Mukund Das (22 February, 1878-18 May, 1934) Bengali Language Poet, Lyricist, Musician and Patriot.
🇮🇳 मुकुन्द दास ने अपनी उत्कृष्ट कृति #मातृपूजा #Matripuja की रचना की। उनके नाटक का प्राथमिक विषय देशभक्ति और #स्वतंत्रता_आंदोलन था। स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य भारतमाता को #ब्रिटिश साम्राज्यवाद के जुए से मुक्त कराना था। 🇮🇳
🇮🇳 मुकुन्द दास (जन्म- 22 फ़रवरी, 1878; मृत्यु- 18 मई, 1934) भारतीय बांग्ला भाषा के #कवि, #गीतकार, #संगीतकार और #देशभक्त थे। उन्होने ग्रामीण स्वदेशी आंदोलन के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
#Mukunda_Das (#Bengali: মুকুন্দদাস; #22_February 1878 – 18 May 1934) was a #Bengali #poet, #ballad #singer, #composer and #patriot, who contributed to the spread of #Swadeshi #movement in #rural #Bengal
🇮🇳 सन 1905 में #अश्विनी_कुमार_दत्त ने #बंगाल के प्रस्तावित विभाजन के खिलाफ #बारीसाल टाउन हॉल में एक प्रेरक भाषण दिया था। संदेश को दूर-दूर तक फैलाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कामना की कि नाटकों और नाटकों के माध्यम से नेताओं के संदेश को गाँवों तक पहुँचाया जा सके। तब मुकुन्द दास अश्विनी कुमार दत्त के भाषण से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने महान देशभक्त की इच्छा को पूरा करने का संकल्प लिया।
🇮🇳 तीन महीने के भीतर मुकुन्द दास ने अपनी उत्कृष्ट कृति 'मातृपूजा' की रचना की। उनके नाटक का प्राथमिक विषय देशभक्ति और स्वतंत्रता आंदोलन था। स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य #भारतमाता को ब्रिटिश साम्राज्यवाद के जुए से मुक्त कराना था।
🇮🇳 भारतमाता के बच्चों ने आजादी पाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने बंगाल के गाँवों में नाटकों का मंचन करने के लिए एक स्वदेशी थिएटर समूह बनाया।
🇮🇳 सन 1906 में मुकुन्द दास ने बारीसाल के विभिन्न स्थानों पर अपने नाटकों का मंचन किया और फिर #नोआखली और #त्रिपुरा की यात्रा की और मानसून से पहले बारीसाल लौट आए।
🇮🇳 जून 1906 में उन्होंने बारीसाल में स्वदेशी उत्सव में अपने नाटक का मंचन किया, जहाँ उनके नाटक की राष्ट्रीय नेतृत्व ने बहुत प्रशंसा की।
🇮🇳 अक्टूबर में उन्होंने अपने समूह के साथ #फरीदपुर जिले के #मदारीपुर की यात्रा की और वहाँ से कई स्थानों पर। अंततः अप्रैल 1907 में बारीसाल लौट आए।
🇮🇳 16 अप्रैल को उन्होंने राय बहादुर के महल में नाटक का मंचन किया।
🇮🇳 दो साल की दौड़ के बाद 'मातृपूजा' बंगाल की जनता की देशभक्ति की भावनाओं को जगाने में सफल रही। नाटक को प्रेस द्वारा और अधिक लोकप्रिय बनाया गया।
🇮🇳 #बंदे_मातरम, #युगान्तर, #संध्या, #नवशक्ति, #प्रबासी और #आधुनिक_समीक्षा, उनमें से प्रत्येक ने नाटक को लोकप्रिय बनाने में भूमिका निभाई।
🇮🇳 सन 1908 में मुकुन्द दास ने #खुलना जिले में कुछ स्थानों पर, फिर छोटे-छोटे #बंगाल में नाटक का मंचन किया, लेकिन जब उन्होंने #बागेरहाट में नाटक का मंचन करने की कोशिश की तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया।
🇮🇳 अक्टूबर 1908 में नाटक ने चौथे सीज़न में कदम रखा। 1908 में मुकुन्द दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया और तीन साल के लिए जेल में डाल दिया गया।
🇮🇳 1921 में #मोहनदास_गाँधी ने #असहयोग_आंदोलन का आह्वान किया। मुकुन्द दास नाटक के अपने सिद्ध प्रदर्शनों की सूची के साथ आंदोलन में शामिल हुए।
🇮🇳 1923 के आसपास आंदोलन को बंद कर दिया गया और मुकुन्द दास #कोलकाता में अपने समूह के साथ बस गए। उस समय सरकार ने 'मातृपूजा' पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंधित होने से बचने के लिए उन्होंने सामाजिक नाटकों की रचना करना शुरू कर दिया।
🇮🇳 1932 में सरकार ने उनके सभी नाटकों पर प्रतिबंध लगा दिया।
साभार: bharatdiscovery.org
🇮🇳 भारतीय #बांग्ला भाषा के #कवि, #गीतकार, #संगीतकार और #देशभक्त #मुकुन्द_दास जी (जन्म- 22 फ़रवरी, 1878; मृत्यु- 18 मई, 1934) को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि !
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#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व 🇮🇳💐🙏
🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳
#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व 🇮🇳🌹🙏
साभार: चन्द्र कांत (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
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