24 मार्च 2024

Happy Holi | होली वसंत ऋतु का प्रतिनिधित्व करने वाला एक आनंदमय त्योहार है | होली को 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।

 



#होली #वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण #भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह #पर्व #हिंदू #पंचांग के अनुसार #फाल्गुन मास की #पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली #रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह #भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध #त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है| 


होली को 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।


#Holi is a popular and significant #Hindu #festival #celebrated as the Festival of #Colours, #Love, and #Spring. It celebrates the eternal and divine love of the deities #Radha and #Krishna. Additionally, the day signifies the triumph of good over evil, as it commemorates the victory of #Vishnu as #Narasimha over #Hiranyakaship


Holi is still known as '#Fagua', '#Dhulendi', '#Dol'.


#भगवान #विष्णु के प्रति प्रहलाद की अटूट भक्ति के कारण उसके पिता #हिरणाकश्यप को क्रोध आया, जिसके कारण होलिका ने एक विश्वासघाती योजना बनाई. हालांकि, दैवीय हस्तक्षेप ने बुराई को विफल कर दिया, जिससे #होलिका दहन की शुरुआत हुई और अंधकार पर अच्छाई की जीत का स्थायी उत्सव मनाया गया | 


#Prahlad's unwavering devotion towards #Lord #Vishnu angered his father #Hiranyakashipu, due to which Holika hatched a treacherous plan. However, divine intervention thwarted the evil, leading to the beginning of #Holika Dahan and the enduring #celebration of the victory of good over darkness.


होली की रात को सिद्धि रात्रि भी कहा जाता है यानी इस रात को किए गए तंत्र उपाय जल्दी ही सिद्ध हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन से आसपास की नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं. ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन की राख से कई सारे दुखों से मुक्ति मिल जाती है | 


The night of Holi is also called #Siddhi_Ratri, that is, the #Tantra remedies done on this night get proved soon. According to religious beliefs, Holika Dahan destroys the negative powers around and brings happiness in life. It is said that the ashes of #Holika_Dahan provide relief from many sorrows.


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 

| पंडित हरिभाऊ उपाध्याय | साहित्यकार तथा स्वतंत्रता आंदोलन के राष्ट्रसेवी | 24 मार्च, 1892 - 25 अगस्त, 1972

 


हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म 24 मार्च, 1892 को मध्य प्रदेश में #उज्जैन ज़िले के #भौंरोसा नामक गाँव में हुआ था। विद्यार्थी जीवन से ही उनके मन में साहित्य के प्रति चेतना जाग्रत हो गई थी। संस्कृत के नाटकों तथा अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध उपन्यासों के अध्ययन के बाद वे उपन्यास लेखन की  और अग्रसर हुए।

🇮🇳 हरिभाऊ उपाध्याय ने हिन्दी सेवा से सार्वजनिक जीवन शुरू किया और  सबसे पहले  ‘औदुम्बर’ मासिक पत्र के प्रकाशन द्वारा हिन्दी पत्रकारिता जगत में पर्दापण किया। सबसे पहले  1911 में वे ‘औदुम्बर’ के सम्पादक बने। पढ़ते-पढ़ते ही इन्होंने इसके सम्पादन का कार्य भी आरम्भ किया। ‘औदुम्बर’ में कई विद्वानों के विविध विषयों से सम्बद्ध पहली बार लेखमाला निकली, जिससे हिन्दी भाषा की स्वाभाविक प्रगति हुई। इसका श्रेय हरिभाऊ के उत्साह और लगन को ही जाता है। 1915  में हरिभाऊ उपाध्याय #महावीर_प्रसाद_द्विवेदी के सान्निध्य में आये। हरिभाऊ जी खुद लिखते हैं कि- “औदुम्बर की सेवाओं ने मुझे आचार्य द्विवेदी जी की सेवा में पहुँचाया।” द्विवेदी जी के साथ ‘सरस्वती’ में कार्य करने के बाद हरिभाऊ उपाध्याय ने ‘प्रताप’, ‘हिन्दी नवजीवन’ और ‘प्रभा’ के सम्पादन में योगदान दिया और स्वयं ‘मालव मयूर’ नामक पत्र निकालने की योजना बनायी। लेकिन यह पत्र अधिक दिन नहीं चल सका।

