#चापेकर बंधु भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे।
🇮🇳 #चापेकर बंधु महाराष्ट्र के पुणे के पास चिंचवड़ नामक गाँव के निवासी थे। दामोदर पंत चापेकर उनके दो छोटे भाई क्रमशः बालकृष्ण चापेकर एवं वसुदेव चापेकर थे।उनके पिता प्रसिद्ध कीर्तनकार #हरिपंत_चापेकर थे वे अनेक स्थानों पर जाकर कीर्तन एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे।
# चापेकर बंधुओ ने प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।
1896 में प्लेग की खतरनाक बीमारी ने पुरे पुणे को अपनी चपेट में ले लिया था और 1897 की शुरुआत तक, यह बीमारी बहुत ही गंभीर रूप से फैल गई । अकेले फरवरी 1897 में, प्लेग के कारण वहां पर लगभग 657 मौतें हुईं। शहर की लगभग आधी आबादी शहर को छोड़ कर जा चुकी थी |
सरकार ने आदेश दिए थे की निरीक्षण और उपाय करते समय लोगों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए और लोगों को इस कार्य के सम्बन्ध में समुचित जानकारी और इस बीमारी से बचने और सावधानी के लिए सूचित किया जाना चाहिए।
लेकिन वाल्टर चार्ल्स रैंड की प्लेग समिति ने उपायों को लागू करने में कई अनियमितता की बीमारी से निपटने लिए कई अधिकारियों और सैनिकों को भी ड्यूटी पर नियुक्त कर दिया।
इन लोगो ने उपायों के नाम पर घरों में जबरदस्ती प्रवेश किया, महिलाओं सहित वहां रहने वालों की जांच की , उन्हें अलग अलग शिविरों में जबरदस्ती ले जाना और प्लेग से प्रभावित लोगों को पुणे छोड़ने या प्रवेश करने पर प्रतिबंद लगा दिया था ।
उस समय की जानकारी के अनुसार महामारी को नियंत्रित करने के नाम पर अधिकारियों और सैनिकों ने धार्मिक और निजी संपत्ति की बर्बरता से लूटपाट भी की |
लोगों को अंतिम संस्कार करने की अनुमति भी नहीं दी गई मृतकों का अंतिम संस्कार सरकार द्वारा विशेष आधार पर किया जाना था।
जिन लोगों ने इन नियमों को तोड़ा या इसका विरोध किया तो उनके साथ बर्बरता की गई और उन पर आपराधिक कार्यवाही की गई।
गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा की मझे विश्वसनीय लोगो से पता चला है कि बीमारी को नियंत्रित करने के नाम पर पुरे शहर को ब्रिटिश सैनिकों के हवाले कर दिया गया है सैनिकों द्वारा महिलाओं के साथ बलात्कार किया और लूटपाट भी की गई है ।
वाल्टर चार्ल्स रैंड ने इस बात से इनकार कर दिया कि सैनिकों द्वारा महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का कोई मामला सामने नहीं आया है।
बाल गंगाधर तिलक ने चिंता जताई की अंग्रजी हुकूमत को भारत के लोगों पर अत्याचार करने के आदेश जारी नहीं करने चाहिए थे।
महामारी से निपटने में ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों की मनमानी के कारण लोगों में बहुत निराशा और सरकार विरोधी भावनाएँ पैदा हुईं।
चापेकर बंधु इन घटनाओं से बहुत दुखी थे वे अंग्रजो से इसका बदला लेना चाहते थे चापेकर बंधुओं दामोदर हरि, बालकृष्ण हरि और वासुदेव हरि ने वाल्टर चार्ल्स रैंड की हत्या करने की योजना बनाई, इसमें क्रांतिकारी महादेव विनायक रानाडे भी सहयोगी थे।
🇮🇳 22 जून 1897 ई. को पुणे, महाराष्ट्र में में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर आयोजन स्थल के पास गणेशखिंड रोड पर बालकृष्ण हरि तथा दामोदर हरि चापेकर बंधू रैंड की गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। गवर्नमेंट हाउस समारोह से लौटते समय बालकृष्ण ने रैंड पर गोली चलाकर उसे घायल कर दिया और रैंड के सैन्य अनुरक्षण लेफ्टिनेंट आयर्स्ट को भी गोली मार दी । आयर्स्ट की मौके पर ही मौत हो गई | रैंड को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 3 जुलाई को उसकी मौत हुई ।
🇮🇳 पुलिस मुखबिर द्रविड़ बंधुओं की सूचना के बाद दामोदर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सैनिकों द्वारा पवित्र स्थानों को प्रदूषित करने और मूर्तियों के अपमान का बदला लेना चाहते थे। उन पर मुकदमा चला और 18 अप्रैल 1898 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
🇮🇳 तीसरे भाई वासुदेव और उनके सहयोगी खंडो विष्णु साठे और महादेव विनायक रानाडे ने पुलिस मुखबिर करने वाले द्रविड़ बंधुओं की हत्या कर दी थी ।वासुदेव को 8 मई 1899 को फाँसी दे दी गई। महादेव विनायक रानाडे को 10 मई को फाँसी दे दी गई | साठे और एक स्कूली छात्र जो सहयोगी थे उनको 10 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई।
🇮🇳 बालकृष्ण को भी पुलिस ने पकड़ लिया उन पर मुक़दमा चला और 12 मई 1899 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
🇮🇳 दामोदर हरि चापेकर (25 जून 1869 - 18 अप्रैल 1898),
🇮🇳 बालकृष्ण हरि चापेकर (1873 - 12 मई 1899, जिन्हें बापुराव भी कहा जाता है) और
🇮🇳 वासुदेव हरि चापेकर (1880 - 8 मई 1899), जिन्हें वासुदेव भी कहा जाता है |
🇮🇳 चापेकर बंधुओ और क्रांतिकारी महादेव विनायक रानाडे को देश के लिए बलिदान देने पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन !
चन्द्र कांत (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
आपने यंहा तक पड़ा इसके लिए आपका आभार |
ये सभी जानकारी अलग अलग स्त्रोत्रों से ली गई है |
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