18 मार्च 2024

Rahul will bring Congress to about 20 Seats | कांग्रेस को लगभग 20 सीट तक ले आएंगे ......राहुल | लेखक : सुभाष चन्द्र

 


ED / CBI से बदले लेने की बात कर रहा है राहुल सत्ता में आए बिना -

माँ भवानी की शक्ति को ललकार कर, अपने हाथ से “हार” लिख दी राहुल ने कांग्रेस की किस्मत में - 

कांग्रेस को ये 20 सीट पर लाकर रख देगा -


जुलाई, 2018 और उसके बाद जनवरी, 2019 में उस वर्ष के #लोकसभा_चुनावों से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता #आनंद शर्मा ने #भूपिंदर_सिंह_हूडा के घर पर #CBI की रेड होने पर कहा था कि “अधिकारियों को ध्यान में रखना चाहिए कि कोई भी सत्ता स्थाई नहीं होती, जब चुनाव के बाद  कांग्रेस सत्ता में आएगी तो सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और उन सभी पर कार्रवाई की जाएगी - मोदी और शाह के दिमाग में बैर भाव साफ़ दिखाई देता है लेकिन अब उनकी सत्ता ख़त्म होने वाली है - वो तानाशाह की तरह विरोधियों को कुचलने का काम करते हैं” -


#चुनाव से पहले ही #कांग्रेस मंसूबे बना रही थी किस तरह अधिकारियों को निशाना बनाया जाएगा लेकिन सारे सपने चूर हो गए जब सत्ता मिली ही नहीं और #मोदी को 20 सीट और ज्यादा मिल गई और आज फिर राहुल गांधी ने आनंद शर्मा शर्मा जैसा विलाप करके कांग्रेस की किस्मत में अपने हाथ से “हार” लिख दी - 


राहुल गांधी ने कहा है कि #ED / #CBI भाजपा और #RSS के “औजार” हैं और मोदी बिना चुनाव आयोग के #EVM एवं ED / CBI के चुनाव नहीं जीत सकता - राहुल ने #ED / #CBI अधिकारियों को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि जब भी कभी भाजपा की सरकार हटेगी और कांग्रेस सत्ता में आएगी तो ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी 


सबसे बड़ी बात यह देखने में आई कि किसी भी बढ़े #News_Portal या बढ़े अख़बार के पोर्टल ने राहुल गांधी का बयान छापने की जरूरत नहीं समझी |


अब #भाजपा सत्ता से हटेगी भी या नहीं, कोई नहीं जानता और हटेगी भी तो कब हटेगी या राहुल प्रतीक्षा करते करते #राजनीति से संन्यास ले लेगा या विदेश भाग जाएगा; मतलब न 9 मन तेल होगा और न #राधा नाचेगी - 


आज ही कांग्रेस का युवराज अधिकारियों से बदला लेने की बात कर रहा है और ऐसी फटकार लगाना अधिकारियों को #केजरीवाल भी अपना अधिकार समझता है जबकि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा अधिकारियों को उत्साहवर्धन ही करते दिखाई देते हैं - मोदी कहते हैं कि जानबूझकर कुछ गलत नहीं होना चाहिए, गलती बाकी हम संभाल लेंगे, किसी पर आंच नहीं आएगी -


एक भयंकर बयान और दे दिया इस अक्ल से पैदल #कांग्रेस के युवराज ने -राहुल गांधी ने कहा कि, “#हिंदू_धर्म में एक शब्द होता है, जिसे शक्ति कहते हैं, लोग उसकी पूजा करते हैं लेकिन हमें उस शक्ति से ही लड़ना है, उसी से हमारी लड़ाई है”   


एक तरफ #भगवान #राम का विरोध करता फिरता है, और दूसरी तरफ #DMK और अन्य दलों के जरिए “#सनातन_धर्म” को गाली देकर उसे ख़तम करने का अभियान चला रहा है, #ईसाई #pastor #George #Ponnaiah के #भारत_माता को गाली देने वाले बयान पर हां में हां मिला रहा था और खुद भी सवाल करता है कि ये भारत माता क्या होती है - आज शक्ति स्वरुपा नारियों को ही अपमानित कर दिया जबकि इस निकम्मे को पता है नरेंद्र मोदी नवरात्रि के 9 दिन के व्रत नींबू पानी पी कर रखते हैं माँ भवानी की कृपा से -


राहुल गांधी एक मुस्लिम है जिसने दादी की मृत्यु पर पिता के साथ कलमा पढ़ा था, माँ ईसाई है, इसलिए माँ भवानी को शत्रु कहने की हिम्मत कर गया -


#आधी_आबादी #नारी_शक्ति को #कांग्रेस और उसके साथ के सभी दलों को ठोकर मार देनी चाहिए और यदि हिंदू समाज नहीं संभला तो उसका विनाश निश्चित है -


एक चुनौती और दे दी आज #राहुल_गांधी ने कि भाजपा में संविधान बदलने की हिम्मत नहीं है - जो जो चुनौती दी कांग्रेस और विपक्ष ने भाजपा को दी, वो सब काम कर दिए, चल अब यह भी किया जाएगा -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 18/03/2024 

#CAA,#giving_citizenship, #Pakistan, #Afghanistan,#Bangladesh, #Muslims,#implemented_CAA,#Mamata, #Stalin, #Vijayan, #threatening , #impose_CAA ,#respective_states,#Opposition_Against_CAA, #persecuted_Hindus #minorities, #except_Muslims #Congress_Party,  #political_party,  #indi #gathbandhan  #Prime_Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja  #top_stories

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

Refugees File Criminal Case Against Kejriwal | केजरीवाल पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करें .......शरणार्थी | लेखक : सुभाष चन्द्र




Refugees file criminal case against Kejriwal | केजरीवाल पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करें शरणार्थी 


#केजरीवाल पर शरणार्थी आपराधिक मुकदमा दायर करें और 

#मानवाधिकार हनन की शिकायत दर्ज करें हिन्दू शरणार्थियों के #अपमान पर सारा 

#हिन्दू_समुदाय “#आप” / #कांग्रेस का बहिष्कार करे -


भारतीय राजनीति का जहरीला कोबरा केजरीवाल अपने असली रंग में आ गया और रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की भारत में अवैध घुसपैठ को समर्थन देते हुए हिंदू शरणार्थियों को अपमानित करते हुए उन्हें “बलात्कारी” तक कह गया - पाकिस्तान / बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तरह अवैध घुसपैठिये नहीं है और उन्हें कानून के अंतर्गत ही नागरिकता दी जा रही है लेकिन विपक्ष CAA का पुरजोर विरोध कर रहा है केवल मुस्लिमों को खुश करने के लिए 


इस विषय में दिल्ली के ठग और मक्कार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सारी सीमाएं लांघते हुए शरणार्थियों का घोर अपमान करते हुए कहा है कि -


“केंद्र सरकार का लागू किया गया #CAA कानून बहुत खतरनाक है जिसकी वजह से #Law_and_Order ठप हो जाएगा और चोरी डकैतियां और बलात्कार बढ़ेंगे”

हमारा देश एक गरीब देश है और अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 3 करोड़ लोगों में डेढ़ करोड़ लोग भी भारत में आ गए तो उनको कहां बसाया जाएगा, नौकरियां कहां से देंगे, जो रोजगार हमारे बच्चों को मिलना चाहिए वो तो वो लोग ले जाएंगे’

#CAA के बाद ये पाकिस्तानी पूरे देश में फ़ैल जाएंगे और हमारे ही मुल्क के लोगों को हड़काएंगे और हुड़दंग करेंगे; इनकी इतनी हिम्मत हो गई कि #दिल्ली की जनता द्वारा भारी बहुमत से चुने गए #CM को हमारे ही मुल्क में घुस कर माफ़ी मांगने को कह रहे हैं”

पाकिस्तानियों को पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ मेरे घर के बाहर प्रदर्शन करने की इज़ाज़त दी गई लेकिन इस देश के किसानों को दिल्ली आने की भी इज़ाज़त नहीं है; भारत के किसानों को अश्रु गैस के गोले, लाठियां, डंडे और गोलियां? और पाकिस्तानियों को इतना सम्मान?”


अब शरणार्थियों को चाहिए कि वे केजरीवाल के खिलाफ एक तो मानहानि का आपराधिक  मुकदमा दायर करें क्योंकि केजरीवाल ने सभी शरणार्थियों को “#बलात्कारी (#rapist) कहा है, उन्हें चोर और डकैत और दंगाई कहा है” - #NCRB के रिकॉर्ड से बताया जाए कितने शरणार्थी और कितने रोहिंग्या या बांग्लादेशी अपराधों में लिप्त रहे हैं - 


दूसरा केस शरणार्थियों को #NHRC में फाइल करना चाहिए कि केजरीवाल ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार हम शरणार्थियों के मानवाधिकारों के हनन की कोशिश की है और ऐसी ही शिकायत उन्हें #UNHCR के पास भी दायर करनी चाहिए क्योंकि जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस विषय को गलत ढंग से #UNO में उठा सकते हैं तो शरणार्थी भी यह विषय #UN संस्था तक ले जाने का अधिकार रखते हैं -


केजरीवाल के दिल में हिंदुओं के लिए कितना जहर भरा है वो इस बात से साबित होता है कि उसने शरणार्थियों को चोर, डकैत और बलात्कारी कहने के साथ साथ उन्हें बार बार पाकिस्तानी कहा है, न #हिंदू कहा और न शरणार्थी कहा - 


