07 मार्च 2024

Ravindra Kelkar | Freedom Fighter | रवीन्द्र केलकर | कोंकणी साहित्यकार (March 7, 1925-August 27, 2010)

 



#Ravindra_Kelkar | #Freedom_Fighter |  #रवीन्द्र_केलकर | #कोंकणी_साहित्यकार  (March 7, 1925-August 27, 2010) 

🇮🇳 ‘कोंकणी साहित्य की ग्रंथसूची’ को कोंकणी, हिंदी और कन्नड़ में प्रस्तुत कर रवीन्द्र केलकर ने सिद्ध कर दिया था कि कोंकणी का महत्व स्वीकारा जाना चाहिए। 🇮🇳

🇮🇳 रवीन्द्र केलकर (जन्म- 7 मार्च, 1925; मृत्यु- 27 अगस्त, 2010) कोंकणी साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभ थे। '#पद्म_भूषण से सम्मानित रवीन्द्र केलकर ने अंग्रेज़ी, हिंदी, कोंकणी, #मराठी और #गुजराती #भाषा में अनेक कृतियों की रचना की। इस महान हस्ती को वर्ष 2006 का 'ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। रवीन्द्र केलकर की प्रमुख रचनाओं में 'आमची भास कोंकणीच', 'बहुभाषिक भारतान्त भाषान्चे समाजशास्त्र' शामिल हैं। रवीन्द्र केलकर को 1977 में उनकी पुस्तक 'हिमालयवंत के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' भी मिला।

🇮🇳 रवींद्र केलकर का जन्म #दक्षिण_गोवा के #कोकुलिम में #डॉ_राजाराम_केलकर के यहाँ 7 मार्च, सन 1925 को हुआ। #पणजी में आरंभिक शिक्षा के दौरान ही रवींद्र केलकर 1946 में #गोवा_मुक्ति_संग्राम से जुड़ गए। इस दौरान वे कई स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में थे। 

🇮🇳 शिक्षाविद, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी #लक्ष्मण_राव_सरदेसाई ने उनके भीतर देशभक्ति को जगाया। उन्हीं दिनों स्वाधीनता सेनानियों ने एक सरकारी स्कूल को जला डाला था और इसमें रवीन्द्र केलकर की गिरफ्तारी हो सकती थी, इसलिए वो भागकर मुंबई आ गए। यहाँ वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं और #गॉंधीजी के संपर्क में आए।

🇮🇳 #राम_मनोहर_लोहिया का प्रभाव--

राम मनोहर लोहिया से मिलने के बाद रवीन्द्र केलकर ने जाना कि जनता को जगाने के लिए अपनी #मातृभाषा को माध्यम बनाकर कैसे लड़ा जा सकता है। बाद में वे #मुंबई से #वर्धा चले आए। छह साल तक वर्धा में रहते हुए एक पत्रिका का संपादन किया। 1949 में दिल्ली के गॉंधी स्मारक संग्रहालय में लाइब्रेरियन के रूप में काम करने लगे। देश आजाद हो चुका था, लेकिन गोवा पर अभी भी पुर्तगाली आधिपत्य था। रवींद्र केलकर ने एक साल में ही दिल्ली की नौकरी छोड़ दी और चले पड़े गोवा को आज़ाद कराने।

🇮🇳 गोवा की आज़ादी--

गोवा पहुँचकर उन्होंने गॉंधीवादी अहिंसक रास्ते से गोवा की मुक्ति के लिए संघर्ष आरंभ किया। उन्होंने जन जागरण के लिए हिंदी, मराठी और कोंकणी में लेख लिखे। मुंबई से उन्होंने ‘गोमांतभारती’ साप्ताहिक पत्रिका निकाली, जो रोमन लिपि में कोंकणी में प्रकाशित होती थी। 1961 में भारतीय सेना ने गोवा को आजाद करा लिया। इसके बाद उन्होंने कोंकणी भाषा और गोवा को महाराष्ट्र से अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। उनके आंदोलन का ही परिणाम था कि भारत सरकार ने गोवा को महाराष्ट्र में शामिल करने के बजाय केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया।

🇮🇳 पूर्ण राज्य के लिए आंदोलन--

कोंकणी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और गोवा को पूर्ण राज्य बनाने के लिए रवीन्द्र केलकर का संघर्ष और योगदान अप्रतिम है। 1962 में प्रकाशित उनकी ‘आमची भास कोंकणिच’ पुस्तक से उन्होंने लोगों से कोंकणी भाषा की अस्मिता के लिए आह्वान किया। ‘कोंकणी साहित्य की ग्रंथसूची’ को कोंकणी, हिंदी और कन्नड़ में प्रस्तुत कर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि कोंकणी का महत्व स्वीकारा जाना चाहिए। उन्हीं के संघर्षों के फलस्वरूप 1975 में साहित्य अकादेमी ने कोंकणी को स्वतंत्र भाषा के रूप में मान्यता दी। 1987 में जब गोवा को पृथक राज्य घोषित किया गया तो राज्य विधानसभा ने कोंकणी को राज्य की आधिकारिक भाषा स्वीकार किया। यही नहीं, उन्हीं के प्रयासों के फलस्वरूप 1992 में कोंकणी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

🇮🇳 सम्मान और पुरस्कार--

◆ रवींद्र केलकर संघर्षशील और जुझारू कलम के योद्धा थे। कोंकणी में उन्होंने महाभारत के दो खंडों का अनुवाद भी किया। उनके यात्रा संस्मरणों की पुस्तक ‘हिमालयांत’ को 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।

◆ गुजराती निबंधकार झवेरचंद मेघानी की पुस्तक का कोंकणी में अनुवाद करने के लिए उन्हें 1990 में दोबारा साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

◆ उन्हें 2006 का ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला, ऐसा पहली बार हुआ था जब कोंकणी भाषा में लिखने वाले लेखक को यह सम्मान प्राप्त हुआ था। अस्वस्थता के कारण उन्हें यह सम्मान 2010 में दिया जा सका।

◆ साल 2007 में उन्हें जीवनपर्यंत साहित्य सेवा के लिए साहित्य अकादमी का फैलो चुना गया।

◆ रवीन्द्र केलकर को 2008 में पद्म भूषण से नवाजा गया।

🇮🇳 रवीन्द्र केलकर की मृत्यु 27 अगस्त, 2010 को हुई।

साभार: bharatdiscovery.org

🇮🇳 साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और #पद्मभूषण से सम्मानित; लेखनी के माध्यम से #गोवा_मुक्ति_संग्राम से जुडे #स्वतंत्रतासेनानी एवं कोंकणी, हिन्दी, मराठी व गुजराती साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले सुप्रसिद्ध #कोंकणी #साहित्यकार #रवीन्द्र_केलकर जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



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