों पर भारतीय संसद की मंजूरी की मुहर लगी थी। इसने दिसंबर में कानूनी परीक्षा भी पास की।


पिछले साल, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्तीकरण को बरकरार रखा।


भारतीय प्रधान मंत्री की यात्रा उस आदेश के दो महीने बाद आती है, और वह यहां एक विशेष मिशन पर थे-दिल जीतने के लिए।


उनके संबोधन से पहले पहुंच दिखाई दे रही थी; प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की, जिनमें से कई घाटी की अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं के लाभार्थी थे। 


यह प्रधानमंत्री की मुख्य बात थी। 


2019 से प्रधानमंत्री के लिए कश्मीर का विकास एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। उनकी सरकार ने सैकड़ों विकास परियोजनाओं पर जोर दिया है।


इस यात्रा के साथ प्रधानमंत्री ने इस एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। उन्होंने लाखों डॉलर की 53 और परियोजनाओं की घोषणा की। इन सभी पहलों में से एक सबसे अलग हैः प्रसिद्ध डल झील के पास हजरतबल तीर्थ में एकीकृत विकास परियोजना। हाल ही में पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। यह परियोजना स्थानीय समुदाय तक एक बड़ी पहुंच का हिस्सा है।


मुसलमानों के लिए इसका गहरा महत्व है। वर्षों से, इस मंदिर ने पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी के पवित्र बालों को संरक्षित किया है।


शुक्रवार को रमजान जैसे विशेष अवसरों पर सामूहिक प्रार्थना के लिए स्थानीय लोग अक्सर यहां आते हैं। मंदिर में बड़ी संख्या में आगंतुक आते हैं; पूरे स्थल को बदल दिया गया है। नए और आधुनिक सुविधाओं को जोड़ने के साथ प्रवेश प्रांगण में सुधार किया गया है।


प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि श्रीनगर अब भारत के पर्यटन उद्योग का केंद्र बन गया है और ये परियोजनाएं अब घाटी के पुनर्विकास में योगदान दे रही हैं।

"लेखक के निजी विचार हैं "

 







लेखक : नलीन चंद्र  (Naleen Chandra)  08/03/2024 

#Government_of_India, #revoked, #special_status, #autonomy, #Article_370, #Indian_Constitution, #Jammu_Kashmir,#Kashmir, #dispute, #India, #Pakistan, #China, #370

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Maha Shivaratri | महाशिवरात्रि



महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह #भगवान #शिव का प्रमुख पर्व है। #माघ फागुन फाल्गुन #कृष्ण पक्ष #चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ था। #पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ।

Maha Shivaratri is a #Hindu #festival #celebrated annually in honour of the deity #Shiva, between February and March. According to the #Hindu_calendar, the festival is observed on the fourteenth day of the dark half of the #lunar month of Phalguna or #Magha.

मान्यता है कि महाशिवरात्रि  के दिन भगवान शिव का मां पार्वती से विवाह संपन्न हुआ था।

It is believed that on the day of Mahashivratri, Lord Shiva's marriage with Mother Parvati took place.

#महाशिवरात्रि_मंत्र  | #Mahashivratri_Mantra 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

ॐ नमः शिवाय

ॐ हौं जूं स:

चंद्र बीज मंत्र- 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:'

चंद्र मूल मंत्र- 'ॐ चं चंद्रमसे नम:'

महामृत्युंजय मंत्र को #भगवान #शिव को प्रसन्न करने वाला #मंत्र माना जाता है. #महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र के जाप से रोग और #अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है.  इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को लंबी आयु प्राप्त होती है. यह मंत्र #मांगलिक_दोष, #नाड़ी_दोष, #कालसर्प_दोष और #भूत_प्रेत_दोष से भी छुटकारा दिलाता है.

महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||' 

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं | Happy Maha Shivratri

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07 मार्च 2024

Veer Shiromani Amar Shaheed Thakur Dariyav Singh | वीर शिरोमणि अमर शहीद ठाकुर दरियाव सिंह

 