🇮🇳 हरिभाऊ उपाध्याय की हिन्दी साहित्य को विशेष देन उनके द्वारा बहुमूल्य पुस्तकों का रूपांतरण है। कई मौलिक रचनाओं के अलावा उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की ‘मेरी कहानी’ और पट्टाभि सीतारमैया द्वारा लिखित ‘कांग्रेस का इतिहास’ का हिन्दी में अनुवाद किया। हरिभाऊ जी का प्रयास हमें भारतेन्दु काल की याद दिलाता है, जब प्राय: सभी हिन्दी लेखक बंगला से हिन्दी में अनुवाद करके साहित्य की अभिवृद्धि करते थे। अनुवाद करने में भी उन्होंने इस बात का सदा ध्यान रखा कि पुस्तक की भाषा लेखक की भाषा और उसके व्यक्तित्व के अनुरूप हो। अनुवाद पढ़ने से यह अनुभव नहीं होता कि अनुवाद पढ़ रहे हैं। यही अनुभव होता है कि मानो स्वयं मूल लेखक की ही वाणी और विचारधारा अविरल रूप से उसी मूल स्त्रोत से बह रही है। इस प्रकार हरिभाऊ जी ने अपने साथी जननायकों के ग्रंथों का अनुवाद करके हिन्दी साहित्य को व्यापकता प्रदान की।

🇮🇳 हरिभाऊ उपाध्याय की अनेक पुस्तकें आज हिन्दी साहित्य जगत को प्राप्त हो चुकी हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं-

• ‘बापू के आश्रम में’

• ‘स्वतंत्रता की ओर’

• ‘सर्वोदय की बुनियाद’

• ‘श्रेयार्थी जमनालाल जी’

• ‘साधना के पथ पर’

• ‘भागवत धर्म’

• ‘मनन’

• ‘विश्व की विभूतियाँ’

• ‘पुण्य स्मरण’

• 'प्रियदर्शी अशोक’

• ‘हिंसा का मुकाबला कैसे करें’

• ‘दूर्वादल’ (कविता संग्रह)

• ‘स्वामी जी का बलिदान’

• ‘हमारा कर्त्तव्य और युगधर्म’

🇮🇳 ☝️इन सभी रचनाओं से हिन्दी साहित्य निश्चित ही समृद्ध हुआ है। हरिभाऊ जी की रचनाएँ भाव, भाषा और शैली की दृष्टि से बड़ी आकर्षक हैं। इनमें रस है, मधुरता और उज्ज्वलता है। इनमें सत्य और अहिंसा की शुभ्रता है, धर्म की समंवयबुद्धि है और लेखनी की सतत साधना और प्रेरणा है।

🇮🇳 #महात्मा_गाँधी से प्रभावित होकर हरिभाऊ उपाध्याय ‘भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन’ में कूद पड़े थे। पुरानी अजमेर रियासत में इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे अजमेर के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए थे। हरिभाऊ जी हृदय से ये अत्यंत कोमल थे, लेकिन सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं करते थे। राजस्थान की सब रियासतों को मिलाकर राजस्थान राज्य बना और इसके कई वर्षों बाद मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अत्यंत आग्रहपूर्वक हरिभाऊ उपाध्याय को पहले वित्त फिर शिक्षामंत्री बनाया था। बहुत दिनों तक वे इस पद पर रहे, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण त्यागपत्र दे दिया। हरिभाऊ उपाध्याय कई वर्षों तक राजस्थान की ‘शासकीय साहित्य अकादमी’ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने ‘महिला शिक्षा सदन’, हटूँडी (अजमेर) और ‘सस्ता साहित्य मंडल’ की स्थापना की थी।

🇮🇳 हरिभाऊ उपाध्याय  25 अगस्त, 1972 को मृत्यु हो गई ।

🇮🇳 #भारत के प्रसिद्ध #साहित्यकार तथा #स्वतंत्रता आंदोलन के राष्ट्रसेवी #पंडित_हरिभाऊ_उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर हार्दिक श्रद्धांजलि !