दूसरी तरफ #केजरीवाल, #कांग्रेस और विपक्षी दल #रोहिंग्या और #बांग्लादेशियों को पूरे देश में बसाने और वोट बैंक बनाने के लिए आगे रहे हैं - जब #पाकिस्तान #बांग्लादेश और #अफगानिस्तान से आए लोगों को नागरिकता मिल जाएगी तो यही केजरीवाल और अन्य दल उन शरणार्थियों के चरणों में लोटते फिरेंगे वोट के लिए -


केजरीवाल और विपक्ष को अगर #CAA नहीं चाहिए तो पहले सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को देश से बाहर भेजने के लिए हामी भरो - उन्हें लाइन लगा कर वापस भेजो - #चुनाव_आयोग #2024 लोकसभा चुनाव से पहले सभी #रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के फर्जी आधार कार्ड पर बने वोटर कार्ड रद्द करे | 

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 17/03/2024 

#Political, #sabotage,   #Congress,  #Kejriwal  #judiciary  #delhi #sharadpanwar, #laluyadav, #spa #uddavthakre, #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp #dhruv_rathee_video 

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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16 मार्च 2024

Ambika Prasad | Academician and Literature | अम्बिका प्रसाद दिव्य | शिक्षाविद और साहित्यकार | 16 मार्च 1907 - 5 सितम्बर 1986




🇮🇳🔰 अम्बिका प्रसाद दिव्य भारत के जाने-माने शिक्षाविद और हिन्दी #साहित्यकार थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। अंग्रेज़ी, संस्कृत, रूसी, फ़ारसी और उर्दू सहित कई अन्य भाषाओं के वे जानकार थे। दिव्य जी का पद्य साहित्य #मैथिलीशरण_गुप्त, नाटक साहित्य #रामकुमार_वर्मा तथा उपन्यास साहित्य #वृंदावनलाल_वर्मा जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों के काफ़ी निकट है।

🇮🇳🔰 श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य (16 मार्च 1907 - 5 सितम्बर 1986) शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका जन्म #अजयगढ़ पन्ना के सुसंस्कृत कायस्थ परिवार में हुआ था। हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। वे अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं के जानकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। 5 सितम्बर 1986 ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेते हुये हृदय-गति रुक जाने से उनका देहावसान हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।

🇮🇳🔰 दिव्य जी ने अपने जीवन की शुरूआत शिक्षा विभाग से सेवा कार्य करने आंरभ किया था। वे कई भाषाओं के भाषाविद् थे। उनके उपन्यासों को मुख्य केन्द्र बुन्देलखण्ड या बुन्देले थे। उन्होने कई काव्य एवं लेखन कार्य किया है जिसमें अंतर्जगत, रामदपंण, निमिया, मनोवेदना, खजुराहो की रानी, पावस, पिपासा, बेलकली, भारत माता, झांसी की रानी, तीन पग, कामधेनु, लंकेश्वर, सूत्रपात, प्रलय का बीज, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जुठी पातर, काला भौंरा, योगी राजा, प्रेमी तपस्वी इत्यादि।

🇮🇳🔰 अम्बिका प्रसाद दिव्य जी को कई क्षेत्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी स्मृति पर वर्ष 1997 में दिव्य पुरस्कार  की शुरूआत की गई थी। अम्बिका प्रसाद दिव्य का निधन 5 सितंबर 1986 में हुआ था।

🇮🇳🔰 शिक्षा

      हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि के बाद अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं का स्वाध्याय।

🇮🇳🔰 कार्यक्षेत्र-

मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। साहित्य के क्षेत्र में दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।

🇮🇳🔰 रचना कार्य

अम्बिका प्रसाद दिव्य ने लेखन की कई कलाओं में अपना योगदान दिया है। उनके रचना कार्यों में प्रमुख हैं-

🔰 उपन्यास

    'प्रीताद्रि की राजकुमारी'

    'सती का पत्थर'

    'फ़जल का मक़बरा'

    'जूठी पातर'

    'जयदुर्ग का राजमहल'

    'काला भौंरा'

    'योगी राजा'

    'खजुराहो की अतिरुपा'

    'प्रेमी तपस्वी'

 🔰 नाटक

    'भारत माता'

    'झाँसी की रानी'

    'तीन पग'

    'कामधेनु'

    'लंकेश्वर'

    'भोजनन्दन कंस'

    'निर्वाण पथ'

    'सूत्रपात'

    'चरण चिह्न'

    'प्रलय का बीज'

    'रूपक सरिता'

    'रूपक मंजरी'

    'फूटी आँखें

🔰 महाकाव्य तथा मुक्त रचना

    'अंतर्जगत'

    'रामदपंण'

    'निमिया'

    'मनोवेदना'

    'खजुराहो की रानी'

    'दिव्य दोहावली'

    'पावस'

    'पिपासा'

    'स्रोतस्विनी'

    'पश्यन्ति'

    'चेतयन्ति'

    'अनन्यमनसा'

    'बेलकली'

    'गाँधी परायण'

    'विचिन्तयंति'

    'भारतगीत'