🇮🇳 #Veer #Shiromani #Amar #Shaheed #Thakur_Dariyav_Singh #वीर_शिरोमणि_अमर_शहीद_ठाकुर_दरियाव_सिंह  का जन्म सन 1795 ई० में गंगा यमुना पवित्र नदी के मध्य भूभाग में बसे खागा नगर में तालुकेदार #ठाकुर_मर्दन_सिंह के पुत्र रत्न के रूप में हुआ| आदिकाल में इनके वंशज महापराक्रमी सूर्यवंश के वत्स गोत्रीय क्षत्रिय खड्ग सिंह चौहान ने इस भूभाग के राजा को परास्त करके उनके राज्य को अपने अधिकार में लेकर एक नये नगर का निर्माण कराया था, जो बाद में उन्ही के नाम पर #खागा नाम से प्रसिद्ध हुई, वर्तमान में यह उत्तरप्रदेश के #फतेहपुर जनपद की एक तहसील है|

🇮🇳 इनके वंशज राजस्थान से आये रोर समूह के क्षत्रियो में चौहान क्षत्रिय थे और इनके समाज में रीति रिवाज एवम संस्कारों के कठोर नियमों का पालन अनिवार्य था | 18वीं शताब्दी के मध्य तक सती प्रथा लागू थी | ग्राम #सरसई में सती माता का मन्दिर आज भी विद्यमान है | इनके समाज के लोग रक्त की शुद्धता बनाये रखने के लिये राजस्थान से आये रोर समूह के क्षत्रियों में ही वैवाहिक सम्बन्ध करते थे | 18वीं शताब्दी के अंत तक इनके परिवार में कन्या का विवाह रोर समूह के सिर्फ रावत, रावल, परमार, सेंगर  क्षत्रियों में ही होता था और बधू सिर्फ रोर समूह के गौतम, परिहार, चंदेल और बिसेन क्षत्रियों के यहाँ से ही लाते थे | महारथी ठाकुर दरियाव सिंह का ननिहाल ग्राम #बुदवन, खागा,जनपद फतेहपुर में गौतम क्षत्रिय #ठाकुर_श्रीपाल_सिंह के यहाँ था और इनकी ससुराल ग्राम #सिमरी, जनपद #रायबरेली में गौतम क्षत्रिय के यहाँ थी | इनकी पत्नी का नाम #सुगंधा था | इनके दो परम वीर पुत्र और दो कन्याएं थी | जिनमें ज्येष्ठ पुत्र का नाम #ठाकुर_सुजान_सिंह और छोटे पुत्र का नाम #ठाकुर_देवी_सिंह था | इनकी बड़ी कन्या का विवाह ग्राम #किशनपुर जनपद फतेहपुर में रावत (गोत्र भरद्वाज) क्षत्रियों के यहाँ हुई थी | छोटी कन्या का विवाह ग्राम किशनपुर में ही रावल (गोत्र काश्यप) क्षत्रियों के यहाँ हुई थी जो कि ग्राम #इकडला के निवासी थे | इतिहास जानने के बाद ऐसा ज्ञात होता है कि शायद ठाकुर सुजान सिंह और ठाकुर देवी सिंह की ससुराल जनपद रायबरेली में परिहार क्षत्रियों के यहाँ हुई थी | 6 मार्च  को ठाकुर देवी सिंह को छोडकर परिवार के सभी सदस्य फाँसी द्वारा मृत्यु दण्ड पाकर वीरगति को प्राप्त होने के उपरांत उन कठिन समय में ठाकुर देवी सिंह अज्ञातवास को चले गये थे और ठाकुर सुजान सिंह, ठाकुर देवी सिंह की पत्नियों को अपने अपने पिता के यहाँ शरण लेनी पड़ी थी |

🇮🇳 सन 1808 ई० तक इस भूभाग पर इनका अपना स्वतन्त्र राज्य था, इसके बाद में यह भूभाग अंग्रेजों के आधीन हुआ | ठाकुर दरियांव सिंह धर्म परायण साहसी स्वाभिमानी रणविद्या में निपुण एवं कुशल संगठन कौशल के महारथी थे | सन 1857 ई० में इस पराक्रमी वीर के नेतृत्व में यहाँ की जनता ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर 8 जून सन 1857 को अंग्रेजों को परास्त कर जनपद के इस भूभाग को अपने अधिकार में लेकर स्वतंत्रता का परचम लहराया था | इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 8 जून को यहाँ की जनता बड़े धूम धाम से इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाती है | परन्तु कुछ ही मास बाद यह भूभाग पुन: अंग्रेजों के आधीन हुआ और चंद विश्वासघातियों के कारण यह वीर अपने परिवार एवं मित्रों सहित बंदी बनाये गए और 6 मार्च 1858 को फाँसी द्वारा मृत्यु दण्ड पाकर यह वीर मातृभूमि स्वाधीनता हेतु अपने परिवार सहित शहीद होकर वीरगति को प्राप्त हुए और इनकी सम्पति को अंग्रेजों द्वारा गद्दारों को पुरस्कार स्वरुप दे दी गयी थी | आज भी इनके भब्य गढ़ी के ध्वंसा अवशेष इनके त्याग, पराक्रम, वीरता, संघर्ष और बलिदान का इतिहास संजोये हुए हैं| 

