19 मार्च 2024

Mahamantra | महामन्त्र श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ।Shri Krishna Govind Hare Murari He Nath Narayan Vasudeva

 



"महामन्त्रार्थ" Mahamantratha

Shri Krishna Govind Hare Murari He Nath Narayan Vasudeva 

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ।

यह महामन्त्र है। अन्तर्निहित अर्थ (भावार्थ) के ज्ञान सहित इसका जप करें । 

भावार्थ :

श्रीकृष्ण – हे प्रभो ! आप सभी के मनको आकर्षित करनेवाले है। अतः आप मेरा मन भी अपनी

ओर आकर्षित कर अपनी भक्ति-सेवाकी दिशामें सुदृढ़ कीजिये ।

गोविन्द – गौओंतथा इन्द्रियोंकी रक्षा करनेवाले भगवन् ! आप मेरी इन्द्रियोंको स्वयंमें लीन करें ।

हरे - हे दोखहर्ता ! मेरे दुःखोंका भी हरण करें ।

मुरारे - हे मुर राक्षसके शत्रु ! मुझमें बसे हुए काम-क्रोधादिरूपी राक्षसोंका नाश कीजिये ।

हे नाथ - आप नाथ है। और मैं अनाथ हूँ । (मुझ अनाथका भाव आप नाथके साथ जुड़ा रहे ।)

नरायण - मैं नर हूँ और आप नारायण हैं । (आपको प्राप्त करनेके लिये आपके आदर्शपर मैं तपस्यामें रत रहूँ ।)

वासुदेव – वसुका अर्थ है

प्राण । मेरे प्राणोंकी रक्षा करें । मैंने अपना मन आपके चरणोंमें अर्पित कर दिया है ।

साभार : #गीताप्रेस, #गोरखपुर द्वारा प्रकाशित "#कल्याण - संकीर्तानांक"

#जय_श्री_कृष्णा, #हरे_राम, #भक्ति, #Jai_Shri_Krishna, #Hare_Ram, #Bhakti, #Geeta_Press, #Gorakhpur, #Kalyan

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,

18 मार्च 2024

Gurbaksh Singh Dhillon, the warrior of Azad Hind Fauj | गुरबख्श सिंह ढिल्लों, आज़ाद हिन्द फ़ौज का योद्धा | 18 मार्च 1914 - 6 फ़रवरी 2006

 



🇮🇳 आओ बनाएँ उन क्रांतिकारियों के #सपनों_का_भारत, जिनके #संघर्ष और #बलिदान का ऋण आज तक हम पर है 🇮🇳

🇮🇳 गुरबख्श सिंह ढिल्लों, आज़ाद हिन्द फ़ौज का वो योद्धा, जिसने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए 🇮🇳

🇮🇳 आज़ाद हिन्द फ़ौज. जिसकी कमान भारत की आज़ादी के नायक रहे सुभाषचंद्र बोस के हाथों में थी. शुरुआत में इस फौज़ में उन भारतीय सैनिकों को भर्ती किया गया था, जो जापान द्वारा युद्धबन्दी बनाए गए थे. बाद में इसका विस्तार हुआ. भारत की स्वतंत्रता में INA की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

🇮🇳 यूँ तो इस फ़ौज का हर एक सैनिक अपने आप में ख़ास था. मगर एक नाम ऐसा भी था, जिसने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए. ब्रिटिश सम्राट के खिलाफ युद्ध करने को लेकर इस योद्धा पर ना सिर्फ़ 'लाल किला ट्रायल' नामक ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया, बल्कि प्रताड़ित भी किया गया. मगर वह टूटा नहीं और आजादी के लाखों परवानों को एकता के एक सूत्र में बाँध दिया.

🇮🇳 यह कहानी है आज़ाद हिन्द फ़ौज में अधिकारी रहे कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों की, जिन्हें साल 1998 में भारत सरकार ने उनकी देशभक्ति के लिए 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था.

🇮🇳 18 मार्च 1914. यह वह तारीख है, जब गुरबक्श सिंह ढिल्लों ने अपनी ऑंखें खोलीं. आम बच्चों की तरह वह बड़े हुए और शुरुआती पढ़ाई के लिए पास के सरकारी प्राथमिक विद्यालय गए. वहाँ से निकलने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई का सफ़र जारी रखा और ग्रेजुएशन की डिग्री ली. शिक्षा  ग्रहण करने की इस राह में सबसे खास रहा उनका अलग-अलग धर्मों के संस्थानों में दाखिला लेना. इसका असर उनके व्यक्तित्व पर भी पड़ा और वो एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति बनकर उभरे. वो हिन्दी के अलावा फारसी, अंग्रेजी, उर्दू जैसी कई अन्य भाषाएं बोल लेते थे.

🇮🇳 शुरुआत में ढिल्लों को स्पष्ट नहीं था कि उन्हें आगे क्या करना है. उनका पूरा ध्यान बस ज्यादा से ज्यादा पढ़ने पर था. इसी बीच एक दिन उनसे किसी ने कहा, ढिल्लों तुम सेना में भर्ती क्यों नहीं हो जाते. तुम्हारा शरीर अच्छा हैं. तुम पढ़ने में भी तेज हो. तुम्हारा चयन आसानी से हो सकता है. 

🇮🇳 ढिल्लों के दिमाग में ये बात घर कर गई और उन्होंने सेना में भर्ती होने की तैयारी शुरू कर दी. वह अब तय कर चुके थे कि वो भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे. उन्हें इसमें सफलता भी मिली. साल 1936 के आसपास भारतीय सेना से उनका बुलावा आया. इस तरह अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वो 14 वीं पंजाब रेजिमेंट की प्रथम बटालियन का हिस्सा बनाए गए.

🇮🇳 यही वो पल था, जहाँ से ढिल्लों की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. नौकरी के दौरान अपनी कार्यशैली से ढिल्लों ने अपने सीनियर्स को प्रभावित किया. परिणाम स्वरूप वो द्वितीय विश्वयुद्ध का हिस्सा बनाए गए. इस जंग में उन्होंने विरोधियों को मुँहतोड़ जवाब दिया था.

🇮🇳 हालांकि, अंत में वो जापान द्वारा युद्धबन्दी बना लिये गये थे. बाद में 1942 में भारत को स्वतन्त्र कराने के लिए आजाद हिन्द फौज का संगठन हुआ तो ढिल्लों, #कर्नल_प्रेम_सहगल, और #मेजर_जनरल_शाह_नवाज_ख़ान समेत अन्य योद्धाओं के साथ इसके अभिन्न अंग बन गए और अंग्रेजों को खूब छकाया. 

🇮🇳 परिणाम स्वरूप युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेज सरकार ने मुकद्दमा चलाया. साथ ही उन्हें दोषी ठहराते हुए कोर्ट-मार्शल के बाद सजा भी सुनाई. 'लाल किला ट्रायल' के नाम से ढिल्लों पर चलाया गया यह मुकदमा भारत की आजादी की राह आसान करने में मील का एक पत्थर बना.

🇮🇳 इस ऐतिहासिक मुकदमे के दौरान लोगों के बीच एक नारा गूँजा 'लाल किले से आई आवाज-सहगल, ढिल्लों, शहनवाज'. जिसने भारत की आजादी के लिए लड़ रहे नौजवानों के बीच ऊर्चा का संचार किया और उन्हें एकता के एक सूत्र में बाँधा. लोगों ने ढिल्लों की सजा के विरोध में जगह-जगह गिरफ्तारी दी और अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया.

🇮🇳 कुल मिलाकर यह मुकदमा हर मोर्चों पर हिन्दुस्तानी एकता को मजबूत करने वाला साबित हुआ. अब तक अंग्रेज समझ चुके थे कि अगर इनको सजा दी गई तो भारतीय फौज में बगावत हो जाएगी. यही कारण रहा कि उन्हें सहगल, ढिल्लों और शाहनवाज समेत आजाद हिन्द फौज के सैकड़ों सैनिकों को ना सिर्फ़ रिहा करना पड़ा, बल्कि उनके मुकदमे भी खत्म करने पड़े.  

🇮🇳 आगे अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जलसेना ने भी विद्रोह कर दिया, जिसका खामियाजा अंग्रेजों को भुगतना पड़ा. इन छोटी-छोटी कड़ियों से अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया और अंतत: उन्हें भारत छोड़कर जाना पड़ा. आजादी के सालों बाद तक ढिल्लों जीवित रहे. 6 फ़रवरी 2006 को अंतत: आज़ाद हिन्द फौज के इस योद्धा ने मृत्यु को गले लगा लिया था. उनकी जीवन पर एक फ़िल्म भी बनाई गई, जिसे 'रागदेश' के नाम से जाना जाता है.

साभार: indiatimes.com

🇮🇳 भारत सरकार द्वारा #पद्मभूषण से सम्मानित; गोरिल्ला युद्ध में निपुण महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और ब्रिटिश शासन की जड़ें हिलाने वाली #आज़ाद_हिन्द_फ़ौज के अधिकारी #कर्नल_गुरबख्श_सिंह_ढिल्लों जी की जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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Why Court kind to Kejriwal ? क्यों मेहरबान है कोर्ट केजरीवाल पर ? लेखक : सुभाष चन्द्र

 



किसलिए मेहरबान है कोर्ट केजरीवाल पर -

Rouse Avenue कोर्ट के फैसले के खिलाफ ED हाई कोर्ट जाए -


16 मार्च को  Rouse Avenue कोर्ट की Additional Chief Metropolitan Magistrate दिव्या मल्होत्रा का केजरीवाल पर मेहरबानी करने वाला आदेश समझ से परे है - आज दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट में पेश होने के आदेश को केजरीवाल से सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे कल सेशन कोर्ट ने ख़ारिज कर आज मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था -


ED ने केजरीवाल के खिलाफ IPC के सेक्शन 174 में दो शिकायत दर्ज की थी - पहली 3 summons पर केजरीवाल के गैरहाजिर रहने के लिए और दूसरी 5 मार्च को की थी जब वह 8 summons पर गैरहाजिर रहा - पहले मजिस्ट्रेट ने 17 फरवरी को तलब किया था केजरीवाल को जब वह कोर्ट को बहाना बना कर 16 मार्च की डेट ले गया -


आज जब कोर्ट में पेश हुआ तो दिव्या मल्होत्रा ने ED की दोनों शिकायतों पर केजरीवाल को 15  - 15 हजार के निजी मुचलके और एक एक लाख रुपए की surety पर जमानत दे दी और अगली सुनवाई 1 अप्रैल की तय कर दी - इतना ही नहीं केजरीवाल पर दिव्या मल्होत्रा इस कदर मेहरबान थी कि उसे Personal Appearance से भी अगली सुनवाई से छूट दे दी - यानी जिस अदालत ने उस व्यक्ति के कोर्ट में पेश न होने की भी जरूरत नहीं समझी जिसके ED के summon पर पेश न होने को “अपराध” माना था -


कल दिल्ली शराब घोटाले में ही के कविता को ED ने गिरफ्तार किया और आज उसी केस में ACMM दिव्या मल्होत्रा ने केजरीवाल को अभयदान दे दिया - 


सवाल यह पैदा होता है कि क्या दिव्या मल्होत्रा, ACMM समझती हैं कि केजरीवाल को ED के summon पर पेश होने की जरूरत ही नहीं है या उसे ED के सामने पेश होने के निर्देश देने के लिए कोई “शुभ मुहूर्त” निकाल रही हैं - Section 174 की शिकायतों पर जमानत देते हुए तो ACMM दिव्या मल्होत्रा को केजरीवाल को आज ही निर्देश दे देने चाहिए थे कि कल ही ED के summons को honour करते हुए पेश हो जाओ - यह आदेश तो उसको 17 फरवरी को ही दे देने चाहिए थे - 


ED के सामने पेश होने के लिए कहने में अड़चन क्या है ACMM को जो केजरीवाल को पहले 17 फरवरी, फिर 16 मार्च और अब 1 अप्रैल को बुलाया है - दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जब कह चुके हैं कि ED के summons को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता और जिसे ED summon करती है, उसे पेश होना ही होता है - 


ऐसे में क्या ACMM दिव्या मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट से भी कोई बड़े आदेश देना चाहती हैं जो केजरीवाल द्वारा summons की अवहेलना को देखते हुए भी उस पर सुनवाई करना चाहती हैं, क्या वो समझती हैं ED झूठ बोल रही है और केजरीवाल ने summons की अवहेलना नहीं की 


कोर्ट और जज को निष्पक्ष होना ही नहीं चाहिए बल्कि साफ़ दिखाई भी देना चाहिए - दिव्या मल्होत्रा के आचरण में स्पष्ट खोट दिखाई देता है और उसके लिए उन पर कोई भी आरोप लग सकता है - ऐसी स्तिथि से उनको बचना चाहिए था - lower courts के judges का आचरण ऊपरी अदालतों की नज़र में रहता है -


ED को ACMM दिव्या मल्होत्रा द्वारा 3 तारीखों पर भी केजरीवाल को ED के summons पर पेश होने के लिए न कहने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए और हाई कोर्ट से केजरीवाल को निर्देश देने का आग्रह करना चाहिए - याद रहे केजरीवाल को जमानत ED की शिकायतों पर मिली है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जब वह पेश होगा तो गिरफ्तार नहीं हो सकता - ED के summons पर कोर्ट की कोई रोक नहीं है और इसलिए ED सीधा जाकर शीश महल पर रेड करे और उठा लाए दिल्ली के ठग को -


"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 18/03/2024 

#CAA,#giving_citizenship, #Pakistan, #Afghanistan,#Bangladesh, #Muslims,#implemented_CAA,#Mamata, #Stalin, #Vijayan, #threatening , #impose_CAA ,#respective_states,#Opposition_Against_CAA, #persecuted_Hindus #minorities, #except_Muslims #Congress_Party,  #political_party,  #indi #gathbandhan  #Prime_Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja  #top_stories

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Rahul will bring Congress to about 20 Seats | कांग्रेस को लगभग 20 सीट तक ले आएंगे ......राहुल | लेखक : सुभाष चन्द्र

 


ED / CBI से बदले लेने की बात कर रहा है राहुल सत्ता में आए बिना -

माँ भवानी की शक्ति को ललकार कर, अपने हाथ से “हार” लिख दी राहुल ने कांग्रेस की किस्मत में - 

कांग्रेस को ये 20 सीट पर लाकर रख देगा -


जुलाई, 2018 और उसके बाद जनवरी, 2019 में उस वर्ष के #लोकसभा_चुनावों से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता #आनंद शर्मा ने #भूपिंदर_सिंह_हूडा के घर पर #CBI की रेड होने पर कहा था कि “अधिकारियों को ध्यान में रखना चाहिए कि कोई भी सत्ता स्थाई नहीं होती, जब चुनाव के बाद  कांग्रेस सत्ता में आएगी तो सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और उन सभी पर कार्रवाई की जाएगी - मोदी और शाह के दिमाग में बैर भाव साफ़ दिखाई देता है लेकिन अब उनकी सत्ता ख़त्म होने वाली है - वो तानाशाह की तरह विरोधियों को कुचलने का काम करते हैं” -


#चुनाव से पहले ही #कांग्रेस मंसूबे बना रही थी किस तरह अधिकारियों को निशाना बनाया जाएगा लेकिन सारे सपने चूर हो गए जब सत्ता मिली ही नहीं और #मोदी को 20 सीट और ज्यादा मिल गई और आज फिर राहुल गांधी ने आनंद शर्मा शर्मा जैसा विलाप करके कांग्रेस की किस्मत में अपने हाथ से “हार” लिख दी - 


राहुल गांधी ने कहा है कि #ED / #CBI भाजपा और #RSS के “औजार” हैं और मोदी बिना चुनाव आयोग के #EVM एवं ED / CBI के चुनाव नहीं जीत सकता - राहुल ने #ED / #CBI अधिकारियों को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि जब भी कभी भाजपा की सरकार हटेगी और कांग्रेस सत्ता में आएगी तो ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी 


सबसे बड़ी बात यह देखने में आई कि किसी भी बढ़े #News_Portal या बढ़े अख़बार के पोर्टल ने राहुल गांधी का बयान छापने की जरूरत नहीं समझी |


अब #भाजपा सत्ता से हटेगी भी या नहीं, कोई नहीं जानता और हटेगी भी तो कब हटेगी या राहुल प्रतीक्षा करते करते #राजनीति से संन्यास ले लेगा या विदेश भाग जाएगा; मतलब न 9 मन तेल होगा और न #राधा नाचेगी - 


आज ही कांग्रेस का युवराज अधिकारियों से बदला लेने की बात कर रहा है और ऐसी फटकार लगाना अधिकारियों को #केजरीवाल भी अपना अधिकार समझता है जबकि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा अधिकारियों को उत्साहवर्धन ही करते दिखाई देते हैं - मोदी कहते हैं कि जानबूझकर कुछ गलत नहीं होना चाहिए, गलती बाकी हम संभाल लेंगे, किसी पर आंच नहीं आएगी -


एक भयंकर बयान और दे दिया इस अक्ल से पैदल #कांग्रेस के युवराज ने -राहुल गांधी ने कहा कि, “#हिंदू_धर्म में एक शब्द होता है, जिसे शक्ति कहते हैं, लोग उसकी पूजा करते हैं लेकिन हमें उस शक्ति से ही लड़ना है, उसी से हमारी लड़ाई है”   


एक तरफ #भगवान #राम का विरोध करता फिरता है, और दूसरी तरफ #DMK और अन्य दलों के जरिए “#सनातन_धर्म” को गाली देकर उसे ख़तम करने का अभियान चला रहा है, #ईसाई #pastor #George #Ponnaiah के #भारत_माता को गाली देने वाले बयान पर हां में हां मिला रहा था और खुद भी सवाल करता है कि ये भारत माता क्या होती है - आज शक्ति स्वरुपा नारियों को ही अपमानित कर दिया जबकि इस निकम्मे को पता है नरेंद्र मोदी नवरात्रि के 9 दिन के व्रत नींबू पानी पी कर रखते हैं माँ भवानी की कृपा से -


राहुल गांधी एक मुस्लिम है जिसने दादी की मृत्यु पर पिता के साथ कलमा पढ़ा था, माँ ईसाई है, इसलिए माँ भवानी को शत्रु कहने की हिम्मत कर गया -


#आधी_आबादी #नारी_शक्ति को #कांग्रेस और उसके साथ के सभी दलों को ठोकर मार देनी चाहिए और यदि हिंदू समाज नहीं संभला तो उसका विनाश निश्चित है -


एक चुनौती और दे दी आज #राहुल_गांधी ने कि भाजपा में संविधान बदलने की हिम्मत नहीं है - जो जो चुनौती दी कांग्रेस और विपक्ष ने भाजपा को दी, वो सब काम कर दिए, चल अब यह भी किया जाएगा -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 18/03/2024 

#CAA,#giving_citizenship, #Pakistan, #Afghanistan,#Bangladesh, #Muslims,#implemented_CAA,#Mamata, #Stalin, #Vijayan, #threatening , #impose_CAA ,#respective_states,#Opposition_Against_CAA, #persecuted_Hindus #minorities, #except_Muslims #Congress_Party,  #political_party,  #indi #gathbandhan  #Prime_Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal, #DMK  #A_Raja  #top_stories

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Refugees File Criminal Case Against Kejriwal | केजरीवाल पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करें .......शरणार्थी | लेखक : सुभाष चन्द्र




Refugees file criminal case against Kejriwal | केजरीवाल पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करें शरणार्थी 


#केजरीवाल पर शरणार्थी आपराधिक मुकदमा दायर करें और 

#मानवाधिकार हनन की शिकायत दर्ज करें हिन्दू शरणार्थियों के #अपमान पर सारा 

#हिन्दू_समुदाय “#आप” / #कांग्रेस का बहिष्कार करे -


भारतीय राजनीति का जहरीला कोबरा केजरीवाल अपने असली रंग में आ गया और रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की भारत में अवैध घुसपैठ को समर्थन देते हुए हिंदू शरणार्थियों को अपमानित करते हुए उन्हें “बलात्कारी” तक कह गया - पाकिस्तान / बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तरह अवैध घुसपैठिये नहीं है और उन्हें कानून के अंतर्गत ही नागरिकता दी जा रही है लेकिन विपक्ष CAA का पुरजोर विरोध कर रहा है केवल मुस्लिमों को खुश करने के लिए 


इस विषय में दिल्ली के ठग और मक्कार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सारी सीमाएं लांघते हुए शरणार्थियों का घोर अपमान करते हुए कहा है कि -


“केंद्र सरकार का लागू किया गया #CAA कानून बहुत खतरनाक है जिसकी वजह से #Law_and_Order ठप हो जाएगा और चोरी डकैतियां और बलात्कार बढ़ेंगे”

हमारा देश एक गरीब देश है और अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 3 करोड़ लोगों में डेढ़ करोड़ लोग भी भारत में आ गए तो उनको कहां बसाया जाएगा, नौकरियां कहां से देंगे, जो रोजगार हमारे बच्चों को मिलना चाहिए वो तो वो लोग ले जाएंगे’

#CAA के बाद ये पाकिस्तानी पूरे देश में फ़ैल जाएंगे और हमारे ही मुल्क के लोगों को हड़काएंगे और हुड़दंग करेंगे; इनकी इतनी हिम्मत हो गई कि #दिल्ली की जनता द्वारा भारी बहुमत से चुने गए #CM को हमारे ही मुल्क में घुस कर माफ़ी मांगने को कह रहे हैं”

पाकिस्तानियों को पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ मेरे घर के बाहर प्रदर्शन करने की इज़ाज़त दी गई लेकिन इस देश के किसानों को दिल्ली आने की भी इज़ाज़त नहीं है; भारत के किसानों को अश्रु गैस के गोले, लाठियां, डंडे और गोलियां? और पाकिस्तानियों को इतना सम्मान?”


अब शरणार्थियों को चाहिए कि वे केजरीवाल के खिलाफ एक तो मानहानि का आपराधिक  मुकदमा दायर करें क्योंकि केजरीवाल ने सभी शरणार्थियों को “#बलात्कारी (#rapist) कहा है, उन्हें चोर और डकैत और दंगाई कहा है” - #NCRB के रिकॉर्ड से बताया जाए कितने शरणार्थी और कितने रोहिंग्या या बांग्लादेशी अपराधों में लिप्त रहे हैं - 


दूसरा केस शरणार्थियों को #NHRC में फाइल करना चाहिए कि केजरीवाल ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार हम शरणार्थियों के मानवाधिकारों के हनन की कोशिश की है और ऐसी ही शिकायत उन्हें #UNHCR के पास भी दायर करनी चाहिए क्योंकि जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस विषय को गलत ढंग से #UNO में उठा सकते हैं तो शरणार्थी भी यह विषय #UN संस्था तक ले जाने का अधिकार रखते हैं -


केजरीवाल के दिल में हिंदुओं के लिए कितना जहर भरा है वो इस बात से साबित होता है कि उसने शरणार्थियों को चोर, डकैत और बलात्कारी कहने के साथ साथ उन्हें बार बार पाकिस्तानी कहा है, न #हिंदू कहा और न शरणार्थी कहा - 


दूसरी तरफ #केजरीवाल, #कांग्रेस और विपक्षी दल #रोहिंग्या और #बांग्लादेशियों को पूरे देश में बसाने और वोट बैंक बनाने के लिए आगे रहे हैं - जब #पाकिस्तान #बांग्लादेश और #अफगानिस्तान से आए लोगों को नागरिकता मिल जाएगी तो यही केजरीवाल और अन्य दल उन शरणार्थियों के चरणों में लोटते फिरेंगे वोट के लिए -


केजरीवाल और विपक्ष को अगर #CAA नहीं चाहिए तो पहले सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को देश से बाहर भेजने के लिए हामी भरो - उन्हें लाइन लगा कर वापस भेजो - #चुनाव_आयोग #2024 लोकसभा चुनाव से पहले सभी #रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के फर्जी आधार कार्ड पर बने वोटर कार्ड रद्द करे | 

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र  | मैं हूं मोदी का परिवार | “मैं वंशज श्री राम का” 17/03/2024 

#Political, #sabotage,   #Congress,  #Kejriwal  #judiciary  #delhi #sharadpanwar, #laluyadav, #spa #uddavthakre, #aap  #FarmerProtest2024  #KisanAndolan2024  #SupremeCourtofIndia #Congress_Party  #political_party #India #movement #indi #gathbandhan #Farmers_Protest  #kishan #Prime Minister  #Rahulgandhi  #PM_MODI #Narendra _Modi #BJP #NDA #Samantha_Pawar #George_Soros #Modi_Govt_vs_Supreme_Court #Arvind_Kejriwal #Defamation_Case #top_stories#supreme_court #arvind_kejriwal #apologises #sharing #fake_video #against #bjp #dhruv_rathee_video 

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16 मार्च 2024

Ambika Prasad | Academician and Literature | अम्बिका प्रसाद दिव्य | शिक्षाविद और साहित्यकार | 16 मार्च 1907 - 5 सितम्बर 1986




🇮🇳🔰 अम्बिका प्रसाद दिव्य भारत के जाने-माने शिक्षाविद और हिन्दी #साहित्यकार थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। अंग्रेज़ी, संस्कृत, रूसी, फ़ारसी और उर्दू सहित कई अन्य भाषाओं के वे जानकार थे। दिव्य जी का पद्य साहित्य #मैथिलीशरण_गुप्त, नाटक साहित्य #रामकुमार_वर्मा तथा उपन्यास साहित्य #वृंदावनलाल_वर्मा जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों के काफ़ी निकट है।

🇮🇳🔰 श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य (16 मार्च 1907 - 5 सितम्बर 1986) शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका जन्म #अजयगढ़ पन्ना के सुसंस्कृत कायस्थ परिवार में हुआ था। हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। वे अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं के जानकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। 5 सितम्बर 1986 ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेते हुये हृदय-गति रुक जाने से उनका देहावसान हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।

🇮🇳🔰 दिव्य जी ने अपने जीवन की शुरूआत शिक्षा विभाग से सेवा कार्य करने आंरभ किया था। वे कई भाषाओं के भाषाविद् थे। उनके उपन्यासों को मुख्य केन्द्र बुन्देलखण्ड या बुन्देले थे। उन्होने कई काव्य एवं लेखन कार्य किया है जिसमें अंतर्जगत, रामदपंण, निमिया, मनोवेदना, खजुराहो की रानी, पावस, पिपासा, बेलकली, भारत माता, झांसी की रानी, तीन पग, कामधेनु, लंकेश्वर, सूत्रपात, प्रलय का बीज, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जुठी पातर, काला भौंरा, योगी राजा, प्रेमी तपस्वी इत्यादि।

🇮🇳🔰 अम्बिका प्रसाद दिव्य जी को कई क्षेत्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी स्मृति पर वर्ष 1997 में दिव्य पुरस्कार  की शुरूआत की गई थी। अम्बिका प्रसाद दिव्य का निधन 5 सितंबर 1986 में हुआ था।

🇮🇳🔰 शिक्षा

      हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि के बाद अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं का स्वाध्याय।

🇮🇳🔰 कार्यक्षेत्र-

मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। साहित्य के क्षेत्र में दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं।

🇮🇳🔰 रचना कार्य

अम्बिका प्रसाद दिव्य ने लेखन की कई कलाओं में अपना योगदान दिया है। उनके रचना कार्यों में प्रमुख हैं-

🔰 उपन्यास

    'प्रीताद्रि की राजकुमारी'

    'सती का पत्थर'

    'फ़जल का मक़बरा'

    'जूठी पातर'

    'जयदुर्ग का राजमहल'

    'काला भौंरा'

    'योगी राजा'

    'खजुराहो की अतिरुपा'

    'प्रेमी तपस्वी'

 🔰 नाटक

    'भारत माता'

    'झाँसी की रानी'

    'तीन पग'

    'कामधेनु'

    'लंकेश्वर'

    'भोजनन्दन कंस'

    'निर्वाण पथ'

    'सूत्रपात'

    'चरण चिह्न'

    'प्रलय का बीज'

    'रूपक सरिता'

    'रूपक मंजरी'

    'फूटी आँखें

🔰 महाकाव्य तथा मुक्त रचना

    'अंतर्जगत'

    'रामदपंण'

    'निमिया'

    'मनोवेदना'

    'खजुराहो की रानी'

    'दिव्य दोहावली'

    'पावस'

    'पिपासा'

    'स्रोतस्विनी'

    'पश्यन्ति'

    'चेतयन्ति'

    'अनन्यमनसा'

    'बेलकली'

    'गाँधी परायण'

    'विचिन्तयंति'

    'भारतगीत'

🇮🇳🔰 एक आदर्श प्राचार्य के रूप में सन 1960 में दिव्य जी को सम्मानित किया गया था। उनके उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु मुख्य रूप से बुंदेलखंड अथवा बुन्देले नायक थे। 'बेल कली', 'पन्ना नरेश अमान सिंह', 'जय दुर्ग का रंगमहल', 'अजयगढ़', 'सती का पत्थर', 'गठौरा का युद्ध', 'बुन्देलखण्ड का महाभारत', 'पीताद्रे का राजकुमारी', 'रानी दुर्गावती' तथा 'निमिया' की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है।

🇮🇳🔰 सम्मान पुरस्कार

उनकी रचनाएँ निबन्ध विविधा, दीप सरिता और हमारी चित्रकला मध्य प्रदेश शासन के छत्रसाल पुरस्कार द्वारा सम्मानित हैं। वीमेन ऑफ़ खजुराहो अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध रचना है। उन्हें 1960 में आदर्श प्राचार्य के रूप में भी सम्मानित किया गया था। दिव्य जी का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाश्य है। उनकी स्मृति में साहित्य सदन भोपाल द्वारा अखिल भारतीय अम्बिकाप्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार से प्रति वर्ष तीन साहित्यकारों को पुरस्कृत किया जाता है।

🇮🇳🔰 साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था ।

साभार: jivani.org

🇮🇳 साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित; भारत के जाने-माने #शिक्षाविद और हिन्दी #साहित्यकार #अम्बिका_प्रसाद_दिव्य जी को उनकी जयंती पर हार्दिक श्रद्धांजलि !

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#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. 

Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना

 


Freedom fighter | Jugal Kishore Saxena | स्वतंत्रता सेनानी | जुगल किशोर सक्सेना

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🇮🇳 हम पर वतन का कर्ज था, हमने चुका दिया 🇮🇳

🇮🇳 बस्ती की टीन की जेल। मई-जून का तपता महीना और 24 घंटे में सिर्फ एक तसला पानी। हर पल की घुटन। बावजूद इसके आजादी के इस दीवाने ने हौसला नहीं छोड़ा। वंदेमातरम ने नारों में जोश कायम रखा। 

🇮🇳 हम यहाँ बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी #जुगल_किशोर_सक्सेना की। उन्हें याद करके उनके बेटे कहते हैं कि 'पिता उन घटनाओं को सुनाते हुए भावुक हो जाते थे। कहते थे, ऐसे ही नहीं मिली है आजादी। इसके लिए देश के सपूतों ने बड़े जुल्म सहे है।'

🇮🇳 आजादी की लड़ाई में इलाके के सूरमाओं ने गोरों को कभी पीठ नहीं दिखाई। ऐसे ही थे जुगल किशोर सक्सेना। पिता #बटेश्वरदयाल और माँ #धनु_कुंवर के यहाँ जून 1924 में उनका जन्म #डड़ौना गाँव में हुआ। जन्म के ढाई साल बाद ही माँ चल बसीं। उनकी तेरहवीं भी नहीं हो पाई थी कि पिता भी साथ छोड़ गए। कोई भाई-बहन नहीं थे। परिवार के अन्य घरों में इनका पालन हुआ। वह मिडिल तक ही पढ़ पाए। अनाथ होने के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। 16 साल की उम्र में वह सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े। दिल्ली जाते समय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 

🇮🇳 जुगल किशोर सक्सेना छापामार लड़ाई में माहिर थे। सरकारी डाक लूटकर नष्ट कर देते थे। अंग्रेजों ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया तो काफी समय जंगल में रहे। 1941 में सत्याग्रह आंदोलन शुरू होने पर वह दिल्ली की ओर बढ़े, लेकिन पकड़े गए। जेल में क्रांतिकारियों पर अत्याचार देख थाली बजाकर प्रदर्शन किया। जेल से छूटने के बाद वह फिर आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। 

🇮🇳 इन्हें #मैनपुरी जेल ले जाया गया। वहाँ कैदियों को जली रोटियाँ खाने के लिए मिलती थीं। ऐसे में वह विरोध के अगुआ बने तो अन्य कैदी भी साथ हो लिए। नाराज जेलर ने #बस्ती जेल भेज दिया। यह जेल टीन की थी। मई-जून की भीषण गर्मी में इन्हें 24 घंटे में एक तसला पानी दिया जाता था। इसमें सभी जरूरतें पूरी करनी होती थीं। हालत खराब होने लगी, शरीर में दाने निकल आए। गोरों ने लिखित माफी माँगने पर सजा माफ करने का प्रलोभन दिया। मगर जुल्म सहते रहे और हार नहीं मानी। छह माह की सजा काटने के बाद भी उनके तेवरों में कमी नहीं आई। आजादी की लड़ाई लड़ते रहे। 77 वर्ष की उम्र में कैंसर से जूझते हुए 22 मई 2001 को चिरनिद्रा में लीन हो गए।

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🇮🇳 माँ भारती को परतंत्रता की बेडियों से मुक्ति दिलाने के लिए क्रूर ब्रिटिश शासकों द्वारा अमानवीय यातनायें सहकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर क्रांतिकारी को कोटि-कोटि नमन !

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#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

 साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 



सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

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