10 फ़रवरी 2024

क्रांतिकारी डॉ. गयाप्रसाद कटियार (Freedom Fighter Dr. Gaya Prasad Katiyar ) (20 जून 1900 -10 फरवरी 1993)

 



क्रांतिकारी डॉ. गयाप्रसाद कटियार (Freedom Fighter Dr. Gaya Prasad Katiyar ) (20 जून 1900 -10 फरवरी 1993) भारत के प्रखर क्रांतिकारी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर की बिल्हौर तहसील के खजुरी ख़ुर्द गाँव में 20 जून सन् 1900 को हुआ था। 

डॉ. गया प्रसाद कटियार के दादा #महादीन_कटियार ने 1857 की क्रांति में हिस्सा लिया था। दादा की कहानियां सुनकर डॉ. गयाप्रसाद के अंदर भी अंग्रेजों के प्रति नफरत भर गई थी।

 उन्होंने 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लिया लेकिन बाद में गणेशशंकर विद्यार्थी के संपर्क में आये जिनके अख़बार 'प्रताप' में भगत सिंह भी छिपकर काम करते थे | इसके साथ ही वे  हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन (H.S.R.A.) में सम्मिलित हो गये। 

इस प्रकार वे चन्द्रशेखर आजाद और सरदार भगत सिंह आदि देश के शीर्षस्थ क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आ गये | 

🇮🇳 शहीद-ए-आजम भगत सिंह और #बटुकेश्वर_दत्त ने भरी असेंबली में बम फेंक कर अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं उन्हें ये बम अपने क्रांतिकारी साथी डॉ. गया प्रसाद कटियार की देखरेख में बनाए थे।

🇮🇳 #लाला_लाजपत_राय की हत्या के जिम्मेदार अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स  वध की योजना, सिक्ख भगतसिंह के केश व दाढी काटने, H.S.R.A. के गुप्त केंद्रीय कार्यालयों का संचालन करने सहित दिल्ली की पार्लियामेंट में फेंके गए बम निर्माण आदि कार्यों में अपना सक्रिय रुप से योगदान देते हुए अंततः 15 मई 1929 को सहारनपुर बम फैक्ट्री का संचालन करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। और उन्हें देश के सुप्रसिद्ध लाहौर षड्यंत्र केस में दिनांक 7 अकटूबर 1930 को आजीवन कारावास की सजा दी गई | 

लाहौर की जेल में उन्होंने अन्य बन्दियों के साथ 63 दिन की भूख हड़ताल की। बाद में उन्हें अण्डमान की सेल्यूलर जेल [ काला पानी ] ले जाया गया। वहाँ भी उन्होने 46 दिन भूख हड़ताल की। अन्तत: लगातार 17 वर्षों के लंबे जेल जीवन में कई अमानवीय यातनाओं को सहने के बाद वे बिना शर्त जेल से  21 फरवरी 1946 को रिहा किए गए। स्वतंत्र भारत में भी उन्हें शोषित-पीड़ित जनता के लिए संघर्षरत होने के कारण 2 वर्षों तक जेल में रहना पड़ा| 

10 फरवरी 1993 को वे इस दुनिया से विदा हो गए।

उनकी याद में केंद्र सरकार ने 26 अप्रैल 2016 को पाँच रुपये का डाक टिकट भी जारी किया था।

🇮🇳 पराधीन भारत में #कालेपानी की सज़ा सहित कुल 17 वर्ष क़ैद तथा स्वाधीन भारत में 2 वर्ष का जेल जीवन व्यतीत करने वाले, क्रांतिकारी भगत सिंह जी एवं महावीर सिंह राठौर जी के क्रांतिकारी साथी #डॉ_गया_प्रसाद_कटियार जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व  #आजादी_का_अमृतकाल #स्वतंत्रता सेनानी #क्रांतिकारी #Freedom_Fighter #Dr_Gaya_Prasad_Katiyar 


गैरों को सम्मान केवल मोदी जैसा राजनेता (Statesman) ही दे सकता है | Bharat Ratna | PM Modi |

 



कांग्रेस ने जिन अपनों को गैर” बनाया, उन्हें मोदी ने “अपनाया” 

