05 अप्रैल 2024

Kejriwal prerogative is to remain Chief Minister or resign-High Court | केजरीवाल का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री बने रहें या इस्तीफा दे - हाई कोर्ट - लेखक : सुभाष चन्द्र

 


केजरीवाल का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री बने रहें या इस्तीफा दे - हाई कोर्ट

Kejriwal prerogative is to remain Chief Minister or resign-High Court


दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को हटाने की तीसरी याचिका खारिज की -

फिर उपराज्यपाल हटाएंगे तो उसकी कानूनी वैधता न देखिए -


दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को जेल में रहकर पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट  ने 3 याचिका खारिज कर दी - कल तीसरी याचिका खारिज करते हुए acting Chief Justice मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने ये बातें कहीं -


-इसमें न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है;

-यह श्री केजरीवाल का विशेषाधिकार होगा कि वह मुख्यमंत्री बने रहें या इस्तीफा दे;

-क्या कभी ऐसा हुआ है कि कोर्ट ने राष्ट्रपति या राज्यपाल शासन लगाया हो; 

-पहले की याचिका ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहा है कि गिरफ्तार मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए किसी कानून में मनाही है;

- कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है- लेकिन यह उनका (श्री केजरीवाल का) व्यक्तिगत आह्वान है। हम कानून की अदालत हैं और हमें कानून के अनुसार चलना होगा। आपका (याचिकाकर्ता) समाधान यहां नहीं है, यह कहीं और है - आप सक्षम मंच के समक्ष जाएं;

-याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम कैसे कह सकते हैं कि सरकार काम नहीं कर रही है;

-LG या राष्ट्रपति  फैसला लेने में सक्षम हैं. उन्हें हमारी सलाह की जरूरत नहीं है. वो कानून के मुताबिक काम करेंगे;


उपराज्यपाल अगर सक्षम है तो फिर उनके फैसले के खिलाफ आप सुनवाई नहीं करेंगे यह भी आदेश किया जाना चाहिए था - उनने फैसले को तो एक के बाद कोर्ट उधेड़ कर रख देगा - क्योंकि हाई कोर्ट की पीठ ने यह भी साफ़ कह दिया है कि किसी कानून में गिरफ्तार मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बने रहने की कोई मनाही है -


उपराज्यपाल द्वारा केजरीवाल को हटाते ही आप ही सबसे पहले उसके खिलाफ याचिका सुनेंगे और उपराज्यपाल से पूछेंगे किस कानून में आपने उस सरकार को बर्खास्त किया जिसके पास विधानसभा में  3 / 4 से ज्यादा बहुमत है  और उपराज्यपाल के फैसले को निरस्त भी कर देंगे -


हाई कोर्ट इसमें कार्रवाई कर सकता था मगर लगता है इसे उन्होंने राजनीतिक मामला समझ कर दखल नहीं दी कि भाजपा को भुगतने दो केजरीवाल को बर्खास्त करने के मामले को -


यदि आज तक कभी किसी अदालत ने सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति या राज्यपाल शासन नहीं लगाया है तो ऐसा कभी नहीं हो सकता, यह भी जरूरी नहीं है - अदालतों ने कितनी ही बार केंद्र सरकार द्वारा लगाए राष्ट्रपति शासन को गैर कानूनी बता कर बर्खास्त कई सरकारें बहाल की है तो केजरीवाल की सरकार को हटा भी सकते हैं -


-कानून की व्याख्या तो हर केस में होती है जैसे  PLMA पर रोज व्याख्या हो रही है - कुछ दिन पहले ही संसद में रिश्वत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कानून की ही नई व्याख्या करते हुए सांसदों की संविधान के article 105 और 194 में Immunity ख़त्म कर दी और इस तरह संविधान के मूल स्वरुप को ही बदल दिया -


-सरकारी कर्मचारियों की तरह मंत्रियों के लिए सरकारी ख़ज़ाने से सैलरी वाले Public servant के तौर पर गिरफ़्तारी के बाद दिशा निर्देश होने चाहिएं - कोर्ट CM बने रहने को केजरीवाल के विवेक पर छोड़ कर उसकी सरकार को “वैध” कहने की कोशिश कर रहा है जबकि कानून की विवेचना कर उसे हटा सकते हैं -


