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Indian Economy is Growing Rapidly | भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है | भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है? लेखक : नलीन चंद्र

 



भारत अब ग्लोबल इकॉनमी में एक ब्राइट स्पॉट के तौर पर देखा जा रहा है भारत को लेकर दुनिया की तमाम बड़ी आर्थिक ताकतें काफी उत्साहित हैं | 

भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है?

कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है

भारतीय अर्थव्यवस्था तूफानी तेजी से आगे बढ़ रही है चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 8.4% रही है। 

यह आंकड़ा उम्मीद से कहीं ज्यादा है इससे पिछली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.6% रही थी जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.3% रही थी।

आर्थिक विकास दर के लिए जो अंदाजा लगाया गया था आंकड़ा उससे कहीं बेहतर है जो देश के आगे बढ़ने की रफ्तार की तरफ इशारा कर रहा है ।

 यह ग्रोथ रेट पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।

भारत की प्रगति की गति और अन्य देशों में मंदी के कारण सभी देश पीछे छूट गये हैं।

यह उन लोगों के लिए चौंकाने वाली बात है जो कहते हैं कि भारत में रोजगार नहीं है।

जाहिर है, इतनी बड़ी जीडीपी संख्या, जो दुनिया में सबसे अच्छी है, जनशक्ति कार्यबल के बिना संभव नहीं हो सकती थी।

आईएमएफ ने वित वर्ष 2024 के लिए जो अनुमान लगाया है उसमें भी भारत बड़ी-बड़ी महा शक्तियों पर भारी पड़ता दिख रहा है ।

आईएमएफ ने वर्ष 2024 में भारत के लिए 6.5% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया है ।

आईएमएफ का अनुमान मान है कि वर्ष 2024 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 4.6% रह सकती है अमेरिका की 2.1%  जापान की जीडीपी ग्रोथ 0.9% रहेगी फ्रांस की जीडीपी ग्रोथ 1% पर रहने का अनुमान है ब्रिटेन की जीडीपी ग्रोथ 0.6% और जर्मनी की 0.5% जीडीपी ग्रोथ रह सकती है, भारत आपको सबसे ऊपर नजर आएगा।

वर्ल्ड बैंक से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी मान रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार इस वक्त दुनिया में सबसे तेज है जो भारत की बढ़ती शक्ति भारत की तरक्की भारत में विकास की रफ्तार को दिखा रहा है वर्ष 2011 में भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी वर्ष 2014 में भारत नौवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी आज यानी वर्ष 2024 में भारत दुनिया की पांचवी सबसे से बड़ी अर्थव्यवस्था है वर्ष 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है ।

ग्लोबल ब्रोकिंग फर्म सीएलएसए का अनुमान है कि वर्ष 2047 तक भारत दुनिया की नंबर वन अर्थव्यवस्था बन जाएगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कई बार कह चुके हैं। 

आज पीएम मोदी ने एक बार फिर बढ़ते भारत का जिक्र किया बताया कि देश की आर्थिक विकास दर 8.4% होना कितनी बड़ी उपलब्धि है ।

आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में है ।

दुनिया के कई देशों में इस वक्त आर्थिक संकट है लोगों की नौकरियां जा रही हैं कई देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है। 

ऐसे समय में भी भारत की जीडीपी ग्रोथ शानदार है ।

आर्थिक वृद्धि >8% क्यों है? ये इससे भी ज्यादा हो सकता था।

भारत अब ग्लोबल इकॉनमी में एक ब्राइट स्पॉट के तौर पर देखा जा रहा है भारत को लेकर दुनिया की तमाम बड़ी आर्थिक ताकतें काफी उत्साहित हैं 

भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है?

क़तर, यूएई और सऊदी के पास तेल है।

लेकिन कोई तो होना चाहिए जो उनका तेल खरीद सके।

इसलिए उन्हें अपना तेल बेचने के लिए भारत की सख्त जरूरत है।

यही वजह है कि चाहे अमेरिका हो या फिर जापान जर्मनी ब्रिटेन फ्रांस इटली या फिर साउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देश सभी देश भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं। 

भारत की इस रफ्तार की सबसे बड़ी वजह सरकार के फैसले और भारत में टैलेंट और वर्कफोर्स की कोई कमी ना होना है ।

दुनिया में युद्ध और महंगाई के चलते मंदी का माहौल है।

लेकिन इस माहौल में भी दुनिया की तमाम एजेंसियां भारत पर विश्वास जता रही हैं 

आज भारत में अमेरिका की जनसंख्या से कहीं अधिक जनधन बैंक खाताधारक हैं।

पहले, भारत में एक विशाल असंगठित क्षेत्र हुआ करता था जो सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक का योगदान देता था। 

जीडीपी की गणना करते समय इसका हिसाब नहीं रखा जाता था।

लेकिन आज, हर घर में  UPI की बढ़ती पहुंच, करेंसी नोटों के कम उपयोग और नकली नोटों के ख़त्म होने के कारण, असली तस्वीर सामने आ रही है।

अधिक से अधिक लेन-देन पारदर्शी और प्रलेखित होते जा रहे हैं। 

चूँकि इन्हें जीडीपी समीकरण में शामिल किया जाता है, इसलिए विकास दर स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

कल्पना कीजिए, उस परिदृश्य की जब फ्रांस जैसे कई देश यूपीआई को अपनाएंगे!

अमेरिका यह जानता है, वह जानता है कि मास्टर्स और वीज़ा बर्बाद हो गए हैं और इसलिए वह भारत के यूपीआई विकास को रोकने की कोशिश करता है।

सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर और भी अधिक बढ़ जाएगी जिससे विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाएं अपना सिर खुजलाने लगेंगी।

"लेखक के निजी विचार हैं "

 







लेखक : नलीन चंद्र  (Naleen Chandra)  04/03/2024 

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