07 मार्च 2024

Veer Shiromani Amar Shaheed Thakur Dariyav Singh | वीर शिरोमणि अमर शहीद ठाकुर दरियाव सिंह

 



🇮🇳 #Veer #Shiromani #Amar #Shaheed #Thakur_Dariyav_Singh #वीर_शिरोमणि_अमर_शहीद_ठाकुर_दरियाव_सिंह  का जन्म सन 1795 ई० में गंगा यमुना पवित्र नदी के मध्य भूभाग में बसे खागा नगर में तालुकेदार #ठाकुर_मर्दन_सिंह के पुत्र रत्न के रूप में हुआ| आदिकाल में इनके वंशज महापराक्रमी सूर्यवंश के वत्स गोत्रीय क्षत्रिय खड्ग सिंह चौहान ने इस भूभाग के राजा को परास्त करके उनके राज्य को अपने अधिकार में लेकर एक नये नगर का निर्माण कराया था, जो बाद में उन्ही के नाम पर #खागा नाम से प्रसिद्ध हुई, वर्तमान में यह उत्तरप्रदेश के #फतेहपुर जनपद की एक तहसील है|

🇮🇳 इनके वंशज राजस्थान से आये रोर समूह के क्षत्रियो में चौहान क्षत्रिय थे और इनके समाज में रीति रिवाज एवम संस्कारों के कठोर नियमों का पालन अनिवार्य था | 18वीं शताब्दी के मध्य तक सती प्रथा लागू थी | ग्राम #सरसई में सती माता का मन्दिर आज भी विद्यमान है | इनके समाज के लोग रक्त की शुद्धता बनाये रखने के लिये राजस्थान से आये रोर समूह के क्षत्रियों में ही वैवाहिक सम्बन्ध करते थे | 18वीं शताब्दी के अंत तक इनके परिवार में कन्या का विवाह रोर समूह के सिर्फ रावत, रावल, परमार, सेंगर  क्षत्रियों में ही होता था और बधू सिर्फ रोर समूह के गौतम, परिहार, चंदेल और बिसेन क्षत्रियों के यहाँ से ही लाते थे | महारथी ठाकुर दरियाव सिंह का ननिहाल ग्राम #बुदवन, खागा,जनपद फतेहपुर में गौतम क्षत्रिय #ठाकुर_श्रीपाल_सिंह के यहाँ था और इनकी ससुराल ग्राम #सिमरी, जनपद #रायबरेली में गौतम क्षत्रिय के यहाँ थी | इनकी पत्नी का नाम #सुगंधा था | इनके दो परम वीर पुत्र और दो कन्याएं थी | जिनमें ज्येष्ठ पुत्र का नाम #ठाकुर_सुजान_सिंह और छोटे पुत्र का नाम #ठाकुर_देवी_सिंह था | इनकी बड़ी कन्या का विवाह ग्राम #किशनपुर जनपद फतेहपुर में रावत (गोत्र भरद्वाज) क्षत्रियों के यहाँ हुई थी | छोटी कन्या का विवाह ग्राम किशनपुर में ही रावल (गोत्र काश्यप) क्षत्रियों के यहाँ हुई थी जो कि ग्राम #इकडला के निवासी थे | इतिहास जानने के बाद ऐसा ज्ञात होता है कि शायद ठाकुर सुजान सिंह और ठाकुर देवी सिंह की ससुराल जनपद रायबरेली में परिहार क्षत्रियों के यहाँ हुई थी | 6 मार्च  को ठाकुर देवी सिंह को छोडकर परिवार के सभी सदस्य फाँसी द्वारा मृत्यु दण्ड पाकर वीरगति को प्राप्त होने के उपरांत उन कठिन समय में ठाकुर देवी सिंह अज्ञातवास को चले गये थे और ठाकुर सुजान सिंह, ठाकुर देवी सिंह की पत्नियों को अपने अपने पिता के यहाँ शरण लेनी पड़ी थी |

🇮🇳 सन 1808 ई० तक इस भूभाग पर इनका अपना स्वतन्त्र राज्य था, इसके बाद में यह भूभाग अंग्रेजों के आधीन हुआ | ठाकुर दरियांव सिंह धर्म परायण साहसी स्वाभिमानी रणविद्या में निपुण एवं कुशल संगठन कौशल के महारथी थे | सन 1857 ई० में इस पराक्रमी वीर के नेतृत्व में यहाँ की जनता ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर 8 जून सन 1857 को अंग्रेजों को परास्त कर जनपद के इस भूभाग को अपने अधिकार में लेकर स्वतंत्रता का परचम लहराया था | इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 8 जून को यहाँ की जनता बड़े धूम धाम से इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाती है | परन्तु कुछ ही मास बाद यह भूभाग पुन: अंग्रेजों के आधीन हुआ और चंद विश्वासघातियों के कारण यह वीर अपने परिवार एवं मित्रों सहित बंदी बनाये गए और 6 मार्च 1858 को फाँसी द्वारा मृत्यु दण्ड पाकर यह वीर मातृभूमि स्वाधीनता हेतु अपने परिवार सहित शहीद होकर वीरगति को प्राप्त हुए और इनकी सम्पति को अंग्रेजों द्वारा गद्दारों को पुरस्कार स्वरुप दे दी गयी थी | आज भी इनके भब्य गढ़ी के ध्वंसा अवशेष इनके त्याग, पराक्रम, वीरता, संघर्ष और बलिदान का इतिहास संजोये हुए हैं| 

🇮🇳 1857 की विद्रोह की चिंगारी ने जिले की अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया। #बिठूर के #नाना_साहब के निर्देशन पर क्रांतिकारियों ने पहले खागा राजकोष पर अधिकार कर अंग्रेजों से सत्ता छीनी, फिर फतेहपुर में दबाव बनाया तो कलक्टर मि. टक्कर ने आत्महत्या कर ली। सरकारी बंगले को फूँकने के बाद क्रांतिकारियों ने जेल से कैदियों को मुक्त कराया और 9 जून को समूचे जनपद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। नाना जी की सलाह पर डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला को यहाँ का चकलेदार (प्रशासक) बनाया गया।

🇮🇳 खागा के ठाकुर दरियाव सिंह, बिठूर के नाना साहब, अवध के केशरी #राणा_बेनीमाधव_सिंह ने गुप्त बैठकें कर जनपदों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया। 4 जून को #कानपुर और 7 जून को #इलाहाबाद स्वतंत्र घोषित हो गए। इसके बाद 200 विद्रोहियों ने फतेहपुर में डेरा डाल दिया। 8 जून को ठाकुर दरियाव सिंह के सेनानायक व उनके पुत्र सुजान सिंह ने खागा के राजकोष में कब्जा कर लिया और स्वतंत्रता का ध्वज लहरा दिया। 9 जून को फतेहपुर कचहरी और राजकोष में कब्जा जमाने के लिए सारे सैनिकों ने धावा बोला, जिसमें रसूलपुर के जोधा सिंह अटैया, जमरावा के ठाकुर शिवदयाल सिंह कोराई के बाबा गयादीन दुबे भी फौज फाटे के साथ शामिल हुए। क्रांतिकारियों का दबाव बढ़ा तो अंग्रेज कलक्टर मि. टक्कर ने बंगले में ही आत्महत्या कर ली और दीवार में लिख दिया कि कोराई के गयादीन दुबे की वादा खिलाफी पर जान दी है। 10 जून को विद्रोही जेल पहुँचे और बंदियों को मुक्त कराया।

🇮🇳 बिठूर में नाना साहब को फतेहपुर के स्वतंत्र होने की जैसे ही खबर लगी, उन्होंने स्वतंत्र सरकार के चकलेदार (प्रशासक)के रूप में डिप्टी कलक्टर हिकमत उल्ला खां को नियुक्त कर दिया। फतेहपुर व कानपुर में पूर्ण अधिकार मिलने की खुशी में बिठूर में तोपें दागी गई और क्रांतिकारियों ने सभी जिले के कोतवालों को यह हुक्म दिया कि नगर व गाँवों में डुग्गी पिटवाकर यह बता दिया जाए कि अब अपनी सरकार है।




🇮🇳 एक माह तक जिले में स्वतंत्र सरकार चली। उधर अंग्रेजी हुकूमत विद्रोहियों को कुचलने की पूरी रणनीति तैयार कर रही थी। 11 जून को मेजर रिनार्ड को फतेहपुर में अधिकार जमाने के लिए इलाहाबाद से रवाना किया गया। सेना की एक टुकड़ी के साथ उसने जीटी रोड के #कटोघन गॉंव में पड़ाव डाल दिया। इसकी सूचना जैसे ही ठाकुर दरियाव सिंह को मिली, नाना साहब को जानकारी दी फिर दोनों तरफ से मोर्चेबंदी शुरू हो गई। 11 जुलाई को मेजर रिनार्ड ने खागा में आक्रमण कर दिया। दरियाव सिंह के महल को तोपों से ध्वस्त कर दिया लेकिन कोई गिरफ्तार नहीं हो पाया। अंग्रेजी सेनाओं का दबाव बढ़ा तो जिले के क्रांतिकारियों ने यमुना पार कर #बांदा को सुरक्षित ठिकाना बना लिया।

साभार: thakurdsingh.com 

Jagran.com

🇮🇳 मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले, धर्म परायण साहसी, स्वाभिमानी, रणविद्या में निपुण एवं कुशल संगठन कौशल के महारथी अमर बलिदानी #ठाकुर_दरियाव_सिंह जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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