जो जन्म से भारतीय नहीं,  वो मोदी की जन्म की जाति बता रहा 


पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को आज भारत रत्न दे कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि वह सही मायने में आज की राजनीति में सच्चे राजनेता (Statesman) हैं क्योंकि एक सच्चा राजनेता ही “गैरों” को सम्मान दे सकता है खासकर उन्हें जिन्हें कांग्रेस ने अपना होते हुए भी “गैर” बना दिया |


वर्ष 2019 में नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुख़र्जी को भारत रत्न दिया था और यह सबको पता है कांग्रेस प्रणब दा को कुछ खास पसंद नहीं करती थी - ऐसा उनकी बेटी की किताब में भी उजागर हुआ है, अपना पूरा जीवन कांग्रेस को देने वाले प्रणब मुख़र्जी को सही सम्मान देने का काम किया नरेंद्र मोदी ने |


डॉ आंबेडकर को कांग्रेस ने 1956 में मृत्यु के बाद भारत रत्न देने की जरूरत नहीं समझी और यह वी पी सिंह सरकार के समय में 1990 में दिया गया सरदार पटेल को 1950 में उनकी मृत्यु के बाद नरसिम्हा राव सरकार ने 1991 में भारत रत्न राजीव गांधी के साथ दिया जो शायद सोनिया गांधी को पसंद नहीं आया था और इसी वजह से राव को कभी कांग्रेस ने सम्मान नहीं दिया |


आज उसी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का काम नरेंद्र मोदी ने किया है जिसके राजनीतिक मायने अलग हो सकते हैं - आंध्र प्रदेश तेलंगाना और दक्षिण के अन्य राज्यों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है लेकिन कांग्रेस द्वारा अपमानित नेता को सम्मान देने का काम मोदी ने किया है |


इसी तरह चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर कांग्रेस को याद कराया गया है कि किसी तरह उन्हें धोखा देकर कर उनकी सरकार गिराने का काम किया गया था कांग्रेस ने - चरण सिंह को सम्मान देकर कई राज्यों में जाट समुदाय को साधने में मदद मिलेगी |


सबसे बड़ी बात तो यह देखने को मिली कि मोदी सरकार ने Dr. MS. Swaminathan जैसे महान वैज्ञानिक की सेवाओं को सम्मान दिया है - हरित क्रांति के जनक और किसानों के कल्याण के काम करने वाले स्वामीनाथन जी को सम्मान सराहनीय कदम है - हो सकता है तमिलनाडु की जनता इस फैसले से कुछ हद तक खुश हो |


कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर पिछड़े और गरीब वर्ग के साथ देने का प्रयास किया था, अलबत्ता कुछ लोगों को आडवाणी जी को भारत रत्न देना रास नहीं आया था लेकिन वह उनके द्वारा देश में सांस्कृतिक उत्थान को जाग्रत करने के लिए जरूरी था |


कल ही प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा था कि लोकतंत्र के प्रति मनमोहन सिंह की प्रतिबद्धता और निष्ठा प्रेरणादायी है और कहा कि देश में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी, तब लोकतंत्र में उनके योगदान को याद किया जाएगा |


मोदी तीर कहां चलाते हैं और निशाना कहां होता है यह बाद में पता चलता है -  मोदी उनके कार्यकाल में हुए कामों की भी सराहना कर रहे हों, यह जरूरी नहीं, क्योंकि उसी दिन मोदी सरकार कांग्रेस के कामकाज पर “श्वेत पत्र” लेकर आई थी - खड़गे जी, इसलिए इस ग़लतफ़हमी में न रहें कि मोदी जी मनमोहन सिंह के समय के घोटालों और आर्थिक कुप्रबन्धन की भी तारीफ कर रहे हैं |

मजे की बात तो यह है कि कांग्रेस का युवराज जो खुद जन्म से भारतीय नहीं है वह ढोल पीट रहा है कि मोदी जन्म से OBC नहीं हैं - राहुल गांधी को पता होना चाहिए कि वो दोनों भाई बहन जन्म के समय इटालियन नागरिक सोनिया गांधी के बच्चे थे जिन्हें जन्म से भारतीय नहीं माना जा सकता |


आज के हालात ऐसे हो गए कि नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और उसके “इंडी” ठगबंधन को कहीं का नहीं छोड़ा - बड़े बड़े चाणक्य फेल कर दिए |