🇮🇳🔰 एक आदर्श प्राचार्य के रूप में सन 1960 में दिव्य जी को सम्मानित किया गया था। उनके उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु मुख्य रूप से बुंदेलखंड अथवा बुन्देले नायक थे। 'बेल कली', 'पन्ना नरेश अमान सिंह', 'जय दुर्ग का रंगमहल', 'अजयगढ़', 'सती का पत्थर', 'गठौरा का युद्ध', 'बुन्देलखण्ड का महाभारत', 'पीताद्रे का राजकुमारी', 'रानी दुर्गावती' तथा 'निमिया' की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है।

🇮🇳🔰 सम्मान पुरस्कार

उनकी रचनाएँ निबन्ध विविधा, दीप सरिता और हमारी चित्रकला मध्य प्रदेश शासन के छत्रसाल पुरस्कार द्वारा सम्मानित हैं। वीमेन ऑफ़ खजुराहो अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध रचना है। उन्हें 1960 में आदर्श प्राचार्य के रूप में भी सम्मानित किया गया था। दिव्य जी का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाश्य है। उनकी स्मृति में साहित्य सदन भोपाल द्वारा अखिल भारतीय अम्बिकाप्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार से प्रति वर्ष तीन साहित्यकारों को पुरस्कृत किया जाता है।

🇮🇳🔰 साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था ।

साभार: jivani.org

🇮🇳 साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित; भारत के जाने-माने #शिक्षाविद और हिन्दी #साहित्यकार #अम्बिका_प्रसाद_दिव्य जी को उनकी जयंती पर हार्दिक श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना

 


Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना

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🇮🇳 हम पर वतन का कर्ज था, हमने चुका दिया 🇮🇳

🇮🇳 बस्ती की टीन की जेल। मई-जून का तपता महीना और 24 घंटे में सिर्फ एक तसला पानी। हर पल की घुटन। बावजूद इसके आजादी के इस दीवाने ने हौसला नहीं छोड़ा। वंदेमातरम ने नारों में जोश कायम रखा। 

🇮🇳 हम यहाँ बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी #जुगल_किशोर_सक्सेना की। उन्हें याद करके उनके बेटे कहते हैं कि 'पिता उन घटनाओं को सुनाते हुए भावुक हो जाते थे। कहते थे, ऐसे ही नहीं मिली है आजादी। इसके लिए देश के सपूतों ने बड़े जुल्म सहे है।'

🇮🇳 आजादी की लड़ाई में इलाके के सूरमाओं ने गोरों को कभी पीठ नहीं दिखाई। ऐसे ही थे जुगल किशोर सक्सेना। पिता #बटेश्वरदयाल और माँ #धनु_कुंवर के यहाँ जून 1924 में उनका जन्म #डड़ौना गाँव में हुआ। जन्म के ढाई साल बाद ही माँ चल बसीं। उनकी तेरहवीं भी नहीं हो पाई थी कि पिता भी साथ छोड़ गए। कोई भाई-बहन नहीं थे। परिवार के अन्य घरों में इनका पालन हुआ। वह मिडिल तक ही पढ़ पाए। अनाथ होने के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। 16 साल की उम्र में वह सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े। दिल्ली जाते समय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 

🇮🇳 जुगल किशोर सक्सेना छापामार लड़ाई में माहिर थे। सरकारी डाक लूटकर नष्ट कर देते थे। अंग्रेजों ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया तो काफी समय जंगल में रहे। 1941 में सत्याग्रह आंदोलन शुरू होने पर वह दिल्ली की ओर बढ़े, लेकिन पकड़े गए। जेल में क्रांतिकारियों पर अत्याचार देख थाली बजाकर प्रदर्शन किया। जेल से छूटने के बाद वह फिर आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। 

🇮🇳 इन्हें #मैनपुरी जेल ले जाया गया। वहाँ कैदियों को जली रोटियाँ खाने के लिए मिलती थीं। ऐसे में वह विरोध के अगुआ बने तो अन्य कैदी भी साथ हो लिए। नाराज जेलर ने #बस्ती जेल भेज दिया। यह जेल टीन की थी। मई-जून की भीषण गर्मी में इन्हें 24 घंटे में एक तसला पानी दिया जाता था। इसमें सभी जरूरतें पूरी करनी होती थीं। हालत खराब होने लगी, शरीर में दाने निकल आए। गोरों ने लिखित माफी माँगने पर सजा माफ करने का प्रलोभन दिया। मगर जुल्म सहते रहे और हार नहीं मानी। छह माह की सजा काटने के बाद भी उनके तेवरों में कमी नहीं आई। आजादी की लड़ाई लड़ते रहे। 77 वर्ष की उम्र में कैंसर से जूझते हुए 22 मई 2001 को चिरनिद्रा में लीन हो गए।

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🇮🇳 माँ भारती को परतंत्रता की बेडियों से मुक्ति दिलाने के लिए क्रूर ब्रिटिश शासकों द्वारा अमानवीय यातनायें सहकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर क्रांतिकारी को कोटि-कोटि नमन !

