15 फ़रवरी 2024

Inspirational Personality Subhadra Kumari Chauhan | प्रेरणादायी व्यक्तित्व सुभद्रा कुमारी चौहान

                                   

प्रेरणादायी व्यक्तित्व सुभद्रा कुमारी चौहान | Inspirational Personality Subhadra Kumari Chauhan 

🇮🇳 प्रेरणादायी व्यक्तित्व सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम आते ही दिमाग में ‘झाँसी की रानी’ कौंध जाती है, क्‍योंकि उनकी यह रचना काफी प्रसिद्ध है। लेकिन #कवयित्री सुभद्रा केवल यहीं तक सीमित नहीं थीं इससे कहीं आगे थीं। नाग पंचमी को जन्मी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी विविध रचनाओं से लोगों को अब तक बाँध रखा है। उनका निधन बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन 15 फरवरी 1948 को हुआ था। आज उनकी पुण्यतिथि है। 

🇮🇳 मात्र नौ साल की उम्र में उन्‍होंने पहली कविता ‘नीम’ की रचना की थी। इस कविता को पत्रिका ‘मर्यादा’ में जगह दी गई। इसके साथ ही वे पूरे स्‍कूल में मशहूर हो गईं। मजबूरीवश वे केवल नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई ही पूरी कर पाई। लेकिन अपनी कविताओं का शौक नहीं छोड़ा और लिखती गई। कवयित्री सुभद्रा की रचनाओं में कहीं यह झलक या अभाव नहीं खलता कि उन्‍होंने दसवीं तक भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की। 

🇮🇳 16 अगस्त 1904 में #इलाहाबाद के #निहालपुर में जमींदार परिवार में जन्मी सुभद्रा को बचपन से ही कविताऍं लिखने का शौक था। इसके कारण वे अपने स्कूल में भी बड़ी प्रसिद्ध थीं। बाद में उन्होंने कहानियाँ लिखना भी शुरू कर दिया, यह उन्होंने पारिश्रमिक के लिए किया क्योंकि उस वक्त कविताओं की रचना के लिए पैसे नहीं मिलते थे। 

🇮🇳 चार बहनें और दो भाइयों वाली सुभद्रा ने #स्‍वतंत्रता_आंदोलन में आगे आई और कई बार जेल भी गई। मध्‍यप्रदेश के #खंडवा निवासी #ठाकुर_लक्ष्‍मण_सिंह से शादी के बंधन में बँधी और यहाँ भी उनके रुचि का ही काम नजर आया। पति लक्ष्‍मण सिंह पहले से ही स्‍वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। दोनों ही महात्‍मा गॉंधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। सुभद्रा की कई रचनाओं में आजादी का उन्‍माद और वीर रस का सान्‍निध्‍य मिलता है। 

🇮🇳 जन्म #नागपंचमी और मृत्यु #बसंतपंचमी, सोचिए ये तिथियाँ यूँ ही इतनी विशेष नहीं हैं और न ही इसे मात्र संयोग कहा जा सकता है। विशेष इसलिए क्योंकि दोनों ही तारीख पंचमी की थी। इसके पीछे ईश्वर का संकेत स्पष्ट था कि जो धरा पर अनमोल होते हैं उनके लिए ऊपरवाला भी इंतजार करता है, और तभी ऐसे तारीखों का मेल होता है। 15 फरवरी 1948 को सुभद्रा ईश्वर की प्यारी हो गई। उनका जन्म 16 अगस्त 1904 नागपंचमी के दिन #इलाहाबाद के निकट #निहालपुर नामक गाँव में #रामनाथसिंह के जमींदार परिवार में हुआ था। 

🇮🇳 सुभद्रा की दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए। उनकी कविता संग्रहों के नाम #‘मुकुल’ और #‘त्रिधारा’ हैं और कहानी संग्रह- पंद्रह कहानियों वाली बिखरे मोती-1932 व 1934 में प्रकाशित 9 कहानियों वाली उन्मादिनी 1947 में प्रकाशित 14 कहानियों वाली सीधे साधे चित्र हैं। कुल मिलाकर उन्होंने 46 कहानियाँ लिखीं। उस वक्‍त लड़कियों के साथ अलग तरह का व्‍यवहार किया जाता है। नारी के उस मानसिक दर्द को भी #सुभद्रा ने अपनी रचनाओं में उतारा है। 

🇮🇳 सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन के तरह ही उनका साहित्य भी सरल और स्‍पष्‍ट है। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान आदि समाहित है। कुल मिलाकर सुभद्रा का राष्ट्रीय काव्य हिंदी में बेजोड़ स्थान रखता है। अपनी रचनाओं के जरिए उन्होंने एक बहन, एक माँ व एक पत्नी समेत सच्ची राष्ट्र भक्त के भाव व्यक्त किए हैं। 

🇮🇳 उनकी रचना ‘बिखरे मोती’ के पहले पेज पर किया गया निवेदन दिल को छू लेने वाला है। पढ़ें इसका छोटा सा टुकड़ा- 
★ हृदय के टूटने पर आँसू निकलते हैं, जैसे सीप के फूटने पर मोती। हृदय जानता है कि उसने स्वयं पिघलकर उन आँसुओं को ढाला है। अतः वे सच्चे हैं। किंतु उनका मूल्य तो कोई प्रेमी ही बतला सकता है। उसी प्रकार सीप केवल इतना जानती है कि उसका मोती खरा है, वह नहीं जानती कि वह मूल्यहीन है अथवा बहुमूल्य। उसका मूल्य तो रत्नपारखी ही बता सकता है। मैं भूखे को भोजन खिलाना और प्यासे को पानी पिलाना अपना परम धर्म समझती हूँ। ईश्वर के बनाए नियमों को मानती हूँ। 
★ साभार: jagran.com 

🇮🇳 ‘‘गिरफ़्तार होने वाले हैं, आता है वारंट अभी॥’’ धक-सा हुआ हृदय, मैं सहमी, हुए विकल साशंक सभी॥ किन्तु सामने दीख पड़े मुस्कुरा रहे थे खड़े-खड़े। रुके नहीं, आँखों से आँसू सहसा टपके बड़े-बड़े॥ ‘‘पगली, यों ही दूर करेगी माता का यह रौरव कष्ट?’’ ‘रुका वेग भावों का, दीखा अहा मुझे यह गौरव स्पष्ट॥ तिलक, लाजपत, श्री गाँधीजी, गिरफ़्तारी बहुबार हुए। जेल गये, जनता ने पूजा, संकट में अवतार हुए॥ जेल! हमारे मनमोहन के प्यारे पावन जन्म-स्थान। तुझको सदा तीर्थ मानेगा कृष्ण-भक्त यह हिन्दुस्तान॥ 

मैं प्रफुल्ल हो उठी कि आहा! आज गिरफ़्तारी होगी। फिर जी धड़का, क्या भैया की सचमुच तैयारी होगी!! आँसू छलके, याद आ गयी, राजपूत की वह बाला। जिसने विदा किया भाई को देकर तिलक और भाला॥ सदियों सोयी हुई वीरता जागी, मैं भी वीर बनी। जाओ भैया, विदा तुम्हें करती हूँ मैं गम्भीर बनी॥ याद भूल जाना मेरी उस आँसू वाली मुद्रा की। कीजे यह स्वीकार बधाई छोटी बहिन ‘सुभद्रा’ की॥ 

🇮🇳 🇮🇳 #स्वतंत्रता आंदोलन की सिपाही, सच्ची राष्ट्रभक्त और देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाली हिन्दी की सुप्रसिद्ध #कवयित्री और #लेखिका #सुभद्रा_कुमारी_चौहान जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि ! 

🇮🇳💐🙏 वन्दे मातरम् 🇮🇳 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व
साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

वन्दे मातरम् 🇮🇳  #Inspirational  #Personality #Subhadra_Kumari_Chauhan  #कवयित्री  #poetess #freedom_fighter

14 फ़रवरी 2024

Congress be able to save its 40 seats now? | क्या कांग्रेस अब अपनी 40 सीट भी बचा पायेगी ?



कोई निकाला गया, कोई निकल गया, कोई मैदान छोड़ भाग ही लिया | 

क्या #कांग्रेस अब अपनी 40 सीट भी बचा पायेगी ?