सुभाष चन्द्र  | Subhash Chandra  |  “मैं वंशज श्री राम का”  |  09/02/2024

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09 फ़रवरी 2024

चापेकर बंधु स्वतंत्रता सेनानी | Chhapekar Brothers Freedom Fighters



#चापेकर बंधु भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। 

🇮🇳 #चापेकर बंधु  महाराष्ट्र के पुणे के पास चिंचवड़ नामक गाँव के निवासी थे। दामोदर पंत चापेकर उनके दो छोटे भाई क्रमशः बालकृष्ण चापेकर एवं वसुदेव चापेकर थे।उनके पिता प्रसिद्ध कीर्तनकार #हरिपंत_चापेकर थे वे अनेक स्थानों पर जाकर कीर्तन एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। 

# चापेकर बंधुओ ने  प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।

1896 में प्लेग की खतरनाक  बीमारी ने पुरे पुणे को अपनी चपेट में ले लिया था और 1897 की शुरुआत तक, यह बीमारी बहुत ही गंभीर रूप से फैल गई । अकेले फरवरी 1897 में, प्लेग के कारण वहां पर लगभग 657 मौतें हुईं। शहर की लगभग आधी आबादी शहर को छोड़ कर जा चुकी थी | 

अंग्रेज सरकार ने इस बीमारी और इसके खतरे से निपटने के लिए उस वर्ष मार्च में एक विशेष प्लेग समिति की स्थापना की। जिसका अध्यक्ष  वाल्टर चार्ल्स रैंड  उस वक्त के भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) अधिकारी को बनाया गया था ।

सरकार ने आदेश दिए थे  की  निरीक्षण और उपाय करते समय लोगों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए और लोगों को इस कार्य के सम्बन्ध में समुचित जानकारी और इस बीमारी से बचने और सावधानी के लिए  सूचित किया जाना चाहिए।

लेकिन वाल्टर चार्ल्स रैंड की  प्लेग समिति  ने उपायों को लागू करने  में कई अनियमितता की  बीमारी से निपटने लिए कई अधिकारियों और सैनिकों को  भी ड्यूटी पर नियुक्त कर दिया।

इन लोगो ने उपायों के नाम पर  घरों में जबरदस्ती प्रवेश किया, महिलाओं सहित वहां रहने वालों की जांच की , उन्हें अलग अलग शिविरों में जबरदस्ती ले जाना और प्लेग से प्रभावित लोगों को पुणे छोड़ने या प्रवेश करने पर प्रतिबंद लगा दिया था ।

उस समय की जानकारी के अनुसार महामारी को नियंत्रित करने के नाम पर अधिकारियों और सैनिकों ने धार्मिक और निजी संपत्ति की बर्बरता से लूटपाट भी की | 

लोगों को अंतिम संस्कार करने की अनुमति भी नहीं दी गई  मृतकों का अंतिम संस्कार सरकार द्वारा विशेष आधार पर किया जाना था।

जिन लोगों ने इन नियमों को तोड़ा या इसका विरोध किया तो  उनके साथ बर्बरता  की गई  और उन पर आपराधिक कार्यवाही की गई।

गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा की मझे विश्वसनीय लोगो से पता चला है  कि बीमारी को नियंत्रित करने के नाम पर  पुरे शहर को  ब्रिटिश सैनिकों  के हवाले कर दिया गया है सैनिकों द्वारा महिलाओं के साथ बलात्कार किया और लूटपाट  भी की गई है । 

वाल्टर चार्ल्स रैंड ने इस बात से इनकार कर दिया कि सैनिकों द्वारा महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का कोई मामला सामने नहीं आया है।

बाल गंगाधर तिलक ने चिंता जताई की अंग्रजी हुकूमत को  भारत के लोगों पर अत्याचार करने के आदेश जारी नहीं करने चाहिए थे।

महामारी से निपटने में ब्रिटिश अधिकारियों  और सैनिकों की मनमानी के कारण लोगों में बहुत निराशा और सरकार विरोधी भावनाएँ पैदा हुईं।