🇮🇳💐🙏
#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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RSS Co-Founder Ganesh Damodar Savarkar (Babarao) | गणेश दामोदर सावरकर-बाबाराव | 13 June 1879-16 March 1945

 


#RSS Co-Founder #Ganesh_Damodar_Savarkar (#Babarao) | गणेश दामोदर सावरकर-बाबाराव | 13 June 1879-16 March 1945

🇮🇳 #आरएसएस के सह-संस्थापक रहे #गणेश_दामोदर_सावरकर (#बाबाराव) भी पूरे 20 साल तक #अंडमान की #सेल्युलर_जेल में बंद रहे. वर्ष 1921 में उन्हें गुजरात लाया गया. यहाँ साबरमती जेल में वे एक साल तक बंद रहे. 🇮🇳

🇮🇳 गणेश दामोदर सावरकर को लोग बाबाराव नाम से भी जानते थे. साल 1909 में नासिक से बाबाराव को गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला. इन्हें भी #काला_पानी की सजा सुनाई गई.

🇮🇳 आपने वीर सावरकर का नाम तो कई बार सुना होगा, लेकिन इनके बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर के बारे में शायद ही ज्यादा कुछ जानते होंगे. गणेश दामोदर सावरकर एक ऐसा नाम हैं जिनका आरएसएस में काफी योगदान है. इन्हें लोग #बाबाराव नाम से भी जानते थे. बाबाराव ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था. हालांकि वह वीर सावरकर की तरह मशहूर नहीं हुए.

🇮🇳 गणेश दामोदर सावरकर का निधन 16 मार्च 1945 को हुआ था. गणेश दामोदर सावरकर को आरएसएस के पाँच संस्थापकों में से एक माना जाता है. उन्होंने इसकी अवधारणा को अपने एक निबंध के जरिये भी स्पष्ट किया था. आज हम आपको बताएँगे गणेश दामोदर सावरकर से जुड़ी कुछ ऐसी ही अनसुनी कहानियां.

🇮🇳 बाबाराव का जन्म 13 जून 1879 को #महाराष्ट्र के #नासिक के पास #भागपुर नामक गाँव में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शुरुआती शिक्षा के दौरान इनका मन; धर्म, योग और जप-तप में ज्यादा लगता था. वह संन्यासी बनने की सोचने लगे थे. इस बीच इनके पिता का प्लेग महामारी में निधन हो गया. पिता की मौत से 7 साल पहले #माँ #राधाबाई का भी निधन हो चुका था. बाबाराव घर में सबसे बड़े थे, ऐसे में इनके ऊपर अपने दो छोटे भाइयों और बहन की जिम्मेदारी आ गई. वह इस जिम्मेदारी के साथ-साथ धर्म के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाते रहे. वह #अभिनव_भारत_सोसायटी नामक क्रांतिकारी दल से जुड़ गए और जल्द ही उसके सक्रिय सदस्य हो गए. बाद में इनके छोटे भाई वीर सावरकर भी इसी दल से जुड़े. कहा जाता है कि इस दल की स्थापना बाबाराव ने ही की थी. 

🇮🇳 बाबाराव अच्छे लेखक भी थे. काफी शोध के बाद उन्होंने अंग्रेजी में ‘इंडिया एज ए नेशन’ नाम से एक किताब लिखी. किताब जब्त न हो इसके लिए किताब छद्म नाम #दुर्गानंद नाम से लिखी गई. हालांकि अंग्रेजों को इसका पता चल गया और किताब पर प्रतिबंध लग गया. साल 1909 में नासिक से बाबाराव को गिरफ्तार किया गया और उनपर देशद्रोह का मुकदमा चला. इन्हें भी काला पानी की सजा सुनाई गई. बाबाराव भी पूरे 20 साल तक #अंडमान की #सेल्युलर_जेल में बंद रहे. वर्ष 1921 में उन्हें गुजरात लाया गया. यहाँ साबरमती जेल में एक साल तक बंद रहे. इसके बाद अंग्रेजों ने इन्हें छोड़ दिया.

🇮🇳 जेल से छूटने के बाद भी बाबाराव शांत नहीं बैठे. उन्होंने बहुसंख्यकों को एकजुट करने का काम शुरू किया. अपने इसी मकसद को लेकर वह #डॉ_केशव_बलिराम_हेडगेवार से मिले. उनसे मिलकर #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ यानी आरएसएस की रूप-रेखा तैयार हुई थी. बाबाराव ने इस दौरान मराठी में 'राष्ट्र मीमांसा' नाम से एक निबंध लिखा था. यह अंग्रेजी में #गोलवलकर के नाम से 'We or our Nationhood Defined' शीर्षक से छपा था. बाबाराव लिखित इस निबंध ने ही एक तरह से आरएसएस की मूलभूत अवधारणा को स्पष्ट किया था. यही कारण है कि उन्हें आरएसएस के पाँच संस्थापकों में से एक माना जाता है. 