दंगाइयों और मोदी की हत्या की धमकी देने वाले 

किसानों के भरोसे -


प्रमोद कृष्णनम चले गए प्रधानमंत्री के पीछे क्योंकि उन्हें राम से कोई बैर नहीं था और इसलिए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया अलबत्ता संसद में कांग्रेस ने कहा भगवान राम कण कण में हैं लेकिन यह बात सोनिया गांधी ने नहीं कही और फिर भी #कृष्णम को निकाल दिया - उधर मराठा मिलिंद देवड़ा निकल गए और जाकर मिल गए #एकनाथ_शिंदे से और बाबा सिद्दीकी निकल कर जा मिले अजित पवार से -


कल एक दिग्गज अशोक चह्वाण 40 साल कांग्रेस की सेवा करने के बाद निकल कर भाजपा में मिल गया - उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अशोक को लेकर भाजपा ने सैनिकों का अपमान किया है जबकि यही चह्वाण कल उद्धव का मंत्री था -  तहसीन पूनावाला कह रहा है - उद्धव जी, संजय राउत की जुबान पर लगाम लगाइए जिसकी वजह से महाविकास अघाड़ी सरकार ख़त्म हुई थी - अभी खबरे निकल कर आ रही हैं कि कमलनाथ भी “हाथ” छोड़ कर अपने हाथ में “कमल” पकड़ेंगे विवेक तनखा के साथ -


कुछ दिन पहले एक तरफ तो ममता बनर्जी ने कांग्रेस को पूछ लिया था कि 40 सीट भी बचा सकते हो क्या और दूसरी तरफ खड़गे राज्यसभा में बोल गए #NDA_400 पार और आज जिस तरह 5 बार #रायबरेली से लोकसभा सांसद रह कर सोनिया गांधी भाग खड़ी हुई और #राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन भर दिया, उसे देख कर साफ़ लगता है कांग्रेस मान चुकी है कि इस बार “40 पार” भी नहीं हो सकती -


अब कहा यह भी जा रहा है कि रायबरेली से दादी की नाक वाली “लड़की हूं लड़ सकती हूं” प्रियंका वाड्रा को खड़ा किया जाएगा - #प्रमोद_कृष्णम की माने तो प्रियंका पार्टी में अपमानित है और सोनिया का खुद रायबरेली से भागना प्रियंका को सीट देकर कहीं प्रियंका को “बलि की बकरी” बनाने की साजिश तो नहीं है क्योंकि जब माँ ही नहीं जीत सकती तो बेटी की क्या औकात जीतने की -


कांग्रेस का अब बस भरोसा है तो केवल मुस्लिम वोटरों पर है जिनके दम पर हल्द्वानी को आग लगाईं गई और ऐसा देश के अन्य हिस्सों में भी किया जाएगा - दूसरा भरोसा है आतंकी धमकी देने वाले कथित किसानों पर जो खुलकर कह रहे हैं कि अबकी मोदी पंजाब आया तो जिंदा वापस नहीं जाएगा - कांग्रेस और केजरीवाल को ऐसे ही लोगों का सहारा है - ये धमकी देने वाले पंजाब के हैं जहां भगवंत मान बैठा है - पहले चन्नी मोदी के लिए महामृत्युंजय जाप कराने की बात करता था और अब केजरीवाल का मान तो गरुण पाठ ही कराने के चक्कर में है मोदी के लिए -


कांग्रेस को रोज ऐसे सदमें मिल रहे हैं जो बर्दाश्त नहीं हो रहे - पहले श्री राममंदिर से परेशानी हुई और फिर उम्मीद से थे कि क़तर वाले 8 फंसे रहेंगे लेकिन वो सभी छूट गए - कल तक सारे कांग्रेसी और उसके दलाल पत्रकार मोदी को कोस रहे थे लेकिन आज सजा माफ़ी पर ख़ुशी तो जता रहे हैं लेकिन मोदी सरकार को श्रेय नहीं दे रहे - 


और आज इस्लामिक देश #UAE में #मोदी ने #हिन्दू_मंदिर का उद्घाटन कर दिया - अभी 19 को #कल्कि_धाम का भी उद्घाटन करना है - 


बिहार हाथ से निकल गया और कल तक हिन्दुओं को गाली बकने वाला स्वामी प्रसाद मौर्य का अब सपा से मोह भंग हो रहा है क्योंकि उसे लगता है भेदभाव हो रहा है - महासचिव पद छोड़ा है अभी, कल पार्टी छोड़ेगा और घुसेगा बसपा में क्योंकि ऐसे लोगों के ठिकाने बड़े limited होते हैं 


कुल मिला कर भगदड़ मची हुई है और यह तमाशा देख कर कांग्रेस देश भर में कुछ भी गड़बड़ कर सकती है जिसके लिए विशेषज्ञ राहुल “कालनेमि” बैठा है -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 14/02/2024 

#Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #Qatar_King  #Qatar_Amir #Samantha_Pawar #George_Soros


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,



Pulwama Attack | 14 February | BLACK DAY | पुलवामा के बलिदानियों को नमन !



