🇮🇳#पंडित_गोविंद_बल्लभ_पंत (10 सितंबर 1887 - 7 मार्च 1961) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।
🇮🇳#Pandit_Govind_Ballabh_Pant (10 September 1887 – 7 March 1961) was an Indian #freedom_fighter and the first Chief Minister of Uttar Pradesh.
🇮🇳#उत्तर प्रदेश के प्रथम #मुख्यमंत्री एवं #स्वतंत्रता_सेनानी थे। इनका मुख्यमंत्री कार्यकाल 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1954 तक रहा। बाद में ये भारत के गृहमंत्री भी (1955 -1961) बने।
🇮🇳पं. गोविंद वल्लभ पंत जी का जन्म 10 सितंबर, 1887 को #उत्तराखंड राज्य के #अल्मोडा जिले के खूंटे (धामस) नामक गांव में पं. के घर हुआ था। इनकी माँ का नाम गोविन्दी बाई और पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की।
🇮🇳1905 में उन्होंने अल्मोड़ा छोड़ दिया और इलाहाबाद चले गये।। रामसे कॉलेज से 10वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पंडित ने 12 साल की उम्र में बाल दत्त जोशी की बेटी गंगा से शादी कर ली थी।
उन्होंने आगे की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की जो पंडित जवाहरलाल नेहरू, पं. जवाहरलाल नेहरू जैसी 'भारत की महान हस्तियों' का अद्भुत संगम था। मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू, श्री सतीश चंद्र बनर्जी और सुंदर लाल!'
🇮🇳अध्ययन के साथ-साथ वे #कांग्रेस के #स्वयंसेवक का कार्य भी करते थे। 1907 में बी. ए. और 1 909 में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल की। इसके उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से “#लैम्सडेन अवार्ड” दिया गया।
🇮🇳#पंडित_जवाहरलाल_नेहरू के सान्निध्य में पंडित गोविंद बल्लभ पंत इस तरह प्रभावित हुए कि एक बार काशीपुर में रहते हुए पंत जी धोती कुर्ता और #महात्मा_गांधी टोपी पहनकर कोर्ट में चले गये। ब्रिटिश मजिस्ट्रेट ने उनके ड्रेस-कोड पर आपत्ति जताई, जिसका जवाब पंत जी ने दिया। उस समय पंत जी 500 रूपये प्रति माह कमाते थे!
🇮🇳ब्रिटिश सरकार पंडित पंत से इतनी डरती थी कि स्वतंत्रता आंदोलन के कारण काशीपुर को काली सूची में डाल दिया गया था और पंत जी के कारण 'अंग्रेजी सरकार काशीपुर को 'गोविंद गढ़' के नाम से संबोधित करती थी!'
🇮🇳1914 से समाज सुधारक के रूप में उभरे पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने #भूमि_सुधार, #मुफ्त अनिवार्य #शिक्षा, #हिंदू हाई स्कूल की स्थापना के लिए काम किया। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के #असहयोग_आंदोलन के तहत कुमाऊं में स्वदेशी का प्रचार-प्रसार करने का काम किया।
🇮🇳विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के अलावा उन्होंने 'लगान बंदी' के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व किया। 1928 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने पंडित 'जवाहरलाल नेहरू' के नेतृत्व में लखनऊ में साइमन कमीशन का बहिष्कार किया!
🇮🇳#लाहौर में #साइमन-कमीशन का विरोध करते समय अंग्रेजों के आदेश पर लाठीचार्ज के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई!
🇮🇳'1921, 1930, 1932 और 1934 - स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोविंद बल्लभ पंत को लगभग सात साल की कैद हुई!'
🇮🇳7 मार्च, 1961 को पंडित गोविंद बल्लभ पंत की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई।
🇮🇳💐🙏
#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व
#आजादी_का_अमृतकाल
साभार: चन्द्र कांत (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
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