03 मार्च 2024

Ramakrishna Khatri | Freedom Fighter | क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री | 3 मार्च 1902 -18 अक्टूबर 1996




 

🇮🇳 आजादी के मतवालों की कहानियाँ सुनते ही खून दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगता है. क्रांतिकारियों की कहानी के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. आपको ऐसे क्रांतिकारी की कहानी बताएँगे, जिसने छोटी सी उम्र में देश की आजादी को ही अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया था.

🇮🇳 क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री का जन्म #महाराष्ट्र प्रांत में #बुल्डाणा जिले के #चिखली ग्राम में हुआ था. पिता का नाम #शिवलाल_चोपड़ा और माता का नाम #कृष्णा_बाई था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा चिखली और चंद्रपुर नगर में ग्रहण की. बचपन से ही खत्री के हृदय में देश प्रेम का अंकुर फूटने लगा था. बताया जाता है, उन दिनों देश भर में 'लाल-बाल-पाल' की धूम मची थी.

🇮🇳 सन 1917 में #लोकमान्य_बाल_गंगाधर_तिलक अपने राष्ट्रव्यापी दौरे के बीच चिखली में पधारे थे. भला बालक राम कृष्ण यह अवसर कहाँ छोड़ने वाला थे. रामकृष्ण खत्री के बेटे #उदय_खत्री बताते हैं कि, अपने ऊपर निगरानी रख रहे परिजनों और स्कूल अध्यापकों की नजर बचाकर रामकृष्ण कुछ सहपाठियों के साथ #लोकमान्य_तिलक का भाषण सुनने जा पहुँचे. भाषण के बाद मौका पाकर रामकृष्ण लोकमान्य तिलक के पास पहुँचे और हाथ पकड़ कर बोले, मुझे भी अपने साथ ले चलिए. आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूँगा.

🇮🇳 इस पर लोकमान्य तिलक ने उन्हें समझाते हुए कहा था, अभी तुम लोग बहुत छोटे हो, पढ़ लिख कर थोड़ा और बड़े हो जाओ तब #मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अपने आप को लगाना. इस बात को सुनकर रामकृष्ण खत्री रुआँसे हो गए. इसी पर रामकृष्ण खत्री ने देश को आजाद कराने की मन में ठान ली.

🇮🇳 बेटे उदय खत्री बताते हैं कि, चिखली की पढ़ाई खत्म होते ही पिता रामकृष्ण अपने बड़े भाई #मोहनलाल के पास महाराष्ट्र के ही चंद्रपुर चले आए और वहाँ हाईस्कूल में दाखिला ले लिया. 1920 के 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक के निधन के बाद पूरे देश की निगाहें #गाँधीजी की ओर लग गई थीं. सितंबर 1920 में कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व महात्मा गाँधी ने 14 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की. जिसमें वकीलों से वकालत छोड़ने का आह्वान, छात्र-छात्राओं से अंग्रेजी विद्यालयों की पढ़ाई छोड़ देने का आह्वान और प्रबुद्ध जनों से अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदत्त उपाधियों-पदवियों का परित्याग कर देने का आह्वान किया.

🇮🇳 इस 14 सूत्री कार्यक्रमों के आह्वान पर कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी #वर्धा (महाराष्ट्र) पहुँचे. #सेठ_जमनालाल_बजाज के प्रांगण में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया. इसी सभा में रामकृष्ण खत्री भी अपने कुछ छात्र मित्रों के साथ पहुँच गए. भाषण की समाप्ति के बाद जैसे ही गॉंधीजी ने समूह से कहा कि किसी को किसी प्रकार की शंका का समाधान करना हो तो मुझसे प्रश्न कर सकता है.

🇮🇳 इस पर करीब 18 वर्ष के राम कृष्ण अपने स्थान से उठे और गॉंधी जी से एक तीखा प्रश्न कर बैठे. रामकृष्ण ने गॉंधी जी से कहा, आप अंग्रेज सरकार द्वारा स्थापित विद्यालयों से पढ़ाई छोड़ देने के लिए हम विद्यार्थियों से कह रहे हैं, लेकिन लोकमान्य तिलक, #रविंद्र_नाथ_टैगोर और आप सभी नेताओं ने इन्हीं विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है. इस पर गाँधी जी ने बड़े शांत भाव से रामकृष्ण को उत्तर दिया. जिसके बाद रामकृष्ण खत्री व उपस्थित छात्रों ने विद्यालय छोड़ देने की घोषणा कर दी.

🇮🇳 उदय खत्री बताते हैं कि पिता रामकृष्ण खत्री ने अपने व्यक्तित्व से कांग्रेस में अपना स्थान बनाया. सन 1920 में ही कोलकाता और नागपुर के कांग्रेसी अधिवेशन में प्रतिनिधि के रुप में सम्मिलित हुए और उसी समय से सेवा दल के कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत रहे. वे बताते हैं कि अगस्त 1921 में राष्ट्र को समर्पित करने के लिए वह गृह त्यागी हो गए. इसी समय वह #कनखल (हरिद्वार) जाकर नागपंचमी के दिन उन्होंने उदासीन अखाड़े में दीक्षा प्राप्त की और साधु हो गए.



🇮🇳 फरवरी 1922 में महात्मा गाँधी ने #चौरी_चौरा_कांड के कारण असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था. इस निर्णय से दुखी होकर रामकृष्ण अमृतसर से बनारस चले गए. वहाँ उन्होंने उदासीन संस्कृत महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया. उदय खत्री बताते हैं 1923 में बनारस में ही वह क्रांतिकारी #चंद्रशेखर_आजाद के संपर्क में आए. उसी के बाद रामकृष्ण एकमात्र ऐसे व्यक्ति से जिन्हें चंद्र शेखर आजाद ने 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' का सक्रिय सदस्य बना लिया. फिर सारा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया.