चापेकर बंधु इन घटनाओं से बहुत दुखी थे वे अंग्रजो से इसका बदला लेना चाहते थे  चापेकर बंधुओं दामोदर हरि, बालकृष्ण हरि और वासुदेव हरि ने वाल्टर चार्ल्स रैंड की हत्या करने की योजना बनाई, इसमें क्रांतिकारी महादेव विनायक रानाडे भी सहयोगी थे।

🇮🇳  22 जून 1897 ई.  को पुणे, महाराष्ट्र में में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर आयोजन स्थल के पास गणेशखिंड रोड पर बालकृष्ण हरि तथा दामोदर हरि चापेकर बंधू    रैंड की गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। गवर्नमेंट हाउस  समारोह से लौटते समय बालकृष्ण ने रैंड पर गोली चलाकर उसे घायल कर दिया और  रैंड के सैन्य अनुरक्षण लेफ्टिनेंट आयर्स्ट को भी गोली मार दी । आयर्स्ट की मौके पर ही मौत हो गई | रैंड को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 3 जुलाई को उसकी मौत हुई ।  

🇮🇳 पुलिस मुखबिर द्रविड़ बंधुओं की सूचना के बाद दामोदर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सैनिकों द्वारा पवित्र स्थानों को प्रदूषित करने और मूर्तियों के अपमान का बदला लेना चाहते थे। उन पर मुकदमा चला और 18 अप्रैल 1898 को  उन्हें फाँसी दे दी गई।

🇮🇳 तीसरे भाई वासुदेव और उनके सहयोगी  खंडो विष्णु साठे और महादेव विनायक रानाडे ने पुलिस मुखबिर करने वाले द्रविड़ बंधुओं की हत्या कर दी थी ।वासुदेव को 8 मई 1899 को फाँसी दे दी गई। महादेव विनायक रानाडे को 10 मई को फाँसी दे दी गई | साठे और एक स्कूली छात्र जो सहयोगी थे उनको 10 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई।

🇮🇳 बालकृष्ण को भी पुलिस ने पकड़ लिया उन पर मुक़दमा चला और  12 मई 1899 को उन्हें फाँसी दे दी गई।

🇮🇳 चापेकर बंधु ,

 🇮🇳 दामोदर हरि चापेकर (25 जून 1869 - 18 अप्रैल 1898), 

🇮🇳 बालकृष्ण हरि चापेकर (1873 - 12 मई 1899, जिन्हें बापुराव भी कहा जाता है) और 

🇮🇳 वासुदेव हरि चापेकर (1880 - 8 मई 1899), जिन्हें वासुदेव भी कहा जाता है | 

🇮🇳 चापेकर बंधुओ  और क्रांतिकारी महादेव विनायक रानाडे को देश के लिए बलिदान देने पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन !

चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

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#स्वतंत्रता सेनानी #क्रांतिकारी #damodar_hari_chapekar #Balakrishna_Hari_Chapekar #vasudev_hari_chapekar #Mahadev_Vinayak_Ranade!

07 फ़रवरी 2024

मणिकर्णिका घाट बनारस Manikarnika Ghat Banaras

मुझे नहीं पता कि तुम किस शहर में रहते हो, किसी दिन बैग में एक-काद कपड़े रख के निकल पड़ो बनारस : एक पवित्र नगर
कहतें हैं कि मुम्बई मायानगरी है जहाँ छोटे-छोटे इंसानों के बड़े बड़े सपने पूरे हुए हैं!
ये वो जगह है जहाँ पर इंसान बड़े से बड़े सपने को जलते हुए, मिट्टी में खाक होते हुए देखता है...
एक चद्दर रख लेना साथ में या फिर बनारस सिटी स्टेशन के बाहर से 10 रुपये में बिकने वाली पन्नी ले लेना और पहुँच पड़ना सीधे मणिकर्णिका।



