सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Guru hanuman | vijay pal | wrestler | गुरु हनुमान | विजय पाल | पहलवान

 



भारतीय कुश्‍ती के पितामह माने जाने वाले #गुरु_हनुमान यानी #विजय_पाल गुरुओं के गुरु थे. उन्‍होंने इंटरनेशनल कुश्‍ती मानकों के साथ आधुनिक भारतीय कुश्‍ती और पारंपरिक भारतीय कुश्‍ती शैली यानी पहलवानी को मिलाकर एक खाका तैयार किया था. समय के साथ उन्‍होंने लगभग सभी फ्री स्‍टाइल इंटरनेशनल पहलवानों को कोचिंग दी और जो गुरु हनुमान के शिष्‍य थे, वें आज खुद गुरु बनकर भारतीय कुश्‍ती को अधिक ऊंचाईयों तक लेकर जा रहे हैं. बतौर खिलाड़ी और कोच गुरु हनुमान दिग्‍गज थे. भारतीय कुश्‍ती में उनके योगदान के कारण उन्‍हें पितामाह कहा जाता है. दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्‍ट #सुशील_कुमार के गुरु #सतपाल_सिंह उनके शिष्‍य थे.

🇮🇳 15 मार्च 1901 को राजस्‍थान के #चिड़ावा में जन्‍मे गुरु हनुमान का सपना शुरुआत से ही एक अच्‍छा पहलवान बनने का था, उन्‍होंने स्‍कूल छोड़कर कम उम्र में ही गांव के अखाड़े में पहलवानी करनी शुरू कर दी. 1919 में वह बिरला मिल्‍स के पास सब्‍जी मंडी में अपनी दुकान जमाने के लिए दिल्‍ली आ गए. मगर दुकानदार की बजाय वह पहलवान बन गए और इस फील्‍ड में उन्‍होंने जल्‍दी लोकप्रियता हासिल कर ली. गुरु हनुमान का पहलवानी के प्रति लग्‍न को देखते हुए मशहूर उद्योगपति कृष्‍णकुमार बिडला ने उन्‍हें अखाड़ा स्‍थापित करने के लिए जमीन दे दी और आजादी के बाद तो यह अखाड़ा दिल्‍ली के पहलवानों के लिए मंदिर समान हो गया. उनके तीन में से दो शिष्‍य #सुदेश_कुमार और #प्रेम_नाथ ने 1958 कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीता था. जबकि बाकी शिष्‍य #सतपाल_सिंह और #करतार_सिंह ने 1982 और 1986 में एशियन गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीता. गुरु हनुमान के 8 शिष्‍यों में सर्वोच्च भारतीय खेल सम्मान अजुर्न अवॉर्ड से भी नवाजा गया.

🇮🇳 गुरु हनुमान के पास 1970 तक भी मॉर्डन मैट नहीं था. वह सिर्फ नेचुरल टैलेंट पर काम करते थे. गुरु हनुमान गांव के युवा लड़कों के साथ काम करते थे, जो भारतीय स्‍टाइल में फाइट के आदी थे. जो ज्‍यादा से ज्‍यादा 40 मिनट तक लड़ सकते थे. गुरु हनुमान ने उन पर काम किया.

1974 कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स के गोल्‍ड मेडलिस्‍ट प्रेमनाथ ने अपने गुरु के बारे में बताया था कि बीमारी में भी उनके गुरु अभ्‍यास करवाते थे. वो मेहनत से कभी पीछे नहीं भागते थे. अभ्‍यास में सुबह 4 बजे उठकर सबसे पहले दौड़, फिर इसके बाद बाउट का अभ्‍यास, किसी के गिरने से पहले पहले कम से कम 30 मिनट तक मुकाबला, इसके अलावा रस्सियों पर चढ़ना, 100 पुशअप ये सब तब करना होता अभ्‍यास में शामिल थे. और ये सब गुरुजी के दोपहर के खाने के फैसले तक करना होता था.

🇮🇳 गुरु हनुमान की 1999 में दर्दनाक हादसे में मौत हो गई थी. 24 मई को वे हरिद्वार जा रहे थे और कार दुर्घटना में उन्‍होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. जो खेल जगत और खासकर कुश्‍ती के लिए बहुत बड़ी हानि थी.