🇮🇳 9 मार्च 1925 को #बिचपुरी गाँव में हुए एक्शन और उसके डेढ़ 2 माह बाद #प्रतापगढ़ के #द्वारिकापुर कस्बे में किए गए एक्शन में सक्रिय रूप से भाग लिया.

🇮🇳 6 अगस्त 1925 को क्रांतिकारी #रामप्रसाद_बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारी साथियों द्वारा लखनऊ के निकट काकोरी ट्रेन डकैती कांड हुआ.

🇮🇳 18 अक्टूबर 1925 को रामकृष्ण खत्री काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र कांड के अंतर्गत #पुणे से बंदी बनाकर लखनऊ लाए गए. काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र केस के अंतर्गत लखनऊ में चले ऐतिहासिक मुकदमे में 19 क्रांतिकारियों को 4 वर्ष से लेकर फाँसी तक का दंड मिला. रामकृष्ण खत्री को इस केस में 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा मिली.

🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 10 वर्ष की सजा काटकर 1 अगस्त 1935 को लखनऊ सेंट्रल जेल से रिहा किए गए. जेल से छूट कर उन्होंने #डॉ_राजेंद्र_प्रसाद की अध्यक्षता में 'ऑल इंडिया पॉलीटिकल प्रिजनर्स रिलीफ कमिटी' की स्थापना की. इस संस्था के महामंत्री के रूप में बंदी जीवन काट रहे, अपने शेष क्रांतिकारी साथियों की रिहाई का प्रयास करते रहे.

🇮🇳 रामकृष्ण के प्रयास के चलते 1937 में कांग्रेस सरकार ने क्रांतिकारी बंदियों की रिहाई शुरू कर दी. वर्ष 1938 के मध्य तक सभी क्रांतिकारी रिहा भी कर दिए गए.

🇮🇳 दिसंबर 1937 में दिल्ली प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 5 क्रांतिकारी साथियों के साथ बंदी बना लिए गए और 4 माह कैद की सजा काटी.



🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 1938 के मध्य में #आचार्य_नरेंद्र_देव द्वारा गठित 'कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी' की लखनऊ इकाई के महामंत्री चुने गए.

🇮🇳 रामकृष्ण 1939 में क्रांतिकारी #सुभाष_चंद्र_बोस की अध्यक्षता में आयोजित ऐतिहासिक #त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में सम्मिलित हुए.

🇮🇳 15 अगस्त 1939 को रामकृष्ण खत्री का कोलकाता में बंगाली 'दास अधिकारी' परिवार की कन्या के साथ विवाह हुआ.

🇮🇳 सन 1940 में उत्तर प्रदेश में सुभाष चंद्र बोस के ऐतिहासिक दौरे का सफल आयोजन किया. इससे पहले 1939 में #रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान ही प्रथम अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक अधिवेशन में भी सम्मिलित हुए.

🇮🇳 1941 में सुभाष चंद्र बोस के देश छोड़ देने के बाद रामकृष्ण 1942 में कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. 1966 के कांग्रेस विभाजन तक पार्टी में सक्रिय कार्य करते रहे.

🇮🇳 सितंबर 1976 में लखनऊ में संपन्न अमर शहीद #यतींद्र_नाथ_दास के 50वें बलिदान दिवस समारोह के वे सफल आयोजक रहे.

🇮🇳 दिसंबर 1983 में लखनऊ के निकट ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती घटनास्थल पर भव्य स्मारक के निर्माण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के द्वारा शिलान्यास समारोह में भी मुख्य रूप से रामकृष्ण खत्री मौजूद रहे.

🇮🇳 मई 1990 में लखनऊ में देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रमुख क्रांतिकारी के स्मृति दिवसों के निरंतर आयोजन के लिए 'शहीद स्मृति समारोह समिति' नामक संस्था की स्थापना की.

🇮🇳 देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री का निधन 95 वर्ष की उम्र में 18 अक्टूबर 1996 को लखनऊ में हुआ.

साभार: etvbharat.com

🇮🇳 भारत के स्वतंत्रता संग्राम में #काकोरी_क्रांति के लिए दण्ड के रूप में दस वर्ष के कारावास की सजा पाने वाले भारत के प्रमुख #क्रांतिकारी #रामकृष्ण_खत्री जी की जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन एवं हार्दिक श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Ramakrishna_Khatri   #आजादी_का_अमृतकाल  #03March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  #Freedom_Fighter


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे | डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948

 




Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे |  डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948 

🇮🇳🔶 वो गुरुजी के गुरुजी थे: जिनकी वजह से डॉ. आंबेडकर की भी थी संघ से नजदीकी 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा। 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 पूरी संभावना है कि आपने बालकृष्ण शिवराम मुंजे का नाम नहीं सुना होगा। अगर एक वाक्य में उनका योगदान बताना हो तो बता दें कि पहले फिरंगी जातियों के आधार पर सेना में भर्ती लेते थे और इस व्यवस्था को हटाकर सभी की भर्ती हो सके, ये व्यवस्था बीएस मुंजे के प्रयासों से हो पाई थी। #बिलासपुर के एक ब्राह्मण परिवार में 1872 में जन्मे मुंजे ने 1898 में मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की थी।

🇮🇳 ये वो दौर था जब कांग्रेस में नरम दल और गरम दल अलग-अलग होने लगे थे। गरम दल का नेतृत्व #लाला_लाजपत_राय, #बाल_गंगाधर_तिलक और #बिपिनचंद्र_पाल अर्थात लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के हाथ में था। इस दौर तक दोनों कांग्रेसी धड़ों के बीच जूतेबाजी भी शुरू हो चुकी थी।