 

#पुलवामा_के_बलिदानी 


🇮🇳 14 फरवरी 2019 के दिन जब सीआरपीएफ का काफिला जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा में गोरीपोरा के पास पहुंचा तो जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने पुलवामा जिले में विस्फोटक से भरी कार ने सीआरपीएफ जवानों की बस से भिड़ाकर निशाना बनाया था। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए थे। इसके बाद घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग भी की थी। 🇮🇳 इस कारण जोरदार धमाके में 40 जवान बलिदान हो गए थे| 

14 फरवरी को कहा जाता है इतिहास का काला दिन?


🇮🇳जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले को आज पांच साल पूरे हो गए हैं। उस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने 350 किलो विस्फोटक से भरी SUV बस से भिड़ा दी थी। आज पुलवामा आतंकी हमले की 5वीं बरसी है।


🇮🇳 मातृभूमि के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले सभी बलिदानी जवानों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

🇮🇳 जय हिन्द, जय हिन्द की सेना 🇮🇳

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

वन्दे मातरम् 🇮🇳  #pulwama #pulwamaattack #BLACK_DAY  #14February #pulwama_attack #pulwamarevenge #पुलवामा_हमला


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Akkamma Cherian | अक्कम्मा चेरियन | त्रावणकोर की झाँसी की रानी

 



#Akkamma_Cherian #अक्कम्मा_चेरियन  #त्रावणकोर_की_झाँसी_की_रानी #Queen of #Jhansi of #Travancore #Jhansi_ki_Rani 


अक्कम्मा चेरियन का जन्म 14 फरवरी 1909 को कांजीरापल्ली, त्रावणकोर ( वर्तमान केरल) के एक छोटे से गांव में हुआ था । पेशे से शिक्षिका थीं लेकिन उनका असली सपना देश को आजाद देखना था। इसलिए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी।


🇮🇳 भारत की आजादी की लड़ाई किसी एक राज्य, प्रांत या कुछ लोगों तक सीमित नहीं थी। इसकी आग पूरे देश में, हर एक युवा के दिन में फैली थी। प्रांत, धर्म, जाति और लिंग भेद से विपरीत हर कोई स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद गया था। इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम है अक्कम्मा चेरियन का। अक्कम्मा चेरियन को दक्षिण की झॉंसी की रानी भी कह सकते हैं। 

🇮🇳 केरल में स्वतंत्रता की लौ जगाने वाली और आजादी के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाली इस बहादुर महिला का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आजादी की जब भी बात आती है तो झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू और कुछ अन्य महिलाओं के नाम ही लिए जाते हैं। लेकिन 1938 में केरल में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाली अक्कम्मा चेरियन का नाम केवल उनके राज्य तक सीमित रह गया। चलिए जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम की इस महिला क्रांतिकारी अक्कम्मा चेरियन के बारे में।

🇮🇳 #त्रावणकोर प्रांत (वर्तमान में केरल) में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ तो अक्कम्मा चेरियन ने त्रावणकोर आंदोलन का नेतृत्व किया। अक्कम्मा चेरियन उस दौर के आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं।

🇮🇳 त्रावणकोर के नसरानी परिवार में अक्कम्मा चेरियन का जन्म 14 फरवरी 1909 को हुआ था। उनके पिता का नाम #थॉमसन_चेरियन और माँ #अन्नाममा_करिपापारंबिल थीं। चेरियन की एक बड़ी बहन भी थीं। चेरियन ने #कंजिरापल्ली स्थित सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल से पढ़ाई की और बाद में सेंट जोसेफ हाई स्कूल (#चांगनाचेरी) से अपनी शिक्षा पूरी की।

🇮🇳 चेरियन ने टेरेसा कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षिका 1931 में मैरी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय से की।बाद में वह स्कूल की प्रबंधिका नियुक्त हो गईं। नौकरी के साथ ही चेरियन ने एलटी की उपाधि भी हासिल की।

🇮🇳 1938 में #महात्मा_गाँधी से प्रभावित होकर चेरियन ने 1938 में नौकरी छोड़ दी। चेरियन त्रावणकोर महिला कांग्रेस में शामिल हुईं जो कि महात्मा गाँधी की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रांतीय इकाई थी। ब्रिटिश सरकार ने इस संगठन को अवैध घोषित कर दिया था और पार्टी के कई नेताओं को जेल में डाल दिया।

