चुनावी बॉन्ड पर फैसला - अदालत में इंडी गठबंधन का
फैसला प्रतीत होता है - सरकार को पलट देना चाहिए -
#Electoral_Bonds की योजना भाजपा की निजी योजना नहीं थी बल्कि सरकार द्वारा 2017 के बजट में संसद से पास हुई योजना थी, बजट के प्रावधान थे जिन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी मिली थी - लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी प्रशांत भूषण की संस्था “#Common_Cause”, #CPIM), कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने और साथ में थी #ADR (The #Association for #Democratic #Reforms) -
यानी एक तरह विपक्ष का #इंडी_गठबंधन खड़ा था #मोदी_सरकार के खिलाफ #सुप्रीम_कोर्ट में और यह गठबंधन सब जानते हैं आजकल “#George_Soros” की #फंडिंग पर काम कर रहा है जिसका मकसद मोदी को उखाड़ फेंकना है - कल के फैसले में सुप्रीम कोर्ट एक तरह इंडी गठबंधन का हिस्सा बन कर खड़ा हो गया -
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बजट में पास किए गए Electoral Bonds को असंवैधानिक कह कर अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया है और सही मायने में कहा जाए तो पायजामे से बाहर निकल कर फैसला किया है - सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति केवल कानून में कमी बताने की होनी चाहिए, उसे खारिज करने की शक्ति नहीं होनी चाहिए -
CJI चंद्रचूड़ ने कहा है कि “राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद से उसके बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है - काले धन को काबू पाने का एकमात्र तरीका इलेक्टोरल बांड नहीं हो सकता - इसके और भी विकल्प हैं”
चंद्रचूड़ ने एक तरह यह स्वीकार किया है कि Electoral Bonds के जरिए सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने की कोशिश की थी अलबत्ता यह बात अलग है कि चंद्रचूड़ इसे केवल एकमात्र उपाय नहीं समझते - चंद्रचूड़ फैसला देते हुए यह मान कर चले हैं कि पार्टियों को चंदा देकर लोग अपना काम निकलवा लेते हैं - अगर ऐसा है तो यह करने वाली केवल सरकार नहीं होती बल्कि महुआ मोइत्रा जैसे लोग भी होते हैं -
यह बात फिर जजों के फैसलों पर भी लागू हो सकती है और उन पर भी आरोप लग सकता है कि मोदी सरकार को “अस्थिर” करने के लिए जजों को George Soros या अन्य किसी जगह से पैसा दिया गया और फैसले को प्रभावित कर मोदी को परेशान करने की कोशिश की गई - फिलहाल यह कोशिश किसान आंदोलन करा कर भी की जा रही है -
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जनता को जानने का अधिकार है किसी पार्टी को कहां से कितना फंड मिला लेकिन Electoral Bonds योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था जिससे RTI का उल्लंघन हो रहा था - यदि #RTI का उल्लंघन हो रहा था तो आप इसे RTI के दायरे में लाने के आदेश दे सकते थे मगर योजना को ही “असंवैधानिक” कह देना आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं हो सकता -
सुप्रीम कोर्ट को बेनकाब करेगा बांड पर फैसला
वीडियो देखने के लिए क्लिक करें https://youtu.be/3LWBEVEF5-M
मीलॉर्ड, आप दुनिया को प्रवचन देते फिरते हो पारदर्शिता का लेकिन खुद अपनी #Assets & #Liability_Returns नहीं भरते और न RTI में उपलब्ध कराई जाती है - आप अगर समझते हैं कि प्राइवेट parties का पैसा सरकार के फैसलों को प्रभावित कर सकता है तो आपके फैसलों को भी पैसे वाले लोग प्रभावित कर सकते हैं - अगर ऐसा न होता तो साढ़े 32 साल की सजा पाया लालू यादव छुट्टे सांड की तरह आपकी मेहरबानी से बाहर न घूम रहा होता और 3200 करोड़ का #घोटाला करके चंदा कोचर की गिरफ़्तारी को आप लोग गलत साबित न करते -मोदी सरकार ने कुछ छुपाने की कोशिश नहीं की थी इस Electoral Bonds Scheme में, उन्हें जितना पैसा मिला, वह बताया गया लेकिन आपने गलत #intention से योजना को पटक दिया - सरकार को चाहिए वह अध्यादेश लाकर आपके फैसले को पलट दे और ऐसा करने का अधिकार आपने ही बताया है सरकार के पास है - "लेखक के निजी विचार हैं "
लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 16/02/2024
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