🇮🇳🔶 जब 1907 में #सूरत में कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन हो रहा था तो दोनों हिस्सों के बीच तल्खियाँ बढ़ गईं। इस वक्त बीएस मुंजे ने खुलकर तिलक का समर्थन किया और यही वजह रही कि तिलक के वो भविष्य में भी काफी करीबी रहे। पार्टी के लिए चंदा इकठ्ठा करने के कार्यक्रमों में वो तिलक के आदेश पर पूरे केन्द्रीय भारत में भ्रमण करते रहे।

🇮🇳🔶 बाद में जब राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए लोकमान्य तिलक ने गणेश पूजा की शुरुआत की तो उसे भी मुंजे का पूरा समर्थन मिला। पंडाल लगाने, मूर्ति बैठाने और उसे विसर्जित करने तक के कार्यक्रम के जरिए लोकमान्य तिलक ने जो व्यवस्था महाराष्ट्र में शुरू की थी, उसी को वो बाद में कोलकाता भी ले गए। कोलकाता के इस अभियान में लोकमान्य तिलक के साथ बीएस मुंजे भी थे।

🇮🇳🔶 आज जो आप कोलकाता के दुर्गा पूजा में विशाल पंडालों, मूर्तियों इत्यादि का आयोजन देखते हैं वो 1900 के शुरुआती दशकों में रखी गई थी। जैसा कि हर सौ वर्षों में होता ही है, शताब्दी का दूसरा दशक उस समय भी हिन्दुओं के पुनःजागरण का काल था।

🇮🇳🔶 मोहनदास करमचंद गाँधी की ही तरह बोअर युद्ध के दौरान बीएस मुंजे भी 1899 में मेडिकल कॉर्प्स में थे। सायमन कमीशन के विरोध, रक्षा बजट का प्रावधान अलग करवाने और समाज सुधार के कार्यों में बीएस मुंजे लगातार काम करते रहे। जब लोकमान्य तिलक की मृत्यु हो गई तब वो 1920 में कॉन्ग्रेस से अलग हो गए थे।

🇮🇳🔶 उनकी मोहनदास करमचंद गाँधी की ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘अहिंसा’ जैसे विषयों पर घोर असहमति थी। आगे चलकर करीब 65 वर्ष की आयु में उन्होंने नासिक में भोंसला मिलिट्री अकादमी की स्थापना कर डाली। ये स्कूल आज भी जाने माने विद्यालयों में से एक है। उनके द्वारा स्थापित किए हुए कई संस्थान तो अब अपनी सौवीं वर्षगाँठ के आस-पास हैं और आश्चर्य की बात कि कोई भी बंद या सरकारी मदद माँगने वाली बुरी स्थिति में नहीं पहुँचा!

🇮🇳🔶 कांग्रेस से दूरी बढ़ाने के वक्त भी उनकी हिन्दू महासभा से नजदीकी कम नहीं हुई। वो डॉ. हेडगेवार के राजनैतिक गुरु थे। उनकी प्रेरणा से ही डॉ. हेडगेवार ने 1925 में आरएसएस की शुरुआत की थी। डॉ. बीएस मुंजे ने 1927 में हिन्दू महासभा के प्रमुख का पदभार सँभाल लिया था और उन्होंने 1937 में ये पद #विनायक_दामोदर_सावरकर को दिया।

🇮🇳🔶 सैन्य स्कूल स्थापित करने की प्रेरणा उन्हें अपनी इटली यात्रा से मिली थी, जहाँ 1931 में वो मुसोलनी से भी मिले थे। कांग्रेस के घनघोर विरोध के बाद भी वो दो बार लंदन में गोल मेज़ सभाओं में भी सम्मिलित हुए थे। अपने पूरे जीवन वो यात्राएँ ही करते रहे।



🇮🇳🔶 ऐसा भी नहीं है कि उनसे सलाह लेने और मानने वालों में केवल सावरकर और डॉ. हेडगेवार ही थे। जब #डॉ_भीमराव_राम_आंबेडकर को धर्मपरिवर्तन करना था तो उन्होंने भी डॉ. मुंजे से सलाह ली और मानी थी। डॉ. मुंजे ने उन्हें अब्रह्मिक मजहबों की तरफ जाने के बदले भारतीय धर्मों की ओर जाने की सलाह दी थी।

🇮🇳🔶 जब सिख होने और बौद्ध धर्म अपनाने के बीच चुनना था तो अंततः डॉ. आंबेडकर ने डॉ. बीएस मुंजे की सलाह मानते हुए बौद्ध धर्म अपनाया था। अगर आपने कभी सोचा हो कि अपने समय के हर संगठन (राजनैतिक या गैर-राजनैतिक) पर अपने विचार रखने वाले डॉ. आंबेडकर की संघ से क्यों नजदीकी थी, तो ऐसा मान सकते हैं कि डॉ. बीएस मुंजे उनके बीच की कड़ी थे।



🇮🇳🔶 आज डॉ. बीएस मुंजे (12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948) की पुण्यतिथि है। जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा।

साभार: opindia.com

🇮🇳 #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के अभिभावक, मार्गदर्शक तथा प्रेरणास्रोत, धर्मवीर, सच्चे राष्ट्रभक्त, वीर नायक #डॉ_बालकृष्ण_शिवराम_मुंजे जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Dr_Balkrishna_Shivram_Munje   #आजादी_का_अमृतकाल  #03March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  


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Political sabotage was started by Congress itself | कांग्रेस द्वारा ही शुरू की गई थी राजनीतिक तोड़फोड़ | लेखक : सुभाष चन्द्र





#Political #sabotage was started by #Congress itself

#कांग्रेस द्वारा ही शुरू की गई  थी #राजनीतिक तोड़फोड़


समय समय की बात है - जैसा बोया कांग्रेस ने, वो ही  काटना पड़ रहा है -

राजनीतिक तोड़फोड़ कांग्रेस ने ही  शुरू की थी - अब विलाप क्यों ?