🇮🇳 1857 की विद्रोह की चिंगारी ने जिले की अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया। #बिठूर के #नाना_साहब के निर्देशन पर क्रांतिकारियों ने पहले खागा राजकोष पर अधिकार कर अंग्रेजों से सत्ता छीनी, फिर फतेहपुर में दबाव बनाया तो कलक्टर मि. टक्कर ने आत्महत्या कर ली। सरकारी बंगले को फूँकने के बाद क्रांतिकारियों ने जेल से कैदियों को मुक्त कराया और 9 जून को समूचे जनपद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। नाना जी की सलाह पर डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला को यहाँ का चकलेदार (प्रशासक) बनाया गया।

🇮🇳 खागा के ठाकुर दरियाव सिंह, बिठूर के नाना साहब, अवध के केशरी #राणा_बेनीमाधव_सिंह ने गुप्त बैठकें कर जनपदों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया। 4 जून को #कानपुर और 7 जून को #इलाहाबाद स्वतंत्र घोषित हो गए। इसके बाद 200 विद्रोहियों ने फतेहपुर में डेरा डाल दिया। 8 जून को ठाकुर दरियाव सिंह के सेनानायक व उनके पुत्र सुजान सिंह ने खागा के राजकोष में कब्जा कर लिया और स्वतंत्रता का ध्वज लहरा दिया। 9 जून को फतेहपुर कचहरी और राजकोष में कब्जा जमाने के लिए सारे सैनिकों ने धावा बोला, जिसमें रसूलपुर के जोधा सिंह अटैया, जमरावा के ठाकुर शिवदयाल सिंह कोराई के बाबा गयादीन दुबे भी फौज फाटे के साथ शामिल हुए। क्रांतिकारियों का दबाव बढ़ा तो अंग्रेज कलक्टर मि. टक्कर ने बंगले में ही आत्महत्या कर ली और दीवार में लिख दिया कि कोराई के गयादीन दुबे की वादा खिलाफी पर जान दी है। 10 जून को विद्रोही जेल पहुँचे और बंदियों को मुक्त कराया।

🇮🇳 बिठूर में नाना साहब को फतेहपुर के स्वतंत्र होने की जैसे ही खबर लगी, उन्होंने स्वतंत्र सरकार के चकलेदार (प्रशासक)के रूप में डिप्टी कलक्टर हिकमत उल्ला खां को नियुक्त कर दिया। फतेहपुर व कानपुर में पूर्ण अधिकार मिलने की खुशी में बिठूर में तोपें दागी गई और क्रांतिकारियों ने सभी जिले के कोतवालों को यह हुक्म दिया कि नगर व गाँवों में डुग्गी पिटवाकर यह बता दिया जाए कि अब अपनी सरकार है।




🇮🇳 एक माह तक जिले में स्वतंत्र सरकार चली। उधर अंग्रेजी हुकूमत विद्रोहियों को कुचलने की पूरी रणनीति तैयार कर रही थी। 11 जून को मेजर रिनार्ड को फतेहपुर में अधिकार जमाने के लिए इलाहाबाद से रवाना किया गया। सेना की एक टुकड़ी के साथ उसने जीटी रोड के #कटोघन गॉंव में पड़ाव डाल दिया। इसकी सूचना जैसे ही ठाकुर दरियाव सिंह को मिली, नाना साहब को जानकारी दी फिर दोनों तरफ से मोर्चेबंदी शुरू हो गई। 11 जुलाई को मेजर रिनार्ड ने खागा में आक्रमण कर दिया। दरियाव सिंह के महल को तोपों से ध्वस्त कर दिया लेकिन कोई गिरफ्तार नहीं हो पाया। अंग्रेजी सेनाओं का दबाव बढ़ा तो जिले के क्रांतिकारियों ने यमुना पार कर #बांदा को सुरक्षित ठिकाना बना लिया।

साभार: thakurdsingh.com 

Jagran.com

🇮🇳 मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले, धर्म परायण साहसी, स्वाभिमानी, रणविद्या में निपुण एवं कुशल संगठन कौशल के महारथी अमर बलिदानी #ठाकुर_दरियाव_सिंह जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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