16 मार्च 2024

RSS Co-Founder Ganesh Damodar Savarkar (Babarao) | गणेश दामोदर सावरकर-बाबाराव | 13 June 1879-16 March 1945

 


#RSS Co-Founder #Ganesh_Damodar_Savarkar (#Babarao) | गणेश दामोदर सावरकर-बाबाराव | 13 June 1879-16 March 1945

🇮🇳 #आरएसएस के सह-संस्थापक रहे #गणेश_दामोदर_सावरकर (#बाबाराव) भी पूरे 20 साल तक #अंडमान की #सेल्युलर_जेल में बंद रहे. वर्ष 1921 में उन्हें गुजरात लाया गया. यहाँ साबरमती जेल में वे एक साल तक बंद रहे. 🇮🇳

🇮🇳 गणेश दामोदर सावरकर को लोग बाबाराव नाम से भी जानते थे. साल 1909 में नासिक से बाबाराव को गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला. इन्हें भी #काला_पानी की सजा सुनाई गई.

🇮🇳 आपने वीर सावरकर का नाम तो कई बार सुना होगा, लेकिन इनके बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर के बारे में शायद ही ज्यादा कुछ जानते होंगे. गणेश दामोदर सावरकर एक ऐसा नाम हैं जिनका आरएसएस में काफी योगदान है. इन्हें लोग #बाबाराव नाम से भी जानते थे. बाबाराव ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था. हालांकि वह वीर सावरकर की तरह मशहूर नहीं हुए.

🇮🇳 गणेश दामोदर सावरकर का निधन 16 मार्च 1945 को हुआ था. गणेश दामोदर सावरकर को आरएसएस के पाँच संस्थापकों में से एक माना जाता है. उन्होंने इसकी अवधारणा को अपने एक निबंध के जरिये भी स्पष्ट किया था. आज हम आपको बताएँगे गणेश दामोदर सावरकर से जुड़ी कुछ ऐसी ही अनसुनी कहानियां.

🇮🇳 बाबाराव का जन्म 13 जून 1879 को #महाराष्ट्र के #नासिक के पास #भागपुर नामक गाँव में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शुरुआती शिक्षा के दौरान इनका मन; धर्म, योग और जप-तप में ज्यादा लगता था. वह संन्यासी बनने की सोचने लगे थे. इस बीच इनके पिता का प्लेग महामारी में निधन हो गया. पिता की मौत से 7 साल पहले #माँ #राधाबाई का भी निधन हो चुका था. बाबाराव घर में सबसे बड़े थे, ऐसे में इनके ऊपर अपने दो छोटे भाइयों और बहन की जिम्मेदारी आ गई. वह इस जिम्मेदारी के साथ-साथ धर्म के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाते रहे. वह #अभिनव_भारत_सोसायटी नामक क्रांतिकारी दल से जुड़ गए और जल्द ही उसके सक्रिय सदस्य हो गए. बाद में इनके छोटे भाई वीर सावरकर भी इसी दल से जुड़े. कहा जाता है कि इस दल की स्थापना बाबाराव ने ही की थी. 

🇮🇳 बाबाराव अच्छे लेखक भी थे. काफी शोध के बाद उन्होंने अंग्रेजी में ‘इंडिया एज ए नेशन’ नाम से एक किताब लिखी. किताब जब्त न हो इसके लिए किताब छद्म नाम #दुर्गानंद नाम से लिखी गई. हालांकि अंग्रेजों को इसका पता चल गया और किताब पर प्रतिबंध लग गया. साल 1909 में नासिक से बाबाराव को गिरफ्तार किया गया और उनपर देशद्रोह का मुकदमा चला. इन्हें भी काला पानी की सजा सुनाई गई. बाबाराव भी पूरे 20 साल तक #अंडमान की #सेल्युलर_जेल में बंद रहे. वर्ष 1921 में उन्हें गुजरात लाया गया. यहाँ साबरमती जेल में एक साल तक बंद रहे. इसके बाद अंग्रेजों ने इन्हें छोड़ दिया.