#Pandit_Haribhau_Upadhyay ji

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल


साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 


Radhikaraman Prasad Singh | राधिकारमण प्रसाद सिंह | पद्मभूषण तथा साहित्य वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत साहित्यकार |




 जब वक्त्त गुजर जाता है तो याद बनती है. किसी बाग की खुशबू निकल जाए तो फूल खिलने की फरियाद आती है. इसी तरह आज साहित्य नगरी #सूर्यपुरा का स्वर्णिम अतीत सिर्फ यादों में सिमटकर रह गया है. साहित्याकाश के दीप्तिमान नक्षत्र राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह का किला आज भले ही रख रखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील होने लगा हो परंतु लाहौरी ईट से बना यह किला आज भी राजा साहब की याद को ताजा करता है.

🇮🇳🔰 राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह का जन्म 10 सितम्बर 1890 को तत्कालीन #शाहाबाद जिला के #बिक्रमगंज के #सूर्यपुरा ग्राम के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. बड़े जमींदार होने की वजह से अपने नाम के साथ सिंह लगाते थे. इनके पिता #राज_राजेश्वरी_प्रसाद_सिंह हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, बंग्ला, फ़ारसी तथा पश्तो के विद्वान होने के साथ ब्रज भाषा के एक बड़े कवि भी थे. राधिका रमण प्रसाद के पितामह #दीवान_राम_कुमार_सिंह साहित्यक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और कुमार उपनाम से ब्रज भाषा मे कविताएं लिखा करते थे. ये कहना गलत नही होगा कि राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह को साहित्य विरासत में मिला था.

🇮🇳🔰 उनकी प्राम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. घर पर ही उन्होंने संस्कृत हिन्दी और अंग्रेजी की प्राम्भिक शिक्षा पूर्ण की. 1903 ई. में पिता के अचानक स्वर्गवास होने पर इनकी रियासत कोर्ट ऑफ वांडर्स के अधीन हो गई. शाहाबाद के कलक्टर के अभिभाकत्व में उन्होंने आरा जिला स्कूल में दाखिला लिया. कुछ ही दिन बाद जिलाधिकारी ने उन्हे कलकत्ता भेज दिया. वही से उन्होने दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की. उस समय तक उन्होंने ब्रजभाषा में कविता लिखना शुरू कर दिया था. #बंगभंग_आंदोलन से प्रभावित होने के कारण जिलाधिकारी ने आगरा कॉलेज, आगरा में उनका नाम लिखवा दिया. वहाँ से उन्होने एफ.ए. (इंटरमीडिएट)किया. 1912 ई. में प्रयाग विश्वविद्यालय से बीए का परीक्षा पास किए. उसी समय उनकी प्रथम कहानी कानों में कंगना इन्दु में प्रकाशित हुई. 1914 ई. में कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की परीक्षाएं पास कीं.

🇮🇳🔰 1917 ई. में जब वे बालिग हुए, तब रियासत ‘कोर्ट ऑव वार्ड्स’ के बंधन से मुक्त हुए और वे उसके स्वामी हो गए. सन् 1920 ई. के आसपास अंग्रेजी सरकार ने राधिकारमण प्रसाद सिंह को ‘राजा’ की उपाधि से विभूषित किया. इसी बीच उन्हें बिहार प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया. 1921 ई. में उन्हें शाहाबाद जिला परिषद के डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के प्रथम भारतीय चेयरमैन के रूप में निर्वाचित किया. 28 फरवरी 1927 को उन्होंने जिला बोर्ड के तत्वावधान में #महात्मा_गाँधी का अभिनन्दन किया. 1932 ई. में बिहार हरिजन सेवा संघ के अध्यक्ष बनाए गए. 1941 ई. में उन्हें अग्रेजी सरकार ने सी.आई.ई. की पदवी से विभूषित किया.

