किसी दूसरे देश की नीतियों में दखल देना अमेरिका और अन्य देशों को बंद करना होगा -
जर्मनी और अमेरिका की केजरीवाल के बारे में टिप्पणियां हमारी न्याय व्यवस्था पर हमला है -
हमने क्या कभी ट्रम्प पर मुक़दमे पर कोई टिप्पणी की है ?
कुछ दिन पहले जर्मनी ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर भारत के खिलाफ अनर्गल विलाप करते हुए कहा था कि “आरोपों का सामना कर रहे किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह केजरीवाल भी निष्पक्ष व भेदभाव रहित मुक़दमे का हक़दार है - हम मानते हैं और अपेक्षा करते हैं कि इस मामले में भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता से सम्बंधित मानकों और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया जाएगा”
ऐसा कहते हुए जर्मनी ने एक तरह यह माना कि आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति को भारत में निष्पक्ष व भेदभाव रहित मुक़दमे का अधिकार दिया जाता है - लेकिन अन्य बातें कह कर जर्मनी ने भारत के लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसके निष्पक्ष होने पर प्रश्नचिन्ह लगा कर भारत की संप्रभुता पर प्रहार किया जिसके उत्तर में भारत ने उनके राजनयिक को बुला कर कड़ी आपत्ति जताते हुए फटकार लगाई -
अब कल अमेरिका भी उछलता कूदता आगे आ कर अपनी मुंडी घुसाने की कोशिश कर रहा था जो उसके विदेश मामलों के प्रवक्ता ने कहा कि -
“अमेरिका केजरीवाल की गिरफ़्तारी की ख़बरों पर करीब से नज़र रख रहा है और निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध कानूनी प्रक्रिया का पक्षधर है “
भारत की सरकार लुंज पुंज सरकार नहीं है जो चुप रहेगी - आज ही विदेश मंत्रालय ने Acting US Deputy Ambassador Gloria Berbena को तलब कर भारत की कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि हर देश को दूसरे देशों के संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और उस देश की न्यायिक व्यवस्था पर दोष निकालते हुए आक्षेप लगाने से बचना चाहिए - यह जिम्मेदारी लोकतांत्रिक देशों की दूसरे लोकतांत्रिक देशों के प्रति और ज्यादा बढ़ जाती है”
मुझे लगता है अमेरिकी प्रशासन में कुछ सिरफिरे लोग बाइडन सरकार को बिना सोचे समझे गलत सलाह दे रहे हैं -
अमेरिकी अधिकारियों और सरकार को याद रखना चाहिए कि किसी व्यक्ति पर केस चलाने से पहले जांच एजेंसियां उसे न्यायिक प्रक्रिया की तहत summon देकर बुलाती हैं - जर्मनी और अमेरिका को याद रखना चाहिए कि केजरीवाल को ED ने 5 महीने में 9 Summons भेजे थे - कभी अमेरिका और जर्मनी ने केजरीवाल को सलाह दी कि वह जांच के आगे आए - ये देश यह भी भूल जाते हैं कि केजरीवाल पर जिस घोटाले की जांच हो रही है, उसमें उसके 2 मंत्री और एक सांसद लंबे समय से जेल में है, सरकार की मर्जी से नहीं बल्कि अदालत के आदेश पर और आप हमारी अदालत पर “निष्पक्ष” न होने का आरोप लगा रहे हो -
अमेरिका को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि वर्तमान अमेरिकी सरकार के विरोधी डोनाल्ड ट्रम्प पर भी अनेक मुकदमे चलाए जा रहे हैं - क्या भारत या किसी अन्य लोकतांत्रिक देश ने उसके खिलाफ कभी कुछ कहा है, कभी नहीं जबकि अमेरिका में कोई भी फैसला सुनाने वाले जज के बारे में मीडिया पहले यह बताता है कि उस जज की नियुक्ति किसने की थी Democrats ने या Republicans ने और उसका झुकाव किसकी तरफ है और आप हमारी न्यायपालिका पर आक्षेप लगा रहे हो -
अमेरिका या किसी पश्चिमी देश ने कभी लालू यादव, हेमंत सोरेन या उसके पहले जया ललिता की गिरफ़्तारी पर आंसू नहीं बहाए - इन तीनों ने गिरफ्तार होने से पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था लेकिन केजरीवाल पद से चिपका हुआ है और जेल से सरकार चलाना चाहता है - US और जर्मनी इसे सही मानते हैं? अमेरिका को पहले गुरपतवंत पन्नू के आरोप पर जवाब देना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या पन्नू केजरीवाल को 134 करोड़ रुपए देने की बात सत्य बोल रहा है
"लेखक के निजी विचार हैं "
लेखक : सुभाष चन्द्र | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 27/03/2024
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