इस सत्य को कोई नकार नहीं सकता कि विधायकों सांसदों की तोड़फोड़ की राजनीति कांग्रेस की ही देन है लेकिन आज जब उसे इसका फल चखना पड़ रहा है तो लोकतंत्र की हत्या होती दिखाई दे रही है - आज अपने विधायकों को चुनाव परिणाम आते ही कांग्रेस को भेड़ बकरियों की तरह किसी तबेले में छुपाना पड़ता है - कांग्रेस के कुछ कुकर्म याद कीजिए -


1977 में #हरियाणा के #भजनलाल जनता पार्टी से #चुनाव जीते थे और देवीलाल के मुख्यमंत्री रहते हुए कई मंत्रालय उनके पास थे - #जनता पार्टी ने विधानसभा में 90 में से 75 सीट जीती थी जबकि कांग्रेस को मात्र 3 सीट मिली थी - 1979 में भजन लाल कांग्रेस में चले गए और जनता पार्टी के 44 विधायकों को तोड़ कर कांग्रेस में ले गया और मुख्यमंत्री बन गया - इससे बड़ा दलबदल का ड्रामा कांग्रेस के अलावा कोई नहीं कर सकता था - ऐसे हथकंडों से उस वक्त कांग्रेस “लोकतंत्र” को इमरजेंसी के बाद जैसे पुनर्जीवित कर रही थी 


इस कालखंड में याद कीजिए जब इंदिरा गांधी ने समर्थन देकर चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनवा दिया लेकिन मात्र 22 दिन के बाद उनकी सरकार पटक दी क्योंकि चरण सिंह ने कांग्रेस की शर्तें मानने से मना कर दिया था - चंद्रशेखर की सरकार राजीव गांधी ने केवल एक बहाना बना कर गिरा दी थी कि उसकी जासूसी की जा रही थी - देवगौड़ा से भी कांग्रेस ने समर्थन खींच लिया था, और यह भी सबको याद है और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिराने के लिए तो कांग्रेस ने परले दर्जे की गिरावट दिखाई थी - आज हिमाचल प्रदेश में अभिषेक मनु सिंघवी को जीत की एक वोट भी नहीं मिल सकी -


याद तो वह समय भी होगा जब 1995 में भाजपा को गुजरात विधानसभा में 182 में से 121 सीट मिली और कांग्रेस को मात्र 45 सीट मिली थी लेकिन शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस की अंखियों का नूर बन गया और भाजपा के 48 विधायकों को लेकर खजुराओ उड़ गए और इतिहास का सबसे बड़ा Defection करा कर कांग्रेस के मुख्यमंत्री बन गए - कितना बढ़िया लोकतंत्र था कांग्रेस का क्योंकि इस हरकत पर कांग्रेस बहुत खुश थी 


नवंबर, 2019 में कांग्रेस और कथित मराठा “चाणक्य” शरद पवार ने खेल खेल कर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का लालच देकर भाजपा से अलग करा दिया और Point of No Return की स्थिति में लाकर बिठा दिया - कांग्रेस और पवार को पता था कि उद्धव को जैसे वो चाहेंगे, वैसे नाच नचाएंगे और जब मर्जी पटक देंगे लेकिन खेल उल्टा ही कर दिया शिंदे / भाजपा ने - 


महाराष्ट्र की कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव की राजनीति का दुष्परिणाम क्या सामने आया, सबने देख लिया - उद्धव की शिवसेना सच में ख़त्म हो गई और एकनाथ शिंदे असली #शिवसेना का मालिक बन गया - #शरद_पवार की #NCP भी ख़त्म हो गई और कांग्रेस शनैः शनैः बिखराव पर है, उद्धव की सरकार भी गई और महाविकास अघाड़ी महाविनाश को प्राप्त हो गईं - इसलिए सही कहा गया है कि कर्मफल भुगतना ही पड़ता है जो आज कांग्रेस भुगत रही है -


जो खेल कांग्रेस ने शुरू किया उसका परिणाम एक दिन उसे ही भुगतना पड़ेगा कांग्रेस ने कभी कल्पना भीं नहीं की थी क्योंकि उसे कभी #जनसंघ / #भाजपा के सत्ता में इस तरह आने की उम्मीद ही नहीं थी जो कांग्रेस को एक क्षेत्रीय दल बना देगी -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 01/03/2024 

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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

02 मार्च 2024

Explosion in Bengaluru | बेंगलुरु में धमाका | लेखक : सुभाष चन्द्र




Explosion in Bengaluru | बेंगलुरु में धमाका | 

क्या कांग्रेस के पाकिस्तान प्रेम का असर 

एक दिन में नज़र आ गया -

पहले पाकिस्तान जिंदाबाद हुआ और 

अगले दिन बेंगलुरु में धमाका -


कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के पहले से ही मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू विरोधी नीतियां शुरू कर दी थी - अब हाल ही में मंदिरों को लूटने का भी कार्यक्रम बना कर पैसा मस्जिदों, मदरसों और चर्चों में लगाने का बिल विधान सभा से पास करा लिया था जो विधान परिषद में गिर गया - लेकिन ये विचार कांग्रेस की कुटिल बुद्धि में घुस चुका है तो उसे पूरा करने का जुगाड़ ये लगाते ही रहेंगे -