कोर्ट यह कह कर कि हम कैसे कह सकते हैं सरकार काम नहीं कर रही, क्या केजरीवाल की जेल से सरकार चलाने को सही बता रहा है - वैसे कोर्ट अनेक मामलों में सरकार को सवाल करते ही रहते हैं आपने काम नहीं किया जैसे मणिपुर में साफ़ कहा था CJI ने  कि अगर सरकार कुछ नहीं करेगी तो हम करेंगे -


इंदिरा गांधी को कोर्ट ने Disqualify कर दिया और 6 साल के चुनाव लड़ने के अयोग्य कर दिया, वो फिर भी प्रधानमंत्री बनी रही -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 05/04/2024 

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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. , 

04 अप्रैल 2024

Why are Congress and Sonia silent on insulting women ? महिलाओं के अपमान पर कांग्रेस और सोनिया चुप क्यों ? - लेखक : सुभाष चन्द्र




महिलाओं के अपमान पर सोनिया चुप क्यों? “लड़की हूं लड़ सकती हूं” नारा देने वाली 

प्रियंका वाड्रा किससे लड़ेगी और “मोहब्बत की दुकान” का मालिक 

क्या नया संविधान बना रहा है महिलाओं के लिए -

सब कुछ “घोषणा पत्र” में लिखो - 48% महिला वोटर कांग्रेस को नकार दें -


कांग्रेस के लोग भाजपा नेताओं के हर छोटे बड़े मामले पर सवाल उठाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी क्यों चुप हैं, वो कुछ क्यों नहीं बोलते लेकिन कांग्रेस की सुपर महारानी सोनिया गांधी, उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा, जो नारा लगाती फिरती थी “लड़की हूं लड़ सकती हूं”  और उनका बेटा जो “मोहब्बत की दुकान” का Sole Proprietor है राहुल गांधी आखिर कांग्रेस नेताओं द्वारा किए जा रहे महिलाओं के अपमान पर खामोश क्यों हैं -


कुछ दिन पहले बंगाल के संदेशखाली में TMC के लोगों ने जो महिलाओं के साथ शर्मनाक हरकतें की उनके लिए एक बार तो CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस नागरत्ना ने भी आंखे मूंद ली थी और कांग्रेस की ये दोनों महिला नेता चुप रहीं - प्रियंका वाड्रा तो भाजपा शाषित राज्य में किसी महिला के साथ हुए अत्याचार पर ही बोलना पसंद करती है लेकिन कांग्रेस राज में चुप रहती है - लेकिन फिर “मोहब्बत की दुकान” वाला कहता है देश में मोदी सरकार नफरत फैला रही है -


सुप्रिया श्रीनेत ने पूरे होशोहवास में कंगना रनौत का चरित्र हनन किया मगर कांग्रेस की माँ-बेटी खामोश रही - और आज रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी के लिए मर्यादाहीन शब्दावली प्रयोग की जिसकी राजनीतिक गलियारों में खूब निंदा हो रही है परन्तु माँ-बेटी चुप हैं -


सुप्रिया श्रीनेत पर हल्का हाथ रखने के लिए चुनाव आयोग को भाजपा के दिलीप घोष के ममता के लिए एक बयान का सहारा मिल गया वरना आयोग को कार्रवाई करना कठिन हो जाता - कुछ बातों का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए आयोग को लेकिन जब तक शिकायत न की जाए सुनता नहीं है और फिर समय भी अपने हिसाब से लेता है - 


पिछले महीने राहुल गांधी को चेतावनी जारी करने में 4 महीने लगा दिए लेकिन राहुल में चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ - अब मोदी के अलावा देश को आग लगाने की भी धमकी दे रहा है परंतु आयोग कार्रवाई शायद चुनाव के बाद ही कर सकेगा - वैसे कांग्रेस को यह धमकी अपने चुनाव “घोषणा पत्र” में पहले नंबर पर शामिल करनी चाहिए -


राहुल गांधी रोज गीत गा रहा है कि मोदी और शाह संविधान बदलना चाहते हैं - लेकिन कांग्रेस  जिस तरह महिलाओं पर हमला कर रही है, उससे तो लगता है कांग्रेस खुद महिलाओं के लिए नया संविधान लिखने की मंशा रखती है - राहुल गांधी को पता नहीं है कि अब तक के 106 संविधान संशोधनों में 77 संशोधन नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कांग्रेस प्रधानमंत्रियों के समय में किए गए जिसमें सबसे ज्यादा दादी इंदिरा गांधी ने किए 31 बार -


देश में कुल 97.8 करोड़ वोटर हैं जिनमे पुरुष 49.72 करोड़ हैं और महिला वोटर 47.1 करोड़ हैं यानी 48% महिला वोटर हैं - कांग्रेस का महिलाओं के लिए आचरण देखते हुए 47 करोड़ महिला वोटरों को कांग्रेस को ठोकर मार देनी चाहिए - ऐसा सम्मान देकर कांग्रेस महिलाओं के लिए 33% आरक्षण अपनी पार्टी में लागू करेगी तो समझ लीजिये क्या होगा 


"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 04/04/2024 

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Indian names of months in calendar | कैलेंडर में महीने के भारतीय नाम | हिंदू नववर्ष और हिंदी में 12 महीनों के नाम

 



Indian names of months in calendar | कैलेंडर में महीने के भारतीय नाम 

कब शुरू होता है हिंदू नववर्ष, हिंदी में 12 महीनों के नाम

भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति, प्रकृति और देवत्व के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।

हिंदी कैलेंडर में चैत्र साल का पहला और फाल्गुन साल का आखिरी महीना होता है। हिंदू धर्म में आने वाले सभी महीनों के नाम इस प्रकार हैं- चैत्र, बैसाखी, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।

१. चैत्र (मार्च-अप्रैल) :- कई क्षेत्रों में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है, जिसे दक्षिण में उगादि और कश्मीर में नवरेह के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम के जन्मोत्सव राम नवमी का त्योहार इसी महीने में आता है।

२. वैशाख (अप्रैल-मई) :- यह महीना विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने में मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया को हिंदू मान्यताओं के अनुसार सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है।

३. ज्येष्ठ (मई-जून) :- वट पूर्णिमा के त्योहार के लिए जाना जाता है, जहां विवाहित महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु के लिए दिन भर का उपवास रखती हैं। यह भारत के कई हिस्सों में गर्म, शुष्क मौसम की शुरुआत भी है।

४. आषाढ़ (जून-जुलाई) :- मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। आध्यात्मिक और शैक्षणिक शिक्षकों का सम्मान करने वाला गुरु पूर्णिमा का त्योहार इसी महीने में आता है।

५. श्रावण (जुलाई-अगस्त) :- अत्यधिक शुभ, रक्षा बंधन जैसे कई त्योहारों से भरा, भाई-बहन के बीच के बंधन का पर्व और भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक जन्माष्टमी।

६. भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) :- भगवान श्री गणेश के जन्म का पर्व मनाने वाले गणेश चतुर्थी उत्सव के लिए जाना जाता है। गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन उत्सव के समापन का प्रतीक है।

७. अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) :- नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है, जिसका समापन दशहरा में होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

८. कार्तिका (अक्टूबर-नवंबर):- प्रकाश के त्योहार दिवाली जो अंधेरे पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह अनुष्ठानिक स्नान, कार्तिक स्नान के लिए भी जाना जाता है।

९. मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) :- भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित एक पवित्र महीना माना जाता है। यह आध्यात्मिक चिंतन और भक्ति का समय है।

१०. पौष (दिसंबर-जनवरी) :- उत्तर भारत में लोहड़ी त्योहार के लिए जाना जाता है, जो सर्दियों के अंत और रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है।

११. माघ (जनवरी-फरवरी) :- बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, जो ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित है। यह नदियों में अनुष्ठानिक स्नान का भी समय है।

१२. फाल्गुन (फरवरी-मार्च) :- रंगों के त्योहार होली के लिए मनाया जाता है, जो बसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

इनमें से प्रत्येक महीने का अपना महत्व है, 

जो ऋतुओं की चक्रीय प्रकृति, कृषि पद्धतियों और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति, प्रकृति और देवत्व के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।


सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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03 अप्रैल 2024

A person who respects himself can never insult others | एक व्यक्ति जो स्वयं का सम्मान करता है वो कभी भी दूसरों का अपमान नहीं कर सकता..!! | Quotes

 


“Hand” of Congress will not bring change | कांग्रेस का “हाथ” नहीं लाएगा बदलाव - लेखक : सुभाष चन्द्र


