World Wildlife Day | विश्व वन्यजीव दिवस | 3 March
🇮🇳 #World #Wildlife Day is #celebrated every year on #3March to spread #awareness about the extinct #wild #animal #species around the world.
🇮🇳 दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। भारत में इस समय बहुत से जीवों की प्रजातियां खतरे में हैं। समय रहते इस ओर ध्यान न दिया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
🇮🇳 जंगल प्रकृति का एक खूबसूरत चेहरा है जहाँ हरे भरे पेड़, जीव-जंतु, जड़ी बूटियां, अलग-अलग प्रजातियों के खूबसूरत पक्षियों का आशियाना, शेर, मगरमच्छ और हाथी जैसे सैकड़ों वन्यजीव मौजूद हैं। खाल, नाखून, सींग और माँस के लिए इन जीवों का शिकार किया जाता है। जिनका उपयोग फैशन,सौन्दर्य उत्पादन और कई विशिष्ट प्रकार की दवाओं के लिए किया जाता है। मनुष्य इन जानवरों का शिकार केवल अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं, जो अनावश्यक हैं। हालांकि इनकी आपूर्ति अन्य विकल्पों से भी पूरी की जा सकती है। इसलिए वन्यजीव प्रजातियों का शिकार रोकना वन्यजीव संरक्षण के तहत आता है। यह पृथ्वी पर वन्यजीवों और उनके आवास की रक्षा की ज़रूरत है, ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां बिना किसी डर के रह सकें।
🇮🇳 1960 के दशक से ही वैज्ञानिक जानवरों का पता लगाने और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए रेडियो टेलीमेट्री का उपयोग कर रहे हैं। रेडियो टेलीमेट्री स्थान निर्धारित करने के लिए रेडियो संकेतों का उपयोग करती है, जो अदृश्य और मूक विद्युत चुम्बकीय तरंगों से बने होते हैं। भारत में पहली बार पूरी तरह रेडियो-टेलीमेट्री अध्ययन 1983 में हैदराबाद में भारतीय वन्यजीव संस्थान के मगरमच्छ अनुसंधान केंद्र द्वारा किया गया था। उन्होंने चंबल नदी में 12 घड़ियालों पर नजर रखने के लिए एक ट्रांसमीटर उपकरण लगाया। इसके बाद भारत में ऐसे कई अध्ययनों का रास्ता खुल गया।
🇮🇳 एशियाई हाथी पहला जानवर था जिसे 1985 में भारत में मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य में रिसर्च के लिए रेडियो कॉलर लगाया गया था। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की ओर से ऑपरेशन मासिनागुडी नामक एक परियोजना में दो हाथियों को रेडियो कॉलर लगाए गए और फिर इन्हें ट्रैक किया गया। इसके बाद 90 के दशक की शुरुआत में संरक्षणवादी और बाघ विशेषज्ञ उल्लास कारंत ने भारत में सबसे बेशकीमती माने जाने वाले बाघों पर रेडियो कॉलर का इस्तेमाल करते हुए पहला अध्ययन किया। उनके व्यवहार और पारिस्थितिकी को समझने के लिए चार बाघों को रेडियो-कॉलर लगाया गया। इसमें यह जानकारी का पता करना भी शामिल था कि वे बाघ पश्चिमी घाट के मलनाड क्षेत्र में नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में किस तरह रह रहे हैं। इसके बाद के दशकों में रेडियो-कॉलर से जुड़े कई अध्ययन किए गए।
🇮🇳 सरकार के प्रयासों से भी पिछले कुछ वर्षों में बाघों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बताया कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से मनुष्य और बाघों के बीच संघर्ष कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ए.आई. के माध्यम से स्थानीय लोगों को उनके मोबाइल पर बाघों के आने के बारे में सतर्क कर दिया जाता है। गाँव और वन की सीमा पर कैमरे लगाए गए हैं। नए उद्यमी भी वन्य जीव संरक्षण और इको पर्यटन में नवाचारों पर काम कर रहे हैं। उत्तराखंड के रुड़की में रोटर प्रिसेशन ग्रुप ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर एक ऐसा ड्रोन विकसित किया है जिससे केन नदी में घडियालों पर नज़र रखने में मदद मिल रही है। बेंगलुरु की भी एक कम्पनी ने हाल ही में बघीरा और गरुड़ नाम के एक ऐप को तैयार किया है। बघीरा ऐप से जंगल सफारी के दौरान वाहन की गति और अन्य गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकती है। देश के अनेक बाघ अभ्यारण्यों में इसका उपयोग हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित गरुड़ ऐप को किसी भी सीसीटीवी से जोड़ने पर वास्तविक समय अलर्ट मिलने लगता है।
🇮🇳 प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम मन की बात में में छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिए शुरू किये गये रेडियो कार्यक्रम "हमर हाथी - हमर गोठ" का भी जिक्र किया था। साल 2017 में छत्तीसगढ़ में हाथियों के आतंक को रोकने और ग्रामीणों को सचेत करने के लिए आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से "हमर हाथी-हमर गोठ" कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। सोशल मीडिया के इस दौर में रेडियो कितना सशक्त माध्यम हो सकता है, इसका अनूठा प्रयोग छत्तीसगढ़ में हाथियों की सूचनाओं के लिए किया जा रहा है। काम से वापस लौटते समय शाम को हाथियों की उपस्थिति का सही लोकेशन मिलने से लोग रास्ता बदलकर सुरक्षित रास्ते से वापस घर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की यह पहल देश के अन्य हाथी प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनाई जा सकती है।
🇮🇳 वन्यजीवों को बचाने के लिए रेडियो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जहाँ टीवी की पहुँच नहीं है उस जगह रेडियो के माध्यम से जागरूकता अभियान को बढ़ावा देना होगा। सरकार द्वारा चलाए जा रहे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की जानकारी लोगों तक पहुँचानी होगी। प्रकृति की सुंदरता निखारने में वन्यजीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए सरकार द्वारा संरक्षण प्रयासों के साथ, यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, कि हम व्यक्तिगत रूप से वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान करें।
~ फरहत नाज़
समाचार वाचिका,आकाशवाणी
साभार: ddnews.gov.in
🇮🇳 आइये #विश्व_वन्यजीव_दिवस के अवसर पर संकल्प लें कि हम वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान देंगे।
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#आजादी_का_अमृतकाल
साभार: चन्द्र कांत (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था
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