अभी याद होगा कुछ दिन पहले भी मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर पाकिस्तान जाकर पाकिस्तान की शान में कसीदे पढ़े थे - और 29 फरवरी को राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सईद नासिर हुसैन की जीत के बाद उसके समर्थकों ने विधानसभा परिसर में “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए -


विधानसभा में भाजपा द्वारा विरोध जताने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि हमने “वॉयस रिपोर्ट जांच के लिए फॉरेंसिक लैब में भेज दी और यदि इसमें “पाकिस्तान जिंदाबाद” का नारा लगाया गया पाया गया तो ऐसे व्यक्ति को गंभीर सजा दी जाएगी - दूसरी तरफ खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने ऐसे नारे से इंकार किया और इसे भाजपा की साजिश बता दिया -  नारे सुनकर भी इन लोगों को पता नहीं लगता कि क्या नारा लगा है - 


अब खबर है कि फॉरेंसिक जांच में साबित हो गया है कि पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया गया था जिसके लिए पुलिस ने हावेरी जिले के एक मिर्च व्यापारी को हिरासत में लिया है - लेकिन  उसके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी क्या क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेता बीके हरिप्रसाद ने तो पाकिस्तान को एक तरह कांग्रेस का “मित्र देश” बता दिया है - और कोर्ट इसे “अभिव्यक्ति की आज़ादी” भी कह सकता है -


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भाजपा के लिए “शत्रु देश” है जबकि हमारे लिए एक “पड़ोसी मुल्क” है और सहारा लिया आडवाणी जी की लाहौर यात्रा का जिसमे उन्होंने जिन्ना की तारीफ़ की थी - आडवाणी की एक यात्रा को कंधा बनाए रहते हैं कांग्रेस के लोग जबकि पाकिस्तान को जन्म देकर कांग्रेस ने तभी से पाकिस्तान की लल्लोचप्पो ही की है -


एक दिन “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगवाए कांग्रेस ने और दूसरे दिन बेंगलुरु में बम धमाका होता है जबकि पिछले 10 सालों से कोई आतंकी हमले नहीं हुए - क्या कांग्रेस मोदी सरकार के इसी दावे को पलीता लगाना चाहती है कि भाजपा राज में कांग्रेस राज की तरह आतंकी हमले नहीं हुए - कांग्रेस भूल रही है कि इस धमाके की जिम्मेदारी भी कांग्रेस सरकार पर होगी जो अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान जिंदाबाद नारे लगवा कर और फिर पाकिस्तान को “मित्र देश’ बता कर पाकिस्तान के साथ खड़ी है - 


यह धमाका भारत विरोधी निताशा कौल को वापस भेजने के बाद हुआ - कांग्रेस सरकार वैसे ही इस महिला को निमंत्रण पर बुला कर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की दोषी है क्योंकि निताशा कौल पाकिस्तान प्रेमी और भारत विरोधी है, कहती है कश्मीर भारत का नहीं है और 370 हटाना गलत है जबकि यह महिला कश्मीरी है और ऐसी भारत विरोधी महिला से कांग्रेस के संबंध का क्या मतलब है 


जो माहौल कांग्रेस ने कर्नाटक में बनाया हुआ है और जिस तरह राज्य सरकार का खजाना खाली हो चुका है और विकास के पैसा बचा ही नहीं है ऐसे में कोई निवेश राज्य में होना नामुमकिन है, कांग्रेस के विदेशी आका चाहते हैं  कि भारत को खोखला करते रहो और अडानी अंबानी टाटा का विरोध करते रहो -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 02/03/2024 

#Illegal_construction, #Good_Order, #Supreme_Court #Kejriwal  #judiciary #ed #cbi #delhi #sharabghotala #Rouse_Avenue_court #liquor_scam #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp #dhruv_rathee_video 


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

What do you want Milord | क्या चाहते हैं मीलॉर्ड | Illegal Construction | लेखक : सुभाष चन्द्र




क्या चाहते हैं मीलॉर्ड - मैंने कहा था 

सब जगह समान आदेश लागू हों  और कल ही भ्रम पैदा कर दिया -


मैंने सुप्रीम कोर्ट के चेन्नई की अवैध मस्जिद और मदरसे को हटाने के आदेश पर लिखा था कि आदेश अच्छा है लेकिन यह सभी जगह लागू होना चाहिए और कई उदाहरण भी दिए थे जहां उन्हें लागू होना चाहिए -


लेकिन कल ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने लखनऊ के अकबरनगर में 24 “अवैध कॉलोनियों” को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को ख़ारिज करने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चेन्नई मामले से बिलकुल विपरीत ऐसी टिपण्णी कर दी जो “अवैध निर्माण” को प्रोत्साहन देती है -


जस्टिस खन्ना की पीठ ने बहुत खतरनाक बात कही जिसमें कहा गया - “किसी भी शख्स के सिर पर छत होना उसका मूलभूत अधिकार है लेकिन अगर किफायती दाम पर लोगों को आवास उपलब्ध कराने में सरकारी नीतियां असमर्थ रहती हैं, तो ऐसे में अनाधिकृत कॉलोनियों का बनना तय है” 


इसका मतलब साफ़ है सुप्रीम कोर्ट जनता के प्रति सारी जिम्मेदारी सरकार पर थोप देना चाहता है चाहे किसी भी समुदाय के लोग भारत में अपनी जितनी मर्जी आबादी बढ़ाते रहें और रोहिंग्या एवं बांग्लादेशियों की तरह घुसपैठ करते रहें - सुप्रीम कोर्ट कल को यह भी कहेगा क्या  कि सरकार यदि सभी को नौकरी नहीं देती तो युवा “आतंकी” बनने का अधिकार रखते हैं -


