गांधी नेहरू के सपनों का भारत दिखाई दे रहा आज -हल्द्वानी के असली अपराधी तो
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं -एक बार फिर चंद्रचूड़ & Co खड़ी हुई दंगाइयों के साथ -
जो हल्द्वानी में हुआ वह गांधी नेहरू के सपने थे क्योंकि ऐसे ही दिन भारत में लाने के लिए दोनों ने पाकिस्तान बनने के बाद भी मुसलमानों को जबरन भारत में रखा था - जो मुस्लिमों ने हल्द्वानी में दिखाया वह कोई नई बात नहीं है और ऐसा कुछ दिन पहले हरियाणा के मेवात में भी हुआ, उसके कुछ दिन पहले लखनऊ और दिल्ली में किया गया जब CAA के विरोध में आग लगाई गई -
यह सब कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान के व्यापार का हिस्सा है जब देश के किसी भी भाग में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा जा रहा है - कुछ दिन पहले मणिपुर को भी कांग्रेस ने आग लगाईं थी -
गांधी नेहरू दोनों की खुराफाती खोपड़ी ने देश के आज़ाद होते ही दूसरे विभाजन की तैयारी की भूमिका बना दी थी और इसलिए मुसलमानों को पाकिस्तान जाने से रोक दिया - आज वे ही देश की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं
लेकिन ऐसे आतताइयों को हिम्मत देने वाला तो सुप्रीम कोर्ट है जिसके न्यायाधीश उनके साथ खड़े रहते हैं - सिब्बल, प्रशांत भूषण और अन्य फर्जी सेकुलर वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों के हैंडल चलाते हैं जिसकी वजह से आज देश में हर जगह सरकारी जमीन पर कब्जे हो रखे हैं - लखनऊ के CAA दंगों के 274 आरोपियों से नुक़सान की भरपाई के नोटिस चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश चुनाव के दूसरे चरण के दिन वापस करने के आदेश दिए थे और एक तरह से दंगाइयों के सरकारी संपत्ति को आग लगाने को सही बता दिया था -
पिछले वर्ष हल्द्वानी के बनफूलपुरा में दिसंबर, 2022 के अवैध कब्जे को हटाने के आदेश पर प्रशांत भूषण के Mention करने पर CJI चंद्रचूड़, जस्टिस SA Nazeer और जस्टिस PS Narsimha की बेंच ने 5 जनवरी, 2023 को स्टे कर दिया और 7 फरवरी, 2023 की तारीख लगा दी -
उसी दिन की खबर में बताया गया था कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने के नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश पर जिस तरह लोगों को प्रशासन हटाने की कोशिश कर रहा है, वह गलत है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए - मानवता के आधार पर यह जरूरी है क्योंकि दावा किया गया है कि वे लोग वहां 60 - 70 वर्ष से रह रहे हैं –
अब अंजाम देख लीजिए मीलार्ड के लचर आदेशों का - इन आदेशों ने क्षेत्र के मुसलमानों को एक वर्ष में इतना सशक्त होने का मौका दे दिया कि ठीक एक साल बाद 8 फरवरी, 2024 को पूरे क्षेत्र को आग के हवाले कर दिया - जजों के केवल यह देखा कि जो लोग हटाए जाने हैं वे अधिकांश मुस्लिम हैं मगर उन नेत्रहीन जजों ने यह नहीं देखा कि वे लोग कहां से आए हैं क्योंकि इनमें अधिकांश बांग्लादेशी और रोहिंग्या थे -
पुलिस बल पर इतना भयंकर हमला करने वाले देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट के बेशर्म जज तुरंत स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की जरूरत नहीं समझ रहे और हाई कोर्ट भी 14 फरवरी तय किए बैठा है तो उसके पहले सोता ही रहेगा -
मीलॉर्ड कभी अपराध के शिकार नहीं होते, कभी उनके रिश्तेदार आतंकी हमले में नहीं मारे गए और इसलिए आतंकियों की फांसी की सजा रोक देते हैं, कभी इनकी बच्चियों का बलात्कार नहीं होता और इसलिए every sinner has a future कह कर अपराधी की सजा कम कर देते हैं - देश भर में जमीनों पर बलात कब्जे होते हैं लेकिन मीलॉर्ड अपने महलों में मस्त रहते हैं और इसलिए वे उन्हें हटाने के लिए “मानवीय दृष्टिकोण” देखते हैं
दर्द के अहसास के लिए एक दिन मीलॉर्ड और उनके परिवार को भी कुदरत की आग में झुलसना जरूरी है |
"लेखक के निजी विचार हैं "
लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 11/02/2024
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