04 मार्च 2024

Indian Economy is Growing Rapidly | भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है | भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है? लेखक : नलीन चंद्र

 



भारत अब ग्लोबल इकॉनमी में एक ब्राइट स्पॉट के तौर पर देखा जा रहा है भारत को लेकर दुनिया की तमाम बड़ी आर्थिक ताकतें काफी उत्साहित हैं | 

भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है?

कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है

भारतीय अर्थव्यवस्था तूफानी तेजी से आगे बढ़ रही है चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 8.4% रही है। 

यह आंकड़ा उम्मीद से कहीं ज्यादा है इससे पिछली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.6% रही थी जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.3% रही थी।

आर्थिक विकास दर के लिए जो अंदाजा लगाया गया था आंकड़ा उससे कहीं बेहतर है जो देश के आगे बढ़ने की रफ्तार की तरफ इशारा कर रहा है ।

 यह ग्रोथ रेट पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।

भारत की प्रगति की गति और अन्य देशों में मंदी के कारण सभी देश पीछे छूट गये हैं।

यह उन लोगों के लिए चौंकाने वाली बात है जो कहते हैं कि भारत में रोजगार नहीं है।

जाहिर है, इतनी बड़ी जीडीपी संख्या, जो दुनिया में सबसे अच्छी है, जनशक्ति कार्यबल के बिना संभव नहीं हो सकती थी।

आईएमएफ ने वित वर्ष 2024 के लिए जो अनुमान लगाया है उसमें भी भारत बड़ी-बड़ी महा शक्तियों पर भारी पड़ता दिख रहा है ।

आईएमएफ ने वर्ष 2024 में भारत के लिए 6.5% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया है ।

आईएमएफ का अनुमान मान है कि वर्ष 2024 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 4.6% रह सकती है अमेरिका की 2.1%  जापान की जीडीपी ग्रोथ 0.9% रहेगी फ्रांस की जीडीपी ग्रोथ 1% पर रहने का अनुमान है ब्रिटेन की जीडीपी ग्रोथ 0.6% और जर्मनी की 0.5% जीडीपी ग्रोथ रह सकती है, भारत आपको सबसे ऊपर नजर आएगा।

वर्ल्ड बैंक से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी मान रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार इस वक्त दुनिया में सबसे तेज है जो भारत की बढ़ती शक्ति भारत की तरक्की भारत में विकास की रफ्तार को दिखा रहा है वर्ष 2011 में भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी वर्ष 2014 में भारत नौवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी आज यानी वर्ष 2024 में भारत दुनिया की पांचवी सबसे से बड़ी अर्थव्यवस्था है वर्ष 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है ।

ग्लोबल ब्रोकिंग फर्म सीएलएसए का अनुमान है कि वर्ष 2047 तक भारत दुनिया की नंबर वन अर्थव्यवस्था बन जाएगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कई बार कह चुके हैं। 

आज पीएम मोदी ने एक बार फिर बढ़ते भारत का जिक्र किया बताया कि देश की आर्थिक विकास दर 8.4% होना कितनी बड़ी उपलब्धि है ।

आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में है ।

दुनिया के कई देशों में इस वक्त आर्थिक संकट है लोगों की नौकरियां जा रही हैं कई देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है। 

ऐसे समय में भी भारत की जीडीपी ग्रोथ शानदार है ।

आर्थिक वृद्धि >8% क्यों है? ये इससे भी ज्यादा हो सकता था।

भारत अब ग्लोबल इकॉनमी में एक ब्राइट स्पॉट के तौर पर देखा जा रहा है भारत को लेकर दुनिया की तमाम बड़ी आर्थिक ताकतें काफी उत्साहित हैं 

भारत क्यों सबकी पसंद बन रहा है?

क़तर, यूएई और सऊदी के पास तेल है।

लेकिन कोई तो होना चाहिए जो उनका तेल खरीद सके।

इसलिए उन्हें अपना तेल बेचने के लिए भारत की सख्त जरूरत है।

यही वजह है कि चाहे अमेरिका हो या फिर जापान जर्मनी ब्रिटेन फ्रांस इटली या फिर साउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देश सभी देश भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं। 

भारत की इस रफ्तार की सबसे बड़ी वजह सरकार के फैसले और भारत में टैलेंट और वर्कफोर्स की कोई कमी ना होना है ।

दुनिया में युद्ध और महंगाई के चलते मंदी का माहौल है।

लेकिन इस माहौल में भी दुनिया की तमाम एजेंसियां भारत पर विश्वास जता रही हैं 

आज भारत में अमेरिका की जनसंख्या से कहीं अधिक जनधन बैंक खाताधारक हैं।

पहले, भारत में एक विशाल असंगठित क्षेत्र हुआ करता था जो सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक का योगदान देता था। 

जीडीपी की गणना करते समय इसका हिसाब नहीं रखा जाता था।

लेकिन आज, हर घर में  UPI की बढ़ती पहुंच, करेंसी नोटों के कम उपयोग और नकली नोटों के ख़त्म होने के कारण, असली तस्वीर सामने आ रही है।

अधिक से अधिक लेन-देन पारदर्शी और प्रलेखित होते जा रहे हैं। 

चूँकि इन्हें जीडीपी समीकरण में शामिल किया जाता है, इसलिए विकास दर स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

कल्पना कीजिए, उस परिदृश्य की जब फ्रांस जैसे कई देश यूपीआई को अपनाएंगे!

अमेरिका यह जानता है, वह जानता है कि मास्टर्स और वीज़ा बर्बाद हो गए हैं और इसलिए वह भारत के यूपीआई विकास को रोकने की कोशिश करता है।

सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर और भी अधिक बढ़ जाएगी जिससे विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाएं अपना सिर खुजलाने लगेंगी।

"लेखक के निजी विचार हैं "

 







लेखक : नलीन चंद्र  (Naleen Chandra)  04/03/2024 

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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,


Thakur Jagmohan Singh | ठाकुर जगमोहन सिंह | प्रसिद्ध साहित्यकार | Famous Literature




Thakur Jagmohan Singh (born- 1857 AD, Madhya Pradesh; died- March 4, 1899 AD)

🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह (जन्म- 1857 ई., मध्य प्रदेश; मृत्यु- 4 मार्च, 1899 ई.) प्रसिद्ध #साहित्यकार थे। इनका नाम 'भारतेन्दु युग' के सहृदय साहित्य सेवियों में आता है। ये मध्य प्रदेश स्थित विजयराघवगढ़ के राजकुमार और अपने समय के बहुत बड़े विद्यानुरागी थे। आप हिन्दी के अतिरिक्त #संस्कृत साहित्य के भी अच्छे ज्ञाता थे। इनके समस्त कृतित्व पर संस्कृत अध्ययन की व्यापक छाप है। जगमोहन सिंह ने ब्रजभाषा के कवित्त और सवैया छन्दों में कालिदास कृत 'मेघदूत' का बहुत सुन्दर अनुवाद भी किया है।

🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह का जन्म श्रावण शुक्ल चतुर्दशी, संवत 1914 (1857 ई.) को हुआ था। वे #विजयराघवगढ़, मध्य प्रदेश के राजकुमार थे। अपनी शिक्षा के लिए काशी आने पर उनका परिचय #भारतेंदु_हरिश्चंद्र और उनकी मंडली से हुआ। हिन्दी के अतिरिक्त वे संस्कृत और अंग्रेज़ी साहित्य की भी अच्छी जानकारी रखते थे।

🇮🇳🔰 ठाकुर साहब मूलत: कवि ही थे। उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा नई और पुरानी दोनों प्रकार की काव्य प्रवृत्तियों का पोषण किया। उन्होंने जो गद्य लिखा है, उस पर भी उनके कवि-व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप है। जगमोहन सिंह उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के उन स्वनामधन्य कवियों में प्रमुख माने जाते हैं, "जिन्होंने एक ओर तो हिन्दी साहित्य की नवीन गति के प्रवर्त्तन में योग दिया, दूसरी ओर पुरानी परिपाठी की कविता के साथ भी अपना पूरा सम्बन्ध बनाये रखा।" इस सन्दर्भ में #आचार्य_रामचन्द्र_शुक्ल ने आपको एक प्रेम-पथिक कवि के रूप में स्मरण किया है।

🇮🇳🔰 जगमोहन सिंह की काव्य भाषा परिमार्जित #ब्रजभाषा थी। सरस श्रृंगारी भावभूमि को लेकर कवित्त-सवैया की रचना करने में आप बहुत निपुण थे। उनकी रचनाओं की एक बहुत बड़ी विशेषता इस बात में है कि वे प्रकृति के ताजा मनोहर चित्रों से अलंकृत हैं। उनमें #प्रकृति के विस्तृत सौन्दर्य के प्रति व्यापक अनुराग दृष्टि बिम्बित हुई है। छायावाद युग आरम्भ होने के कोई 25-30 वर्ष पूर्व ही जगमोहन सिंह की कृतियों में मानवीय सौन्दर्य को प्राकृतिक सौन्दर्य की तुलनामूलक पृष्ठभूमि में देखने-परखने का एक संकेत उपलब्ध होता है और उस दृष्टि से उनकी तत्कालीन रचनाएँ हिन्दी काव्य में एक नूतन विधान का आभास देती हैं।

● प्रेम सम्पत्ति लता (1885 ई.)

● श्यामा लता (1885 ई.)

● श्यामा-सरोजिनी (1886 ई.)

🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह हिन्दी के अतिरिक्त संस्कृत साहित्य के भी अच्छे ज्ञाता थे। उनके समस्त कृतित्व पर संस्कृत अध्ययन की व्यापक छाप है। ब्रजभाषा के कवित्त और सवैया छन्दों में #कालिदास कृत 'मेघदूत' का बहुत सुन्दर अनुवाद उन्होंने किया है। जगमोहन सिंह जी अपने समय के उत्कृष्ट गद्य लेखक भी रहे। हिन्दी निबन्ध के प्रथम उत्थान काल के निबन्धकारों में उनका स्थान महत्त्वपूर्ण है। वे ललित शैली के सरस लेखक थे। उनकी भाषा बड़ी परिमार्जित एवं संस्कृतगर्भित थी और शैली प्रवाह युक्त तथा गद्य काव्यात्मक। फिर भी हिन्दी के आरम्भिक गद्य में उपलब्ध होने वाले पूर्वी प्रयोगों और 'पण्डिताऊपन' की चिंत्य शैली से आप बच नहीं पाये हैं। 'धरे हैं', 'हम क्या करैं', 'चाहती हौ', 'जिसै दूँ' और 'ढोल पिटै' जैसे अशुद्ध प्रयोग उनकी रचनाओं में बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं।

🇮🇳🔰 जगमोहन सिंह ने आधुनिक युग के द्वार पर खड़े होकर शायद पहली बार प्रकृति को वास्तविक अनुराग-दृष्टि से देखा था। आपके कविरूप की यह एक विशेषता है। #निबन्धकार के रूप में आपने हिन्दी की आरम्भिक गद्यशैली को एक साहित्यिक व्यवस्था प्रदान की थी।

🇮🇳🔰 'श्यामा स्वप्न' जगमोहन सिंह की प्रमुख गद्य कृति है। इसका एक प्रामाणिक स्वरूप #श्रीकृष्णलाल द्वारा सम्पादित होकर काशी की 'नागरी प्रचारिणी सभा' से प्रकाशित हो चुका है। लेखक के समसामयिक युग के सुप्रसिद्ध साहित्यकार #अम्बिकादत्त_व्यास ने इस कृति को गद्य-काव्य कहा है। स्वयं लेखक ने इसे "गद्यप्रधान चार खण्डों में एक कल्पना" कहा है। यह वाक्यांश इस पुस्तक के मुख पृष्ठ पर अंकित है। इसमें गद्य और पद्य दोनों का प्रयोग किया गया है, किंतु गद्य की तुलना में पद्य की मात्रा बहुत कम है। यह कृति वस्तुत: एक भावप्रधान उपन्यास है। उसकी शैली वर्णनात्मक है और इसमें चरित्र-चित्रण की उपेक्षा करके प्रकृति तथा प्रेममय जीवन के सुन्दर चित्र अंकित किये गये हैं।

🇮🇳🔰 ठाकुर जगमोहन सिंह की मृत्यु 42 वर्ष की आयु में 4 मार्च, 1899 ई. में हुई।

साभार: shikshabhartinetwork.com

🇮🇳 हिन्दी के #भारतेन्दुयुगीन #कवि, #आलोचक और #उपन्यासकार #ठाकुर_जगमोहन_सिंह जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Thakur_Jagmohan_Singh #आजादी_का_अमृतकाल  #03March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  


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03 मार्च 2024

Reliance Foundation | Vantara program | रिलायंस फाउंडेशन | वनतारा कार्यक्रम | 3000 एकड़ में जानवरों की देखभाल और पुनर्वास

 



Reliance Foundation | Vantara program |  रिलायंस फाउंडेशन | वनतारा कार्यक्रम  | 3000 एकड़ में जानवरों की देखभाल और पुनर्वास 

🇮🇳 सत्य सनातन भारतीय संस्कृति के दर्शन, #प्राणीमात्र_से_प्रेम के दर्शन को चरितार्थ करता है, #अनंत_अंबानी का वैश्विक वन्यजीव संरक्षण को समर्पित ड्रीम प्रोजेक्ट #वनतारा। 🇮🇳

🇮🇳 रिलायंस फाउंडेशन ने की वनतारा कार्यक्रम की घोषणा, 3000 एकड़ में जानवरों की देखभाल और पुनर्वास

वनतारा सबसे बेहतरीन श्रेणी के पशु संरक्षण और केयर प्रैक्टिस वाला ऐसा सेंटर है, जहाँ अत्याधुनिक हेल्थ केयर के साथ-साथ अस्पताल, रिसर्च सेंटर और शैक्षणिक केंद्र भी हैं.

🇮🇳 रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन ने आज अपने वनतारा (स्टार ऑफ द फॉरेस्ट) कार्यक्रम के लॉन्च की घोषणा की. वनतारा भारत और विदेश दोनों में घायल और खतरे में पड़े जानवरों के बचाव, उपचार, देखभाल और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करने की एक व्यापक पहल है. 

🇮🇳 गुजरात में रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के ग्रीन बेल्ट के भीतर 3000 एकड़ में फैले, वनतारा का लक्ष्य विश्व स्तर पर संरक्षण प्रयासों में अग्रणी योगदानकर्ताओं में से एक बनना है. जानवरों की देखभाल और कल्याण में अग्रणी विशेषज्ञों के साथ काम करके, वनतारा ने 3000 एकड़ के विशाल स्थान को जंगल जैसे वातावरण में बदल दिया है. जानवरों की बचाई गई प्रजातियों के पनपने के लिए यह बिलकुल प्राकृतिक, समृद्ध, और हरा-भरा स्थान बन गया है.

🇮🇳 वनतारा, भारत में अपनी तरह का पहला इनिशिएटिव है, जिसे आरआईएल और रिलायंस फाउंडेशन के निदेशक मंडल के निदेशक अनंत अंबानी के नेतृत्व में संकल्पित और शुरू किया गया है. अनंत अंबानी #जामनगर में रिलायंस के महत्वाकांक्षी रिन्यूएबल एनर्जी बिजनेस का भी नेतृत्व कर रहे हैं. 2035 तक नेट कार्बन जीरो कंपनी बनने की रिलायंस की यात्रा का नेतृत्व का दायित्व भी उन्हीं के कंधों पर है.

🇮🇳 वनतारा सबसे बेहतरीन श्रेणी के पशु संरक्षण और केयर प्रैक्टिस वाला ऐसा सेंटर है, जहाँ अत्याधुनिक हेल्थ केयर के साथ-साथ अस्पताल, रिसर्च सेंटर और शैक्षणिक केंद्र भी हैं. अपने कार्यक्रमों में, वनतारा उन्नत अनुसंधान को एकीकृत करने और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संगठनों जैसे कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के साथ सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित करता है.

🇮🇳 पिछले कुछ वर्षों में, इस कार्यक्रम के तहत 200 से अधिक हाथियों, और हजारों अन्य जानवरों, रैपटाइल्स और पक्षियों को असुरक्षित स्थितियों से बचाया गया है. प्रोग्राम ने गैंडा, तेंदुआ और मगरमच्छ के पुनर्वास का इनिशिएटिव भी लिया है.

🇮🇳 हाल ही में, वनतारा ने मेक्सिको, वेनेजुएला आदि देशों में विदेशी बचाव अभियानों में भी भाग लिया है. मध्य अमेरिकी चिड़ियाघर अधिकारियों के एक कॉल पर कई बड़े जानवरों को यहाँ लाया गया है. ऐसे सभी बचाव और पुनर्वास मिशन भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानूनी और नियामक ढाँचे के तहत किए जाते हैं.

🇮🇳 इस अवसर पर बोलते हुए अनंत अंबानी ने कहा, “जो चीज़ मेरे लिए बहुत कम उम्र में एक जुनून के रूप में शुरू हुई थी, वह अब वनतारा और हमारी शानदारी टीम के रूप में एक मिशन बन गई है. हम भारत की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम महत्वपूर्ण आवासों को बहाल करना और प्रजातियों के लिए तत्काल खतरों का समाधान करना चाहते हैं और वनतारा को एक अग्रणी संरक्षण कार्यक्रम के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. हमें खुशी है कि हमारे प्रयासों को भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. भारत और दुनिया के कुछ शीर्ष जूलॉजिकल और चिकित्सा विशेषज्ञ हमारे मिशन में शामिल हुए हैं और हमें सरकारी निकायों, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों का सक्रिय सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है. वनतारा का लक्ष्य भारतीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और अन्य संबंधित सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी करना और भारत के सभी 150 से अधिक चिड़ियाघरों को बेहतर बनाने के लिए वहाँ प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और एनिमल केयर के बुनियादी ढाँचे पर काम करना है. हमें उम्मीद है कि वनतारा विश्व स्तर पर आशा की किरण बनेगा और यह संदेश देगा कि कैसे एक दूरदर्शी संस्थान वैश्विक जैव विविधता संरक्षण में मदद कर सकता है.”

🇮🇳 उस दर्शन के बारे में बताते हुए जिसने उन्हें वनतारा स्थापित करने के लिए प्रेरित किया, अनंत अंबानी कहते हैं, “वनतारा आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी व्यावसायिकता की उत्कृष्टता के साथ करुणा के सदियों पुराने नैतिक मूल्य का एक संयोजन है. मैं जीव सेवा (एनिमल केयर) को ईश्वर के साथ-साथ मानवता की सेवा के रूप में देखता हूँ. वनतारा में हाथियों के लिए एक केंद्र है और यहां शेर और बाघ, मगरमच्छ, तेंदुए सहित कई अन्य बड़ी और छोटी प्रजातियों के लिए सुविधाएं हैं.

🇮🇳 हाथी केंद्र की विशेषताएं--

वनतारा में एलिफेंट सेंटर 3000 एकड़ परिसर के एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है, जिसमें अत्याधुनिक आश्रय स्थल, वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किए गए दिन और रात के बाड़े, हाइड्रोथेरेपी पूल, जल निकाय और हाथियों में गठिया के इलाज के लिए एक बड़ा हाथी जकूज़ी है. यह 200 से अधिक हाथियों का घर है, जिनकी देखभाल पशुचिकित्सकों, जीवविज्ञानी, रोगविज्ञानी, पोषण विशेषज्ञ और प्रकृतिवादियों सहित 500 से अधिक लोगों का विशेष और प्रशिक्षित दल के कर्मचारियों द्वारा चौबीसों घंटे की जाती है.

🇮🇳 केंद्र में 25,000 वर्ग फुट का हाथी अस्पताल है, जो दुनिया के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है, जो पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों, विविध उपचारों के लिए लेजर मशीनों, एक पूरी फार्मेसी, सभी ​​परीक्षणों के लिए एक पैथोलॉजी, और एक आयातित हाथी निरोधक उपकरण से सुसज्जित है. इलाज के लिए, हाइड्रोलिक पुली और क्रेन, हाइड्रोलिक सर्जिकल टेबल और हाथियों के लिए एक हाइपरबेरिक ऑक्सीजन कक्ष भी है. अस्पताल मोतियाबिंद और एंडोस्कोपिक निर्देशित सर्जरी करता है (अपनी तरह के पहले विशेष रूप से डिजाइन किए गए एंडोस्कोपी उपकरण के साथ) और किसी भी आवश्यक सर्जरी को अंजाम देने में सक्षम है.

🇮🇳 इस सेंटर में 14000 वर्ग फुट से अधिक की एक विशेष रसोई है, जो प्रत्येक हाथी के लिए उनके ओरल हेल्थ सहित उनकी सबसे आवश्यक शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक क्यूरेटेड आहार तैयार करने के लिए समर्पित है. केंद्र हाथियों की देखभाल के लिए आयुर्वेद तकनीकों का इस्तेमाल भी करता है, जिसमें गर्म तेल की मालिश से लेकर मुल्तानी मिट्टी तक शामिल है. आयुर्वेद चिकित्सक भी हाथियों के लिए चौबीसों घंटे काम करते हैं.

🇮🇳 बचाव एवं पुनर्वास केंद्र--

अन्य जंगली जानवरों के लिए, जिन्हें सर्कस या भीड़भाड़ वाले चिड़ियाघरों में रखा गया है, 3000 एकड़ परिसर के भीतर ही 650 एकड़ से अधिक का एक बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाया गया है, जहाँ भारत और दुनियाभर से संकटग्रस्त और खतरनाक वातावरण के जानवरों को बचाया जाता है और रखा जाता है. यह एक बहुत बड़ा बाड़ा और आश्रय स्थल है.

🇮🇳 लगभग 2100 से अधिक कर्मचारियों के साथ, बचाव और पुनर्वास केंद्र ने पूरे भारत से लगभग 200 तेंदुओं को बचाया है, जो सड़क दुर्घटनाओं या मानव-जंगली संघर्षों में घायल हुए हैं. इसने तमिलनाडु में अत्यधिक भीड़भाड़ वाली सुविधा से 1000 से अधिक मगरमच्छों को बचाया है. इसने अफ्रीका में शिकार लॉजेज से जानवरों को बचाया है, स्लोवाकिया में खतरे में पड़े जानवरों को, मेक्सिको में असुविधाओं से गंभीर रूप से परेशान जानवरों को बचाया है.

🇮🇳 केंद्र में 1 लाख वर्ग फुट का अस्पताल और चिकित्सा अनुसंधान केंद्र है. अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के पास आईसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, डेंटल स्केलर, लिथोट्रिप्सी, डायलिसिस, ओआर1 तकनीक के साथ सबसे उन्नत तकनीक है, जो सर्जरी और रक्त प्लाज्मा विभाजक के लिए लाइव वीडियोकांफ्रेंसिंग को सक्षम बनाती है.

🇮🇳 43 प्रजातियों के 2000 से अधिक जानवर बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की देखरेख में हैं. भारतीय और विदेशी जानवरों की लगभग 7 लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए सेंटर ने संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी को विलुप्त होने से बचाने के लिए उनके मूल आवासों में फिर से बसाना है.

🇮🇳 आज, वनतारा इकोसिस्टम ने 200 से अधिक हाथियों, 300 से अधिक बड़े जानवरों जैसे तेंदुए, बाघ, शेर, जगुआर आदि, 300 से अधिक शाकाहारी जानवरों जैसे हिरण और 1200 से अधिक सरीसृप (रैपटाइल) जैसे मगरमच्छ, सांपों को जीवन और कछुए को एक तरह से नया जीवन प्रदान किया है.

🇮🇳 बचाव और विनिमय में अनुपालन--

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघर नियम, 2009 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डन और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की पूर्व मंजूरी प्राप्त करने के बाद सभी बचाए गए जानवरों को वनतारा में लाया गया है. सभी पशु विनिमय कार्यक्रम केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अनुमोदन/अनुमति पर किये जाते हैं. वनतारा ने भारत और विदेशों में अन्य संस्थानों के अनुरोधों के आदान-प्रदान का भी जवाब दिया है. ऐसे जानवरों को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश व्यापार महानिदेशालय, पशुपालन और डेयरी विभाग और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद लाया गया था.

🇮🇳 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

वेनेज़ुएला नेशनल फाउंडेशन ऑफ़ ज़ूज़ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और स्मिथसोनियन और वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम जैसे दुनिया भर के प्रतिष्ठित संगठनों के साथ मिलकर वनतारा कार्यक्रम को काफी फायदा हुआ है. भारत में, यह राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, असम राज्य चिड़ियाघर, नागालैंड प्राणी उद्यान, सरदार पटेल प्राणी उद्यान आदि के साथ सहयोग करता है.

🇮🇳 शिक्षा और जागरूकता--

लोगों विशेषकर युवाओं और बच्चों के बीच संरक्षण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, वनतारा पहल में ज्ञान और संसाधन आदान-प्रदान सहित शैक्षणिक संस्थानों के साथ घनिष्ठ सहयोग की परिकल्पना की गई है. इसमें करुणा और देखभाल में नए मानक स्थापित करने वाले आधुनिक और भविष्य के, जलवायु नियंत्रित बाड़ों में कुछ जानवरों के लिए एक प्रदर्शन क्षेत्र के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है.

🇮🇳 ग्रीन एरिया--

दृढ़ता से विश्वास करते हुए कि जानवरों का बचाव और संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए, वनतारा कार्यक्रम में रिलायंस रिफाइनरी क्षेत्रों की निरंतर हरियाली की भी परिकल्पना की गई है और पहले से ही हजारों एकड़ भूमि को हरा-भरा किया गया है.

साभार: hindi.news18.com

वन्यजीव संरक्षण, मानवता को समर्पित हर मनुष्य का धर्म है। 

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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World Wildlife Day | विश्व वन्यजीव दिवस | 3 March



World Wildlife Day  | विश्व वन्यजीव दिवस | 3 March

🇮🇳 #World #Wildlife Day is #celebrated every year on #3March to spread #awareness about the extinct #wild #animal #species around the world. 

🇮🇳 दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। भारत में इस समय बहुत से जीवों की प्रजातियां खतरे में हैं। समय रहते इस ओर ध्यान न दिया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।  

🇮🇳 जंगल प्रकृति का एक खूबसूरत चेहरा है जहाँ हरे भरे पेड़, जीव-जंतु, जड़ी बूटियां, अलग-अलग प्रजातियों के खूबसूरत पक्षियों का आशियाना, शेर, मगरमच्छ और हाथी जैसे सैकड़ों वन्यजीव मौजूद हैं। खाल, नाखून, सींग और माँस के लिए इन जीवों का शिकार किया जाता है। जिनका उपयोग फैशन,सौन्दर्य उत्पादन और कई विशिष्ट प्रकार की दवाओं के लिए किया जाता है। मनुष्य इन जानवरों का शिकार केवल अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं, जो अनावश्यक हैं। हालांकि इनकी आपूर्ति अन्य विकल्पों से भी पूरी की जा सकती है। इसलिए वन्यजीव प्रजातियों का शिकार रोकना वन्यजीव संरक्षण के तहत आता है। यह पृथ्वी पर वन्यजीवों और उनके आवास की रक्षा की ज़रूरत है, ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां बिना किसी डर के रह सकें।

🇮🇳 1960 के दशक से ही वैज्ञानिक जानवरों का पता लगाने और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए रेडियो टेलीमेट्री का उपयोग कर रहे हैं। रेडियो टेलीमेट्री स्थान निर्धारित करने के लिए रेडियो संकेतों का उपयोग करती है, जो अदृश्य और मूक विद्युत चुम्बकीय तरंगों से बने होते हैं। भारत में पहली बार पूरी तरह रेडियो-टेलीमेट्री अध्ययन 1983 में हैदराबाद में भारतीय वन्यजीव संस्थान के मगरमच्छ अनुसंधान केंद्र द्वारा किया गया था। उन्होंने चंबल नदी में 12 घड़ियालों पर नजर रखने के लिए एक ट्रांसमीटर उपकरण लगाया। इसके बाद भारत में ऐसे कई अध्ययनों का रास्ता खुल गया। 

🇮🇳 एशियाई हाथी पहला जानवर था जिसे 1985 में भारत में मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य में रिसर्च के लिए रेडियो कॉलर लगाया गया था। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की ओर से ऑपरेशन मासिनागुडी नामक एक परियोजना में दो हाथियों को रेडियो कॉलर लगाए गए और फिर इन्हें ट्रैक किया गया। इसके बाद 90 के दशक की शुरुआत में संरक्षणवादी और बाघ विशेषज्ञ उल्लास कारंत ने भारत में सबसे बेशकीमती माने जाने वाले बाघों पर रेडियो कॉलर का इस्तेमाल करते हुए पहला अध्ययन किया। उनके व्यवहार और पारिस्थितिकी को समझने के लिए चार बाघों को रेडियो-कॉलर लगाया गया। इसमें यह जानकारी का पता करना भी शामिल था कि वे बाघ पश्चिमी घाट के मलनाड क्षेत्र में नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में किस तरह रह रहे हैं। इसके बाद के दशकों में रेडियो-कॉलर से जुड़े कई अध्ययन किए गए।

🇮🇳 सरकार के प्रयासों से भी पिछले कुछ वर्षों में बाघों की संख्‍या में काफी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बताया कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्‍यम से मनुष्‍य और बाघों के बीच संघर्ष कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ए.आई. के माध्‍यम से स्थानीय लोगों को उनके मोबाइल पर बाघों के आने के बारे में सतर्क कर दिया जाता है। गाँव और वन की सीमा पर कैमरे लगाए गए हैं। नए उद्यमी भी वन्‍य जीव संरक्षण और इको पर्यटन में नवाचारों पर काम कर रहे हैं। उत्तराखंड के रुड़की में रोटर प्रिसेशन ग्रुप ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर एक ऐसा ड्रोन विकसित किया है जिससे केन नदी में घडियालों पर नज़र रखने में मदद मिल रही है। बेंगलुरु की भी एक कम्पनी ने हाल ही में बघीरा और गरुड़ नाम के एक ऐप को तैयार किया है। बघीरा ऐप से जंगल सफारी के दौरान वाहन की गति और अन्य गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकती है। देश के अनेक बाघ अभ्‍यारण्‍यों में इसका उपयोग हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स पर आधारित गरुड़ ऐप को किसी भी सीसीटीवी से जोड़ने पर वास्तविक समय अलर्ट मिलने लगता है।

🇮🇳 प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम मन की बात में  में छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिए शुरू किये गये रेडियो कार्यक्रम "हमर हाथी - हमर गोठ" का भी जिक्र किया था। साल 2017 में छत्तीसगढ़ में हाथियों के आतंक को रोकने और ग्रामीणों को सचेत करने के लिए आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से "हमर हाथी-हमर गोठ" कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। सोशल मीडिया के इस दौर में रेडियो कितना सशक्त माध्यम हो सकता है, इसका अनूठा प्रयोग छत्तीसगढ़ में हाथियों की सूचनाओं के लिए किया जा रहा है। काम से वापस लौटते समय शाम को हाथियों की उपस्थिति का सही लोकेशन मिलने से लोग रास्ता बदलकर सुरक्षित रास्ते से वापस घर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की यह पहल देश के अन्य हाथी प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनाई जा सकती है।

🇮🇳 वन्यजीवों को बचाने के लिए रेडियो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जहाँ टीवी की पहुँच नहीं है उस जगह रेडियो के  माध्यम से जागरूकता अभियान को बढ़ावा देना होगा। सरकार द्वारा चलाए जा रहे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की जानकारी लोगों तक पहुँचानी होगी। प्रकृति की सुंदरता निखारने में वन्यजीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए सरकार द्वारा संरक्षण प्रयासों के साथ, यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, कि हम व्यक्तिगत रूप से वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान करें। 

~ फरहत नाज़

समाचार वाचिका,आकाशवाणी

साभार: ddnews.gov.in

🇮🇳 आइये #विश्व_वन्यजीव_दिवस के अवसर पर संकल्प लें कि हम वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान देंगे।

🇮🇳💐🙏

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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सूचना:  यंहा दी गई  जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की  कोई गारंटी नहीं है। सूचना के  लिए विभिन्न माध्यमों से संकलित करके लेखक के निजी विचारो  के साथ यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह  की जिम्मेदारी स्वयं निर्णय लेने वाले पाठक की ही होगी।' हम या हमारे सहयोगी  किसी भी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है | धन्यवाद। ... 

Notice: There is no guarantee of authenticity or reliability of the information/content/calculations given here. This information has been compiled from various mediums for information and has been sent to you along with the personal views of the author. Our aim is only to provide information, readers should take it as information only. Apart from this, the responsibility of any kind will be of the reader himself who takes the decision. We or our associates are not responsible for this in any way. Thank you. ,


Rahul Congress Will Deliver to 20 Seats | राहुल कांग्रेस को 20 सीट पर पहुंचा देगा | लेखक : सुभाष चन्द्र



Rahul Congress Will deliver to 20 seats | What kind of economist is Raghuram Rajan? |  Lalu's illness is bogus . 

#राहुल #कांग्रेस को  #20सीट पर पहुंचा देगा -

#रघुराम_राजन कैसा “#अर्थशास्त्री” है, पता चल गया -

#लालू की बीमारी बोगस है - जेल में डालो -

#कोरोना_काल में एक तिमाही में जब #भारत की #GDP गिर गई थी तब #कांग्रेस समेत सारा विपक्ष खुश हो गया था - और मई 2022 में कोरोना का असर ख़तम होने पर रघुराम राजन ने दिसंबर, 2022 में कहा था कि अगर भारत की GDP वर्ष 2023 - 24 में 5% भी रही तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी और भारत को नौकरियां देने के लिए चीन की तरह 8% GDP हासिल करनी होगी और यही आधार रहता है राहुल के बिना सोचे समझे बयानों का -

पिछले 6 तिमाहियों में अबकी बार वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में GDP सबसे अधिक 8.4 प्रतिशत रही जबकि पहली और दूसरी तिमाही में यह 7.8 और 7.6 प्रतिशत थी जिसे संशोधित करके 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया गया और वार्षिक विकास दर 6.5% रहने की उम्मीद है जो चीन में केवल 4.5 % होगी -

GDP के आंकड़े आने के बाद GST ने भी फरवरी, 2024 माह के रिकॉर्ड बनाया और 12.5% तेजी के साथ 1.68 लाख करोड़ रुपए पर रहा और शेयर मार्किट उच्चतम स्तर पर पहुंच गया - #GDP और #GST एवमं #शेयर #मार्किट का उच्चतम स्तर देश की आर्थिक समृद्धि को प्रमाणित करते हैं लेकिन राहुल “कालनेमि” लोगों में एक ही भ्रम फैलाने में लगा है कि #नोटबंदी और #GST से किसी को कोई फायदा नहीं हुआ और उद्योग बंद हो गए 

उद्योग बंद होने पर GDP और GST कैसे बढ़ सकते हैं, ये क्या पता है राहुल को - नोटबंदी से अगर किसी को नुक्सान हुआ तो वह केवल पाकिस्तान को हुआ क्योंकि उसका जाली नोटों का व्यापार ठप हो गया जो कांग्रेस की मेहरबानी से फलफूल रहा था -

दो दिन पहले कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा था कि पाकिस्तान भाजपा के लिए शत्रु देश है जबकि कांग्रेस के लिए एक “पड़ोसी” है - मतलब साफ़ था कांग्रेस के लिए मित्र राष्ट्र है पाकिस्तान और आज राहुल “कालनेमि” से साफ कह दिया कि भारत से कहीं बेहतर हालत पाकिस्तान और बांग्लादेश एवं भूटान की है - अब सच्चाई तो यह है कि एक पागल कुत्ता बस भौंकता रहता है बिना सोचे समझे - पाकिस्तान का जयकार करने के लिए लगता है राहुल “कालनेमि” को लंदन में निताशा कौल ने किसी रंगीन मुलाकात में पाठ पढ़ाया है क्योंकि वो “प्रोफेसर” जो है -

लोगों को हर वक्त अडानी अडानी का राग अलापेगा तो कांग्रेस को राहुल “कालनेमि” निश्चित ही अबकी बार 20 सीट पर ले आएगा क्योंकि पार्टी में राहुल एक “पनौती” साबित होता जा रहा है - हर राज्य में कांग्रेस बिखर रही है - बिजली का स्विच ऑन करोगे तो बिजली का बिल अडानी की जेब में जाएगा, यह राहुल का कहना साबित करता है कि उसके पागल होने में कोई कसर नहीं बची है -

आज जिस तरह लालू यादव ने पटना में मोदी के खिलाफ अपशब्द बोले हैं, उससे साबित होता है कि लालू ने बीमारी का झूठा बहाना बना कर 5 सजाओं के खिलाफ जमानत ली हुई है - पहले ही मुझे शंका रहती है लालू और न्यायपालिका के बीच “नापाक” गठजोड़ की लेकिन अब यकीन हो गया है कि लालू को पैसे के दम पर अदालत मौज करा रही है - इसकी जमानत अब रद्द करके जेल में डाल देना चाहिए - अभी लालू को होश नहीं है कि भगवान राम के अपमान करने का उसे क्या दंड मिला है, अभी और भुगतना बाकी बचा लगता है -

"लेखक के निजी विचार हैं "

 लेखक : सुभाष चन्द्र | “मैं वंशज श्री राम का” 03/03/2024 

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Ramakrishna Khatri | Freedom Fighter | क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री | 3 मार्च 1902 -18 अक्टूबर 1996




 

🇮🇳 आजादी के मतवालों की कहानियाँ सुनते ही खून दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगता है. क्रांतिकारियों की कहानी के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. आपको ऐसे क्रांतिकारी की कहानी बताएँगे, जिसने छोटी सी उम्र में देश की आजादी को ही अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया था.

🇮🇳 क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री का जन्म #महाराष्ट्र प्रांत में #बुल्डाणा जिले के #चिखली ग्राम में हुआ था. पिता का नाम #शिवलाल_चोपड़ा और माता का नाम #कृष्णा_बाई था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा चिखली और चंद्रपुर नगर में ग्रहण की. बचपन से ही खत्री के हृदय में देश प्रेम का अंकुर फूटने लगा था. बताया जाता है, उन दिनों देश भर में 'लाल-बाल-पाल' की धूम मची थी.

🇮🇳 सन 1917 में #लोकमान्य_बाल_गंगाधर_तिलक अपने राष्ट्रव्यापी दौरे के बीच चिखली में पधारे थे. भला बालक राम कृष्ण यह अवसर कहाँ छोड़ने वाला थे. रामकृष्ण खत्री के बेटे #उदय_खत्री बताते हैं कि, अपने ऊपर निगरानी रख रहे परिजनों और स्कूल अध्यापकों की नजर बचाकर रामकृष्ण कुछ सहपाठियों के साथ #लोकमान्य_तिलक का भाषण सुनने जा पहुँचे. भाषण के बाद मौका पाकर रामकृष्ण लोकमान्य तिलक के पास पहुँचे और हाथ पकड़ कर बोले, मुझे भी अपने साथ ले चलिए. आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूँगा.

🇮🇳 इस पर लोकमान्य तिलक ने उन्हें समझाते हुए कहा था, अभी तुम लोग बहुत छोटे हो, पढ़ लिख कर थोड़ा और बड़े हो जाओ तब #मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अपने आप को लगाना. इस बात को सुनकर रामकृष्ण खत्री रुआँसे हो गए. इसी पर रामकृष्ण खत्री ने देश को आजाद कराने की मन में ठान ली.

🇮🇳 बेटे उदय खत्री बताते हैं कि, चिखली की पढ़ाई खत्म होते ही पिता रामकृष्ण अपने बड़े भाई #मोहनलाल के पास महाराष्ट्र के ही चंद्रपुर चले आए और वहाँ हाईस्कूल में दाखिला ले लिया. 1920 के 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक के निधन के बाद पूरे देश की निगाहें #गाँधीजी की ओर लग गई थीं. सितंबर 1920 में कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व महात्मा गाँधी ने 14 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की. जिसमें वकीलों से वकालत छोड़ने का आह्वान, छात्र-छात्राओं से अंग्रेजी विद्यालयों की पढ़ाई छोड़ देने का आह्वान और प्रबुद्ध जनों से अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदत्त उपाधियों-पदवियों का परित्याग कर देने का आह्वान किया.

🇮🇳 इस 14 सूत्री कार्यक्रमों के आह्वान पर कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी #वर्धा (महाराष्ट्र) पहुँचे. #सेठ_जमनालाल_बजाज के प्रांगण में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया. इसी सभा में रामकृष्ण खत्री भी अपने कुछ छात्र मित्रों के साथ पहुँच गए. भाषण की समाप्ति के बाद जैसे ही गॉंधीजी ने समूह से कहा कि किसी को किसी प्रकार की शंका का समाधान करना हो तो मुझसे प्रश्न कर सकता है.

🇮🇳 इस पर करीब 18 वर्ष के राम कृष्ण अपने स्थान से उठे और गॉंधी जी से एक तीखा प्रश्न कर बैठे. रामकृष्ण ने गॉंधी जी से कहा, आप अंग्रेज सरकार द्वारा स्थापित विद्यालयों से पढ़ाई छोड़ देने के लिए हम विद्यार्थियों से कह रहे हैं, लेकिन लोकमान्य तिलक, #रविंद्र_नाथ_टैगोर और आप सभी नेताओं ने इन्हीं विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है. इस पर गाँधी जी ने बड़े शांत भाव से रामकृष्ण को उत्तर दिया. जिसके बाद रामकृष्ण खत्री व उपस्थित छात्रों ने विद्यालय छोड़ देने की घोषणा कर दी.

🇮🇳 उदय खत्री बताते हैं कि पिता रामकृष्ण खत्री ने अपने व्यक्तित्व से कांग्रेस में अपना स्थान बनाया. सन 1920 में ही कोलकाता और नागपुर के कांग्रेसी अधिवेशन में प्रतिनिधि के रुप में सम्मिलित हुए और उसी समय से सेवा दल के कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत रहे. वे बताते हैं कि अगस्त 1921 में राष्ट्र को समर्पित करने के लिए वह गृह त्यागी हो गए. इसी समय वह #कनखल (हरिद्वार) जाकर नागपंचमी के दिन उन्होंने उदासीन अखाड़े में दीक्षा प्राप्त की और साधु हो गए.



🇮🇳 फरवरी 1922 में महात्मा गाँधी ने #चौरी_चौरा_कांड के कारण असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था. इस निर्णय से दुखी होकर रामकृष्ण अमृतसर से बनारस चले गए. वहाँ उन्होंने उदासीन संस्कृत महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया. उदय खत्री बताते हैं 1923 में बनारस में ही वह क्रांतिकारी #चंद्रशेखर_आजाद के संपर्क में आए. उसी के बाद रामकृष्ण एकमात्र ऐसे व्यक्ति से जिन्हें चंद्र शेखर आजाद ने 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' का सक्रिय सदस्य बना लिया. फिर सारा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया.

🇮🇳 9 मार्च 1925 को #बिचपुरी गाँव में हुए एक्शन और उसके डेढ़ 2 माह बाद #प्रतापगढ़ के #द्वारिकापुर कस्बे में किए गए एक्शन में सक्रिय रूप से भाग लिया.

🇮🇳 6 अगस्त 1925 को क्रांतिकारी #रामप्रसाद_बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारी साथियों द्वारा लखनऊ के निकट काकोरी ट्रेन डकैती कांड हुआ.

🇮🇳 18 अक्टूबर 1925 को रामकृष्ण खत्री काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र कांड के अंतर्गत #पुणे से बंदी बनाकर लखनऊ लाए गए. काकोरी क्रांतिकारी षड्यंत्र केस के अंतर्गत लखनऊ में चले ऐतिहासिक मुकदमे में 19 क्रांतिकारियों को 4 वर्ष से लेकर फाँसी तक का दंड मिला. रामकृष्ण खत्री को इस केस में 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा मिली.

🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 10 वर्ष की सजा काटकर 1 अगस्त 1935 को लखनऊ सेंट्रल जेल से रिहा किए गए. जेल से छूट कर उन्होंने #डॉ_राजेंद्र_प्रसाद की अध्यक्षता में 'ऑल इंडिया पॉलीटिकल प्रिजनर्स रिलीफ कमिटी' की स्थापना की. इस संस्था के महामंत्री के रूप में बंदी जीवन काट रहे, अपने शेष क्रांतिकारी साथियों की रिहाई का प्रयास करते रहे.

🇮🇳 रामकृष्ण के प्रयास के चलते 1937 में कांग्रेस सरकार ने क्रांतिकारी बंदियों की रिहाई शुरू कर दी. वर्ष 1938 के मध्य तक सभी क्रांतिकारी रिहा भी कर दिए गए.

🇮🇳 दिसंबर 1937 में दिल्ली प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 5 क्रांतिकारी साथियों के साथ बंदी बना लिए गए और 4 माह कैद की सजा काटी.



🇮🇳 रामकृष्ण खत्री 1938 के मध्य में #आचार्य_नरेंद्र_देव द्वारा गठित 'कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी' की लखनऊ इकाई के महामंत्री चुने गए.

🇮🇳 रामकृष्ण 1939 में क्रांतिकारी #सुभाष_चंद्र_बोस की अध्यक्षता में आयोजित ऐतिहासिक #त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में सम्मिलित हुए.

🇮🇳 15 अगस्त 1939 को रामकृष्ण खत्री का कोलकाता में बंगाली 'दास अधिकारी' परिवार की कन्या के साथ विवाह हुआ.

🇮🇳 सन 1940 में उत्तर प्रदेश में सुभाष चंद्र बोस के ऐतिहासिक दौरे का सफल आयोजन किया. इससे पहले 1939 में #रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान ही प्रथम अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक अधिवेशन में भी सम्मिलित हुए.

🇮🇳 1941 में सुभाष चंद्र बोस के देश छोड़ देने के बाद रामकृष्ण 1942 में कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. 1966 के कांग्रेस विभाजन तक पार्टी में सक्रिय कार्य करते रहे.

🇮🇳 सितंबर 1976 में लखनऊ में संपन्न अमर शहीद #यतींद्र_नाथ_दास के 50वें बलिदान दिवस समारोह के वे सफल आयोजक रहे.

🇮🇳 दिसंबर 1983 में लखनऊ के निकट ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती घटनास्थल पर भव्य स्मारक के निर्माण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के द्वारा शिलान्यास समारोह में भी मुख्य रूप से रामकृष्ण खत्री मौजूद रहे.

🇮🇳 मई 1990 में लखनऊ में देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रमुख क्रांतिकारी के स्मृति दिवसों के निरंतर आयोजन के लिए 'शहीद स्मृति समारोह समिति' नामक संस्था की स्थापना की.

🇮🇳 देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री का निधन 95 वर्ष की उम्र में 18 अक्टूबर 1996 को लखनऊ में हुआ.

साभार: etvbharat.com

🇮🇳 भारत के स्वतंत्रता संग्राम में #काकोरी_क्रांति के लिए दण्ड के रूप में दस वर्ष के कारावास की सजा पाने वाले भारत के प्रमुख #क्रांतिकारी #रामकृष्ण_खत्री जी की जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से कोटि-कोटि नमन एवं हार्दिक श्रद्धांजलि !

🇮🇳💐🙏

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

 #Ramakrishna_Khatri   #आजादी_का_अमृतकाल  #03March #प्रेरणादायी_व्यक्तित्व,  #Freedom_Fighter


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Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे | डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948

 




Dr. Balkrishna Shivram Munje | डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे |  डॉ. बीएस मुंजे | 12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948 

🇮🇳🔶 वो गुरुजी के गुरुजी थे: जिनकी वजह से डॉ. आंबेडकर की भी थी संघ से नजदीकी 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा। 🔶🇮🇳

🇮🇳🔶 पूरी संभावना है कि आपने बालकृष्ण शिवराम मुंजे का नाम नहीं सुना होगा। अगर एक वाक्य में उनका योगदान बताना हो तो बता दें कि पहले फिरंगी जातियों के आधार पर सेना में भर्ती लेते थे और इस व्यवस्था को हटाकर सभी की भर्ती हो सके, ये व्यवस्था बीएस मुंजे के प्रयासों से हो पाई थी। #बिलासपुर के एक ब्राह्मण परिवार में 1872 में जन्मे मुंजे ने 1898 में मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की थी।

🇮🇳 ये वो दौर था जब कांग्रेस में नरम दल और गरम दल अलग-अलग होने लगे थे। गरम दल का नेतृत्व #लाला_लाजपत_राय, #बाल_गंगाधर_तिलक और #बिपिनचंद्र_पाल अर्थात लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के हाथ में था। इस दौर तक दोनों कांग्रेसी धड़ों के बीच जूतेबाजी भी शुरू हो चुकी थी।

🇮🇳🔶 जब 1907 में #सूरत में कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन हो रहा था तो दोनों हिस्सों के बीच तल्खियाँ बढ़ गईं। इस वक्त बीएस मुंजे ने खुलकर तिलक का समर्थन किया और यही वजह रही कि तिलक के वो भविष्य में भी काफी करीबी रहे। पार्टी के लिए चंदा इकठ्ठा करने के कार्यक्रमों में वो तिलक के आदेश पर पूरे केन्द्रीय भारत में भ्रमण करते रहे।

🇮🇳🔶 बाद में जब राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए लोकमान्य तिलक ने गणेश पूजा की शुरुआत की तो उसे भी मुंजे का पूरा समर्थन मिला। पंडाल लगाने, मूर्ति बैठाने और उसे विसर्जित करने तक के कार्यक्रम के जरिए लोकमान्य तिलक ने जो व्यवस्था महाराष्ट्र में शुरू की थी, उसी को वो बाद में कोलकाता भी ले गए। कोलकाता के इस अभियान में लोकमान्य तिलक के साथ बीएस मुंजे भी थे।

🇮🇳🔶 आज जो आप कोलकाता के दुर्गा पूजा में विशाल पंडालों, मूर्तियों इत्यादि का आयोजन देखते हैं वो 1900 के शुरुआती दशकों में रखी गई थी। जैसा कि हर सौ वर्षों में होता ही है, शताब्दी का दूसरा दशक उस समय भी हिन्दुओं के पुनःजागरण का काल था।

🇮🇳🔶 मोहनदास करमचंद गाँधी की ही तरह बोअर युद्ध के दौरान बीएस मुंजे भी 1899 में मेडिकल कॉर्प्स में थे। सायमन कमीशन के विरोध, रक्षा बजट का प्रावधान अलग करवाने और समाज सुधार के कार्यों में बीएस मुंजे लगातार काम करते रहे। जब लोकमान्य तिलक की मृत्यु हो गई तब वो 1920 में कॉन्ग्रेस से अलग हो गए थे।

🇮🇳🔶 उनकी मोहनदास करमचंद गाँधी की ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘अहिंसा’ जैसे विषयों पर घोर असहमति थी। आगे चलकर करीब 65 वर्ष की आयु में उन्होंने नासिक में भोंसला मिलिट्री अकादमी की स्थापना कर डाली। ये स्कूल आज भी जाने माने विद्यालयों में से एक है। उनके द्वारा स्थापित किए हुए कई संस्थान तो अब अपनी सौवीं वर्षगाँठ के आस-पास हैं और आश्चर्य की बात कि कोई भी बंद या सरकारी मदद माँगने वाली बुरी स्थिति में नहीं पहुँचा!

🇮🇳🔶 कांग्रेस से दूरी बढ़ाने के वक्त भी उनकी हिन्दू महासभा से नजदीकी कम नहीं हुई। वो डॉ. हेडगेवार के राजनैतिक गुरु थे। उनकी प्रेरणा से ही डॉ. हेडगेवार ने 1925 में आरएसएस की शुरुआत की थी। डॉ. बीएस मुंजे ने 1927 में हिन्दू महासभा के प्रमुख का पदभार सँभाल लिया था और उन्होंने 1937 में ये पद #विनायक_दामोदर_सावरकर को दिया।

🇮🇳🔶 सैन्य स्कूल स्थापित करने की प्रेरणा उन्हें अपनी इटली यात्रा से मिली थी, जहाँ 1931 में वो मुसोलनी से भी मिले थे। कांग्रेस के घनघोर विरोध के बाद भी वो दो बार लंदन में गोल मेज़ सभाओं में भी सम्मिलित हुए थे। अपने पूरे जीवन वो यात्राएँ ही करते रहे।



🇮🇳🔶 ऐसा भी नहीं है कि उनसे सलाह लेने और मानने वालों में केवल सावरकर और डॉ. हेडगेवार ही थे। जब #डॉ_भीमराव_राम_आंबेडकर को धर्मपरिवर्तन करना था तो उन्होंने भी डॉ. मुंजे से सलाह ली और मानी थी। डॉ. मुंजे ने उन्हें अब्रह्मिक मजहबों की तरफ जाने के बदले भारतीय धर्मों की ओर जाने की सलाह दी थी।

🇮🇳🔶 जब सिख होने और बौद्ध धर्म अपनाने के बीच चुनना था तो अंततः डॉ. आंबेडकर ने डॉ. बीएस मुंजे की सलाह मानते हुए बौद्ध धर्म अपनाया था। अगर आपने कभी सोचा हो कि अपने समय के हर संगठन (राजनैतिक या गैर-राजनैतिक) पर अपने विचार रखने वाले डॉ. आंबेडकर की संघ से क्यों नजदीकी थी, तो ऐसा मान सकते हैं कि डॉ. बीएस मुंजे उनके बीच की कड़ी थे।



🇮🇳🔶 आज डॉ. बीएस मुंजे (12 दिसम्बर 1872 – 3 मार्च 1948) की पुण्यतिथि है। जब सेना में बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मिलित होने के अधिकार की याद करें, तो डॉ. हेडगेवार के गुरूजी, डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे को भी याद कर लीजिएगा।

साभार: opindia.com

🇮🇳 #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के अभिभावक, मार्गदर्शक तथा प्रेरणास्रोत, धर्मवीर, सच्चे राष्ट्रभक्त, वीर नायक #डॉ_बालकृष्ण_शिवराम_मुंजे जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि !

#प्रेरणादायी_व्यक्तित्व

#आजादी_का_अमृतकाल

साभार: चन्द्र कांत  (Chandra Kant) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष - मातृभूमि सेवा संस्था 

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