अगर जजों के बंगलों के नजदीक लोग “अवैध घर” बना कर रहने लगें तब क्या होगा, एक दिन में तुड़वा देंगे तब -


वैसे एक बात सामने आई है कि इन सभी अवैध निर्माण करने वालों में अधिकांश एक ही समुदाय के लोग हैं जिनके लिए शायद सुप्रीम कोर्ट के दिल में ज्यादा तड़प होती है जैसे हल्द्वानी में रोक लगाते हुए थी -


एक तरफ कोर्ट ने यह मूर्खतापूर्ण टिप्पणी की तो दूसरी तरफ जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा कि लोगों ने स्वीकार किया है (जिनमे कुछ गरीब भी हैं) कि  ये जमीन सरकार की है और सरकारी जमीन पर निर्माण अवैध है और उन्हें 4 मार्च की रात 12 बजे तक अपना सामान निकालने का समय दिया - इसका मतलब यह भी हुआ कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं विपरीत नजरिया अपना रहा है क्योंकि अगर सरकारी जमीन पर निर्माण हुआ है तो वह चेन्नई मस्जिद की तरह हटा देने के आदेश से अलग मामला नहीं हो सकता -


मीलॉर्ड को इस संदर्भ में याद करा दिया जाना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में 2013 में प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना के तहत 2013 में 400 घरों में से 335 आवास दिए गए थे बाकी 65 पर निगम ने ताला लगा रखा था लेकिन बाहरी रोहिंग्या मुसलमानों ने उन 65 घरो पर अवैध कब्ज़ा कर लिया और 60 अन्य परिवारों को डरा धमका का उनके मकानों पर भी बलात कब्ज़ा कर लिया - और वहां कुछ घरों में मज़ारनुमा आकृति देकर झाड़फूंक का काम करना शुरू कर दिया -


अब मीलॉर्ड इस पर भी कभी पंचायत लगा कर बैठेंगे तो क्या बताएंगे छत किसका अधिकार है, जिसे प्रधानमंत्री योजना में घर मिला या जिसने बलात कब्ज़ा कर लिया -


सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और टिप्पणियों के बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं और इसलिए न्यायाधीश भावनाओं में बह कर टिप्पणियां न किया करें - कई बार यह भी कहा जाता है कि अवैध निर्माण ध्वस्त करने से पहले नोटिस क्यों नहीं दिया गया (जो दिया जाता है) मगर दंगाइयों से कभी कोई नहीं पूछता कि लोगों की गाड़ियां जलाने या सरकारी संपत्ति जलाने से पहले नोटिस क्यों नहीं देते - 


CAA के दंगाइयों से वसूली से तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने उत्तरप्रदेश सरकार को रोक कर जैसे सरकारी संपत्ति जलाने को ही उचित ठहरा दिया था - तब भी चंद्रचूड़ ने कहा था “ये तो निरीह गरीब हैं, ये नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे”


"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 01/03/2024 

#Illegal_construction, #Good_Order, #Supreme_Court #Kejriwal  #judiciary #ed #cbi #delhi #sharabghotala #Rouse_Avenue_court #liquor_scam #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp #dhruv_rathee_video 


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Syed Ali | July 10, 1942-March 2, 2010 | Former Indian Hockey Player| सैयद अली | भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी

 



Syed Ali | July 10, 1942-March 2, 2010) | Former Indian Hockey Player|  सैयद अली | भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी ।

🇮🇳 पद्मश्री जमन लाल शर्मा के साथ सैयद अली ने बच्चों को #हॉकी सिखाना शुरू किया था। अधिकतर बच्चे गरीब घरों के थे। उनके पास हॉकी और जूते तक खरीदने की क्षमता नहीं थी। खेल के प्रति अपने जुनून के चलते सैयद अली ने बच्चों की जरुरतें पूरी करने लगे। 🇮🇳

🇮🇳 सैयद अली (जन्म- 10 जुलाई, 1942; मृत्यु- 2 मार्च, 2010) भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी थे। वह पुरुषों की उस हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने सन 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था।

🇮🇳 नि:स्वार्थ सेवा--

लखनऊ के चंद्रभानु गुप्त मैदान में पूर्व ओलंपियन सैयद अली अपनी नर्सरी में खिलाड़ियों को इस मकसद से तराशते और निखारते हैं कि वे किसी दिन देश के लिए खेल सके और हॉकी के फिर से सुनहरे दिन ला सकें। सैयद अली की नर्सरी से कई खिलाड़ी देश के लिए खेल भी चुके हैं। 33 साल से अनवरत जारी उनका प्रयास देश की नि:स्वार्थ सेवा का अप्रतिम उदाहरण है। महान हॉकी खिलाड़ी के.डी. सिंह बाबू की धरती पर उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे सैयद अली की नजर में वह कुछ खास नहीं कर रहे। वह बस इतना ही कहते हैं, 'जो इस खेल से मिला है, बस वही लौटा रहा हूँ।'