🇮🇳 पार्टी के 11वें अध्यक्ष कुट्टनाड रामकृष्ण पिल्लई की गिरफ्तारी हुई तो उन्होंने चेरियन के हाथों में पार्टी की कमान सौंप दी। चेरियन त्रावणकोर की राजनीति का दमदार चेहरा भी बन गईं। उन्होने एक बड़ी रैली का आयोजन कर लोगों को एकजुट किया।

🇮🇳 त्रावणकोर के शाही महल के बाहर 23 अक्टूबर 1938 को हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए। उस दौरान पुलिस चीफ ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया तो चेरियन ने उनको ललकारते हुए कहा कि मैं इन सब की नेता हूँ, पहली गोली मुझ पर चलाओ। ये प्रदर्शन तब तक चला, जब तक अंग्रेजी हुकूमत गिरफ्तार नेताओं को रिहा कराने के लिए राजी नहीं हो गईं।

🇮🇳 अक्कम्मा चेरियन की बहादुरी और निडरता के कारण महात्मा गाँधी ने उन्हें 'त्रावणकोर की झाँसी की रानी' कहकर संबोधित किया। 1939 में प्रांतीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन में चेरियन और उनकी बहन शामिल हुई थीं, जिसमें उनके साथ ही कई अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह 1942 में प्रांतीय कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष बनीं। मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान हुआ तो चेरियन ने भी आवाज बुलंद की। आजादी के बाद 1947 में हुए पहले चुनाव के जरिए वह विधानसभा के लिए चुनी गईं। कुछ समय तक राजनीति में सक्रिय रहने के बाद 1982 में #तिरुवनंतपुरम में चेरियन का निधन हो गया।

साभार: amarujala.com

🇮🇳 'त्रावणकोर की झाँसी की रानी' के रूप में प्रसिद्ध, #केरल में #स्वतंत्रता की लौ जगाकर आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करने वाली वीरांगना #अक्कम्मा_चेरियन जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

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साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

वन्दे मातरम् 🇮🇳 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व #आजादी_का_अमृतकाल  #Queen #Jhansi #Travancore #Jhansi_ki_Rani 

Vasant_Panchami | वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है।





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🇮🇳🌻 ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति के सौंदर्य का अनुपम श्रृंगार 🌻🇮🇳

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🇮🇳🌻 वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। चारों ओर हरियाली और खुशहाली का वातावरण छाया रहता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की रचना की थी, इसलिए इस दिन सरस्वती जी की पूजा की जाती है।

🇮🇳🌻 पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और तब से भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो आज तक जारी है। वैसे वसंत पंचमी के दिन विष्णु पूजा का भी महत्व है।

🇮🇳🌻 वसंत ऋतु प्राकृतिक सौंदर्य में निखार, मादकता का संगम है। प्राचीनकाल से ही वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम रहा है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियां उड़ने लगती हैं।

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है।

🇮🇳🌻 यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य का निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं।

🇮🇳🌻 ऋतुओं का राजा वसंत रसिकजनों का भी प्रिय रहा है। प्राचीनकाल से ही हमारे देश में वसंतोत्सव, जिसे कि मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, मनाने की परंपरा रही है। संस्कृत के प्राय: समस्त काव्यों, नाटकों, कथाओं में कहीं न कहीं वसंत ऋतु और वसंतोत्सव का वर्णन अवश्य मिलता है।

🇮🇳🌻 वसंत पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसंत की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलने का मौका देते हैं। जहाँ टेसू (पलाश) और सेमल के लाल-लाल फूल, जिन्हें वसंत के श्रृंगार की उपमा दी गई है, सभी के मन में मादकता उत्पन्न करते हैं, वहीं होली की मस्ती और फाग का संगीत लोगों के मन को उमंग से भर देता है।

🇮🇳🌻 प्राचीनकाल में वसंतोत्सव का दिन कामदेव के पूजन का दिन होता था। भवभूति के श्मालती-माधव के अनुसार वसंतोत्सव मनाने के लिए विशेष मदनोत्सव बनाया जाता था जिसके केंद्र में कामदेव का मंदिर होता था। इसी मदनोत्सव में सभी स्त्री-पुरुष एकत्र होते, फूल चुनकर हार बनाते, एक-दूसरे पर अबीर-कुमकुम डालते और नृत्य संगीत आदि का आयोजन करते थे। बाद में वह सभी मंदिर जाकर कामदेव की पूजा करते थे।

🇮🇳🌻 इस दिन से जो पुराना है वह सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं।

🇮🇳🌻 कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से गूँज उठता है और प्रकृति फिर से अंगड़ाइयां लेने लगती है।