ये वो जगह है जहां इंसानी लाशों के जलते हुए उजाले में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई दिखाई देती है।
एक रात के लिए भूल जाना कि तुम्हारे क्रेडिट कार्ड के लिमिट कितनी है, तुम्हारे डेबिट कार्ड में कितने पैसे पड़े हैं जिन्हें तुम अभी निकाल के 5 स्टार होटल बुक कर सकते हो, भूल जाना अपने पैरों में पड़े हुए जूते की कीमत या कलाई में टिक-टिक करती हुई घड़ी की कीमत और पन्नी बिछाकर बैठ जाना एक कोने में और देखना चुप चाप वहाँ का तमाशा। तुम्हें सिर्फ और सिर्फ सच दिखाई देगा। तुम देखोगे की कैसे वो लोग जिन्होनें अपनी जिंदगी सब कुछ भूलकर अपने सपनों को पूरा करने में बिता दी कैसे यहाँ औंधे मुँह पड़े हैं। वो लोग जो जिनके पास कभी समय नही रहा लोगों के लिए उन्हें कैसे लोग जलते हुए ही छोड़ कर चला जाया करते हैं, वो लोग जिन्होंने अपने ईगो में आकर किसी के सामने झुकना नहीं स्वीकारा वो कैसे अभी गिरे हुए हैं, और इस कदर गिरे हुए हैं कि बिना चार लोगों के उन्हें उठाया भी नही जा सकता।
वो लोग जिन्हें गुमान था अपने हुस्न अपनी हर एक चीज़ पर आज कैसे कुछ घंटों के बाद उनका यहाँ कुछ भी अपना नहीं रहेगा।
हमेशा हमेशा के लिए, वो लोग जिन्होंने ठोकर मार दी उनको जिन्होंने उन्हें सबसे ज्यादा चाहा और आज उनके पास कोई आखिरी लौ बुझने तक साथ बैठने वाला तक नहीं , वो लोग जिन्होनें पहनी महंगी घड़ियाँ पर आज पता चला कि समय क्या है, वो लोग जिन्होंने पूरी जिंदगी दूसरों को दुःख दिया उनकी आवाज आज उनकी चटकती हड्डियों से कैसे निकल रही हैं, तुम देखोगे की यहाँ जो हो रहा है वही सच है बाकी सब झूठ
तो सुनो न यार!
कभी भी किसी को दुःख मत दो!
हाँ पता है कि दुनिया के सबको खुश नही रखा जा सकता पर हर कोई आपसे दुखी भी नही हो सकता, अभी मैं कुछ भी कर दूँ, कितना भी बुरा उससे दुनिया के बड़े-बड़े सेलेब्रिटी को कोई फर्क पड़ने वाला है क्या?
नही!
तो वही तुमसे दुःखी होगा जो तुमसे प्यार करता हो, जो तुमसे जुड़ा हुआ है, तो अगर तुम किसी को खुशी नही दे सकते तो पहले ही बोल दो और उसे भी उन्ही बाकी के सेलिब्रिटी वाले कैटेगरी में डाल दो, वरना एक बार जुड़ जाने के बाद कभी भी किसी को मत रुलाओ अपनी वजह से, अपनों की वजह से!
पता नहीं किस पिक्चर का डायलॉग है पर सच है ''हमारी दादी" कहती थीं कि कभी किसी की ''आह'' नही लेनी चाहिए'' वरना ये आह चीखती हैं, चिल्लाती हैं, जलती हुई हड्डियों से इसकी आवाज दूर तक शमसान पर गूँजती है! और उस वक्त कोई सुनने वाला नही होता, एक दिन तो इस शरीर को अकड़ ही जाना है तब तक के लिए अपनी अकड़ थोड़ा किनारे रख लो।
बस एक रात की बात है जाओ कभी मणिकर्णिका, सब सीख जाओगे बिना किसी के सिखाए, यकीन करो अगली सुबह अपना बैग, घड़ी, और जूते और शायद खुद को भी साथ लेकर वापस आने का भी मन नही करेगा क्योंकि जलती हुई हड्डियों की चीखें बहुत सन्नाटा भर देंगी तुम्हारे अंदर जो किसी का दर्द, दुःख हँसते हुए ले लेने के लिए काफी रहेगा हमेशा के लिए

05 फ़रवरी 2024

दुबई में हिंदू मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को

 




प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 14 फरवरी को दुबई में हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे विश्व सरकार शिखर सम्मेलन (WGS) को "सम्मानित अतिथि" के रूप में संबोधित करेंगे । यह दूसरी बार है जब पीएम मोदी को शिखर सम्मेलन में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है। पहला शिखर सम्मेलन, 2018 में हुआ था ।


विश्व सरकार शिखर सम्मेलन (WGS) एक वार्षिक वैश्विक सभा है जो वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने और उन्हें संबोधित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विश्व नेताओं, नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और विचारकों को एक साथ लाती है।


12 से 14 फरवरी तक होने वाला यह शिखर सम्मेलन, 2013 से दुबई में एक प्रमुख कार्यक्रम रहा है, जो सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शिक्षाविदों और निजी क्षेत्र के प्रतिभागियों को आकर्षित करता है। 


जनवरी में 10 वें वाइब्रेंट गुजरात संस्करण में मुख्य अतिथि के रूप में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान भी शामिल होने के लिए भारत आये थे ।


यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद ने पीएम मोदी द्वारा शुरू किए गए वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट को आर्थिक विकास और निवेश विशेषज्ञता आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्वीकार किया।


शिखर सम्मेलन में यूएई के राष्ट्रपति का भाषण भारत और भारतीय पीएम मोदी के प्रति उनके उच्च सम्मान को दर्शाता है।


WGS के पिछले सम्मेलनो  में  मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी, जॉर्जिया के प्रधानमंत्री इराकली गैरीबाश्विली, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और खाड़ी सहयोग परिषद, कुवैत, इंडोनेशिया और तुर्की के नेता शामिल हुए हैं। विश्व नेताओं की भागीदारी शिखर सम्मेलन के वैश्विक महत्व को रेखांकित करती है।


दुबई में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन संयुक्त अरब अमीरात की उनकी यात्रा का हिस्सा है, 13 फरवरी को अबू धाबी में मेगा डायस्पोरा कार्यक्रम, Ahlan (Hello)  को भी प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करेंगे।



जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम इस भव्य सभा की मेजबानी करेगा, जिसे 2014 में मैडिसन स्क्वायर गार्डन के बाद से सबसे बड़े प्रवासी समारोह के रूप में जाना जाता है। संयुक्त अरब अमीरात में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासियों का घर है, जो विश्व स्तर पर सबसे बड़े विदेशी भारतीय समुदायों में से एक है।


14 फरवरी को, प्रधान मंत्री मोदी अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के पहले पारंपरिक हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। हिंदू मंदिर संयुक्त अरब अमीरात के समावेशिता और सहिष्णुता के लोकाचार का प्रतीक है। मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने 2015 में दी थी।



भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंध तीन स्तंभों पर टिके हैं: ऊर्जा, संयुक्त अरब अमीरात से अरबों का तेल व्यापार; व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) और द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT), 


3.5 मिलियन भारतीय प्रवासी यूएई को सामाजिक-आर्थिक योगदान दे रहे हैं। 


पीएम मोदी की आगामी यूएई यात्रा 2014 के बाद से उनकी सातवीं यात्रा होगी। इससे पहले, उन्होंने 2023 में दो बार, 2022, 2019, 2018 और 2015 में एक-एक बार यूएई का दौरा किया था।

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The fall of the opposition | विपक्ष का पतन


विपक्ष का पतन: सार्वजनिक भावना और जमीनी स्तर के आंदोलनों की शक्ति को कम आंकना
The fall of the opposition: underestimating the power of public sentiment and grassroots movements.
क्या विपक्ष एक बड़े झटके से उबरेगा और जनता का विश्वास हासिल करेगा?
Will the opposition recover from a major setback and regain public confidence?
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अपने क्रूर, क्षमा न करने वाले इलाके के लिए कुख्यात, कश्मीर घाटी अब चिनाब नदी के पार एक विशाल संरचना का गवाह है - जो भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग कौशल का एक प्रमाण है।

यह विशाल संरचना कोई और नहीं बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब ब्रिज है। 1.3 किलोमीटर तक फैला और 359 मीटर की चौंका देने वाली ऊंचाई पर बना यह पुल आधुनिक इंजीनियरिंग का सच्चा चमत्कार है। इसके निर्माण ने न केवल ऊबड़-खाबड़ परिदृश्य से उत्पन्न विकट चुनौतियों पर काबू पाया है, बल्कि क्षेत्र में परिवहन और कनेक्टिविटी के लिए नई संभावनाएं भी खोली हैं।

जब बुनियादी ढांचे, जैसे इंजीनियरिंग चमत्कार और श्रीनगर और शेष भारत के बीच रेल कनेक्टिविटी की बात आती है, जिसे अब तक असंभव माना जाता था, तो पड़ोसी कश्मीरियों को पीओके में कैसा महसूस होगा? क्या वे सभी नागरिकों को समान विकास के अवसर प्रदान करने में अपनी-अपनी सरकारों के इरादों, क्षमताओं और इरादों पर सवाल नहीं उठाएंगे?