🇮🇳 लखनऊ आगमन--

भारत के लिए कई अंतराराष्ट्रीय हॉकी मैच खेल चुके सैयद अली के लखनऊ आने की कहानी भी बड़ी रोचक है। नैनीताल में उनकी कपड़े की सिलाई की दुकान थी। वहीं पर #के_डी_सिंह_बाबू ने उन्हें स्थानीय प्रतियोगिता में खेलते देखा तो लखनऊ ले आए। के.डी. सिंह ओलंपिक में 1948 (लंदन) और 1952 (हेलसिंकी) में हॉकी में गोल्ड जीतने वाली टीम में सदस्य थे। 1952 में तो वह टीम के उपकप्तान भी थे। यह के.डी. सिंह की प्रतिभा परखने की नजर ही थी, जिसने प्रशिक्षण देकर सैयद अली को 1976 की मांट्रियल ओलंपिक टीम तक पहुँचाया। सैयद अली ने देश को कई यादगार क्षण दिए। आज भले ही वह खेल से रिटायर हो गए हैं, लेकिन वह पहले भी ज्यादा सक्रिय हैं। स्टेट बैंक में नौकरी कर रहे सैयद छुट्टी मिलते ही सीधे चंद्रभानु गुप्त मैदान पर पहुँच जाते हैं और हॉकी की प्रतिभाओं को तराशते हैं।

🇮🇳 प्रशिक्षित खिलाड़ी--

बिना सरकारी मदद के चलने वाली सैयद अली की नर्सरी में दाखिले के लिए शुल्क नहीं, हॉकी के लिए केवल जुनून की जरूरत होती है। इसी के सहारे इस नर्सरी से ललित उपाध्याय, आमिर, हरिकृपाल, राहुल शिल्पकार, सौरभ, विजय थापा, विवेकधर, अमित प्रभाकर, सिद्धार्थ शंकर, दीपक सिंह, शारदानंद तिवारी, कुमारी कमला रावत, कविता मौर्या और कमलेश जैसे खिलाड़ी इंडिया कैंप तक पहुँचे। कमल थापा, वीरबहादुर, अविनाश, मो. रफीक, कुमारी फरहा, अभिमन्यु, कवि यादव, विजय कुमार, प्रशांत कबीर, शुभम वर्मा, राहुल वर्मा, अंकित कुमार, आकाश यादव, सौरभ यादव, गौरव यादव राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके हैं।

🇮🇳 सुजीत कुमार का योगदान--

पद्मश्री #जमन_लाल_शर्मा के साथ सैयद अली ने बच्चों को हॉकी सिखाना शुरू किया था। अधिकतर बच्चे गरीब घरों के थे। उनके पास हॉकी और जूते तक खरीदने की क्षमता नहीं थी। खेल के प्रति अपने जुनून के चलते सैयद अली ने बच्चों की जरुरतें पूरी करने लगे। सैयद अली के संघर्ष को देखकर कुछ साथियों ने हाथ बढ़ाया। इनमें से एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी #सुजीत_कुमार आज तक गरीब बच्चों का भविष्य सँवारने में मदद कर रहे हैं। सैयद अली सुजीत कुमार के सहयोग का जिक्र करने के साथ इसके लिए उनका आभार जताने से नहीं चूकते।

साभार: bharatdiscovery.org

🇮🇳 सन 1964 के टोक्यो #ओलम्पिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य, पूर्व #हॉकी खिलाड़ी #सैयद_अली जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Syed_Ali   #आजादी_का_अमृतकाल  #02March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

Pawan Diwan | Spiritual Saint | संत कवि पवन दीवान (अमृतानंद जी) | January 01, 1945-March 2, 2014




 Pawan Diwan | Spiritual Saint  | पवन दीवान (अमृतानंद जी)| आध्यात्मिक संत

🇮🇳 पवन दीवान ने छत्तीसगढ़ी भाषा को भागवत कथा में शामिल कर उसे जन-जन में प्रसारित करने, प्रचारित करने और मातृभाषा के प्रति सम्मान जगाने का काम किया था। 🇮🇳

🇮🇳 अध्ययन काल के दौरान पवन दीवान की रुचि खेल में भी रही। फ़ुटबॉल के साथ बॉलीबॉल में वे स्कूल के दिनों में उत्कृष्ट खिलाड़ी रहे। इस दौरान ही उन्होंने कविता लेखन की शुरुआत भी कर दी थी। 🇮🇳

🇮🇳 पवन दीवान (जन्म- 1 जनवरी, 1945, #राजिम, #छत्तीसगढ़; मृत्यु- 2 मार्च, 2014, #दिल्ली) छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के प्रखर नेता, संत और कवि थे। वह छत्तीसगढ़ी, हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषाओं के प्रखर वक्ता थे। उन्होंने महानदी के किनारे छत्तीसगढ़ की तीर्थ नगरी राजिम से 'अंतरिक्ष', 'बिम्ब' और 'महानदी' नामक साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया। 

🇮🇳 पवन दीवान लम्बे समय तक राजिम स्थित संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य भी रहे। वह #खूबचन्द_बघेल द्वारा स्थापित 'छत्तीसगढ़ भातृसंघ' के भी अध्यक्ष रहे। राजनीति में रहने के बावज़ूद पवन दीवान की पहचान मुख्य रूप से एक आध्यात्मिक सन्त, विद्वान भागवत प्रवचनकर्ता और हिन्दी तथा छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय कवि के रूप में आजीवन बनी रही। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कविता संग्रह 'मेरा हर स्वर इसका पूजन' और 'अम्बर का आशीष' उल्लेखनीय हैं।

🇮🇳 पवन दीवान उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ियों में स्वाभिमान जगाने का काम किया था। जिन्होंने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए आंदोलन किया था। जिन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को भागवत कथा में शामिल कर उसे जन-जन में प्रसारित करने, प्रचारित करने और मातृभाषा के प्रति सम्मान जगाने का काम किया था। जिन्होंने हर मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। जो एक सफल कवि, भागवताचार्य, खिलाड़ी और राजनेता के तौर जाने और माने गए। जिन्होंने एक पंक्ति में जीवन के मूल्य को समझा दिया था- "तहूँ होबे राख… महूँ होहू राख…" जिनके लिए सन 1977 में एक नारा गूँजा था- पवन नहीं ये आँधी है, छत्तीसगढ़ का गाँधी है।