🇮🇳🔰 1947 ई. भारतीय स्वंतत्रता के बाद राजा साहब पटना में रहने लगे और साहित्य साधना में लग गए. हिन्दी साहित्य की उल्लेखनीय उपाधि और 1962 ई. में  भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि और 1969 ई. में मगध विश्वविद्यालय, बोध गया ने डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट्) की मानक उपाधि से सम्मानित किया. 1970 ई में प्रयाग हिन्दी साहित्य सम्मेलन में साहित्यवाचस्पति की उपाधि से अलंकृत किया गया. 24 मार्च 1971 ई. को वो हिन्दी साहित्य की गोद में सदैव के लिए ध्यान मग्न हो गए.

🇮🇳🔰 उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं:-

🔰 नाटक:- (1) ‘नये रिफारमर’ या ‘नवीन सुधारक’ (सन् 1911 ई.), (2) ‘धर्म की धुरी’ (सन् 1952 ई.), (3) ‘अपना पराया’ (सन् 1953 ई.) और (4) ‘नजर बदली बदल गये नजारे’ (सन् 1961 ई.)।

🔰 कहानी संग्रह:- ‘कुसुमांजली’ (सन् 1912 ई.)। लघु उपन्यास:- (1) ‘नवजीवन’ (सन् 1912 ई), (2) ‘तरंग’ (सन् 1920 ई.), (3) ‘माया मिली न राम’ (सन् 1936 ई.), (4) ‘मॉडर्न कौन, सुंदर कौन’ (सन् 1964 ई.), और (5) ‘अपनी-अपनी नजर’, ‘अपनी-अपनी डगर’ (सन् 1966 ई.)।

🔰 उपन्यास:- (1) ‘राम-रहीम’ (सन् 1936 ई.), (2) ‘पुरुष और नारी’ (सन् 1939 ई.), (3) ‘सूरदास’ (सन् 1942 ई.), (4) ‘संस्कार’ (सन् 1944 ई.), (5) ‘पूरब और पश्चिम’ (सन् 1951 ई.), (6) ‘चुंबन और चाँटा’ (सन् 1957 ई.)

🔰 कहानियाँ:- (1) ‘गाँधी टोपी’ (सन् 1938 ई.), (2) ‘सावनी समाँ’ (सन् 1938 ई.), (3) ‘नारी क्या एक पहेली? (सन् 1951 ई.), (4) ‘हवेली और झोपड़ी’ (सन् 1951 ई.), (5) ‘देव और दानव’ (सन् 1951 ई.), (6) ‘वे और हम’ (सन् 1956 ई.), (7) ‘धर्म और मर्म’ (सन् 1959 ई.) (😎 ‘तब और अब’ (सन् 1958 ई.), (9) ‘अबला क्या ऐसी सबला?’ (सन् 1962 ई.), (10) ‘बिखरे मोती’ (भाग-1) (सन् 1965 ई.)।

🔰 संस्मरण:- (1) ‘टूटा तारा’ (1941), (2) ‘बिखरे मोती’ (भाग-2, 3) (1966)।

रिपोर्ट- जयराम

साभार : rohtasdistrict.com

🇮🇳 #पद्मभूषण तथा साहित्य वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत; हिंदी के सुप्रसिद्ध #साहित्यकार #राजा_राधिकारमण_प्रसाद_सिंह जी को उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि !

#Raja_Radhikaman_Prasad_Singh ji

#literateur

#padmabhushan


🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल


साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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World Tuberculosis Day | विश्व क्षय रोग दिवस | World TB Day | विश्व तपेदिक दिवस



 #विश्व_तपेदिक_दिवस 

#विश्व_क्षय_रोग दिवस, प्रत्येक वर्ष #24_मार्च को मनाया जाता है, जिसे #तपेदिक की वैश्विक #महामारी और #बीमारी को खत्म करने के प्रयासों के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए बनाया गया है। 2018 में, 10 मिलियन लोग #टीबी से बीमार हुए, और 1.5 मिलियन लोग इस बीमारी से मर गए, ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में | 

#World #Tuberculosis #Day, observed on #24_March each year, is designed to build #public #awareness about the global #epidemic of tuberculosis and efforts to eliminate the disease. In 2018, 10 million people fell ill with #TB, and 1.5 million died from the #disease, mostly in low and middle-income countries. 