इस समय गेहूँ की बालियां भी पककर लहराने लगती हैं, जिन्हें देखकर किसानों का मन बहुत ही हर्षित होता है। चारों ओर सुहावना मौसम मन को प्रफुल्लता से भर देता है।

साभार: naidunia.com

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आप सभी मित्रों को #प्रकृति द्वारा #धरती #माँ के श्रृंगार के प्रतीक पावन पर्व #वसंत_पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

 #आजादी_का_अमृतकाल #Saraswati_Puja #Vasant_Panchami,  #Basanta_Panchami  #Hindu #goddess #Saraswati, #festival #Indian #religions

Valentine Day | वैलेंटाइन डे | 14 फरवरी | 14th February

 




#Valentine's Day #वैलेंटाइन डे


7 फरवरी को #रोज_डे #Rose_Day  मनाकर #वैलेंटाइन वीक की शुरुआत होती है   #प्रपोज_डे #Propose_Day -8 फरवरी  को   9 फरवरी को #चॉकलेट_डे #Chocolate_Day, फिर #टेडी_डे #Teddy_Day, #प्रॉमिस_डे  #Promise_Day, 

#हग_डे  #Hug_Day,  #किस_डे  #Kiss_Day  और फिर अंत में #14 _फरवरी  #14th_February को #वैलेंटाइन_डे आता है | 

15 फरवरी को मनाया जाता है #सिंगल्स_अवेयरनेस_डे #Singles_Awareness_Day

सिंगल्स अवेयरनेस डे हर साल 15 फरवरी को मनाया जाता है. कहें तो ये उन लोगों का वैलेंटाइन है, जिनके पास कोई पार्टनर नहीं है. यह दिन इसीलिए मनाया जाता है ताकि सिंगल लोगों को लाइफ में बिल्कुल भी अकेला महसूस न हो.


वैलेंटाइन डे  के संदर्भ में कई कहानियां  प्रचलन में है | 


सबसे प्रसिद्ध वैलेंटाइन डे कहानी रोम के संत वैलेंटाइन की कहानी है। ऐसा माना जाता है  की  सेना के उन सदस्यों की शादी में उपस्थित होने का अपराध किया था |  जिन्हें शादी करने से मना किया गया था। संत वैलेंटाइन ने प्राचीन रोम में सैनिकों की गुप्त शादियाँ संपन्न कराईं थी । इस अपराध के कारण ही उन्हें  कैद कर लिया गया | 


सम्राट की नाराजगी के बाद, 14 फरवरी 269 ई. को संत वैलेंटाइन को मौत की सजा दे दी गई। तब से, वेलेंटाइन डे 14 फरवरी  को संत वेलेंटाइन की मृत्यु की सालगिरह और प्यार और जुनून दोनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए मनाया जाता है |  साथ ही, यह एक दिन के बजाय पूरे सप्ताह के लिए मनाया जाता है, ताकि प्यार करने वाले जोड़ो को  अच्छा समय, खुशी और बहुत प्यार मिल सके।


शुरुआत में  वैलेंटाइन नाम के एक शहीद के सम्मान में एक ईसाई औपचारिक रात्रिभोज दिवस के रूप में हुई, बाद में, यह 14वीं और 15वीं शताब्दी में रोमांटिक प्रेम से संबंधित हो गया |  वेलेंटाइन डे अब एक विशाल रोमांस और प्यार का उत्सव है। 


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Saraswati Puja | Basant Panchami | सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं !

 


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! 

वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।


#Vasant_Panchami, also rendered #Basanta_Panchami and #Saraswati_Puja in honour of the #Hindu goddess #Saraswati, is a #festival that marks the preparation for the arrival of spring. The festival is celebrated in #Indian religions in different ways depending on the #region. 


हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को #बसंत_पंचमी मनाई जाती है. इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है. मान्यता है कि इसी दिन मां #सरस्वती प्रकट हुई थीं | 


Why do we celebrate Basant Panchami: Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of #Shukla_Paksha of #Magh_month. On this day, there is a tradition to worship Goddess Saraswati, the goddess of knowledge and speech. It is believed that Mother Saraswati appeared on this day.


सरस्वती जी का मंत्र क्या है?

' हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले। या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥





Makar Sankranti मकर संक्रांति

  #मकर_संक्रांति, #Makar_Sankranti, #Importance_of_Makar_Sankranti मकर संक्रांति' का त्यौहार जनवरी यानि पौष के महीने में मनाया जाता है। ...