वास्तव में, पीओके के लोग दशकों तक बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित रहे, जिससे उनमें कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं होने के कारण निराशा और उपेक्षा हुई।

आज, पीओके के लोग पिछले तीन वर्षों से भारतीय संघ में विलय और कश्मीरियों और सभी भारतीय नागरिकों के समान अधिकार और अवसर दिए जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

भारत ने, अपनी ओर से, पीओके के लोगों को सफलतापूर्वक लुभाया है और क्षेत्र में विकास और आर्थिक विकास और विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को क्रियान्वित करने का वादा करके उनका विश्वास जीता है।

निस्संदेह, इस तरह की पहल भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के लिए भरपूर चुनावी लाभ लाती है। भारत में आगामी चुनावों ने मौजूदा भाजपा को सत्ता की दौड़ में निर्विवाद नेता के रूप में पहले ही स्थापित कर दिया है।

हालांकि, विपक्ष यहां एक सुनहरा मौका चूक गया।

कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष "पीओके वापस लाओ" चिल्लाकर सत्ता में मौजूद पार्टी भाजपा को रोक सकता था। तब यह लंबे समय से चली आ रही राष्ट्रीय चिंता को संबोधित करने और महत्वपूर्ण सार्वजनिक समर्थन प्राप्त करने का श्रेय ले सकता है।

इसके लिए ठोस संगठनात्मक निर्माण, रणनीतिक योजना और जनता के साथ प्रभावी संचार की आवश्यकता थी। लेकिन विपक्ष ने बढ़ती जनभावना और समय की जरूरत को पहचानने में नाकाम रहकर गड़बड़ कर दी। उन्होंने जमीनी स्तर के आंदोलनों की शक्ति और सोशल मीडिया के प्रभाव को कम करके आंका।

परिणामस्वरूप, उनका अभियान विफल हो गया, और वे तेजी से लोगों का समर्थन खो रहे हैं, जिससे अंततः उनका पतन हो रहा है।

क्या विपक्ष इस झटके से उबरकर जनता का भरोसा दोबारा हासिल कर पाएगा? इसे देखा जाना बाकी है। केवल समय बताएगा।


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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04 फ़रवरी 2024

अशांत समय में नेतृत्व की चुनौतियाँ: तीन मुख्यमंत्रियों की कहानी


भारत में इस समय तीन मुख्यमंत्रियों को उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा है। वे विभिन्न चुनौतियों से निपटने और अपने-अपने राज्यों में स्थिरता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और चंपई सोरेन को निकट भविष्य में कोई राहत नहीं दिख रही है क्योंकि वे अपने प्रशासन को परेशान करने वाले राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को अपनी ही पार्टी के भीतर कड़वे सत्ता संघर्ष में फंसा हुआ पाते हैं। जैसे-जैसे गुटों में टकराव होता है और आंतरिक विभाजन गहराता जाता है, स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने की कुमार की क्षमता में लगातार समझौता होता जाता है।

इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी गिरफ्तारी को टालने और अपनी टीम को एकजुट रखने के कठिन काम से जूझ रहे हैं।

इसी तरह, झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को सदन में बहुमत साबित करने से लेकर हेमंत की गिरफ्तारी से पैदा हुए शून्य को प्रभावी ढंग से भरने तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सोरेन के नेतृत्व कौशल और राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। 
#nitishkumar   #arvindkejriwal #champaisoren #hemantsoren #bjp #congress 

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Makar Sankranti मकर संक्रांति

  #मकर_संक्रांति, #Makar_Sankranti, #Importance_of_Makar_Sankranti मकर संक्रांति' का त्यौहार जनवरी यानि पौष के महीने में मनाया जाता है। ...