साभार: news18.com

🇮🇳 भारत के महान कुश्ती प्रशिक्षक व विश्वप्रसिद्ध #पहलवान #गुरु_हनुमान #wrestler #guru_hanuman जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना

  Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🇮🇳 हम पर वतन का कर्ज था, हमने चुका दिया 🇮🇳 🇮🇳 बस्ती की टीन की जेल। मई-जून का तपता महीना और 24 घंटे में सिर्फ एक तसला पानी। हर पल की घुटन। बावजूद इसके आजादी के इस दीवाने ने हौसला नहीं छोड़ा। वंदेमातरम ने नारों में जोश कायम रखा।  🇮🇳 हम यहाँ बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी #जुगल_किशोर_सक्सेना की। उन्हें याद करके उनके बेटे कहते हैं कि 'पिता उन घटनाओं को सुनाते हुए भावुक हो जाते थे। कहते थे, ऐसे ही नहीं मिली है आजादी। इसके लिए देश के सपूतों ने बड़े जुल्म सहे है।' 🇮🇳 आजादी की लड़ाई में इलाके के सूरमाओं ने गोरों को कभी पीठ नहीं दिखाई। ऐसे ही थे जुगल किशोर सक्सेना। पिता #बटेश्वरदयाल और माँ #धनु_कुंवर के यहाँ जून 1924 में उनका जन्म #डड़ौना गाँव में हुआ। जन्म के ढाई साल बाद ही माँ चल बसीं। उनकी तेरहवीं भी नहीं हो पाई थी कि पिता भी साथ छोड़ गए। कोई भाई-बहन नहीं थे। परिवार के अन्य घरों में इनका पालन हुआ। वह मिडिल तक ही पढ़ पाए। अनाथ होने के कारण...

भगवान शालिग्राम का विवाह तुलसी से .... मेरी दुनिया - GMEDIA

भगवान शालिग्राम का विवाह  तुलसी से ... मान्यता है कि भगवान विष्णु और तुलसी का जिस जगह पर होते हैं, वहां कोई दुख और परेशानी नहीं आती। शालिग्राम की पूजा में तुलसी का महत्वत अहम है क्योंाकि बिना तुलसी के शालिग्राम की पूजा करने पर दोष लगता है। पराक्रमी असुर जलंधर का विवाह वृंदा से हुआ था , वृंदा भगवान विष्णु की भक्त थी। उसके पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर अजेय हो गया था। उसने एक युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया। अपनी शक्ति के अभिमान में जलंधर देवताओं, अप्सकराओं को परेशान करने लगा। दु:खी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे। तब भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर छल से वृंदा का पतिव्रत धर्म नष्ट कर दिया। इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गई और वह युद्ध में मारा गया। जब वृंदा को इस छल का पता चला, तो उसने विष्णु को पत्थर बन जाने का शाप दे दिया। देवताओं के अनुरोध करने पर वृंदा ने शाप वापस ले लिया। मगर, भगवान विष्णु ने पत्थंर में अपना एक रूप प्रकट किया, जिसे शालिग्राम कहा गया। भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि अगले जन्म में तुम तुलसी ...

Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025 | शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025

  Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025 शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025 22 सितम्बर 2025 (सोमवार) से 1 अक्टूबर 2025 (बुध / रविवार) विजयादशमी (दशहरा) - 2 अक्टूबर 2025  Vijayadashami (Dussehra) — 2 अक्टूबर 2025  🕉️ नौ देवी रूप और प्रत्येक दिन की पूजा Navratri के प्रत्येक दिन देवी के एक रूप की पूजा होती है। नीचे Chaitra और Sharad दोनों के लिए सामान्य क्रम है: रात्रि के हर दिन देवी के एक रूप की पूजा होती है। नीचे चैत्र और शरद दोनों का सामान्य क्रम है: माँ शैलपुत्री  Maa Shailputri मां ब्रह्मचारिणी  Maa Brahmacharini मां चंद्रघंटा  Maa Chandraghanta माँ कुष्मांडा   Maa Kushmanda मां स्कंदमाता  Maa Skandamata माँ कात्यायनी   Maa Katyayani मां कालरात्रि   Maa Kalaratri माँ महागौरी  Maa Mahagauri माँ सिद्धिदात्री    Maa Siddhidatri 🔔 पूजा-विधि और विशेष रीति-रिवाज घटस्थापना / कलश स्थापना (Ghatasthapana / Kalash Sthapana): Navratri की शुरुआत होती है कलश या पवित्र पात्र की स्थापना से, जिसमें जल, पाँच प्रक...