टीबी के विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस मनाते हैं। यह तारीख 1882 के उस दिन को चिह्नित करती है जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने घोषणा की थी कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज कर ली है, जिसने इस बीमारी के निदान और इलाज का रास्ता खोल दिया।



World Tuberculosis (TB) Day is celebrated on 24 March to raise public awareness about the devastating health, social and economic consequences of TB and to step up efforts to end the global TB epidemic. This date marks the day in 1882 when Dr. Robert Koch announced that he had discovered the bacterium that causes TB, opening the way for the diagnosis and treatment of the disease.


#विश्व_तपेदिक_दिवस 

🇮🇳 डब्लूएचओ की ओर से 2030 तक दुनिया को और भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों को टीबी की बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा दिलाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है. 🇮🇳

सावधानी रखें।

#World_Tuberculosis_Day 


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23 मार्च 2024

Why should Hindus pray for Kejriwal in temples? | मंदिरों में हिंदू केजरीवाल के लिए प्रार्थना क्यों करें - लेखक : सुभाष चन्द्र




घिसे पिटे बयान देने से क्या होगा - गुरु #अन्ना ने ही “कुकर्मी” कह दिया,

मंदिरों में #हिंदू #केजरीवाल के लिए प्रार्थना क्यों करें -

देश को सावधान रहना होगा, “अराजक” व्यक्ति कुछ भी कर सकता है -

केजरीवाल के “शीश महल” पर रेड में जो #ED अधिकारियों और अन्य लोगों की जासूसी के सबूत मिले वो उसे देशद्रोह के केस में दोषी करार दे सकते हैं बशर्ते मीलॉर्ड मेहरबान न हों 

केजरीवाल की गिरफ़्तारी के समय उसका माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लेना नहीं दिखाया गया और भागता रहा अदालतों में लेकिन गांधी समाधि पर “अनशन” करने नहीं गया -अब अन्ना हज़ारे, कल तक के गुरु ने भी कह दिया कि केजरीवाल को अपने “कर्मों” का फल मिला है और यह होना ही था, उसने मेरी बात नहीं मानी कि शराब का विरोध होना चाहिए -

दरअसल #केजरीवाल ने सत्ता के नशे में हर किसी को भुला दिया - उसे यह भान ही नहीं रहा कि नरेंद्र मोदी जैसे भगवान के भक्त पर राजनीति के चलते भी मर्यादा में रहना चाहिए - आज भी उसे मोदी का अहंकार दिखाई दे रहा है, अपने अहंकार को चरम पर पहुंचा हुआ नहीं देख रहा - #मोदी ने कभी केजरीवाल की बेबुनियाद और असभय भाषा और अनर्गल आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन यह तो निश्चित है मोदी का दिल  केजरीवाल को श्राप जरूर देता होगा -

श्राप, आशीर्वाद और कसम के फलीभूत होने का समय इनके लेने से ही नियत हो जाता है - ईश्वर करे केजरीवाल की कसम कभी फलीभूत न हो, मोदी के श्राप का फल तो सामने आ गया - यह बात #राहुल_गांधी भी समझ ले तो अच्छा है -

सुबह से “आप” के नेता ढोल पीट रहे हैं कि केजरीवाल के घर पर रेड में एक रुपया भी नहीं मिला और अगर घोटाला हुआ तो पैसा कहां गया - ऐसी घिसी पिटी बातें #सत्येंद्र_जैन, #सिसोदिया और #संजय सिंह के घरों पर रेड के बाद खुद केजरीवाल ने की थी - लेकिन यह भी सत्य है कि इन तीनों को कहीं #जमानत नहीं मिल रही और #सुप्रीम_कोर्ट ने तो 338 करोड़ की गड़बड़ी मिलने की बात साफ़ साफ़ कही थी -

इन 3 नेताओं की जमानत ख़ारिज करते हुए अदालतों ने यही माना है कि ये प्रभावशाली लोग सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, उन्हें नष्ट कर सकते हैं - केजरीवाल तो #मुख्यमंत्री है उसके पास तो इन सबसे ज्यादा शक्ति है सबूतों को ख़त्म करने की - मतलब साफ़ है जब ये तीनों बाहर नहीं आ पा रहे तो केजरीवाल कैसे आएगा -