 

“Hand” of Congress will not bring change | कांग्रेस का “हाथ” बदलाव नहीं लाएगा


कांग्रेस का “हाथ” बदलाव नहीं लाएगा, वो देश के टुकड़े करेगा, आग लगाएगा,

सनातन धर्म को मिटाएगा - मोदी का सर फोड़ेगा और हत्या करेगा -


आजकल टीवी पर कांग्रेस के विज्ञापन में सरकार से कई बातों का हिसाब मांगते हुए कहा जा रहा है कि “हाथ लाएगा बदलाव” -


यह हाथ जरूर बदलाव लाएगा लेकिन वह कैसा बदलाव होगा ये कांग्रेस का दिग्गज नेता राहुल कालनेमि बता रहा है - उसने डंके की चोट पर कहा है - 


“मैं सच बोलता हूं और मेरी बात आप अच्छी तरह सुन लो, अगर हिंदुस्तान में मैच fixing का चुनाव BJP जीते और उसके बाद संविधान को उन्होंने बदला तो इस पूरे देश में आग लगने जा रही है, जो मैंने कहा याद रखो, ये देश नहीं बचेगा, जो मैंने कहा याद रखो, ये देश नहीं बचेगा” -


कांग्रेस के कितने खतरनाक मंसूबे हैं, इस बयान को हलके में लेने की भूल न करें, ये कांग्रेस का कोई पगलेट नेता नहीं है, इसके पीछे देश विदेश की ताकतें हैं जो भारत को गृह युद्ध में धकेलने की फ़िराक में हैं और उसका इशारा साफ़ साफ कर दिया है कांग्रेस ने - ऐसी कोशिश हर हाल में की जाएगी क्योंकि कांग्रेस और विपक्ष को पूरा भरोसा है कि मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार भाजपा गठबंधन की सरकार बनने जा रही है - उसके बाद की तैयारी शुरू कर ली है कांग्रेस और विपक्ष ने ऐसा साफ़ जाहिर हो रहा है -


कांग्रेस सनातन धर्म को ख़त्म करने की मंशा पहले ही जाहिर कर चुकी है अपने सहयोगी DMK के जरिए - DMK के नेता यह भी कह चुके हैं कि इंडी गठबंधन का गठन सनातन धर्म को ख़त्म करने के लिए ही हुआ है जिसका किसी घटक दल ने खंडन नहीं किया - DMK का एक मंत्री TM Anbarasan कह चुका है कि अगर वो मंत्री न होता तो मोदी के काट कर टुकड़े टुकड़े कर देता और ऐसी धमकी कभी कांग्रेस के नेता इमरान मसूद ने भी दे थी - मौलाना बरकत अली ने तो 25 लाख का फतवा भी जारी किया था -


कल छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कांग्रेस नेता चरणदास महंत ने एक कांग्रेस सभा में कहा कि -


“हमें एक ऐसा आदमी चाहिए जो लाठी पकड़ सके - हमें मोदी का सिर फोड़ने वाला आदमी चाहिए - मोदी के सामने आंख मिला कर बात कर सके, ऐसा एक ही आदमी है जिसे आप सांसद बनाओगे, वही मोदी के सामने लाठी पकड़ कर खड़ा हो सकता है - रात दिन एक करके मोदी को चीन भेजने वाला आदमी चाहिए - वह आदमी भूपेश बघेल और देवेंद्र यादव हो सकते हैं - नवीन जिंदल जैसे पीठ में छुरा घोंपने वालों को जूता मारना चाहिए”


देश के टुकड़े करने की बात तो राहुल गांधी खुद कर चुका है उत्तर दक्षिण भारत को देश के अलग अलग हिस्से बता कर और कर्नाटक का कांग्रेस सांसद D K Suresh भी कुछ दिन पहले दक्षिण के राज्यों को भारत से अलग कर पृथक देश बनाने की मांग कर चुका है -


इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन भारत के प्रति लोगों में नफ़रत फैला कर जहर घोलने की कोशिश में लगा है - कांग्रेस पार्टी “भारत जोड़ो” अभियान ले कर तो चली लेकिन अपनी ही पार्टी को एकजुट रखने में बुरी तरह विफल है - जो “कांग्रेस जोड़ो” नहीं कर सके वो “भारत जोड़ो” कैसे कर सकते हैं -