🇮🇳 जेल से छूटने के बाद भी बाबाराव शांत नहीं बैठे. उन्होंने बहुसंख्यकों को एकजुट करने का काम शुरू किया. अपने इसी मकसद को लेकर वह #डॉ_केशव_बलिराम_हेडगेवार से मिले. उनसे मिलकर #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ यानी आरएसएस की रूप-रेखा तैयार हुई थी. बाबाराव ने इस दौरान मराठी में 'राष्ट्र मीमांसा' नाम से एक निबंध लिखा था. यह अंग्रेजी में #गोलवलकर के नाम से 'We or our Nationhood Defined' शीर्षक से छपा था. बाबाराव लिखित इस निबंध ने ही एक तरह से आरएसएस की मूलभूत अवधारणा को स्पष्ट किया था. यही कारण है कि उन्हें आरएसएस के पाँच संस्थापकों में से एक माना जाता है. 

साभार: abplive.com

🇮🇳 गणेश सावरकर यह बात समझते थे कि बलशाली ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध क्रांति करना एक-दो व्यक्तियों का काम नहीं है, उसके लिए प्रबल एवं कट्टर संगठन की आवश्यकता होगी। इस हेतु #मित्रमेला नामक संगठन की स्थापना की गई । उन्होंने आमसभा आयोजित कर #राष्ट्रगुरु_रामदास_स्वामी, #छत्रपति_शिवाजी_महाराज, #नाना_फडणवीस आदि महान पुरुषों की जयंतियां मनाना आरंभ किया, जिसने युवाओं में देशभक्ति जागृत करने में बहुत मदद की।

🇮🇳 महाराष्ट्र में उस समय ‘अभिनव भारत’ नामक क्रांतिकारी दल काम कर रहा था। विनायक सावरकर इस दल से संबद्ध थे। वे जब इंग्लैण्ड चले गए तो उनका काम बाबा सावरकर ने अपने हाथों में ले लिया। वे विनायक की देशभक्ति की रचनाएं और उनकी इंग्लैंड से भेजी सामग्री मुद्रित कराते, उसका वितरण करते और ‘अभिनव भारत’ के लिए धन एकत्र करते। यह कार्य ब्रिटिश सरकार को रास नहीं आ रहा था।

🇮🇳 1909 में नासिक के कलेक्टर एएमटी जैक्सन को #अनंत_कान्हेरे नामक क्रांतिकारी ने मौत के घाट उतार दिया था। इसे #नासिक_षडयंत्र के नाम से जाना गया और जांच के बाद अंग्रेजी अदालत ने माना कि इस कांड के पीछे बाबाराव सहित सावरकर बंधुओं का दिमाग था। 1909 में वे गिरफ्तार किए गए। देशद्रोह का मुकदमा चला और आजीवन कारावास की सजा देकर अंडमान भेज दिए गए। 1921 में वहाँ से भारत लाए गए और एक वर्ष साबरमती जेल में बंद रह कर 1922 में रिहा हो सके।

🇮🇳 गणेश सावरकर, डॉ. #हेडगेवार के संपर्क में रहे रहे, जिन्होंने 1925 में गणेश #सावरकर ; #मुंजे, #परांजपे और #तोलकर के साथ मिलकर आरएसएस की नींव रखी। गणेश सावरकर ने अपने पुराने संगठनों का इसमें विलय कर दिया था। यही नहीं, हेडगेवार के संगठन के तौर पर आरएसएस की ख्याति होने के बावजूद गणेश सावरकर ने हेडगेवार के संपर्कों को मजबूत करवाने में योगदान दिया। इसी का नतीजा है कि पश्चिम महाराष्ट्र में पुणे आरएसएस का मठ, गणेश की ही जी-तोड़ मेहनत से बना सका था।

🇮🇳 हिन्दू राष्ट्रवाद की अवधारणा देने वाले #हिन्दू_महासभा और #आरएसएस के सह-संस्थापक रहे #गणेश_दामोदर_सावरकर जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳🕉️🚩🔱💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल


 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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