12 सितंबर 2025

Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025 | शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025


 

Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025

शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025

22 सितम्बर 2025 (सोमवार) से 1 अक्टूबर 2025 (बुध / रविवार)

विजयादशमी (दशहरा) - 2 अक्टूबर 2025 

Vijayadashami (Dussehra) — 2 अक्टूबर 2025 

🕉️ नौ देवी रूप और प्रत्येक दिन की पूजा

Navratri के प्रत्येक दिन देवी के एक रूप की पूजा होती है। नीचे Chaitra और Sharad दोनों के लिए सामान्य क्रम है:

रात्रि के हर दिन देवी के एक रूप की पूजा होती है। नीचे चैत्र और शरद दोनों का सामान्य क्रम है:

माँ शैलपुत्री  Maa Shailputri

मां ब्रह्मचारिणी  Maa Brahmacharini

मां चंद्रघंटा  Maa Chandraghanta

माँ कुष्मांडा   Maa Kushmanda

मां स्कंदमाता  Maa Skandamata

माँ कात्यायनी   Maa Katyayani

मां कालरात्रि   Maa Kalaratri

माँ महागौरी  Maa Mahagauri

माँ सिद्धिदात्री    Maa Siddhidatri


🔔 पूजा-विधि और विशेष रीति-रिवाज

घटस्थापना / कलश स्थापना (Ghatasthapana / Kalash Sthapana): Navratri की शुरुआत होती है कलश या पवित्र पात्र की स्थापना से, जिसमें जल, पाँच प्रकार के अनाज / सप्तधान्य, मौली (मोलि), त्रिपुंड आदि शामिल होते हैं। 

व्रत / उपवास: बहुत से भक्त नौ दिनों तक वैकल्पिक व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूर्ण व्रत रखते हैं, कुछ सिर्फ निर्जला या फल-आहार से करते हैं। 

पूजा, भजन और आरती: हर दिन देवी के विशेष स्वरूप की पूजा, मंत्रों का जप, भजन-कीर्तन और आरती होती है। मंदिरों में सजावट होती है। 

रंग / वेशभूषा: कुछ समुदायों में हर दिन एक विशेष रंग लिया जाता है, जिसे पहन कर पूजा या उत्सव किया जाता है। Chaitra Navratri में रंगों का विशेष महत्व है। 

कन्यापूजन: Ashtami या Navami के दिन कुछ स्थानों पर कन्याओं का पूजन किया जाता है, उन्हें भोजन, वस्त्र या उपहारों से सम्मानित किया जाता है। 

🌟 शुभ मुहूर्त और विशेष बातें (2025 में)

Sharad Navratri 2025 की शुरुआत 22 सितंबर को होगी, और Vijayadashami 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

घटस्थापना के लिए मुहूर्त: 22 सितंबर को सुबह 6:09 बजे से सुबह 8:06 बजे तक और दोपहर 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक।

यह वर्ष Navratri नवरात्रि में तिथियों के हिसाब से नौ पूरी रातें होंगी। 


💬 Navratri का आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व

ईश्वरीय शक्ति (शक्ति) की उपासना: देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों के माध्यम से शक्ति, धैर्य, त्याग और करुणा जैसे गुणों का स्मरण होता है।

अच्छाई की विजय: बुराई, अज्ञानता और अंधकार पर अच्छाई, ज्ञान और प्रकाश की जीत का प्रतीक।

आत्मिक शुद्धि और संयम: व्रत, उपवास और साधना से आत्मा व मन चित्त शुद्ध होते हैं; भौतिकता से थोड़ा लगाव कम होता है।

सामाजिक मेल और कला-संस्कृति: गरबा, डांडिया, दुर्गा पूजा स्थल, भजन-कीर्तन आदि माध्यमों से समाज एक साथ आता है, संस्कृति जीवित है।

नारी शक्ति का सम्मान: देवी दुर्गा के नौ रूपों के माध्यम से नारी शक्ति, माँ का अर्थ, आदर्श शक्ति, एवं महिला सशक्तिकरण की भावना जगाई जाती है।


📸 कैसे मनाएँ बेहतर तरह से – कुछ सुझाव

अपने घर या मंदिर की सजावट सुंदर रखें, फूल, रंग-बिरंगी रोशनी, दिये आदि से।

पूजा की सामग्री (कलश, दीप, फूल, फल आदि) समय से तैयार रखें।

व्रत या उपवास कर रहें हो, तो स्वास्थ्य-विषयक बातें ध्यान में रखें — पानी पर्याप्त मात्रा में लें, हल्का भोजन जैसा कि फल-दूध त्योहार आपूर्ति करें।

मन और शब्दों में शुद्धता रखें, नकारात्मक भाव से बचें।

दूसरों के साथ साझा करें — प्रसाद, भोजन या समय, जिससे सामाजिक सौहार्द बने।


🎉 Navratri नवरात्रि सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है — जहाँ हम देवी दुर्गा की शक्ति के माध्यम से अपने अंदर अच्छाई जगाते हैं, आत्मिक और सामाजिक सद्गुणों को बढ़ावा देते हैं, और परिवार व समुदाय को एक साथ लाते हैं। 2025 की Navratri हमें यह अवसर देती है कि हम अपनी आत्म-शक्ति को पहचानें, अँधेरे से उबरें, और अपने जीवन में नया प्रकाश भरें।


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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 

11 सितंबर 2025

Pitru Paksha | पितृ पक्ष : पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का पर्व

 


पितृ पक्ष : पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का पर्व

भारतीय संस्कृति की जड़ें सदैव परिवार, परंपरा और ऋषि–पितृ सम्मान में गहरी रही हैं। हमारे ग्रंथ कहते हैं कि "पितृदेवो भव" — जैसे माता-पिता देव तुल्य हैं, वैसे ही हमारे पूर्वज भी पूजनीय हैं। इन्हीं को स्मरण करने और तर्पण अर्पित करने का काल है पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है।


📜 पितृ पक्ष का इतिहास और उत्पत्ति

  • वैदिक युग से परंपरा : ऋग्वेद और यजुर्वेद में पितरों को तर्पण और श्राद्ध का उल्लेख मिलता है।

  • पुराणों की मान्यता : गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार पितरों की आत्माएँ इस समय पृथ्वी पर आती हैं और वंशजों द्वारा किए गए कर्म को स्वीकार करती हैं।

  • महाभारत कथा : भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को पितृ पक्ष के महत्व के बारे में बताया था। यह भी माना जाता है कि कर्ण मृत्यु के बाद पितृलोक में पहुँचकर भोजन के लिए तरसने लगे क्योंकि उन्होंने जीवन में कभी अपने पितरों के नाम से अन्न दान नहीं किया था। बाद में यमराज की अनुमति से उन्हें पितृ पक्ष के दिनों में अपने वंशजों से तर्पण प्राप्त हुआ।


✨ पितृ पक्ष का महत्व

  1. पितरों की तृप्ति – तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध से आत्माओं को शांति मिलती है।

  2. कर्म का शुद्धिकरण – यह काल वंशजों को अपने पितरों का आशीर्वाद दिलाता है और नकारात्मक कर्मों को कम करता है।

  3. पारिवारिक एकता – यह अवसर परिवार को एक साथ लाता है, जब सब मिलकर पूर्वजों का स्मरण और पूजा करते हैं।

  4. आध्यात्मिक दृष्टि – पितृ पक्ष हमें जीवन की अस्थायीता का बोध कराता है और कृतज्ञता का भाव जगाता है।


🔱 पितृ पक्ष के प्रमुख कर्मकांड

  • तर्पण : कुश, तिल और जल अर्पण कर पितरों का आवाहन।

  • पिंडदान : चावल, तिल और गुड़ से बने पिंड पितरों को समर्पित करना।

  • श्राद्ध भोज : ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना।

  • दान : वस्त्र, अन्न और दक्षिणा का दान।

  • पितृ गायत्री मंत्र का जाप : जिससे पितरों की आत्मा को बल और शांति मिलती है।


🚫 पितृ पक्ष में वर्जनाएँ

  • विवाह, गृहप्रवेश, नया व्यापार या उत्सव जैसे शुभ कार्य इस समय नहीं किए जाते।

  • तामसिक भोजन, मदिरा और माँसाहार से परहेज़ रखा जाता है।

  • क्रोध, कलह और नकारात्मक व्यवहार से बचने की सलाह दी जाती है।


🔬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • कृतज्ञता की परंपरा : मनोविज्ञान बताता है कि कृतज्ञता भाव मनुष्य को संतुलित और सकारात्मक बनाता है।

  • परिवारिक मूल्य : यह पर्व पीढ़ियों के बीच भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करता है।

  • स्वास्थ्य और ऋतु परिवर्तन : यह काल वर्षा ऋतु के बाद आता है, जब रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। पितृ पक्ष में हल्का, सात्विक भोजन लेने की परंपरा स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है।


🌼 निष्कर्ष

पितृ पक्ष केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति का मूल है। यह हमें सिखाता है कि हम आज जो भी हैं, वह हमारे पूर्वजों की ही देन है।
उनका आशीर्वाद हमें न केवल आध्यात्मिक शक्ति देता है, बल्कि हमारे जीवन में शांति और समृद्धि भी लाता है।


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05 सितंबर 2025

GST Reform India जीएसटी सुधार भारत

 

GST Reform India | जीएसटी सुधार भारत




भारत की आर्थिक विकास यात्रा में GST सुधार एक नया मील का पत्थर है। यह न केवल टैक्स सिस्टम को सरल बनाता है बल्कि व्यापार, उद्योग और आम जनता के लिए पारदर्शिता और सुविधा भी लाता है।


➡️ कम जटिलता

➡️ एक राष्ट्र, एक टैक्स

➡️ व्यापार को आसान बनाना


आइए मिलकर समझें कि ये सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे नई दिशा देंगे। 🇮🇳📈

भारत ने सितंबर 2025 में अपने "अगली पीढ़ी" के माल और सेवा कर (जीएसटी) सुधारों को लागू किया, उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने, व्यवसायों को बढ़ावा देने और अनुपालन को सरल बनाने के लिए कर संरचना में बदलाव किया। जीएसटी परिषद द्वारा घोषित सुधारों ने पिछली बहु-स्तरीय प्रणाली को दो मुख्य दर स्लैब और विलासिता और अहितकर वस्तुओं के लिए एक नई उच्च "डी-मेरिट" दर से बदल दिया।

2025 के जीएसटी सुधारों के तहत प्रमुख परिवर्तन

सरलीकृत दर संरचना

जटिल चार-स्तरीय संरचना (5%, 12%, 18% और 28%) को दो-स्तरीय प्रणाली से बदल दिया गया।

0% (छूट): इसमें विशिष्ट जीवन रक्षक दवाइयाँ और अभ्यास पुस्तिकाएँ व पेंसिल जैसी शैक्षिक सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएँ शामिल हैं।

5%: घरेलू आवश्यक वस्तुओं, पैकेज्ड खाद्य पदार्थों और कृषि आदानों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कम दर।

18%: अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू एक मानक दर, जिसमें पहले 28% स्लैब में शामिल कई वस्तुएँ शामिल हैं।

40% (अयोग्य): उच्च-स्तरीय कारों, तंबाकू और वातित पेय पदार्थों सहित विलासिता और सामाजिक रूप से हानिकारक उत्पादों के लिए एक नई, उच्च दर।

सस्ती हुई वस्तुएँ और सेवाएँ

दर युक्तिकरण, जो 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी हुआ, ने उपभोक्ताओं के लिए कई उत्पादों की लागत कम कर दी।

घरेलू और खाद्य वस्तुएँ: साबुन, टूथपेस्ट, मक्खन और पैकेज्ड स्नैक्स जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी 12% या 18% से घटाकर 5% या शून्य कर दिया गया।

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ: एयर कंडीशनर और टेलीविज़न (32 इंच से ऊपर) जैसी बड़ी उपभोक्ता वस्तुएँ 28% स्लैब से 18% स्लैब में स्थानांतरित हो गईं।

बीमा: व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया, जिससे वे काफ़ी किफ़ायती हो गईं।

ऑटोमोबाइल: छोटी कारों (1200 सीसी से कम), बाइक (350 सीसी से कम) और वाणिज्यिक वाहनों के लिए कर की दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई।

कृषि उपकरण: किसानों की सहायता के लिए ट्रैक्टर और कृषि मशीनरी पर कर की दर घटाकर 5% कर दी गई।

स्वास्थ्य सेवा: कई जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की दरों में कटौती की गई, और कुछ को पूरी तरह से छूट दी गई।

सुधारों के लाभ और प्रभाव

2025 के सुधारों को भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

जीवनयापन में आसानी: सरलीकृत कर स्लैब और आवश्यक वस्तुओं पर कम दरों से उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसा आया, जिससे उनकी प्रयोज्य आय में वृद्धि हुई।

उपभोग को बढ़ावा: विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की कम कीमतों से मांग में वृद्धि और अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है, खासकर त्योहारों के मौसम में।

विनिर्माण को समर्थन: कपड़ा और उर्वरक जैसी वस्तुओं पर उल्टे शुल्क ढांचे को ठीक करने से घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा मिला।

अधिक न्यायसंगत कराधान: 40% डिमेरिट दर की शुरुआत से यह सुनिश्चित होता है कि उच्च-स्तरीय विलासिता की वस्तुओं पर उच्च दर से कर लगाया जाए।

व्यापार करने में आसानी: तेज़ रिफंड और सरलीकृत रिटर्न सहित संरचनात्मक परिवर्तनों ने व्यवसायों, विशेष रूप से एमएसएमई पर अनुपालन का बोझ कम किया।

वस्तु एवं सेवा कर मूल रूप से 1 जुलाई, 2017 को केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों के जटिल जाल को बदलने के लिए लागू किया गया था। अपनी शुरुआत के बाद से, जीएसटी परिषद ने चुनौतियों का समाधान करने और कर व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए लगातार बदलाव किए हैं।

2025 के सुधारों की ओर ले जाने वाले प्रमुख विकासों में शामिल हैं:

डिजिटलीकरण: ऑनलाइन पोर्टल जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) और ई-इनवॉइसिंग तथा ई-वे बिल की शुरुआत ने अनुपालन को काफी सुव्यवस्थित किया है।

एमनेस्टी योजनाएँ: जीएसटी परिषद ने 2024 में उन करदाताओं के लिए एक एमनेस्टी योजना की सिफारिश की है जो निर्धारित समय के भीतर मांग आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने में विफल रहे।

जुर्माने में छूट: धोखाधड़ी से जुड़े मामलों के अलावा, शुरुआती जीएसटी वर्षों (2017-2020) से संबंधित मांग नोटिसों पर ब्याज और जुर्माने में छूट दी गई।

जीएसटीएटी का संचालन: कर विवादों को सुलझाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की स्थापना दिसंबर 2025 तक पूरी तरह से चालू होने वाली थी।

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04 सितंबर 2025

सेमीकंडक्टर मेड इन इंडिया Semiconductor Made in India

 सेमीकंडक्टर मेड इन इंडिया  Semiconductor Made in India 



✨🇮🇳 सेमीकंडक्टर मेड इन इंडिया: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम


भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया जिस तकनीक पर टिकी है – मोबाइल, लैपटॉप, कार, मेडिकल डिवाइस, AI, 5G और स्पेस टेक्नोलॉजी – उन सबकी जान है चिप्स।


👉 पहले भारत इनका आयात करता था, लेकिन अब "मेक इन इंडिया" और "डिजिटल इंडिया" मिशन के तहत देश में सेमीकंडक्टर फैब (FAB) यूनिट्स, डिज़ाइन हब और रिसर्च सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।

👉 इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में मजबूत स्थिति हासिल करेगा।

👉 सरकार ने PLI (Production Linked Incentive) और सेमीकंडक्टर मिशन जैसी योजनाएं शुरू की हैं ताकि भारत टेक्नोलॉजी सुपरपावर बन सके।


📌 क्यों है ज़रूरी?


भारत हर साल अरबों डॉलर के चिप्स इम्पोर्ट करता है।


21वीं सदी की अर्थव्यवस्था चिप्स पर आधारित है।


इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, डिजिटल इकोनॉमी और रोजगार सभी पर सकारात्मक असर पड़ेगा।


🌟 "सेमीकंडक्टर मेड इन इंडिया" सिर्फ एक उद्योग नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का भविष्य है।


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02 सितंबर 2025

🌸 कृष्ण कमल (Passion Flower / Passion Fruit Flower) 🌸

 

🌸 कृष्ण कमल (Passion Flower / Passion Fruit Flower) 🌸



कृष्ण कमल एक बेहद सुंदर और औषधीय गुणों से भरपूर लता (creeper) है। इसे Passiflora incarnata भी कहते हैं। इसका नाम कृष्ण कमल इसलिए पड़ा क्योंकि इसके फूल के अंदर की संरचना को लोग भगवान श्रीकृष्ण से जोड़ते हैं – जैसे कि रासलीला का प्रतीक, सुदर्शन चक्र और गोपियों का घेरा। @followers @top_fans @highlight





✨ विशेषताएँ

  • फूल का रंग: बैंगनी, सफेद और नीले रंग का मिश्रण।

  • पौधा: लता की तरह फैलता है।

  • फल: Passion fruit कहलाता है, खाने योग्य और पौष्टिक।

  • औषधीय महत्व: तनाव, अनिद्रा और चिंता दूर करने में सहायक।


🌿 सांस्कृतिक महत्व

  • हिंदू मान्यता में इसे श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रतीक माना जाता है।

  • कई जगह इसे "धार्मिक पुष्प" भी कहते हैं।

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Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025 | शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025

  Sharad / Navratri (Shardiya Navratri) 2025 शरद / नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) 2025 22 सितम्बर 2025 (सोमवार) से 1 अक्टूबर 2025 (बुध / रविवा...