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भगवान शालिग्राम | Shaligram | “शालिग्राम: पत्थर नहीं, स्वयं विष्णु का स्वरूप”



“शालिग्राम: पत्थर नहीं, स्वयं विष्णु का स्वरूप”


हिंदू धर्म में कई प्रतीक और रूप ऐसे हैं जो दिव्यता की अनुभूति कराते हैं।

इन्हीं में से एक है — शालिग्राम शिला।

यह कोई साधारण पत्थर नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु का जीवंत रूप माना जाता है। शालिग्राम की पूजा से घर में धन, शांति और समृद्धि आती है।


शालिग्राम क्या है?


शालिग्राम एक प्राकृतिक और पवित्र शिला है, जो केवल नेपाल की गंडकी नदी में पाई जाती है। यह शिला वज्राकृति (अमोनाइट जीवाश्म) होती है और इसके अंदर स्वाभाविक रूप से चक्र व शंख के चिन्ह बने होते हैं।




यह किसी मानव द्वारा बनाया हुआ नहीं, बल्कि प्रकृति द्वारा निर्मित दिव्य स्वरूप है।


शालिग्राम शिला का महत्व


यह भगवान विष्णु और उनके अवतारों का प्रतीक है।

जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी का निवास माना गया है।

शालिग्राम की पूजा से पितृदोष और ग्रहदोष शांत होते हैं।

“जहाँ शालिग्राम, वहाँ स्वयं लक्ष्मी।”


शालिग्राम की उत्पत्ति

भागवत पुराण के अनुसार, शालिग्राम का संबंध देवी तुलसी से जुड़ा है।

कथा इस प्रकार है:

देवी तुलसी के पतिव्रत से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने कहा—

“तुम नदी के स्वरूप में प्रवाहित होगी, और मैं शालिग्राम बनकर तुम्हारे जल में रहूँगा।”

इसीलिए तुलसी के बिना शालिग्राम की पूजा अधूरी मानी गई है।



शालिग्राम पूजा विधि 

स्नान के बाद शालिग्राम को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराएँ

तुलसी दल, चंदन और अक्षत अर्पित करें

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करें

नैवेद्य में फल, पंचामृत या मौसमी प्रसाद चढ़ाएँ

शालिग्राम को सोने, चाँदी, ताँबे या पीतल की थाली में रखें


शालिग्राम की पूजा में केवल तुलसी का उपयोग होता है, फूल का नहीं।


शालिग्राम रखने के नियम


✅ घर में एक या तीन शालिग्राम रखना शुभ माना जाता है

✅ शालिग्राम को कभी बेचा नहीं जाता — दान में ही दिया जाता है


❌ शालिग्राम को बिना पूजा रखकर नहीं छोड़ना चाहिए

❌ चमड़े, शराब, माँस आदि के पास नहीं रखना चाहिए


शालिग्राम से होने वाले लाभ


घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास

मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा

व्यवसाय और धन वृद्धि

ग्रहदोष शांति


“शालिग्राम जहाँ होता है, वहाँ कर्म फल तुरंत मिलता है।”


शालिग्राम की पूजा केवल प्रथा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव है।

यह हमें याद दिलाता है कि भगवान हर रूप में उपस्थित हैं —

चाहे वह मूरत हो, ज्योति हो या एक साधारण सा पत्थर।


शालिग्राम के प्रकार  Types of Shaligram 


विष्णु शालिग्राम Vishnu Shaligram

लक्ष्मी नारायण शालिग्राम Lakshmi Narayan Shaligram

लक्ष्मी नरसिम्हा शालिग्राम Lakshmi Narasimha Shaligram

दामोदर शालिग्राम Damodar Shaligram

कृष्ण शालिग्राम  Krishna Shaligram Stone

हिरण्यगर्भ शालिग्राम Hiranyagarbha Shaligram

शालिग्राम शिवलिंग Shaligram Shivling

शिव शालिग्राम Shiva Shaligram

वासुदेव शालिग्राम Vasudev Shaligram

नारायण शालिग्राम Narayana Shaligram

माधव शालिग्राम Madhava Shaligram

हृषिकेश शालिग्राम Hrishikesh Shaligram

लक्ष्मी नारायण सुदर्शन शालिग्राम Laxmi Narayan Sudarshan Shaligram

दामोदर शालिग्राम Damodara Shaligram

पुरूषोत्तम शालिग्राम Purushottama Shaligram

अच्युत शालिग्राम Achyuta Shaligram

हरि शालिग्राम Hari Shaligram

संकर्षण शालिग्राम Sankarshana Shaligram

प्रद्युम्न शालिग्राम Pradyumna Shaligram

गोविंद शालिग्राम Govinda Shaligram

श्रीधर शालिग्राम Shridhara Shaligram

केशव शालिग्राम Keshava Shaligram

शेषनाग शालिग्राम Shesha Naag Shaligram

जनार्दन शालिग्राम Janardana Shaligram

पद्मनाभ शालिग्राम Padmanabha Shaligram

अनिरुद्ध शालिग्राम Aniruddha Shaligram

मदुसूधन शालिग्राम Madusudhana Shaligram

जनेऊधारी शालिग्राम Janeudhari Shaligram

सूर्य शालिग्राम Suriya Shaligram

त्रिविक्रम शालिग्राम Trivikrama Shaligram

उपेन्द्र शालिग्राम Upendra Shaligram 

अदोक्षज शालिग्राम Adokshaja Shaligram

हयग्रीव शालिग्राम Hayagriva Shaligram

परेमेष्ठिन् शालिग्राम Paremeshthin Shaligram

हिरण्यगर्भ शालिग्राम Hiranyagarbha Shaligram

चतुर्भुज शालिग्राम Chaturbhuja Shaligram

गदाधर शालिग्राम Gadadhara Shaligram

रूपिनारायण शालिग्राम Rupinarayana Shaligram

त्रिविक्रम शालिग्राम Trivikrama Shaligram

श्रीधर शालिग्राम Shridhar Shaligram

पद्मनाभ शालिग्राम Padmanabha Shaligram

“शालिग्राम स्वयं विष्णु हैं, उनकी पूजा ही आत्मिक आराधना है।”


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Source: Social Media

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