22 फ़रवरी 2024

Swami Shraddhanand ji | अमर बलिदानी स्वामी श्रद्धानंद जी | 22 फ़रवरी, 1856 - 23 दिसम्बर, 1926

 



🇮🇳🔶 अपने #धर्म, #संस्कृति और #देश के लिए दिया था स्वामी श्रद्धानंद जी ने बलिदान 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 भारत में अनेक दिव्य पुरुषों ने जन्म लिया। किसी ने धर्म के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग किया, किसी ने देश के लिए, किसी ने जाति के लिए अपना जीवन लगा दिया परंतु #देश, #धर्म, #संस्कृति, #सभ्यता, #राष्ट्रीय, #शिक्षा आदि समग्र क्षेत्रों में संतुलित एवं सर्वाग्रणी किसी का स्वरूप है तो वह अमर बलिदानी स्वामी श्रद्धानंद जी का है। वह धार्मिक नेता थे और राष्ट्र नेता भी। वह सामाजिक नेता भी थे और आध्यात्मिक नेता भी।

स्वामी श्रद्धानन्द (अंग्रेज़ी: Swami Shraddhanand; जन्म- 22 फ़रवरी, 1856, जालंधर, पंजाब; मृत्यु- 23 दिसम्बर, 1926, दिल्ली) को भारत के प्रसिद्ध महापुरुषों में गिना जाता है। वे ऐसे महान् राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था।

🇮🇳🔶 22 फरवरी 1856 को जन्मे स्वामी श्रद्धानंद ने शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जिस #गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को स्थापित किया था उससे पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली का खोखलापन प्रकट हो गया था और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को जन्म दिया था। स्वामी श्रद्धानंद जी एक पूर्ण नेता थे। सम्पूर्ण क्रांति के प्रतीक थे। वीरता, अदम्य उत्साह, बलिदान उनके रोम-रोम में व्याप्त थे। निर्भयता की भावना, वाणी में अपूर्व ओज, दीन दुखियों के प्रति दया की भावना स्वामी श्रद्धानंद में सदा दृष्टिगोचर होती थी।

🇮🇳🔶 स्वामी श्रद्धानंद जी ने ब्रिटिश शासन काल में दिल्ली के चाँदनी चौक में क्रूर अंग्रेजी शासक के सैनिकों की संगीनों के सामने अपनी छाती तान कर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने आपको बलि के रूप में प्रस्तुत करके देश के प्रति जनता में बलिदान करने की भावना जागृत की। साहस एवं निर्भीकता का ऐसा उदाहरण अपूर्व था। 

🇮🇳🔶 स्वामी श्रद्धानंद जी महात्मा थे, ऋषि थे, तपस्वी थे और योगी थे। उन्होंने देश का भविष्य देखा। तत्कालीन नेताओं की तुष्टीकरण की नीति और ब्रिटिश शासन की कूटनीति को अंतर्दृष्टि से देखा। भारत की राष्ट्रीयता का भविष्य खंडित प्रतीत हुआ तो भारत में एक राष्ट्रीयता के संगठन के लिए एक जाति, एक धर्म, एक भाषा के प्रचार के लिए शुद्धि आंदोलन एवं शुद्धि का कार्य प्रारंभ किया। 

🇮🇳🔶 भारत की राष्ट्रीय भावना की रक्षा के लिए महर्षि स्वामी दयानंद जी ने एक धर्म, एक भाषा, एक जाति, ऊंच-नीच भाव, गरीब-अमीर भेद शून्य समभाव की जो महती रूपरेखा प्रसारित की थी उसी को विशेष रूप से स्वामी श्रद्धानंद जी ने शुद्धि कार्य के द्वारा क्रियान्वित किया था। स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान शुद्धि कार्य के कारण हुआ। यह राष्ट्र कार्य के लिए बलिदान था और धर्म कार्य के लिए भी था। अत: यह बलिदान इतिहास में अपूर्व था। 

🇮🇳🔶 स्वामी श्रद्धानंद जी ने राष्ट्रीयता के निर्माण के लिए  स्वधर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राचीन इतिहास की रक्षा एवं प्रचार के लिए भारतीयों को सच्चे अर्थों में भारतीय बनाने के लिए तथा जन्म जातिगत भेदभाव गरीब और अमीर का भेदभाव मिटाकर सबको समान स्तर पर लाने के लिए जिस आदर्श गुरुकुल को जन्म दिया था, उसने मैकाले की शिक्षा पद्धति का प्रखरता से बिना शासन से सहायता लिए प्रबल सामना किया।

🇮🇳🔶 हर वर्ष 23 दिसम्बर आर्य जगत को उस महान बलिदानी स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज का बलिदान स्मरण करवाता है जिसने अपने धर्म, संस्कृति और देश के लिए अपना बलिदान दिया था। स्वामी श्रद्धानंद जी ने देश, धर्म और जाति के लिए अपना बलिदान दिया था। उन्होंने अपने हित को त्याग कर राष्ट्रहित को अपनाया। मुंशी राम से महात्मा मुंशीराम और महात्मा मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानंद तक का उनका सफर बहुत ही प्रेरणादायक है।

साभार: punjabkesari.in

🇮🇳 स्वराज, शिक्षा और वैदिक धर्म के निमित्त अपने प्राणों की आहुति देने वाले, आर्य समाज के प्रख्यात संत श्रद्धेय #स्वामी_श्रद्धानंद जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

#Swami Shraddhanand ji #आजादी_का_अमृतकाल  #22February  #independence #movement #देशभक्त

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dark Oxygen | Deep Sea Ecosystems | Polymetallic Nodules

  Dark Oxygen | Deep Sea Ecosystems | Polymetallic Nodules वैज्ञानिकों ने उस बहुधात्विक पिंड की खोज की है गहरे समुद्र का तल पूर्ण रूप से ऑक्...