🇮🇳 पवन दीवान का जन्म 1 जनवरी, 1945 को राजिम के पास ग्राम #किरवई में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई। उनके पिता का नाम #सुखराम_धर_दीवान शिक्षक थे। वहीं माता का नाम #कीर्ति_देवी_दीवान था। ननिहाल #आरंग के पास #छटेरा गाँव था। उन्होंने स्कूली शिक्षा किरवई और राजिम से पूरी की। जबकि उच्च शिक्षा #सागर विश्वविद्यालय और रविशकंर शुक्ल विश्वविद्यालय #रायपुर से प्राप्त की थी। उन्होंने हिंदी और संस्कृत में एमए की पढ़ाई की थी।

🇮🇳 अध्ययनकाल के समय ही पवन दीवान में वैराग्य की भावना बलवती हो गई थी। 21 वर्ष की आयु में हिमालय की तरायु में जाकर अंततः उन्होंने #स्वामी_भजनानंदजी_महाराज से दीक्षा लेकर संन्यास धारण कर लिया और भी पवन दीवान से #अमृतानंद बन गए। इसके बाद वे आजीवन संन्यास में रहे और गाँव-गाँव जाकर भागवत कथा का वाचन करने लगे।

🇮🇳 अध्ययन काल के दौरान पवन दीवान की रुचि खेल में भी रही। फ़ुटबॉल के साथ बॉलीबॉल में वे स्कूल के दिनों में उत्कृष्ट खिलाड़ी रहे। इस दौरान ही उन्होंने कविता लेखन की शुरुआत भी कर दी थी। धीरे-धीरे वे एक मंच के एक धाकड़ कवि बन चुके थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी और हिंदी दोनों में ही कविताएं लिखी। उनकी कुछ कविताएं जनता के बीच इतनी चर्चित हुई कि वे जहाँ भी भागवत कथा को वाचन को जाते लोग उनसे कविता सुनाने की माँग अवश्य करते। इन कविताओं में 'राख' और 'ये पइत पड़त हावय जाड़' प्रमुख रहे। वहीं कवि सम्मेलनों में उनकी जो कविता सबसे चर्चित रही उसमें एक थी 'मेरे गाँव की लड़की चंदा उसका नाम था' शामिल है।

🇮🇳 चर्चित कविता ‘राख’--

राखत भर ले राख …

तहाँ ले आखिरी में राख।।

राखबे ते राख…।।

अतेक राखे के कोसिस करिन…।।

नि राखे सकिन……

तेके दिन ले…।

राखबे ते राख…।।

नइ राखस ते झन राख…।

आखिर में होना च हे राख…।

तहूँ होबे राख महूँ होहू राख…।

सब हो ही राख…

सुरू से आखिरी तक…।।

सब हे राख…।।

ऐखरे सेती शंकर भगवान……

चुपर ले हे राख……।

🇮🇳 भागवत कथा वाचन, कवि सम्मेलनों से राजिम सहित पूरे अँचल में पवन दीवान प्रसिद्ध हो चुके हैं। उनके शिष्यों की संख्या लगातार बढ़ते ही जा रही थी। राजनीति दल के लोगों से उनका मिलना-जुलना जारी था। और उनकी यही बढ़ती हुई लोकप्रियता एक दिन उन्हें राजनीति में ले आई। राजनीति में उनका प्रवेश हुआ जनता पार्टी के साथ। 1975 में आपात काल के बाद सन 1977 में जनता पार्टी से राजिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। एक युवा संत कवि के सामने तब कांग्रेस के दिग्गज नेता श्यामाचरण शुक्ल कांग्रेस पार्टी से मैदान में थे। लेकिन युवा संत कवि पवन दीवान ने श्यामाचरण शुक्ल को हराकर सबको चौंका दिया था। तब उस दौर में एक नारा गूँजा था- पवन नहीं ये आँधी है, छत्तीसगढ़ का गाँधी है। श्यामाचरण शुक्ल जैसे नेता को हराने का इनाम पवन दीवान को मिला और अविभाजित मध्य प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में जेल मंत्री रहे। इसके बाद वे कांग्रेस के साथ आ गए और फिर पृथक राज्य छत्तीसगढ़ बनने तक कांग्रेस में रहे।

🇮🇳 2003 में रमन सरकार बनने के साथ वे भाजपा में और रमन सरकार में गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे और भी समय गुजरते-गुजरते एक दिन ऐसा भी आया, जब अपनी खिलखिलाहट से समूचे छत्तीसगढ़ को हॅंसा देने वाले पवन दीवान सबको रुला भी गए। यह तारीख थी 23 फ़रवरी, 2014। इस दौरान राजिम कुंभ मेला चल रहा था। मेले में ही कार्यक्रम के दौरान उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ। फिर वे कोमा में चले गए। 2 मार्च, 2014 को दिल्ली में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

साभार: bharatdiscovery.org

🇮🇳 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के प्रखर प्रसिद्ध नेता, आध्यात्मिक संत, विद्वान भागवत प्रवचनकर्ता और कवि #पवन_दीवान (संन्यास नाम: #अमृतानंद) जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Makar Sankranti मकर संक्रांति

  #मकर_संक्रांति, #Makar_Sankranti, #Importance_of_Makar_Sankranti मकर संक्रांति' का त्यौहार जनवरी यानि पौष के महीने में मनाया जाता है। ...