रावण : दशानन का रहस्य भारत की प्राचीन संस्कृति और पौराणिक कथाएँ अद्भुत चरित्रों से भरी हुई हैं। इन चरित्रों में सबसे रहस्यमयी और बहुआयामी व्यक्तित्व है — रावण , जिसे दशानन (दस सिरों वाला) कहा जाता है। 👑 रावण का परिचय रावण लंका का महान राजा था। वह ऋषि विश्रवा और कैकसी का पुत्र था। शास्त्रों के अनुसार वह ब्राह्मण कुल में जन्मा लेकिन राक्षस परंपरा से जुड़ा रहा। रावण महान विद्वान, शिवभक्त, शास्त्रों का ज्ञाता और अपार बलशाली योद्धा था। 🔟 दशानन का प्रतीकात्मक अर्थ रावण को ‘दशानन’ यानी दस सिरों वाला कहा जाता है। ये दस सिर वास्तव में उसके दस विशेष गुणों और अवगुणों का प्रतीक माने जाते हैं। दस गुण : विद्वता, शौर्य, संगीत-कला, शास्त्रज्ञान, तपस्या, पराक्रम, बल, शिवभक्ति, प्रशासन-कौशल, और राजनीति। दस अवगुण : काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, अत्याचार, अन्याय और अहितकर महत्वाकांक्षा। इस प्रकार, दशानन होना केवल शारीरिक रूप से दस सिर होना नहीं है, बल्कि मनुष्य के भीतर के गुण-अवगुणों का प्रतीक है। 🕉️ रावण का विद्वत्ता और भक्ति पक्ष रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना ...