14 फ़रवरी 2024

Akkamma Cherian | अक्कम्मा चेरियन | त्रावणकोर की झाँसी की रानी

 



#Akkamma_Cherian #अक्कम्मा_चेरियन  #त्रावणकोर_की_झाँसी_की_रानी #Queen of #Jhansi of #Travancore #Jhansi_ki_Rani 


अक्कम्मा चेरियन का जन्म 14 फरवरी 1909 को कांजीरापल्ली, त्रावणकोर ( वर्तमान केरल) के एक छोटे से गांव में हुआ था । पेशे से शिक्षिका थीं लेकिन उनका असली सपना देश को आजाद देखना था। इसलिए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी।


🇮🇳 भारत की आजादी की लड़ाई किसी एक राज्य, प्रांत या कुछ लोगों तक सीमित नहीं थी। इसकी आग पूरे देश में, हर एक युवा के दिन में फैली थी। प्रांत, धर्म, जाति और लिंग भेद से विपरीत हर कोई स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद गया था। इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम है अक्कम्मा चेरियन का। अक्कम्मा चेरियन को दक्षिण की झॉंसी की रानी भी कह सकते हैं। 

🇮🇳 केरल में स्वतंत्रता की लौ जगाने वाली और आजादी के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाली इस बहादुर महिला का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आजादी की जब भी बात आती है तो झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू और कुछ अन्य महिलाओं के नाम ही लिए जाते हैं। लेकिन 1938 में केरल में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाली अक्कम्मा चेरियन का नाम केवल उनके राज्य तक सीमित रह गया। चलिए जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम की इस महिला क्रांतिकारी अक्कम्मा चेरियन के बारे में।

🇮🇳 #त्रावणकोर प्रांत (वर्तमान में केरल) में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ तो अक्कम्मा चेरियन ने त्रावणकोर आंदोलन का नेतृत्व किया। अक्कम्मा चेरियन उस दौर के आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं।

🇮🇳 त्रावणकोर के नसरानी परिवार में अक्कम्मा चेरियन का जन्म 14 फरवरी 1909 को हुआ था। उनके पिता का नाम #थॉमसन_चेरियन और माँ #अन्नाममा_करिपापारंबिल थीं। चेरियन की एक बड़ी बहन भी थीं। चेरियन ने #कंजिरापल्ली स्थित सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल से पढ़ाई की और बाद में सेंट जोसेफ हाई स्कूल (#चांगनाचेरी) से अपनी शिक्षा पूरी की।

🇮🇳 चेरियन ने टेरेसा कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षिका 1931 में मैरी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय से की।बाद में वह स्कूल की प्रबंधिका नियुक्त हो गईं। नौकरी के साथ ही चेरियन ने एलटी की उपाधि भी हासिल की।

🇮🇳 1938 में #महात्मा_गाँधी से प्रभावित होकर चेरियन ने 1938 में नौकरी छोड़ दी। चेरियन त्रावणकोर महिला कांग्रेस में शामिल हुईं जो कि महात्मा गाँधी की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रांतीय इकाई थी। ब्रिटिश सरकार ने इस संगठन को अवैध घोषित कर दिया था और पार्टी के कई नेताओं को जेल में डाल दिया।

🇮🇳 पार्टी के 11वें अध्यक्ष कुट्टनाड रामकृष्ण पिल्लई की गिरफ्तारी हुई तो उन्होंने चेरियन के हाथों में पार्टी की कमान सौंप दी। चेरियन त्रावणकोर की राजनीति का दमदार चेहरा भी बन गईं। उन्होने एक बड़ी रैली का आयोजन कर लोगों को एकजुट किया।

🇮🇳 त्रावणकोर के शाही महल के बाहर 23 अक्टूबर 1938 को हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए। उस दौरान पुलिस चीफ ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया तो चेरियन ने उनको ललकारते हुए कहा कि मैं इन सब की नेता हूँ, पहली गोली मुझ पर चलाओ। ये प्रदर्शन तब तक चला, जब तक अंग्रेजी हुकूमत गिरफ्तार नेताओं को रिहा कराने के लिए राजी नहीं हो गईं।

🇮🇳 अक्कम्मा चेरियन की बहादुरी और निडरता के कारण महात्मा गाँधी ने उन्हें 'त्रावणकोर की झाँसी की रानी' कहकर संबोधित किया। 1939 में प्रांतीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन में चेरियन और उनकी बहन शामिल हुई थीं, जिसमें उनके साथ ही कई अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह 1942 में प्रांतीय कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष बनीं। मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान हुआ तो चेरियन ने भी आवाज बुलंद की। आजादी के बाद 1947 में हुए पहले चुनाव के जरिए वह विधानसभा के लिए चुनी गईं। कुछ समय तक राजनीति में सक्रिय रहने के बाद 1982 में #तिरुवनंतपुरम में चेरियन का निधन हो गया।

साभार: amarujala.com

🇮🇳 'त्रावणकोर की झाँसी की रानी' के रूप में प्रसिद्ध, #केरल में #स्वतंत्रता की लौ जगाकर आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करने वाली वीरांगना #अक्कम्मा_चेरियन जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

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साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

वन्दे मातरम् 🇮🇳 #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व #आजादी_का_अमृतकाल  #Queen #Jhansi #Travancore #Jhansi_ki_Rani 

Vasant_Panchami | वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है।





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🇮🇳🌻 ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति के सौंदर्य का अनुपम श्रृंगार 🌻🇮🇳

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🇮🇳🌻 वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। चारों ओर हरियाली और खुशहाली का वातावरण छाया रहता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की रचना की थी, इसलिए इस दिन सरस्वती जी की पूजा की जाती है।

🇮🇳🌻 पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और तब से भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो आज तक जारी है। वैसे वसंत पंचमी के दिन विष्णु पूजा का भी महत्व है।

🇮🇳🌻 वसंत ऋतु प्राकृतिक सौंदर्य में निखार, मादकता का संगम है। प्राचीनकाल से ही वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम रहा है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियां उड़ने लगती हैं।

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है।

🇮🇳🌻 यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य का निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं।

🇮🇳🌻 ऋतुओं का राजा वसंत रसिकजनों का भी प्रिय रहा है। प्राचीनकाल से ही हमारे देश में वसंतोत्सव, जिसे कि मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, मनाने की परंपरा रही है। संस्कृत के प्राय: समस्त काव्यों, नाटकों, कथाओं में कहीं न कहीं वसंत ऋतु और वसंतोत्सव का वर्णन अवश्य मिलता है।

🇮🇳🌻 वसंत पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसंत की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलने का मौका देते हैं। जहाँ टेसू (पलाश) और सेमल के लाल-लाल फूल, जिन्हें वसंत के श्रृंगार की उपमा दी गई है, सभी के मन में मादकता उत्पन्न करते हैं, वहीं होली की मस्ती और फाग का संगीत लोगों के मन को उमंग से भर देता है।

🇮🇳🌻 प्राचीनकाल में वसंतोत्सव का दिन कामदेव के पूजन का दिन होता था। भवभूति के श्मालती-माधव के अनुसार वसंतोत्सव मनाने के लिए विशेष मदनोत्सव बनाया जाता था जिसके केंद्र में कामदेव का मंदिर होता था। इसी मदनोत्सव में सभी स्त्री-पुरुष एकत्र होते, फूल चुनकर हार बनाते, एक-दूसरे पर अबीर-कुमकुम डालते और नृत्य संगीत आदि का आयोजन करते थे। बाद में वह सभी मंदिर जाकर कामदेव की पूजा करते थे।

🇮🇳🌻 इस दिन से जो पुराना है वह सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं।

🇮🇳🌻 कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से गूँज उठता है और प्रकृति फिर से अंगड़ाइयां लेने लगती है।

इस समय गेहूँ की बालियां भी पककर लहराने लगती हैं, जिन्हें देखकर किसानों का मन बहुत ही हर्षित होता है। चारों ओर सुहावना मौसम मन को प्रफुल्लता से भर देता है।

साभार: naidunia.com

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आप सभी मित्रों को #प्रकृति द्वारा #धरती #माँ के श्रृंगार के प्रतीक पावन पर्व #वसंत_पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

 #आजादी_का_अमृतकाल #Saraswati_Puja #Vasant_Panchami,  #Basanta_Panchami  #Hindu #goddess #Saraswati, #festival #Indian #religions

Valentine Day | वैलेंटाइन डे | 14 फरवरी | 14th February

 




#Valentine's Day #वैलेंटाइन डे


7 फरवरी को #रोज_डे #Rose_Day  मनाकर #वैलेंटाइन वीक की शुरुआत होती है   #प्रपोज_डे #Propose_Day -8 फरवरी  को   9 फरवरी को #चॉकलेट_डे #Chocolate_Day, फिर #टेडी_डे #Teddy_Day, #प्रॉमिस_डे  #Promise_Day, 

#हग_डे  #Hug_Day,  #किस_डे  #Kiss_Day  और फिर अंत में #14 _फरवरी  #14th_February को #वैलेंटाइन_डे आता है | 

15 फरवरी को मनाया जाता है #सिंगल्स_अवेयरनेस_डे #Singles_Awareness_Day

सिंगल्स अवेयरनेस डे हर साल 15 फरवरी को मनाया जाता है. कहें तो ये उन लोगों का वैलेंटाइन है, जिनके पास कोई पार्टनर नहीं है. यह दिन इसीलिए मनाया जाता है ताकि सिंगल लोगों को लाइफ में बिल्कुल भी अकेला महसूस न हो.


वैलेंटाइन डे  के संदर्भ में कई कहानियां  प्रचलन में है | 


सबसे प्रसिद्ध वैलेंटाइन डे कहानी रोम के संत वैलेंटाइन की कहानी है। ऐसा माना जाता है  की  सेना के उन सदस्यों की शादी में उपस्थित होने का अपराध किया था |  जिन्हें शादी करने से मना किया गया था। संत वैलेंटाइन ने प्राचीन रोम में सैनिकों की गुप्त शादियाँ संपन्न कराईं थी । इस अपराध के कारण ही उन्हें  कैद कर लिया गया | 


सम्राट की नाराजगी के बाद, 14 फरवरी 269 ई. को संत वैलेंटाइन को मौत की सजा दे दी गई। तब से, वेलेंटाइन डे 14 फरवरी  को संत वेलेंटाइन की मृत्यु की सालगिरह और प्यार और जुनून दोनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए मनाया जाता है |  साथ ही, यह एक दिन के बजाय पूरे सप्ताह के लिए मनाया जाता है, ताकि प्यार करने वाले जोड़ो को  अच्छा समय, खुशी और बहुत प्यार मिल सके।


शुरुआत में  वैलेंटाइन नाम के एक शहीद के सम्मान में एक ईसाई औपचारिक रात्रिभोज दिवस के रूप में हुई, बाद में, यह 14वीं और 15वीं शताब्दी में रोमांटिक प्रेम से संबंधित हो गया |  वेलेंटाइन डे अब एक विशाल रोमांस और प्यार का उत्सव है। 


#Valentine_Day #romance #love #Saint_Valentine  #celebrat #Happy_Valentine_Day

Saraswati Puja | Basant Panchami | सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं !

 


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! 

वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।


#Vasant_Panchami, also rendered #Basanta_Panchami and #Saraswati_Puja in honour of the #Hindu goddess #Saraswati, is a #festival that marks the preparation for the arrival of spring. The festival is celebrated in #Indian religions in different ways depending on the #region. 


हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को #बसंत_पंचमी मनाई जाती है. इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है. मान्यता है कि इसी दिन मां #सरस्वती प्रकट हुई थीं | 


Why do we celebrate Basant Panchami: Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of #Shukla_Paksha of #Magh_month. On this day, there is a tradition to worship Goddess Saraswati, the goddess of knowledge and speech. It is believed that Mother Saraswati appeared on this day.


सरस्वती जी का मंत्र क्या है?

' हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले। या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥





13 फ़रवरी 2024

Sarojini Naidu | स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री, देश की पहली महिला गवर्नर, केसर-ए-हिन्द श्रीमती सरोजिनी नायडू

 




#बहुमुखी_प्रतिभा 

🇮🇳 स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री, देश की पहली महिला गवर्नर, केसर-ए-हिन्द श्रीमती सरोजिनी नायडू उन महिलाओं में से हैं, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कठिन संघर्ष किया। उन्होंने कांग्रेस के वर्ष 1925 मे आयोजित कानपुर अधिवेशन की अध्यक्षता करके ऐसा करने वाली राष्ट्रीय स्तर की चंद महिला नेताओं में अपना नाम शामिल करवाने का सौभाग्य प्राप्त किया। राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का प्रथम बार सस्वर गायन भी कांग्रेस के बाद के अधिवेशन में उन्होंने ही किया था। इसीलिए उनको देश के #राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 'भारत कोकिला' के सम्मान से नवाजा गया था।

#Sarojini_Naidu (13 February 1879 – 2 March 1949) was an #Indian_political activist and poet who served as the first #Governor of United Provinces, after India's independence. She played an important role in the #Indian #independence #movement against the #British_Raj.

🇮🇳 सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 में #हैदराबाद के एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री पिता #अघोरनाथ_चट्टोपध्याय और बंगाली भाषा की कवयित्री माता #वरदा_सुंदरी के घर हुआ था। सरोजिनी नायडू को काव्य लेखन का हुनर विरासत में मिला था। वे अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके एक भाई #विरेंद्रनाथ क्रांतिकारी थे और एक भाई #हरिंद्रनाथ कवि, कथाकार और कलाकार थे। होनहार छात्रा होने के साथ ही वे उर्दू, तेलगू, इंग्लिश, बांग्ला और फारसी भाषाओं में भी दक्ष थीं। उन्होंने #बचपन में ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। उन्होंने 12 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ पास कर ली थीं और केवल 13 वर्ष की आयु में 1300 पदों की ‘लेडी ऑफ दी लेक’ नामक लंबी कविता और लगभग 2000 पंक्तियों का एक विस्तृत नाटक लिखकर अंग्रेज़ी भाषा पर अपना अधिकार सिद्धकर अपने कवयित्री होने का सार्वजनिक ऐलान कर दिया था।

🇮🇳 उनके वैज्ञानिक पिता चाहते थे कि वो गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें, पर उनकी रुचि कविता में थीं। उनकी कविता से हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी। 1895 में 16 साल की उम्र में हैदराबाद के निजाम की ओर से छात्रवृत्ति प्राप्त कर वे पढ़ने के लिए पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में ग्रिटन कॉलेज कैम्ब्रिज गईं। वहां वे उस दौर के प्रतिष्ठित कवि अर्थर साइमन और एडमंड गॉस से मिलीं। एडमंड गॉस ने नायडू को भारत के पर्वतों, नदियों, मंदिरों और सामाजिक परिवेश को अपनी कविता में समाहित करने की प्रेरणा दी। नायडू की शादी 19 साल की उम्र में #डॉ_एम_गोविंदराजलु_नायडू से हुईं तथा वे लगभग बीस वर्ष तक कविताएं और लेखन कार्य करती रहीं और इस समय में उनके तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हुए। उनके कविता संग्रह ‘बर्ड ऑफ़ टाइम’ और ‘ब्रोकन विंग’ ने उन्हें एक प्रसिद्ध कवयित्री बनवा दिया। सरोजिनी नायडू को भारतीय और अंग्रेज़ी साहित्य जगत की स्थापित कवयित्री माना जाने लगा था किंतु वह स्वयं को कवि नहीं मानती थीं। उनका प्रथम काव्य संग्रह ‘द गोल्डन थ्रेसहोल्ड’ 1905 में प्रकाशित हुआ जो काफी लोकप्रिय रहा।

🇮🇳 देश की राजनीति में कदम रखने से पहले सरोजिनी नायडू दक्षिण अफ्रीका में #गाँधी जी के साथ काम कर चुकी थीं। गाँधी जी वहाँ की जातीय सरकार के विरुद्ध संघर्ष कर रहे थे और सरोजिनी नायडू ने स्वयंसेवक के रूप में उन्हें सहयोग दिया था। इसी तरह 1930 के प्रसिद्ध #नमक_सत्याग्रह में सरोजिनी नायडू गॉंधी जी के साथ चलने वाले स्वयंसेवकों में से एक थीं। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि वे गाँधीजी से पहली बार भारत में नहीं बल्कि ब्रिटेन में मिली थीं। ये 1914 की बात है। गाँधी जी अपने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह के चलते प्रसिद्ध हो चुके थे। सरोजिनी नायडू उस समय इंग्लैंड में थीं। जब उन्होंने सुना कि गॉंधी जी भी इंग्लैंड में हैं, तब वो उनसे मिलने गईं। गाँधी जी को देखकर चौंकीं लेकिन प्रभावित भी हुईं, उन्होंने देखा कि गाँधी जी जमीन पर कंबल बिछाकर बैठे हुए हैं और उनके सामने टमाटर और मूँगफली का भोजन परोसा हुआ है। सरोजिनी नायडू गाँधी की प्रशंसा सुन चुकी थीं, पर उन्हें कभी देखा नहीं था। जैसा कि वो खुद वर्णन करती हैं, ‘कम कपड़ों में गंजे सिर और अजीब हुलिये वाला व्यक्ति और वो भी जमीन पर बैठकर भोजन करता हुआ।’

🇮🇳 गाँधी जी अपने पत्रों में नायडू को कभी-कभी ‘डियर बुलबुल’, ‘डियर मीराबाई’ तो यहाँ तक कि कभी मजाक में ‘अम्माजान’ और ‘मदर’ भी लिखते थे। मजाक के इसी अंदाज में सरोजिनी भी उन्हें कभी ‘जुलाहा’,‘लिटिल मैन’ तो कभी ‘मिकी माउस’ संबोधित करती थीं। वैसे जब देश में आजादी के साथ भड़की हिंसा को शांत कराने का प्रयत्न महात्मा गाँधी कर रहे थे, उस वक्त सरोजिनी नायडू ने उन्हें ‘शांति का दूत’ कहा था और हिंसा रुकवाने की अपील की थी। नारी-मुक्ति की समर्थक सरोजिनी नायडू का यह मानना था कि #भारतीय नारी कभी भी कृपा की पात्र नहीं थी, वह सदैव से समानता की अधिकारी रही हैं। उन्होंने अपने इन विचारों के साथ महिलाओं में आत्मविश्वास जाग्रत करने का काम किया। राज्यपाल के पद पर रहते हुए उनका 2 मार्च, 1949 को निधन हो गया था।

🇮🇳 मृत्यु एक शाश्वत सत्य है और इसे भला कौन रोक पाया है। स्वयं सरोजिनी नायडू ने अपनी एक कविता में मृत्यु को कुछ देर के लिए ठहर जाने को कहा था, 'मेरे जीवन की क्षुधा, नहीं मिटेगी जब तक मत आना हे मृत्यु, कभी तुम मुझ तक।'  काश ! ऐसा हो पाता। इस महान देशभक्त को देश ने बहुत सम्मान दिया। सरोजिनी नायडू को विशेषतः ‘भारत कोकिला’, ‘राष्ट्रीय नेता’ और ‘नारी मुक्ति आन्दोलन की समर्थक’ के रूप में सदैव याद किया जाता रहेगा। 

🇮🇳 उनको सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी उनके एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन और राष्ट्र निर्माण के लिए बताये गये उच्च आदर्शों के अनुरूप आचरण करें और भारत को एक समृद्ध, समावेशी, बहुलतावादी, सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप मे विश्व मंच पर स्थापित करें।

-देवेन्द्रराज सुथार

साभार: prabhasakshi.com

नारी-मुक्ति की समर्थक, प्रमुख #स्वतंत्रतासेनानी एवं #कवयित्री 'भारत कोकिला' #सरोजिनी_नायडू जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि !

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साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व  #आजादी_का_अमृतकाल #Sarojini Naidu #Freedom_fighter #poet, #first_woman_governor #Kesar_e_Hind #social_reformer 

Farmers Protest | किसान आंदोलन की आड़ में | कांग्रेस और “आप” ......? | लेखक : सुभाष चन्द्र

 




किसान हैं ही नहीं,  कांग्रेस और “आप” के गुंडे हैं -

देश के खिलाफ युद्ध का ऐलान है -सरकार कुचल दे ऐसे लोगों को -


#किसान आंदोलन #FarmersProtest  की आड़ में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का काम करा रही है कांग्रेस और अमेरिका में  बैठा गुरपतवंत सिंह पन्नू भड़का रहा है सिखों को प्रधानमंत्री मोदी के घर पर खालिस्तान का झंडा लगाने के लिए - कांग्रेस के जयराम रमेश ने खुल कर कहा है कि आज राहुल गांधी अंबिकापुर में किसान संगठनों से मुलाकात कर रहे हैं और “आज ही के दिन पंजाब, हरियाणा, यूपी और अलग अलग देशों के किसान दिल्ली आ रहे हैं” - यानी कांग्रेस देश को राज्यों को अलग अलग देश बता रही है -


आज के कथित #किसान #कांग्रेस, #आप  और #George Soros के पैसे से खरीदे हुए गुंडे हैं और राहुल “कालनेमि” की मोहब्बत की दुकान के #Salesmen हैं - #केजरीवाल को समझ लेना चाहिए कि चाहे वो #रामलला के दर्शन कर आया या कथित किसानों को भड़का ले, #ED में उसका “सुंदर कांड” होकर रहेगा 


उधर आंदोलन में शामिल लोग कह रह रहे हैं “हमको छोड़ दो, खालिस्तान बनाने दो …. हम पाकिस्तान के साथ जुड़ जाएंगे” - आंदोलन करने वालों ने ट्रैक्टर इस तरह modify किए जिससे वह पुलिस के  बेरिकेड तोड़ सके, आग का सामना कर सके और आंसू गैस का भी इन पर असर न हो - भला कौन किसान एक आंदोलन के लिए इतना खर्च कर सकता है - इनका मकसद पन्नू की कॉल पर प्रधानमंत्री मोदी के आवास को घेरने का है - 

इस आंदोलन में छिपे किसानों पर पिछले अक्टूबर - नवंबर, 2023 में #पंजाब की भगवंत मान सरकार ने लाठियां बरसाई थी और उनका आंदोलन कुचलने के प्रयास किए थे - आज उसी “आप” का मंत्री गोपाल राय इन कथित किसानों के हक़ में खड़ा हुआ कह रहा है  - “ ब्रिटिश हुकूमत की तरह केंद्र की #भाजपा सरकार ने सड़कों पर कीलें बिछा दी हैं, दीवारें खड़ी कर दी हैं जिससे किसान दिल्ली में न आ सकें - भाजपा गुलामी का कालखंड याद करा रही है” - यानी गोपाल राय चाहता है कथित किसान दिल्ली सरकार के खिलाफ बगावत करने में सफल हो जाएं और उन्हें रोका न जाए -


इन कथित किसानों की अबकी बार की मांग लगता है केवल दिखावा है जिसका मकसद केवल अराजकता फैलाना है - ये लोग मांग रहे हैं ➖

-58 साल की उम्र से ज्यादा के किसानों के लिए 10 हजार रुपए महीने की पेंशन दी जाए;

-किसानों को फसल बीमा दिया जाए;

-भारत WTO से बाहर आ जाए; और 

-मनरेगा में 200 Employment Days सुनिश्चित किए जाएं -


इस तरह की मांगे, या तो कोई विदेशी ताकतें बना सकती है या कांग्रेस बना सकती है किसान तो कभी नहीं बना सकते अगर वे किसान हैं -


चुनाव से ठीक पहले माहौल बिगाड़ने के लिए विपक्ष ने कुछ दिन पूर्व हल्द्वानी में शाहीन बाग़ खड़ा करने की कोशिश की और अब फर्जी किसान आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की गई है - लेकिन जैसे हल्द्वानी में सख्ती से काम लिया गया, दिल्ली में इन कथित किसानों को भी पूरी ताकत से कुचल देना चाहिए - 


यह याद रखना चाहिए कि पिछले किसान आंदोलनकारी नेताओं के साथ किसी तरह का जनमत नहीं था क्योंकि वे सभी लोग किसी चुनाव में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे - इसलिए बिना किसी हिचक, सरकार को इस बार कथित किसानों के आंदोलन को कुचल देना चाहिए, जो उनके पीछे खड़े हैं, उन्हें अंदर कर देना चाहिए - शांति बनाए रखने के लिए यदि पुलिस को गोली भी चलानी पड़े, तो उसमे भी पीछे नहीं रहना चाहिए - 

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का”13/02/2024 

#Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #Qatar_King  #Qatar_Amir #Samantha_Pawar #George_Soros



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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12 फ़रवरी 2024

भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी को मौत के मुंह से निकाल लिया मोदी ने | षड़यंत्र हो गया विफल ! लेखक : सुभाष चन्द्र

 


#Modi saved 8 former #Indian #Navy_officers from the clutches of death

भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी को  मौत के मुंह से निकाल लिया मोदी ने  #षड़यंत्र विफल हो गया - यही दर्द है -


#भारतीय_नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी 18 महीने से क़तर की कैद में मौत की सजा पाए आज आज़ाद करा लिए #प्रधानमंत्री_नरेंद्र_मोदी की कूटनीति ने और बड़े बड़े नापाक लोगों के मंसूबों पर पानी फिर गया - लेफ्ट लिबरल कबाड़ गिरोह के कुछ मक्कार विलाप कर रहे थे जब 8 भारतीयों को फांसी की सजा दी गई कि क़तर ने मोदी के पर क़तर दिए, विश्व गुरु को जमीन पर पटक दिया - लेकिन आज वे सभी झाग की तरह बैठ गए -


क़तर में जो हुआ उसे एक बड़ा षड़यंत्र कहना गलत नहीं होगा - बहुत से सच सामने नहीं आते हैं लेकिन ऐसे विषयों में एक दूसरे से जुड़े तार देखे जा सकते हैं - 8 भारतीयों को 26 अक्टूबर, 2023 को क़तर की अदालत ने जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी और उसी दिन राहुल “कालनेमि” उज्बेकिस्तान में जॉर्ज सोरोस की खास सामंता पावार के साथ गुप्त मंत्रणा कर रहा था - राहुल अगले दिन 27 अक्टूबर, 2023 को भारत लौट कर आया था - 