साभार: abplive.com

🇮🇳 गणेश सावरकर यह बात समझते थे कि बलशाली ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध क्रांति करना एक-दो व्यक्तियों का काम नहीं है, उसके लिए प्रबल एवं कट्टर संगठन की आवश्यकता होगी। इस हेतु #मित्रमेला नामक संगठन की स्थापना की गई । उन्होंने आमसभा आयोजित कर #राष्ट्रगुरु_रामदास_स्वामी, #छत्रपति_शिवाजी_महाराज, #नाना_फडणवीस आदि महान पुरुषों की जयंतियां मनाना आरंभ किया, जिसने युवाओं में देशभक्ति जागृत करने में बहुत मदद की।

🇮🇳 महाराष्ट्र में उस समय ‘अभिनव भारत’ नामक क्रांतिकारी दल काम कर रहा था। विनायक सावरकर इस दल से संबद्ध थे। वे जब इंग्लैण्ड चले गए तो उनका काम बाबा सावरकर ने अपने हाथों में ले लिया। वे विनायक की देशभक्ति की रचनाएं और उनकी इंग्लैंड से भेजी सामग्री मुद्रित कराते, उसका वितरण करते और ‘अभिनव भारत’ के लिए धन एकत्र करते। यह कार्य ब्रिटिश सरकार को रास नहीं आ रहा था।

🇮🇳 1909 में नासिक के कलेक्टर एएमटी जैक्सन को #अनंत_कान्हेरे नामक क्रांतिकारी ने मौत के घाट उतार दिया था। इसे #नासिक_षडयंत्र के नाम से जाना गया और जांच के बाद अंग्रेजी अदालत ने माना कि इस कांड के पीछे बाबाराव सहित सावरकर बंधुओं का दिमाग था। 1909 में वे गिरफ्तार किए गए। देशद्रोह का मुकदमा चला और आजीवन कारावास की सजा देकर अंडमान भेज दिए गए। 1921 में वहाँ से भारत लाए गए और एक वर्ष साबरमती जेल में बंद रह कर 1922 में रिहा हो सके।

🇮🇳 गणेश सावरकर, डॉ. #हेडगेवार के संपर्क में रहे रहे, जिन्होंने 1925 में गणेश #सावरकर ; #मुंजे, #परांजपे और #तोलकर के साथ मिलकर आरएसएस की नींव रखी। गणेश सावरकर ने अपने पुराने संगठनों का इसमें विलय कर दिया था। यही नहीं, हेडगेवार के संगठन के तौर पर आरएसएस की ख्याति होने के बावजूद गणेश सावरकर ने हेडगेवार के संपर्कों को मजबूत करवाने में योगदान दिया। इसी का नतीजा है कि पश्चिम महाराष्ट्र में पुणे आरएसएस का मठ, गणेश की ही जी-तोड़ मेहनत से बना सका था।

🇮🇳 हिन्दू राष्ट्रवाद की अवधारणा देने वाले #हिन्दू_महासभा और #आरएसएस के सह-संस्थापक रहे #गणेश_दामोदर_सावरकर जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳🕉️🚩🔱💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल


 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 

General Bipin Rawat | जनरल बिपिन रावत | First CDS of India | 16 March 1958 – 8 December 2021



🇮🇳 #जनरल_बिपिन_रावत , जिन्हें 30 दिसंबर 2019 को भारत के पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1 जनवरी 2020 को पदभार ग्रहण किया।

🇮🇳 सीडीएस बिपिन रावत के बारे में---

• जन्म: 16 मार्च 1958 (पौड़ी, उत्तराखंड)

• मृत्यु: 8 दिसंबर 2021 (कुन्नूर, तमिलनाडु)

• आयु: 63 वर्ष

✍️ शिक्षा

• राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (बीएससी)

आई.एम.ए. रक्षा

• सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (एमफिल)

• अमेरिकी सेना कमान और जनरल स्टाफ कॉलेज (ILE)

• चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (पीएचडी)

🇮🇳 सेवा के वर्ष: 16 दिसंबर 1978 - 8 नवंबर 2021

🇮🇳 नियुक्ति की रैंक: तिथि---

• सेकंड लेफ्टिनेंट: 16 दिसंबर 1978

• लेफ्टिनेंट: 16 दिसंबर 1980

• कप्तान: 31 जुलाई 1984

• मेजर: 16 दिसंबर 1989

• लेफ्टिनेंट कर्नल: 1 जून 1998

• कर्नल: 1 अगस्त 2003

• ब्रिगेडियर: 1 अक्टूबर 2007

• मेजर जनरल: 20 अक्टूबर 2011

• लेफ्टिनेंट जनरल: 1 जून 2014

• जनरल (सीओएएस): 1 जनवरी 2017

• सामान्य (सीडीएस): 30 दिसंबर 2019

🇮🇳 पुरस्कार

• परम विशिष्ट सेवा मेडल

• उत्तम युद्ध सेवा मेडल

• अति विशिष्ट सेवा मेडल

• युद्ध सेवा पदक

• सेना पदक

• विशिष्ट सेवा पदक

🇮🇳 जन्म और परिवार: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का जन्म #उत्तराखंड के #पौड़ी में हुआ था। उनके पिता, #लक्ष्मण_सिंह_रावत ने भारतीय सेना की सेवा की और लेफ्टिनेंट-जनरल के पद तक पहुँचे। उनकी माँ उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक पूर्व विधायक की बेटी थीं।