इतना ही नहीं जहां एक तरफ राहुल गांधी विदेशों में जाकर देश के खिलाफ बयानबाजी करता है और षड्यंत्रों का निर्माण करता है वहीं केजरीवाल को बचाने के लिए तो विदेशी ताकतें हमारी न्यायिक व्यवस्था पर ही कीचड़ उछालने आगे आ गईं हैं - 


इसलिए सावधान रहना होगा देश के भीतरी और बाहरी शत्रुओं से - यह याद रखना चाहिए कि यदि मोदी प्रधानमंत्री न होते तो देश को अब तक अराजकता की आग में झोंक दिया गया होता और इसलिए मोदी को ही मजबूत करने से देश और जनमानस सुरक्षित रह सकता है -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 03/04/2024 

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Kaliyuga is the time in which we are living | कलियुग वह समय है जिसमें हम जी रहे हैं । Kalki Avatar | कल्कि अवतार




#भविष्य #पुराण के अंतिम अध्यायों में कहा गया है कि कलियुग वह समय है जिसमें हम वर्तमान में जी रहे हैं। इस समय को स्पष्ट रूप से बुराई के युग के रूप में वर्णित किया गया है, जब लोग केवल पीड़ित होने के लिए पैदा होते हैं। #कलियुग #Kaliyuga अंधकार, पीड़ा, दुख, संघर्षों का युग है। यह #स्वर्ण #युग का उल्टा प्रतिबिंब है, और इसे लौह युग या कब्जे का युग भी कहा जाता है।

#कल्कि #पुराण #Kalki #Puran में इस प्रकार अंधकार के युग की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है:




समय के अंत में, ब्रह्माण्ड निर्माता, ब्रह्मा ने खुद से उत्पन्न पापों को अपनी पीठ पर गिरने दिया। इस प्रकार अधर्म अस्तित्व में आता है। अधर्म की पत्नी, सुंदर मिथ्या (झूठ) जंगली बिल्ली की आँखों के साथ, अपने घृणित पुत्र शाम्ब (धोखे) को जन्म देती है। उनकी बहन #माया  #Maya (भ्रम) लोभे (इच्छा) को जन्म देगी, जबकि उनकी विकृति (रोग) नाम की बेटी क्रोध (क्रोध) को जन्म देगी, जिसकी बहन हिमसा (हिंसा) कलियुग को जन्म देगी। भयानक कलियुग पवित्र सुगंध, झूठ, शराब, स्त्री और सोने की शक्ति पर टिका हुआ है। उसकी बहन दुर्कृति (बुरे कर्म) भया (डरावनी) नाम के एक लड़के और मृत्यु (मृत्यु) नाम की एक लड़की को जन्म देगी जो निरया (नरक) का निर्माण करेगी।


लिंग पुराण में एक और विस्तृत विवरण है:


कलियुग के लोग दिखावा करेंगे कि वे जाति और विवाह के पवित्र अर्थ के बीच के अंतर के बारे में नहीं जानते हैं, अपने गुरु के प्रति शिष्य के रवैये और कर्मकांड के महत्व के बारे में नहीं जानते हैं। लोग केवल अधिक धन अर्जित करने का प्रयास करेंगे, और सबसे अमीर लोगों के पास सबसे अधिक शक्ति होगी। जीवन एकरूप हो जाएगा, भ्रम और बेईमानी हर चीज में राज करेगी। लिंगों के बीच एकमात्र संबंध आनंद होगा, सफलता प्राप्त करने का एकमात्र तरीका प्रतिस्पर्धा और झूठ होगा।


उसी कल्कि पुराण के अनुसार, "पृथ्वी माता के नेतृत्व में उदास और दुखी देवता", ब्रह्मा के निवास के लिए रवाना होंगे। अपनी बारी में, ब्रह्मा विष्णु से अपील करेंगे, और विष्णु पृथ्वी पर उतरने का वादा करेंगे। धर्म को पुनर्स्थापित करने और कलियुग को नष्ट करने के लिए, विष्णु एक अवतार के रूप में शम्भाला शहर में प्रकट होंगे।


कलियुग युग के और भी अभिलेख हैं, जो वर्तमान की सामान्य तस्वीर के पूरक हैं। विशेष रूप से:


विष्णु पुराण: "पृथ्वी पर अस्थायी सम्राट होंगे, झगड़ालू और क्रूर राजा, झूठ और बुराई का पालन करने वाले। वे महिलाओं और बच्चों को मार डालेंगे... वे अपनी संपत्ति से प्रजा को वंचित करेंगे। उनका जीवन छोटा होगा और लालची इच्छाएं होंगी। अलग अलग देशों के लोग उनके साथ जुड़ेंगे... दौलत कम हो जाएगी जब तक कि पूरी दुनिया नाश न हो जाए। संपत्ति ही पैमाना होगी। दौलत पूजा का कारण होगी। कामवासना ही लिंगों का मिलन होगा। झूठ ही जरिया होगा अदालतों में सफलता का। महिलाएं वासना की वस्तु बन जाएंगी। एक अमीर व्यक्ति को शुद्ध माना जाएगा। शानदार कपड़े गरिमा का संकेत होंगे... इस प्रकार, कलियुग में स्थायी पतन होगा... और फिर, पर कल्कि अवतार होगा #कल्कि_अवतार #Kalki_Avatar का अंत... वह पृथ्वी पर न्याय बहाल करेगा... जब सूर्य, चंद्रमा, तिष्य और बृहस्पति एक साथ आएंगे, तो श्वेत सत्य युग वापस आ जाएगा।


"पाँच हज़ार साल पहले ऋषि व्यासदेव बद्रीनाथ में सरस्वती नदी के तट पर बैठे थे और उन्होंने अपने ध्यान में देखा कि कैसे कलियुग के युग में जो अभी शुरू हुआ है लोग आध्यात्मिक ज्ञान को और नीचे गिरा देंगे और भूल जाएंगे। उसने पहले ही देख लिया था कि मानव जीवन की अवधि कम हो जाएगी (बाइबल यह भी कहती है कि परमेश्वर ने लोगों के जीवन को छोटा कर दिया है...), और लोग अधिक से अधिक लालची, कामुक और दुखी हो जाएंगे। वैदिक ज्ञान पृथ्वी के चेहरे से गायब हो जाएगा और विस्मरण के लिए समर्पित हो जाएगा।


पद्म पुराण (7.26.15-17) में उल्लेख है कि कलियुग पाप का घर है, जब हर कोई पापमय गतिविधियों में व्यस्त है। लोग आध्यात्मिक सत्य को अस्वीकार करते हैं और खेल और चोरी में संलग्न रहते हैं। हर कोई सेक्स और नशीले पेय से जुड़ा हुआ है। विधर्मियों और नास्तिकों को सबसे आगे रखा गया है।


श्रीमद्भागवतम् (12.3.39-40) कलियुग के युग में मानव मन स्थायी रूप से उत्तेजित रहेगा। लोग भय और उच्च करों से पीड़ित होंगे, भूख और सूखे से थके हुए होंगे...


ब्रह्माण्ड पुराण (1.2.31.31-35) में कहा गया है कि कलियुग की प्रमुख विशेषताएं क्रूरता, ईर्ष्या, झूठ, कपट और छल, धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों की बर्बादी, घातक रोग, भुखमरी और भय हैं।


और यह #हिंदू शास्त्रों में उपलब्ध जानकारी का केवल एक हिस्सा है। कलियुग के अंत और सभी धर्मों में वर्णित निर्णय के दिन के लिए (और इसी तरह की वार्ता आज तक कम नहीं होती है), भविष्य पुराण सहित वेद स्पष्ट समझ प्रदान करते हैं: कलियुग का अंत और दुनिया का अंत अपरिहार्य। इसके अलावा, हिंदू शास्त्रों में वास्तव में उद्धारकर्ता, दिलासा देने वाले के आगमन के बारे में शब्द हैं, जिन्हें कल्कि अवतार कहा जाता है।


साभार : Er. Raghav

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. , 

02 अप्रैल 2024

America Stop giving knowledge on CAA | CAA पर ज्ञान देना बंद करें -अमेरिका अपना कानून देखे - लेखक : सुभाष चन्द्र



#UNO, #अमेरिका या अन्य कोई भी देश,  जितने चाहे #रोहिंग्या और #बांग्लादेशी #भारत से ले जाएं, 

परंतु हमारे #कानून #CAA पर ज्ञान देना बंद करें - अमेरिका अपना कानून देखे -

चीन को कुछ कहने की हिम्मत करो -


अमेरिका के #अंतरराष्ट्रीय #धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी आयोग ने भारत के #नागरिकता संशोधन अधिनियम (#CAA) लागू करने के भारत सरकार द्वारा जारी नियमों की अधिसूचना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि “#धर्म या #आस्था के आधार पर किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए -


आयोग के अध्यक्ष स्टीफन स्नेक ने कहा कि “पड़ोसी देशों से भागकर भारत में शरण लेने आए लोगों के लिए तो #CAA में धार्मिक अनिवार्यता का प्रावधान है और हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों के लिए तो त्वरित नागरिकता का मार्ग प्रशस्त है लेकिन मुसलमानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है -


स्टीफन स्नेक ने कहा कि इस कानून का मकसद यदि धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करना होता तो इसमें बर्मा के रोहिंग्या मुसलमान, पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमान और अफगानिस्तान के हज़ारा शिया भी शामिल होते - भारत सरकार अतीत में भारत के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड पर टिप्पणी करने के लिए USIRF के क्षेत्राधिकार को खारिज कर चुका है -


एक कहावत है - “तू कौन, मैं खामखां” और यह अमेरिकी संस्था का रोल ऐसे ही “खामखां” का रोल है भारत के लिए - स्टीफन इतने शातिर हैं कि उन्होंने इन पड़ोसी देशों का नाम नहीं लिया और यह नहीं बताया कि ये तीनो इस्लामिक देश हैं,  पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान और केवल इतना कहा कि लोग वहां से भाग कर आए हैं लेकिन जानबूझकर कहना भूल गए कि उन देशों से “प्रताड़ित” होकर भागना पड़ा -


अमेरिका को कभी यह दिखाई नहीं दिया कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों) की क्या हालत है खासकर हिंदुओं की जो पाकिस्तान में 1947 के  22% से घटकर 2% रह गए - इन अल्पसंख्यकों को भारत के सिवाय कौन शरण दे सकता है - ये इस्लामिक देश होते हुए मुसलमानों को भी ठीक से नहीं रख सकते तो फिर तो साफ़ है इन्होने अल्पसंख्यकों की क्या दुर्दशा की होगी, वह कल्पना से परे है -


भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां सभी देशों से मुसलमान आकर भारत में बस जाएं - अमेरिका को यदि लगता है रोहिंग्या, पाकिस्तान के अहमदिया और अफगानिस्तान के हज़ारा मुस्लिम पीड़ित हैं तो अमेरिका समेत सभी देश और UNO जिनकों उनसे हमदर्दी हैं, उन्हें अपने अपने देश में शरण दे सकते हैं - भारत में तो बांग्लादेशी और रोहिंग्या करोड़ों हैं, जितने मर्जी ले जाए अमेरिका क्योंकि भारत की आबादी तो 140 करोड़ है और अमेरिका की मात्र 34 करोड़ जिसके पास बहुत भूभाग है जहां उन्हें रखा जा सकता है -


अमेरिका ने इन तीन इस्लामिक देशों को छोड़िए कभी चीन को भी मुसलमानों की रक्षा के लिए प्रवचन नहीं दिए और आज ही खबर है कि ईरान ने अल्पसंख्यक बहाई समुदाय के लोगों पर बंद कमरों में भी पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया है - जाहिर है यह सभी अल्पसंख्यकों पर लागू होगा -


अमेरिका हमें उपदेश देने से पहले अपने गिरेबान में झाँक कर देखो - क्या अमेरिका ने  भारत के कानून #CAA से मिलता जुलता कानून नहीं बनाया है - अमेरिका ने कानून बनाया है “The Spectrum Amendment और The Lautenberg Amendment”  जिसके अनुसार ईरान में रहने वाले ईसाइयों को कहा गया है कि यदि वे ईरान छोड़ कर आना चाहते हैं तो अमेरिका आ सकते हैं परंतु मुसलमानों को आने की छूट नहीं है - 


CAA पर छातियां पीटने से पहले अमेरिका अपना कानून देखे - खुद मुसलमानों को नहीं लेना चाहता और हमें कहते हैं कि हर देश के मुसलमानों को शरण दे दो - कितना दोगलापन है -


"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 02/04/2024 

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