आज केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने उसका एक बयान मीडिया में पढ़ा - #News_Portals पर #heading में लिखा गया कि केजरीवाल ने कहा है - “Go to #temple, seek blessings for me” - मगर ये शब्द जो #मीडिया में उसका पढ़ा हुआ बयान आया है, उसमे नहीं हैं -

सवाल यह है मंदिरों में कौन जाएगा - हिंदू ही जाएंगे न - परंतु हिंदू केजरीवाल के लिए मंदिरों में जाकर क्यों प्रार्थना करें जब वह सब कुछ लुटाता है मस्जिदों के इमामों पर और वक्फ बोर्ड पर  - इतना ही नहीं #पाकिस्तान #बांग्लादेश और #अफगानिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करते हुए उन्हें चोर, डकैत और बलात्कारी कहता है - फिर हिंदू कौम उसके लिए क्यों कष्ट उठाए क्योंकि केजरीवाल ने वोटों के लिए तो मुस्लिम समुदाय के सामने ही नाक रगड़नी है -

परसों #दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद गिरफ्तार हुआ और आज फिर उसी कोर्ट में गिरफ़्तारी को चुनौती देने पहुंच गया - जिस कोर्ट ने गिरफ़्तारी पर रोक नहीं लगाईं, वह गिरफ़्तारी के खिलाफ कैसे फैसला देगा - कोर्ट से कह रहा था कि कल रविवार को ही सुनवाई कीजिए लेकिन कोर्ट ने टरका दिया और बुधवार 27 मार्च को सुनवाई तय कर दी 

देश को सावधान रहना होगा, जो व्यक्ति खुद को “अराजक” तत्व मानता है, वह गिरफ़्तारी के खिलाफ कोई भी..... कार्य कर सकता है चाहे कुछ क्यों न हो - राघव चड्ढा तो गया ही है लंदन कुछ जुगाड़ करने.....

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 22/03/2024 

#Kejriwal  #judiciary #ed #cbi #delhi #sharabghotala #Rouse_Avenue_court #liquor_scam #aap  #Muslims,#implemented_CAA,#Mamata, #Stalin, #Vijayan, #threatening , #impose_CAA ,#respective_states,#Opposition_Against_CAA, #persecuted_Hindus #minorities, #except_Muslims #Congress_Party,  #political_party,  #indi #gathbandhan  #Prime_Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja  #top_stories

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Mr. Praveen H. Parekh | श्री प्रवीण एच. पारेख | सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता

 



पद्मश्री प्रवीण एच. पारेख भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास करने वाले एक वरिष्ठ वकील हैं। वह 2004 से 2014 के बीच छह बार सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। वह 2004 तक दस वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं।

🇮🇳 एलएलबी उत्तीर्ण. 1965 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से प्रथम श्रेणी में स्नातक किया और बॉम्बे यूनिवर्सिटी द्वारा सर चार्ल्स सार्जेंट मेमोरियल स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया। उन्हें रोटरी क्लब ऑफ बॉम्बे द्वारा "वर्ष के सर्वश्रेष्ठ छात्र" के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

🇮🇳 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए से पीआईएल उत्तीर्ण की।

🇮🇳 पद्मश्री प्रवीण एच. पारेख पिछले 58 वर्षों से कानूनी पेशे में पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में और बाद में भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक वरिष्ठ वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

🇮🇳 उन्हें चुनाव याचिकाओं में भारत के राष्ट्रपतियों और उपराष्ट्रपतियों का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है। कानूनी प्रैक्टिस में उनके क्लाइंट्स की सूची में यूएसए सरकार, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रतिष्ठित सार्वजनिक उपक्रम, बैंक और भारत के बड़े औद्योगिक घराने शामिल हैं।

🇮🇳 पद्मश्री प्रवीण एच. पारेख इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन, इंटरनेशनल बार एसोसिएशन, अमेरिकन बार एसोसिएशन के साथ-साथ कई भारतीय संगठनों सहित बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े रहे हैं। 

🇮🇳 वह महिलाओं, बच्चों और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने में सक्रिय रहे हैं। वह उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए भी लड़ते रहे हैं और तीन दशकों तक उपभोक्ता शिक्षा और अनुसंधान केंद्र (सीईआरसी), अहमदाबाद के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और उसके बाद सीईआरसी के अध्यक्ष के ट्रस्टी रहे हैं।

साभार: bgu.ac.in

🇮🇳 वर्ष 2012 में आज ही के दिन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री #प्रवीण_एच_पारेख जी को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए #पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया था। इस अवसर पर महिलाओं, बच्चों और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने में सक्रिय आदरणीय प्रवीण एच. पारेख जी को हार्दिक बधाई !