🇮🇳 बिपिन रावत की शिक्षा: उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा #देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल, #शिमला में प्राप्त की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, #खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर' से सम्मानित किया गया।

★ वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), #वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड में हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, #कंसास में जनरल स्टाफ कॉलेज से भी स्नातक थे।

★ उन्होंने एम.फिल. भी किया। रक्षा अध्ययन में डिग्री के साथ-साथ #मद्रास विश्वविद्यालय से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा। सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए, उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, #मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया।

🇮🇳 सीडीएस बिपिन रावत का सैन्य कैरियर---

• 16 दिसंबर 1978 को, सीडीएस बिपिन रावत को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जो उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत की इकाई थी। उन्होंने आतंकवाद रोधी अभियानों का संचालन करते हुए 10 साल बिताए और मेजर से लेकर वर्तमान सीडीएस तक विभिन्न सेवाओं में काम किया।

★ मेजर के पद पर रहते हुए सीडीएस बिपिन रावत ने जम्मू-कश्मीर के उरी में एक कंपनी की कमान संभाली। उन्होंने कर्नल के रूप में किबिथू में एलएसी के साथ अपनी बटालियन की कमान सँभाली। ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नत होने के बाद, उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (MONUSCO) में एक अध्याय VII मिशन में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान सँभाली, जहाँ उन्हें दो बार फोर्स कमांडर की प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।

★ बिपिन रावत ने #उरी में 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में पदभार सँभाला जब उन्हें मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया। एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पुणे में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले #दीमापुर में मुख्यालय वाली III कोर की कमान संभाली।

★ सेना कमांडर ग्रेड में पदोन्नत होने के बाद उन्होंने दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) का पद ग्रहण किया। थोड़े समय के कार्यकाल के बाद, उन्हें वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पद पर पदोन्नत किया गया।

★ उन्हें 17 दिसंबर 2016 को भारत सरकार द्वारा 27 वें सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और 31 दिसंबर 2016 को पदभार ग्रहण किया था। उन्होंने भारतीय सेना के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के 57 वें और अंतिम अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उन्हें 30 दिसंबर 2019 को पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया था और 1 जनवरी 2020 को पदभार ग्रहण किया था।

★ सीडीएस बिपिन रावत पुरस्कार

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने अपने 40 वर्षों के करियर के दौरान वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए कई पदक और सम्मान प्राप्त किए। इनका उल्लेख नीचे किया गया है:

1- परम विशिष्ट सेवा मेडल

2- उत्तम युद्ध सेवा मेडल

3- अति विशिष्ट सेवा पदक

4- युद्ध सेवा पदक

5- सेना मेडल

6- विशिष्ट सेवा पदक

7- घाव पदक

8- सामान्य सेवा मेडल

9- विशेष सेवा पदक

10- ऑपरेशन पराक्रम मेडल

11- सैन्य सेवा मेडल

12- उच्च ऊँचाई सेवा पदक

13- विदेश सेवा मेडल

14- स्वतंत्रता पदक की 50वीं वर्षगाँठ

15- 30 वर्ष लंबी सेवा पदक

16- 20 साल लंबी सेवा पदक

17- 9 साल लंबी सेवा पदक

18- मोनुस्को

साभार: careerindia.com

🇮🇳 #पद्मविभूषण से सम्मानित; भारत के पहले 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' #सीडीएस एवं सेना प्रमुख रहे #जनरल_बिपिन_रावत जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

🇮🇳 जय हिन्द, जय हिन्द की सेना 🇮🇳

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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15 मार्च 2024

Rahi Masoom Raza | राही मासूम रज़ा | Writer | साहित्यकार

 



🇮🇳🔶 #महाभारत #Mahabharata सीरियल शुरू हुआ मेरी पैदाइश के साल. सन 1988 में. और मेरे समझदार होने से पहले चुक गया. हम समझदार हुए शक्तिमान के जमाने में. जिसमें मुकेश खन्ना थे. मुकेश महाभारत में बने थे भीष्म पितामह. तो शक्तिमान का वह रूप देखने के लिए हमने महाभारत देखा. उसके भी बहुत साल बाद पढ़ रहे थे टोपी शुक्ला. उसमें और महाभारत में एक कनेक्शन मिला. महाभारत की स्क्रिप्ट लिखी थी #राही_मासूम_रज़ा ने. जिन्होंने टोपी शुक्ला को हमारे बुक शेल्फ में इंस्टाल किया. राही मासूम रज़ा को पढ़ते हुए सोचना. एक शिया मुसलमान. सोचो कि उसने कितनी बाउंड्री कलम से खोद कर गिरा दी होगी. मजहब, रीति रिवाज, भारत माता की जय टाइप पब्लिसिटी स्टंट सबकी हवा निकाल दी उसने. और फिर उनकी लिखी किताबों के नाम चुनो. उनकी लिस्ट प्रिंट कराओ. और लाकर पढ़ डालो. इंसान बन जाओगे भाईसाहब. बाउंड्री गिर जाएंगी ढेर सारी.