अब यह उज्बेकिस्तान की गुप्त यात्रा का मकसद भारतीय पूर्व सैनिकों की फांसी से जोड़ कर देखना गलत भी नहीं कहा जा सकता - एक तो राहुल और फिर साथ में जॉर्ज सोरोस की साथी से मुलाकात बहुत कुछ कहती है - मतलब नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को बदनाम करने की गहरी साजिश कही जा सकती है और उस पर जिस तरह कांग्रेस ने मोदी सरकार को संसद और संसद के बाहर घेरने की कोशिश की और जिस तरह लेफ्ट लिबरल Echo System मोदी पर बरस पड़ा था,  उससे साफ़ जाहिर होता है कि यह कांग्रेस का ही रचा हुआ षड़यंत्र था जो आज विफल हो गया -


दुबई में 3 दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री मोदी और क़तर के राजा  #Amir_Sheikh_Tamim_Bin_Hamad_Al_Thani के साथ #COP28 #summit के दौरान मुलाकात हुई थी जिसमे भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए विस्तृत चर्चा हुई थी - इसके बाद 28 दिसंबर को #क़तर ने फांसी की सजा ख़त्म करने का ऐलान किया था - हो सकता है क़तर को भी अहसास हुआ कि कोई खेल खेला गया था -


#भारत_सरकार, #विदेश_मंत्री #डॉ._एस._जयशंकर, #विदेश_मंत्रालय, लीगल डिपार्टमेंट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कुछ किया, यह उनकी सरकार ही जानती है - इन सबके अथक प्रयासों से पहले तो फांसी की सजा पर क़तर ने रोक लगाई और ऐसा कहा गया कि वे सभी 8 अधिकारी आजीवन कारावास की सजा पाएंगे लेकिन आज सभी की सजा माफ़ कर दी गई - अभी कुछ दिन पहले ही भारत और क़तर के बीच 78 बिलियन डॉलर की 20 वर्ष के लिए गैस आपूर्ति की डील हुई है जिसमें भारत के 6 बिलियन डॉलर बचेंगे -


आज 8 भारतीय अधिकारियों की मुक्ति प्रधानमंत्री मोदी की UAE यात्रा शुरू होने के एक दिन पहले हुई है और ऐसा भी माना जाता है कि #UAE का क़तर पर खासा प्रभाव है - कल प्रधानमंत्री #अबुधाबी में पहले #हिन्दू_मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं और किसी #इस्लामिक_देश में हिन्दू मंदिर #कांग्रेस, #पाकिस्तान और हमारे सेकुलर विपक्ष को हजम होना कठिन है -


कांग्रेस का षड़यंत्र किस हद तक हो सकता है इसकी कल्पना भीं नहीं कर सकते - चलते चलते आज का कांग्रेस नेता मणिशंकर ऐय्यर का भी बयान सुनना चाहिए - अय्यर के हवाले से डान अख़बार ने लिखा है कि “वह कभी किसी ऐसे देश में नहीं गए, जहां उनका पाकिस्तान की तरह खुले दिल से स्वागत किया गया हो” - इतना पाकिस्तान के लिए प्रेम है तो फिर पाकिस्तान के साथ मिलकर कांग्रेस भारत में कुछ भी अनिष्ट कर सकती है - पाकिस्तान के ऐसे दलालों को धक्के मार कर बाहर कर देना चाहिए -


किसी कांग्रेस के नेता या विपक्षी #इंडी - #भिंडी #ठगबंधन के नेता ने 8 भारतीयों की रिहाई पर कोई ख़ुशी जाहिर नहीं की है और यह साबित करता है कि दर्द बहुत गहरा पहुंचा है - दूसरी तरफ भारत वापस आने वाले अधिकारी कह रहे हैं कि प्रंधानमंत्री #मोदी की वजह से ही वे आज जीवित आए हैं - 

"लेखक के निजी विचार हैं "

लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 12/02/2024 

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