19 फ़रवरी 2024

Chhatrapati Shivaji Maharaj | छत्रपति शिवाजी महाराज | 19 फरवरी, 1630 - 3 अप्रैल, 1680




 🇮🇳🔶 19 फरवरी, 1630 को देश के महान शासकों में से एक और मुगलों की नाक में दम करने वाले महान #मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी का जन्म हुआ था। 6 जून, 1674 को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन शिवाजी ने महाराष्ट्र में हिंदू राज्य की स्थापना की थी। राज्याभिषेक के बाद उनको छत्रपति की उपाधि मिली। आइए आज इस मौके पर हम शिवाजी के बारे में अनसुनी बातें जानते हैं...

🇮🇳🔶 वह एक अच्छे सेनानायक के साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। कई जगहों पर उन्होंने सीधे युद्ध लड़ने की बजाय युद्ध से बच निकलने को प्राथमिकता दी थी। यही उनकी कूटनीति थी, जो हर बार बड़े से बड़े शत्रु को मात देने में उनका साथ देती रही।

🇮🇳🔶 शिवाजी एक समर्पित हिन्दू होने के साथ-साथ धार्मिक सहिष्णु भी थे। उनके साम्राज्य में मुसलमानों को पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। कई मस्जिदों के निर्माण के लिए शिवाजी ने अनुदान दिया। उनके मराठा साम्राज्य में हिन्दू पंडितों की तरह मुसलमान संतों और फकीरों को भी पूरा सम्मान प्राप्त था। उन्होंने मुस्लिमों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखा। उनकी सेना में 1,50,000 योद्धा थे जिनमें से करीब 66,000 मुस्लिम थे।

🇮🇳🔶 शिवाजी पहले हिंदुस्तानी शासक थे जिन्होंने नौसेना की अहमियत को पहचाना और अपनी मजबूत नौसेना का गठन किया। उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए तट पर कई किले बनाए जिनमें जयगढ़, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और अन्य स्थानों पर बने किले शामिल थे।

🇮🇳🔶 शिवाजी ने महिलाओं के प्रति किसी तरह की हिंसा या उत्पीड़न का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने अपने सैनिकों को सख्ती से निर्देश दे रखा था कि किसी गांव या अन्य स्थान पर हमला करने की स्थिति में किसी भी महिला को नुकसान नहीं पहुँचाया जाए। महिलाओं को हमेशा सम्मान के साथ लौटा दिया जाता था। अगर उनका कोई सैनिक महिला अधिकारों का उल्लंघन करता पाया जाता था तो उसकी कड़ी सजा मिलती थी। एक बार उनका एक सैनिक एक मुगल सूबेदार की बहु को ले आया था। उसने सोचा था कि उसे शिवाजी को भेंट करूँगा तो वह खुश होंगे। लेकिन हुआ इसका उल्टा। शिवाजी ने उस सैनिक को खूब फटकारा और महिला को सम्मान के साथ उसके घर पहुँचा कर आने को कहा।

🇮🇳🔶 एक बार शिवाजी महाराज को सिद्दी जौहर की सेना ने घेर लिया था। उन्होंने वहाँ से बच निकलने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने दो पालकी का बंदोबस्त किया। एक पालकी में शिवाजी के जैसा दिखने वाला शिवा नाह्वी था। उसकी पालकी किले के सामने से निकली। दुश्मन ने उसे ही शिवाजी समझकर पीछा करना शुरू कर दिया। उधर दूसरे रास्ते से अपने 600 लोगों के साथ शिवाजी निकल गए।

🇮🇳🔶 शिवाजी को माउंटेन रैट भी कहकर पुकारा जाता था क्योंकि वह अपने क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और कहीं से कहीं निकल कर अचानक ही हमला कर देते थे और गायब हो जाते थे। उनको गुरिल्ला युद्ध का जनक माना जाता है। वह छिपकर दुश्मन पर हमला करते थे और उनको काफी नुकसान पहुंचाकर निकल जाते थे। गुरिल्ला युद्ध मराठों की रणनीतिक सफलता का एक अन्य अहम कारण था। इसमें वे छोटी टुकड़ी में छिपकर अचानक दुश्मनों पर आक्रमण करते और उसी तेजी से जंगलों और पहाड़ों में छिप जाते।

🇮🇳🔶 साल 1659 में आदिलशाह ने एक अनुभवी और दिग्गज सेनापति अफजल खान को शिवाजी को बंदी बनाने के लिए भेजा। वो दोनों प्रतापगढ़ किले की तलहटी पर एक झोपड़ी में मिले। दोनों के बीच यह समझौता हुआ था कि दोनों केवल एक तलवार लेकर आएँगे। शिवाजी को पता था कि अफजल खान उन पर हमला करने के इरादे से आया है। शिवाजी भी पूरी तैयारी के साथ गए थे। अफजल खाँ ने जैसे ही उन पर हमले के लिए कटार निकाली, शिवाजी ने अपना कवच आगे कर दिया। अफजल खाँ कुछ और समझ पाता, इससे पहले ही शिवाजी ने हमला कर दिया और उसका काम तमाम कर दिया।

🇮🇳🔶 शिवाजी से पहले उनके पिता और पूर्वज सूखे मौसम में आम नागरिकों और किसानों को लड़ाई के लिए भर्ती करते थे। उनलोगों ने कभी भी संगठित सेना का गठन नहीं किया। शिवाजी ने इस परंपरा को बदलकर समर्पित सेना का गठन किया जिनको साल भर प्रशिक्षण और वेतन मिलता था।

🇮🇳🔶 शिवाजी को औरंगजेब ने मुलाकात का न्योता दिया था। जब शिवाजी औरंगजेब से मिलने पहुँचे तो औरंगजेब ने उन्हें छल से बंदी बना लिया। औरंगजेब की योजना शिवाजी को जान से मारने या कहीं और भेजने की थी लेकिन शिवाजी उससे काफी होशियार निकले। वह वहाँ से मिठाई की टोकरियों में निकल गए।


🇮🇳🔶  ऐसा कहा जाता है की  शिवाजी महाराज की मृत्यु 50 वर्ष की आयु में,  3 अप्रैल 1680 को, हनुमान जयंती की पूर्व संध्या पर हुई। उनकी मृत्यु का कारण विवादित है। ब्रिटिश रिकॉर्ड बताते हैं कि 12 दिनों की बीमारी के बाद उनकी मृत्यु हो गई। पुर्तगाली भाषा के बिब्लियोटेका नैशनल डी लिस्बोआ के एक समकालीन दस्तावेज़ में मृत्यु का कारण एंथ्रेक्स बताया गया है। हालांकि, शिवाजी राजा की जीवनी, भसबद बखर के लेखक कृष्णाजी अनंत भसबद कहते हैं कि मौत का कारण बुखार था।निःसंतान और शिवाजी की जीवित पत्नियों में सबसे छोटी पुतलाबाई उनके अंतिम संस्कार में कूदकर सती हो गईं। दूसरी जीवित पत्नी सकवारबाई को सती होने की अनुमति नहीं थी क्योंकि उनकी एक छोटी बेटी थी। 

साभार: navbharattimes.indiatimes.com

🇮🇳 धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए जीवन समर्पित करने वाले, महानतम मराठा शासक और राष्ट्ररक्षा के लिए गुरिल्ला युद्ध के जन्म दाता शौर्य एवं पराक्रम के प्रतीक #छत्रपति_शिवाजी_महाराज जी को उनकी जयंती पर शत् शत् नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल 🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व   🇮🇳💐🙏 वन्दे मातरम् 

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
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