🇮🇳🔶 राही मासूम रज़ा 1 सितम्बर को आए थे दुनिया में

🇮🇳🔶 हम उनके फैन हो गए थे टोपी शुक्ला पढ़ते हुए. टोपी से बड़ा अपनापा सा हो गया था. काहे? काहे कि वह भी बीच वाला था. मने एक भाई बड़ा एक छोटा. बीच में पिसता था हमेशा. शकल भी सबसे अलग टाइप की थी. जितनी दुश्वारियां उसकी थी करीब वैसी ही मेरी भी. अपनी कंडीशन भी बिल्कुल उसी तरह थी. बड़ा अच्छा लगा कि किसी ने हम जैसे बीच वालों की हालत समझी, लिखी थी.

🇮🇳🔶 1968 में मुंबई पहुंच गए थे. रोजी रोटी का मसला भी था और लिखने का भी. फिल्मों में लिख कर नाम और पैसा कमाया. लेकिन सुकून तो साहब इसी में मिलता है. जो मन में जमी सीमेंट तोड़ कर बाहर उफन पड़ता है. उसको लिखा जाए. ऐसा बहुत लिखा है. आधा गांव, कटरा बी आरजू, सीन 75, ओस की बूंद, दिल एक सादा कागज. नीम का पेड़ तो याद ही होगा. सीरियल आता था इसका. जगजीत सिंह इसका टाइटल सांग गाते थे “मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन. आवाजों के बाजारों में खामोशी पहचाने कौन.” और पंकज कपूर थे मेन रोल में. ये राही की लिखी आखिरी चीज थी. मैं एक फेरीवाला, शीशे के मकां वाले और ग़रीबे शहर. इनमें लिखी हैं उर्दू नज़्म और शायरी.

🇮🇳🔶 कविता पढ़ो उनकी लिखी. मैं एक फेरी वाला का हिस्सा है ये.

मेरा नाम मुसलमानों जैसा है

मुझ को कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो.

मेरे उस कमरे को लूटो

जिस में मेरी बयाज़ें जाग रही हैं

और मैं जिस में तुलसी की रामायण से सरगोशी कर के

कालिदास के मेघदूत से ये कहता हूँ

मेरा भी एक सन्देशा है

🇮🇳🔶 शुरुआत में जब इलाहाबाद रहे. तो 10-15 उपन्यास लिख डाले दूसरों के नाम से. घोस्ट राइटर. जब मुंबई पहुंचे तो नाम पैदा हो गया. उसके बाद सब कुछ लिखते रहे. करीब 300 फिल्में और 100 के आस पास सीरियल लिखे. सबसे लंबा काम है उनका महाकाव्य ‘अट्ठारह सौ सत्तावन.’ आधा गांव उपन्यास आया 1966 में. उसके बारे में लिख गए हैं-

🔰 “वह उपन्यास वास्तव में मेरा एक सफर था. मैं ग़ाज़ीपुर की तलाश में निकला हूं लेकिन पहले मैं अपनी गंगोली में ठहरूंगा. अगर गंगोली की हक़ीक़त पकड़ में आ गयी तो मैं ग़ाज़ीपुर का एपिक लिखने का साहस करूंगा”

🇮🇳🔶 उनको याद करते हुए ये नज्म पढ़ लेना. सुन लेना. गुन लेना.

🔰 "हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चाँद

अपनी रात की छत पर, कितना तनहा होगा चाँद

जिन आँखों में काजल बनकर, तैरी काली रात

उन आँखों में आँसू का इक, कतरा होगा चाँद

रात ने ऐसा पेंच लगाया, टूटी हाथ से डोर

आँगन वाले नीम में जाकर, अटका होगा चाँद

चाँद बिना हर दिन यूँ बीता, जैसे युग बीते

मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चाँद"

~ आशुतोष चचा

साभार: thelallantop.com

#Literature #Rahi_Masoom_Raza

🇮🇳 बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और प्रसिद्ध #साहित्यकार #राही_मासूम_रज़ा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !  

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Makar Sankranti मकर संक्रांति

  #मकर_संक्रांति, #Makar_Sankranti, #Importance_of_Makar_Sankranti मकर संक्रांति' का त्यौहार जनवरी यानि पौष के महीने में मनाया जाता है। ...