#Praveen_H_Parekh

🇮🇳🌹🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

Pravin H Parekh

#आजादी_का_अमृतकाल


साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 


Basanti Devi | स्वतंत्रता आंदोलन की अमर सेनानी बसंती देवी | 23 मार्च 1880 - 7 मई 1974

 





1925 में अपने पति #देशबंधु_चित्तरंजन_दास के देहांत के बाद भी #बसंती_देवी बराबर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेती रहीं। 🇮🇳

🇮🇳 बसंती देवी (जन्म: 23 मार्च, 1880, कोलकाता; मृत्यु: 7 मई 1974) भारत की स्वतंत्रता सेनानी और बंगाल के प्रसिद्ध नेता #चित्तरंजन_दास की पत्नी थीं। राष्ट्रपिता #महात्मा_गाँधी द्वारा आरंभ किए गये #असहयोग_आंदोलन में भी ये सम्मिलित हुईं। लोगों में #खादी का प्रचार करने के अभियोग में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

🇮🇳 बंगाल के प्रसिद्ध नेता चित्तरंजन दास की पत्नी बसंती देवी का जन्म 23 मार्च, 1880 ई. को #कोलकाता (पूर्व नाम कलकत्ता) में हुआ। बचपन में ये अपने पिता के साथ #असम में रहती थीं तथा आगे की शिक्षा के लिए कोलकाता आ गईं। यहीं 1897 में इनका बैरिस्टर चित्तरंजन दास के साथ विवाह हुआ।

🇮🇳 बसंती देवी भी स्वतंत्रता सेनानी थीं, जब 1917 में चित्तरंजन दास राजनीति में कूद पड़े तो बसंती देवी ने भी पूरी तरह से उनका साथ दिया। गाँधी जी द्वारा आरंभ किए गये 'असहयोग आंदोलन' में ये सम्मिलित हुईं। इनके द्वारा लोगों में खादी का प्रचार करने के अभियोग में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इसके बाद ही 1921 में इनके पति और पुत्र भी पकड़ लिये गये। लोगों में खादी के प्रचार के अभियोग में बसंती देवी की गिरफ्तारी का लोगों ने बहुत विरोध किया। देश के अनेक प्रमुख बैरिस्टरों ने भी इसके विरोध में आवाज़ उठाई औ #बसंती_देवी जी र मामला वाइसराय तक ले गए। जहाँ इसके बाद सरकार ने इन्हें रिहा कर दिया।

🇮🇳 जेल से बाहर आने पर भी बसंती देवी ने विदेशी शासन का विरोध जारी रखा। ये देश के विभिन्न स्थानों में गईं और लोगों को चित्तरंजन दास के राजनीतिक विचारों से परिचित कराया। 1922 में चित्तरंजन दास, #मौलाना_अबुल_कलाम_आज़ाद, #सुभाष_चंद्र_बोस आदि गिरफ्तार कर लिए गए। चित्तरंजन दास को चटगाँव राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता करनी थीं। परंतु उनकी गिरफ्तारी पर बसंती देवी ने स्वयं इस सम्मेलन की अध्यक्षता की।

🇮🇳 1925 में देशबंधु चित्तरंजन दास का देहांत हो गया। इसके बाद भी बसंती देवी बराबर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेती रहीं और 1974 में इनका देहांत हो गया।

साभार: bharatdiscovery.org

🇮🇳 #पद्मविभूषण से सम्मानित; भारत के #स्वतंत्रता आंदोलन की अमर सेनानी #बसंती_देवी जी को उनकी जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि !

#Basanti_devi ji

🇮🇳💐🙏

🇮🇳 वन्दे मातरम् 🇮🇳

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल


साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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