First Freedom Fighter | Uyyalawada Narasimha Reddy प्रथम_स्वतंत्रता सेनानी | उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी | Born- November 24, 1806; Death- February 22, 1847
#प्रथम_स्वतंत्रता सेनानी | उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी | जन्म- 24 नवंबर, 1806; मृत्यु- 22 फ़रवरी, 1847
🇮🇳 उन्हें सार्वजनिक रूप से जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुर्नूल में सुबह 7 बजे, सोमवार, 22 फ़रवरी, 1847 को फाँसी दी गई। उनकी फाँसी को देखने के लिए करीब दो हजार लोग उपस्थित थे। 🇮🇳
🇮🇳 #कोइलकुंतला #Koilkuntla में उनके पकड़े जाने के बाद उन्हें बुरी तरह से पीटा गया, उनको मोटी-मोटी जंजीरों से बाँधा गया था और कोइलकुंतला की सड़कों पर खून से सने हुए कपड़े में ले जाया गया ताकि किसी अन्य व्यक्ति को #ब्रिटिश के खिलाफ #विद्रोह करने की हिम्मत ना हो सके। 🇮🇳
🇮🇳 नरसिम्हा रेड्डी का जन्म 24 नवंबर, 1806 में #उय्यालवडा, जिला #कुर्नूल, #आंध्र_प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनके दादा का नाम #जयारामी_रेड्डी, पिता का नाम #उय्यलावडा_पेडडामल्ला_रेड्डी था। नरसिम्हा रेड्डी सेना में गवर्नर थे। #कदपा, #अनंतपुर, #बेल्लारी और #कुर्नूल जैसे 66 गाँवों की कमान उनके हाथ में रहती थी। वह 2000 की सेना को नियंत्रित किया करते थे।
🇮🇳उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी पहले #देशभक्त थे, जिन्होंने #ब्रिटिश_शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। नरसिम्हा रेड्डी ने वर्ष 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया। उन्हें #अल्लागड्डा क्षेत्र से अपने दादा से कर वसूलने की जिम्मेदारी मिली थी। किसानों पर अंग्रेज़ों के जुल्म बढ़ते जा रहे थे। इन्हीं जुल्मों और अत्याचारों के विरुद्ध नरसिम्हा रेड्डी उठ खड़े हुए थे।
🇮🇳 नरसिम्हा रेड्डी का जन्म 24 नवंबर, 1806 में #उय्यालवडा, जिला #कुर्नूल, #आंध्र_प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनके दादा का नाम #जयारामी_रेड्डी, पिता का नाम #उय्यलावडा_पेडडामल्ला_रेड्डी था। नरसिम्हा रेड्डी सेना में गवर्नर थे। #कदपा, #अनंतपुर, #बेल्लारी और #कुर्नूल जैसे 66 गाँवों की कमान उनके हाथ में रहती थी। वह 2000 की सेना को नियंत्रित किया करते थे।
🇮🇳 रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार करने के बाद नरसिम्हा रेड्डी ने अंग्रेजों के साथ इस क्षेत्र की आय को साझा करने से इनकार कर दिया था। वह एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे। वह युद्ध में गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल किया करते थे। 10 जून, 1846 को उन्होंने #कोइलकुंटला में खजाने पर हमला किया और #कंबम (जिला प्रकाशम्) की तरफ प्रस्थान किया। उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मारकर विद्रोह किया। जिला कलेक्टर ने विद्रोह को बड़ी गंभीरता से लिया और कैप्टन नॉट और वाटसन को नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने का आदेश दिया। वह अपने प्रयास में असफल रहे।
🇮🇳 ब्रिटिश सरकार ने नरसिम्हा रेड्डी की सूचना देने वाले को 5000 रुपये और उनके सिर के लिए 10000 रुपये देने की घोषणा की, जो उन दिनों में एक बड़ी रकम थी। 23 जुलाई, 1846 को नरसिम्हा रेड्डी ने अपनी सेना के साथ #गिद्दलूर में ब्रिटिश सेना के ऊपर आक्रमण कर दिया और उन्हें हरा दिया। नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने के लिए ब्रिटिश सेना ने उनके परिवार को कदपा में बन्दी बना लिया। अपने परिवार को मुक्त करने के प्रयास में वह #नल्लामला वन चले गए। जब अंग्रेजों को पता लगा कि वह नल्लामला वन में छिपे हैं, तब अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियों को और ज्यादा मजबूत कर दिया, जिसके बाद नरसिम्हा रेड्डी #कोइलकुंतला क्षेत्र में वापस आ गए और गाँव #रामबाधुनीपल्ले के पास #जगन्नाथ_कोंडा में मौके का इंतजार करने लगे।
🇮🇳 ब्रिटिश अधिकारियों को उनके कोइलकुंतला के ठिकाने की जानकारी मिली, जिसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने वह क्षेत्र रातों-रात घेर लिया। 6 अक्टूबर, 1846 को आधी रात के समय उन्हें गिरफ़्तार करके बन्दी बना लिया गया। कोइलकुंतला में उनके पकड़े जाने के बाद उन्हें बुरी तरह से पीटा गया, उनको मोटी-मोटी जंजीरों से बाँधा गया था और कोइलकुंतला की सड़कों पर खून से सने हुए कपड़े में ले जाया गया ताकि किसी अन्य व्यक्ति को ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह करने की हिम्मत ना हो सके।
🇮🇳 नरसिम्हा रेड्डी के साथ विद्रोह करने लिए 901 लोगों पर भी आरोप लगाया गया। बाद में उनमें से 412 लोगों को बरी कर दिया गया और 273 लोगों को जमानत पर रिहा किया गया। 112 लोगों को दोषी ठहराया गया। उन्हें 5 से 14 साल के लिए कारावास की सजा सुनाई गई। कुछ को तो #अंडमान द्वीप समूह की एक जेल में भेज दिया गया। नरसिम्हा रेड्डी पर हत्या और राजद्रोह करने का आरोप लगाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। छ: सप्ताह बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से #जुर्रेती बैंक,#Jurreti_Bank #कोइलकुंटला,#Koilkuntla जिला #कुर्नूल #District_Kurnool में सुबह 7 बजे, सोमवार, 22 फ़रवरी, 1847 को फाँसी दी गई। उनकी फाँसी को देखने के लिए करीब दो हजार लोग उपस्थित थे। #District_Kurnool
🇮🇳 नरसिम्हा रेड्डी द्वारा बनाए गए किले आज भी उय्यलावडा, रूपनगुड़ी, वेल्ड्रथी और गिद्दलुर जैसे स्थानों पर मौजूद हैं। प्रथम स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवडा नरसिम्हा रेड्डी की 170वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए 22 फ़रवरी, 2017 को उय्यालवडा में एक विशेष आवरण जारी किया गया था।
साभार: bharatdiscovery.org
🇮🇳 वर्ष 1847 में आंध्र प्रदेश के किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठा कर ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह करने वाले भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी देशभक्त #उय्यलावडा_नरसिम्हा_रेड्डी जी को उनके #बलिदान_दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि !
🇮🇳💐🙏
#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व
#आजादी_का_अमृतकाल
साभार: चन्द्र कांत (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
#Jurreti_Bank #Koilkuntla #District_Kurnool #आजादी_का_अमृतकाल #Uyyalawada_Narasimha_Reddy #22February #First_Freedom_Fighter #independence #movement #देशभक्त
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें